धर्म समाज

पहली बार प्रदोष व्रत कैसे रखें, जानिए..पूजा विधि से लेकर उद्यापन

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है, जिसको हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. इसलिए इसे त्रयोदशी व्रत भी कहते हैं. धार्मिक मान्यता है कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत सबसे उत्तम होता है. ऐसा कहा जाता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. साथ ही, शिवजी के साथ ही माता पार्वती की भी कृपा प्राप्त होती है. महिला हो या पुरुष, प्रदोष व्रत को कोई भी रख सकता है. अगर आप भी पहली बार प्रदोष व्रत रखने के बारे में सोच रहे हैं, तो चलिए आपको पहली बार प्रदोष व्रत की शुरुआत कब और कैसे करें|
प्रदोष व्रत की शुरुआत कैसे करें-
पहली बार प्रदोष व्रत करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
फिर स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
पूजा स्थल को साफ करें और रंगोली बनाएं.
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें.
भोलेनाथ को जल, बेलपत्र, फूल, फल आदि चढ़ाएं.
फिर प्रदोष व्रत कथा पढ़े और शिव चालीसा का पाठ करें.
अगर संभव हो तो मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करें.
शाम को फिर भोलेनाथ की विधिवत पूजा करें और आरती कर भोग लगाएं.
भगवान शिव को खीर, आलू का हलवा, दही और घी का भोग लगाएं.
प्रदोष काल में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें.
फिर दोबारा प्रदोष व्रत की कथा पढ़कर आरती करें.
प्रदोष व्रत निर्जला या फलाहारी रखा जाता है.
प्रदोष व्रत रखकर पूरे दिन कुछ न खाएं.
शाम की पूजा के बाद या अगले दिन अपना व्रत खोल सकते हैं.
प्रदोष व्रत कब से शुरू करना चाहिए-
प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल या कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू किया जा सकता है, लेकिन सावन और कार्तिक मास में प्रदोष व्रत शुरू करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है|
प्रदोष व्रत कितने रखने चाहिए-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष व्रत 11 या 26 त्रयोदशी तिथियों तक रखना चाहिए. प्रदोष व्रत के बाद इसका उद्यापन जरूर करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है|
प्रदोष व्रत में क्या क्या खाना चाहिए-
प्रदोष व्रत के दौरान आप साबूदाने की खीर, कुट्टू के आटे के पकोड़े, आलू, फल, दूध, दही, साबूदाने की कचौड़ी, सिंघाड़े का हलवा, कुट्टू के आटे की पूड़ी, नारियल पानी, समा चावल की खीर, हरी मूंग, केले के चिप्स, फलों की चाट आदि खा सकते हैं|
प्रदोष व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए-
प्रदोष व्रत में व्रती को लहसुन, प्याज, सादा नमक, लाल मिर्च, अन्न, चावल, मांसाहार, शराब और सिगरेट और नशीली चीजें आदि नहीं खानी चाहिए. इन चीजों का सेवन करने से प्रदोष व्रत का फल नहीं मिलता है|
प्रदोष व्रत का उद्यापन कब करना चाहिए-
प्रदोष व्रत का उद्यापन 11 या 26 त्रयोदशी तिथियों के बाद किया जाता है. वहीं, प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करना चाहिए. उद्यापन से एक दिन पहले गणेश जी का पूजन करें और उद्यापन से पहले रात में कीर्तन करते हुए जागरण करें|
प्रदोष व्रत का उद्यापन कैसे करना चाहिए-
प्रदोष व्रत का उद्यापन करने के लिए सबसे पहले स्नान करें. फिर रंगीन कपड़ों से मंडप सजाएं और शिव-गौरी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करें. इसके बाद हवन-कीर्तन और जागरण करें. फिर हवन में खीर से आहुति दें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें और उनका आशीर्वाद लें. फिर कुछ खाकर अपना व्रत खोलें|

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