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चैत्र पूर्णिमा की दोपहर में करें ये काम, पितर देंगे आशीर्वाद

12 अप्रैल को चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि है। इस रोज हनुमान जयंती भी मनाई जाएगी। चैत्र पूर्णिमा पर पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन पिंड दान और तर्पण किया जाता है। ऐसा करने से पितृ दोष का निवारण होता है। पिंडदान के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यह पितरों को तृप्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। पिंडदान हमेशा दोपहर के समय करें।
चैत्र पूर्णिमा पर पिंडदान की तैयारी-
चैत्र पूर्णिमा के दिन पिंडदान करने के लिए पिंड बनाने की विधि है, जिसमें तिल, जौ, आटा, घी और शहद का मिश्रण किया जाता है।
चैत्र पूर्णिमा पर पिंड दान विधि-
सबसे पहले किसी पवित्र नदी या नदी के किनारे इस कार्य को करना उत्तम माना जाता है।
पिंडदान करने से पहले पितरों का स्मरण करें और उन्हें तर्पण दें।
तिल, जौ, आटा, घी और शहद का मिश्रण बनाकर पिंड बनाएं।
पिंड को जल में प्रवाहित करें और अपने पितरों को आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें।
इस दौरान "ॐ पितृ देवता नमः" मंत्र का जाप करें।
गंगा स्नान: इस दिन गंगा स्नान का महत्व भी है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे संकट दूर होते हैं।

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