धर्म समाज

आज छठ पर्व पर करें छठी मैय्या की ये आरती

छठ पर्व पर भगवान सूर्य के साथ उनकी बहन छठी मैय्या का पूजन किया जाता है। मार्कण्डेय पुराण में छठी मैय्या को प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी और ब्रह्मा की मानस पुत्री बताया गया है। पुराण में कहा गया है कि प्रकृति ने अपनी सारी शक्ति को छः भाग में विभाजित किया है। उनका छठा और सबसे मूल भाग छठी मैय्या हैं। इनके पास प्रकृति की उर्वरा शक्ति निहित है। छठी मैय्या के पूजन से संतान की प्राप्ति होती है और संतानों के जीवन में सुख –सौभाग्य आता है। शिशु के जन्म के छठे दिन,छठी मैय्या का पूजन होता है। छठ के पूजन में छठी मैय्या की आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से छठी मैय्या प्रसन्न होती हैं और संतान सुख का वरदान प्रदान करती हैं.....

छठी मैय्या की आरती
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहायऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
 

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