धर्म समाज

शादी के बाद महिलाएं क्यों पहनती हैं बिछिया

  • जानिए...इसका धार्मिक महत्व
विवाह के बाद मांग में सिंदूर, मंगलसूत्र, माथे की बिंदी, चूड़ियां और पांव में बिछिया पहन कर एक विवाहित महिला की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं. शादी के बाद पांव में चांदी की बिछिया पहनना जरूरी होता है. देखा जाए तो इसका धार्मिक महत्व होने के साथ कुछ साइंटिफिक महत्व भी है. चलिए जानते हैं कि महिलाएं बिछिया क्यों पहनी जाती है और इसके क्या लाभ हैं.
सनातन धर्म में कहा गया है कि विवाहित महिलाओं को पांव की उंगलियों में बिछिया पहनना काफी लाभकारी होता है. ऐसा करने पर विवाहित जीवन में सुख और शांति आती है. पैर की दूसरी और तीसरी उंगली में पहनी गई बिछिया एक तरफ जहां पति पत्नी के दांपत्य जीवन को सुखमय करती है. वहीं इससे मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है. पांव में बिछिया पहनने से जीवन में नकारात्मकता कम होती है और पारिवारिक सुख बढ़ता है. कहते हैं कि बिछिया चांदी की ही पहननी चाहिए. चांदी चंद्रमा का कारक माना गया है और इसे पहनने से शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है और ग्रहों की बाधा भी दूर होती है. इसे धारण करने से मन शांत रहता है और क्रोध हावी नहीं होता है.
बिछिया पहनने के साइंटिफिक कारण-
बिछिया का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक लाभ भी होते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि बिछिया पहनने से महिलाओं में थायराइड की आशंका कम होती है. चूंकि चांदी ठंडी प्रकृति की होती है, इसलिए इसे धारण करने पर शरीर की गर्मी और ज्यादा तापमान से छुटकारा मिलता है. चूंकि पैरों की तीन उंगलियां (जिनमें बिछिया पहनी जाती है) महिलाओं के गर्भाशय और दिल से जुड़ी होती हैं, इसलिए इन उंगलियों में बिछिया पहनने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है और गर्भधारण करने में दिक्कत नहीं आती है. बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोन सिस्टम दुरुस्त रहता है जिससे उनका स्वास्थ्य सही रहता है. बिछिया एक एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट की तरह भी काम करती है जिससे शरीर के निचले अंगों और मांसपेशियों की हेल्थ दुरुस्त रहती है.

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