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कामदा एकादशी आज, जानिए...व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में कामदा एकादशी का व्रत बहुत खास माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि यह व्रत सभी पापों को मिटा देता है। जो लोग जाने-अनजाने में गलतियां कर बैठते हैं, उनके लिए यह व्रत पापों से छुटकारा दिलाने वाला होता है। यही कारण है कि कामदा एकादशी का व्रत रखना बेहद पुण्य देने वाला समझा जाता है।
इस दिन व्रत और पूजा के साथ-साथ विष्णु मंत्रों का जाप करना बहुत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि मंत्र जाप से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है। "कामदा" का मतलब है "मन की इच्छाएं पूरी करने वाली।" भक्तों का मानना है कि इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की सच्चे मन से प्रार्थना करने से उनकी सही इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। साथ ही यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है। आज कामदा एकादशी का पवित्र दिन है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने का विशेष महत्व है। पूजा को और प्रभावशाली बनाने के लिए भगवान विष्णु के साथ मां तुलसी की आरती करना जरूरी माना जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है और उनकी हर पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल होता है।
इस दिन विष्णु जी की आरती के बाद तुलसी मां की आरती करने से पूजा का पूरा फल मिलता है और भगवान प्रसन्न होते हैं। विष्णु पुराण में एक कहानी है कि प्राचीन समय में भोगीपुर नाम का एक शहर था। वहां राजा पुण्डरीक का राज था। उस शहर में अप्सराएं, किन्नर और गंधर्व भी रहते थे। उनमें ललिता और ललित नाम के गंधर्व दंपत्ति में बहुत प्यार था। एक दिन ललित राजा के दरबार में गीत गा रहा था, तभी उसे अपनी पत्नी ललिता की याद आ गई। इससे उसका गाने का लय बिगड़ गया। गुस्से में राजा ने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया।
ललिता को यह बात पता चली तो वह दुखी हो गई। वह श्रृंगी ऋषि के पास गई और मदद मांगी। ऋषि ने कहा, "चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसे कामदा एकादशी कहते हैं। इसका व्रत करो और पुण्य अपने पति को दो, वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा।" ललिता ने ऐसा ही किया। व्रत के पुण्य से ललित राक्षस रूप से छूटकर अपने असली रूप में लौट आया। मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से हर मुश्किल दूर होती है और मन की मुरादें पूरी होती हैं।

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