धर्म समाज

माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को, जानिए...गंगा स्नान और दान का महत्व

  • महाकुंभ के शाही स्नान की तिथियां...
वैदिक पंचांग के अनुसार हर माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में माघ महीने की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस माह की पूर्णिमा तिथि को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान विशेषकर तीर्थराज प्रयाग के संगम में करने का विशेष महत्व होता है। इस तिथि पर गंगा स्नान के साथ दान-पुण्य और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने के साथ-साथ इस दिन पूजा-अर्चना करने से जीवन में संपन्नता, सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस वर्ष प्रयागराज में 144 वर्षों बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, इससे पूर्णिमा तिथि का महत्व काफी बढ़ गया है। आइए जानते हैं कब है माघ पूर्णिमा और इसका धार्मिक महत्व।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार माघी पूर्णिमा 12 फरवरी, बुधवार को है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 6 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 12 फरवरी 2025 को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार माघी पूर्णिमा 12 फरवरी है।
महाकुंभ के शाही स्नान की तिथियां-
बसंत पंचमी के बाद महाकुंभ का अगला शाही स्नान अब माघ पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। माघी पूर्णिमा के दिन स्नान दान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में महाकुंभ और माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर स्नान करने से साधक को कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस बार माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी और इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ का शाही स्नान भी होगा। माघ पूर्णिमा पर स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में स्नान करना लाभकारी होगा। इसके अलावा आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर किया जाएगा। इसी दिन से महाकुंभ का समापन भी हो जाएगा।
माघ पूर्णिमा का महत्व-
हिंदू धर्म में माघ महीने की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह तिथि माघ महीने की अंतिम तिथि होती है, फिर इसके बाद फाल्गुन माह की शुरुआत हो जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दान और भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने का विशेष महत्व होता है। माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान और दान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार, माघी पूर्णिमा पर स्नान से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस मास में प्रयागराज में 'माघ मेला' का आयोजन होता है, जिसे कुंभ के समान पवित्र माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गाय, तिल, गुड़, और कंबल का दान इस मास में विशेष पुण्य फल देता है।
माघी पूर्णिमा और ज्योतिषीय महत्व-
माघ महीने और इस माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि का काफी ज्योतीषीय महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन मन के कारक चंद्रमा कर्क राशि में और आत्मा के कारक सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस संयोग में ही माघी पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इस संयोग में गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व और फलदायी होता है। धार्मिक मान्यताओँ के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु मत्स्य अवतार लिया था इसलिए गंगा में स्नान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Leave Your Comment

Click to reload image