धर्म समाज

कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव को अर्पित करें ये चीजें

  • जीवन में नहीं आएंगे संकट
कालाष्टमी हर महिने की कृष्ण पक्ष की तिथि को पड़ती है. पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर होगी. वहीं इस तिथि का समापन 23 मार्च को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर हो जाएगा. निशा काल में भगवान काल भैरव की पूजा विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में कालाष्टमी बहुत विशेष मानी जाती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव को समर्पित किया गया है. भगवान काल भैरव भगवान शिव के उग्र रूप माने जाते हैं. इस दिन भगवान काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि की वृद्धि होती है. इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने वालों के शत्रुओं का भी नाश हो जाता है. साथ ही जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं|
ऐसे में 22 मार्च को चैत्र माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी. इसी दिन इसका व्रत और भगवान काल भैरव का पूजन किया जाएगा. इस दिन निशा काल में पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12 बजकर 4 मिनट पर शुरू होगा. ये मुहूर्त 12 बजकर 51 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. इस दिन भगवान काल भैरव के पूजन से जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है|
कालभैरव को चढ़ाएं ये चीजें-
काले वस्त्र और नारियल-
इस दिन पूजा के समय काल भैरव देव को वस्त्र और नारियल चढ़ाएं. वस्त्र और नारियल से भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं. जो भी इस दिन पूजा के दौरान भगवान को वस्त्र और नारियल चढ़ाता है वो उसके पूरे परिवार की रक्षा करते हैं. काल भैरव देव को वस्त्र और नारियल चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसा करने से कामों में सफलता प्राप्त होती है|
सुपारी-
हिंदू धर्म शास्त्रों में सुपारी बेहद शुभ मानी गई है. इसलिए कलाष्टमी पर पूजा के समय भगवान काल भैरव को सुपारी अवश्य ही चढ़ाएं. जो भी भगवान काल भैरव को सुपारी चढ़ाता है उसके जिंदगी में आ रहीं मुश्किलें दूर हो जाती हैं|
पान और काले तिल-
इस दिन भगवान काल भैरव को पान चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने वाले शुभ फलों को प्राप्त करते हैं. साथ ही उनके सभी दूख दूर होते हैं. वहीं हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन भगावान काल भैरव को काले तिल चढ़ाने से ग्रह दोष और नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो जाता है. रुके हुए काम पूरे हो जाते हैं|
इसके अलावा भगवान काल भैरव को गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, कुमकुम, रोली, चंदन, फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य, सरसों का तेल और लौंग भी चढ़ाना चाहिए|

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