धर्म समाज

गणेश अष्टकम का नियमित पारिवारिक पाठ लाएगा सुख-शांति

भारतीय सनातन परंपरा में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, शुभारंभ के देवता और बुद्धि, ज्ञान तथा समृद्धि के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश वंदना की परंपरा अटूट रही है। उन्हीं की स्तुति में रचित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है- गणेश अष्टकम। आज के इस तेज़ और तनावपूर्ण जीवन में यदि पति-पत्नी मिलकर श्रद्धा और विश्वास से इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करें, तो न केवल उनके जीवन में आपसी सामंजस्य बेहतर होता है, बल्कि घर में सुख, शांति और धन-धान्य की भी कभी कमी नहीं रहती। आइए जानते हैं इस पावन स्तोत्र की शक्ति, लाभ और दैनिक जीवन में इसके सकारात्मक प्रभावों के बारे में।
क्या है गणेश अष्टकम?
गणेश अष्टकम संस्कृत में रचित आठ श्लोकों का स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के रूप, गुण, कार्य और उनके दिव्य स्वरूप का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र उन भक्तों के लिए बेहद फलदायक माना जाता है जो जीवन की बाधाओं से निकलकर स्थिरता और शांति की ओर बढ़ना चाहते हैं।
पति-पत्नी द्वारा संयुक्त पाठ का विशेष महत्व
जब पति-पत्नी एक साथ बैठकर भगवान गणेश का यह अष्टकम श्रद्धा से पढ़ते हैं, तो न केवल एक आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, बल्कि उनका आपसी संबंध भी अधिक मजबूत होता है। दोनों की भावनात्मक ऊर्जा एकरूप हो जाती है और मन, वाणी, कर्म की एकता से ईश्वर को अर्पित प्रार्थना शीघ्र फल देती है।
ऐसा माना जाता है कि संयुक्त पाठ से पारिवारिक कलह, मानसिक तनाव और आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं।
पति-पत्नी के बीच की अनबन, गलतफहमियां या वैचारिक टकराव धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं।
यह पाठ घर के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव दूर होता है।
घर में शांति और समृद्धि का स्रोत
गणेश अष्टकम का नित्य पाठ करने से घर में एक दिव्य और शांतिपूर्ण वातावरण बनता है। खासकर यदि यह पाठ बुधवार के दिन किया जाए, जो कि गणेशजी को समर्पित है, तो इसका प्रभाव और भी अधिक होता है।
धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। रुके हुए आर्थिक काम बनने लगते हैं।
घर के सदस्यों में आपसी प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं धीरे-धीरे कम होती हैं और मानसिक शांति का अनुभव होता है।
पाठ की विधि और समय
प्रातः स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
घर के मंदिर में या शांत स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।
गुलाब, दूर्वा, लड्डू आदि अर्पित करें।
फिर पति-पत्नी एक साथ बैठकर स्पष्ट उच्चारण में गणेश अष्टकम का पाठ करें।
पाठ के बाद “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें।
यदि संभव हो तो बुधवार को व्रत रखकर यह पाठ करें। यह विशेष फलदायी माना गया है।
गणेश अष्टकम के कुछ अंश (उदाहरणार्थ)
"प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरे नित्यं आयुः कामार्थ सिद्धये॥"
इस श्लोक का अर्थ है- "गौरी पुत्र श्री गणेश को सिर झुकाकर प्रणाम करें, जो भक्तों के हृदय में निवास करते हैं। जिनका स्मरण आयु, कामना, और अर्थ की सिद्धि हेतु किया जाता है।"
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार
शास्त्रों में वर्णित है कि जहां भगवान गणेश की नियमित पूजा होती है, वहां रोग, दोष, दरिद्रता और क्लेश नहीं टिकते। ऐसे घरों में मां लक्ष्मी और सरस्वती दोनों का वास होता है, क्योंकि गणपति को इन दोनों शक्तियों का संयोजक भी माना गया है।गणेश अष्टकम केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो पति-पत्नी को जोड़ती है, परिवार को स्थिरता देती है और जीवन को बाधा रहित बनाती है। यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहे, धन-धान्य की वृद्धि हो और पति-पत्नी के संबंध मधुर बने रहें, तो आज से ही नियमित रूप से गणेश अष्टकम का पाठ शुरू करें।

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