धर्म समाज

उदया चतुर्दशी तिथि में 31 अक्टूबर को होगा अष्ट लक्ष्मी का आह्वान

  • जानिए...पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
दीपावली पर सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी महालक्ष्मी का पूजन 31 अक्टूबर गुरुवार को होगा। इस मौके पर घर-घर माता का आह्वान विधि-विधान से किया जाएगा। यह पूजन केवल घर-परिवारों में ही नहीं बल्कि व्यवसायिक स्थल, कार्यालयों और कारखानों में भी होगा।
दीपावली पूजा उचित मुहूर्त में विधि-विधान से स्थिर लग्न, प्रदोषकाल एवं अमावस्या तिथि पर विचार किया जाता है। इस वर्ष गुरुवार को दोपहर 03.53 से अमावस तिथि लगेगी, जो कि दूसरे दिन एक नवंबर शुक्रवार की शाम 06.17 मिनट तक रहेगी।
दीपावली पर्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रदोष वेला एवं महानिशीथ काल 31 को ही मिल रहे हैं। अतः इस वर्ष दीपावली पर्व उदया चतुर्दशी तिथि में 31 को ही मनाया जाएगा। पर्व काल होने से संपूर्ण दिवस पर्यंत पूजन कर सकते हैं।
ऐसे करें लक्ष्मी जी व गणेश जी की पूजा-
पहले आत्म शोधन के जरिए आंतरिक एवं बाहरी आत्म शोधन करें।
इसके बाद विधि-विधान से पूजा अनुष्ठान संपन्न करने का संकल्प लें।
प्राणियों की सुख-शांति-समृद्धि के लिए शांति पाठ का उच्चारण करें।
मनोकामना पूर्ति के लिए मंगल पाठ के बाद कलश की स्थापना करें।
इसके बाद गणपति पूजा, नव-ग्रह पूजा, षोडश मातृका-पूजा को करें।
भगवान गणेश और श्रीलक्ष्मी की नई मूर्ति की स्थापना और पूजा करें।
महाकाली, सरस्वती, बही-खाते, कुबेर पूजा व तिजोरी का पूजन करें।
इसके बाद दीप जलाकर प्रार्थना के द्वारा दीवाली की पूजा संपन्न करें।
यदि संभव हो, तो करें रात्रि जागरण-
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास के अनुसार, उपरोक्त पूजा सम्पूर्ण विधि-विधान से की जाती है। संपूर्ण दीवाली पूजा संपन्न करने में कुछ घंटों का समय लग सकता है। पूजन के बाद श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त तथा देवी लक्ष्मी की अन्य स्तुतियों का पाठ करना चाहिए।
यदि संभव हो, तो देवी लक्ष्मी की स्तुति के लिए जागरण करना चाहिए। कहते हैं कि दीवाली की रात में माता लक्ष्मी घर में आती हैं और जो लोग उनकी पूजा-आराधना करते हैं, उनकों आशीर्वाद देती हैं। घर को दीपकों और रंगोली से जरूर सजाएं।
चौघड़ियानुसार पूजन मुहूर्त-
प्रात:06.32.21 से 07.56.14 तक (शुभ)
प्रात:- 10.44.00 से दोप. 12.07.54 तक (चर)
दोप- 12.07.55 से 01.31.47 तक (लाभ)
सांय- 04.19.33 से सांयः 05.43.27 तक (शुभ)
सांय- 05.43.28 से 07.19.38 तक (अमृत)
सांय- 07.19.39 से रात्रि 08.55.49 तक (चर)
रात्रि- 12.08.11 से 01.44.22 तक (लाभ)
शुभ स्थिर लग्न में पूजन-
वृश्चिक- प्रातः 07.47.01 से 10.02.47 तक
कुंभ- दोप. 01.54.54 से 03.28.11 तक
वृषभ- सांय 06.39.40 से रात्रि 08.37.59 तक
सिंह- रात्रि 01.07.07 से 03.18.32 तक
शुभ अभिजित मुहूर्त- प्रातः 11.43.54 से दोप. 12.31.54 तक
शुभ प्रदोष वेला- सांय 05.43.27 से 07.51.41 तक
शुभ महानिशीथ काल- रात्रि 11.44.11 से 12.32.11 तक

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