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सोमवार को रुद्राष्टकम पाठ से प्रसन्न होते हैं शिव, मिलता है मनचाहा वरदान

हिन्दू धर्म में भगवान शिव को संहारक नहीं, बल्कि कल्याणकारी देव के रूप में जाना जाता है। वे सृष्टि के संचालन में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। शिव भक्तों के लिए सोमवार का दिन विशेष माना जाता है, और इस दिन भगवान शिव की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। खासतौर पर अगर कोई भक्त सच्चे मन से शिव रुद्राष्टकम का पाठ करे, तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
क्या है रुद्राष्टकम?
रुद्राष्टकम भगवान शिव की स्तुति में लिखा गया एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इसे संस्कृत के महान विद्वान और तुलसीदास जी ने रचा था। यह आठ छंदों (अष्टक) में विभाजित है और इसमें भगवान शिव के रूप, स्वभाव, शक्ति और उनके अद्वितीय स्वरूप का वर्णन है। रुद्राष्टकम का पाठ आत्मिक शांति, मन की स्थिरता और जीवन के हर संकट से मुक्ति के लिए किया जाता है।
सोमवार और भगवान शिव का विशेष संबंध
हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्ताह का सोमवार दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखना, शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाना, "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना और विशेष रूप से रुद्राष्टकम का पाठ करना, भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।मान्यता है कि जो व्यक्ति सोमवार के दिन श्रद्धा से शिव रुद्राष्टकम का पाठ करता है, उसकी जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। विशेष रूप से विवाह, संतान सुख, आर्थिक संकट और मानसिक परेशानियों के लिए यह पाठ अत्यंत उपयोगी माना गया है।
रुद्राष्टकम पाठ के चमत्कारी लाभ
शत्रु पर विजय – यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा, बुरी दृष्टि और शत्रु बाधाओं से रक्षा करता है।
धन और समृद्धि – रुद्राष्टकम के पाठ से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं, जिससे धनागम के मार्ग खुलते हैं।
मानसिक शांति और आत्मबल – पाठ से चित्त स्थिर होता है और मन में सकारात्मकता बनी रहती है।
परिवार में सुख-शांति – दांपत्य जीवन में सामंजस्य बढ़ता है और घर में कलह दूर होता है।
कर्म और भाग्य सुधार – नियमित पाठ से संचित कर्मों के प्रभाव कम होते हैं और भाग्य प्रबल होता है।
रुद्राष्टकम पाठ की विधि
सोमवार के दिन प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक शांत स्थान पर आसन लगाएं और अपने सामने भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही और घी से अभिषेक करें। फिर चंदन, धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद श्रद्धा और एकाग्रता से रुद्राष्टकम का पाठ करें।यदि संभव हो तो पाठ के समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप भी करते रहें। इससे पाठ का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। पाठ के बाद भगवान शिव से अपने कष्टों की निवेदन करें और अपनी मनोकामना प्रकट करें।
रुद्राष्टकम के कुछ प्रसिद्ध श्लोक
रुद्राष्टकम का आरंभिक श्लोक ही भगवान शिव के संपूर्ण स्वरूप का वर्णन करता है—
"नमामीशमीशान निर्वाण रूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥"
इस श्लोक का भावार्थ है कि "मैं उस परमेश्वर को नमस्कार करता हूँ जो मोक्ष का स्वरूप है, सबमें व्याप्त है, निर्गुण है, विकार रहित है और चिदाकाश में विराजमान है।"
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से रुद्राष्टकम का महत्व
ध्वनि की शक्ति को आज का विज्ञान भी स्वीकार कर चुका है। जब व्यक्ति श्रद्धा के साथ मंत्र या स्तोत्रों का जाप करता है, तो उसकी वाणी से निकलने वाली ध्वनि तरंगें शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। रुद्राष्टकम के श्लोकों में ऐसे ध्वनि-मूलक शब्द हैं जो हमारे भीतर के तनाव, भय और चिंता को कम करते हैं।
कौन करें रुद्राष्टकम का पाठ?
रुद्राष्टकम का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह महिला हो या पुरुष, ब्रह्मचारी हो या गृहस्थ। विशेषकर उन लोगों को यह पाठ अवश्य करना चाहिए जो अपने जीवन में बार-बार असफलता, मानसिक तनाव या शत्रु बाधा का सामना कर रहे हों। जो युवा करियर में सफलता की तलाश कर रहे हों, वे सोमवार के दिन रुद्राष्टकम पढ़ें, उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा।
भगवान शिव करुणा, क्षमा और कल्याण के देवता हैं। उनकी भक्ति सरल है, लेकिन अत्यंत प्रभावशाली। यदि आप जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता और शांति चाहते हैं, तो हर सोमवार को रुद्राष्टकम का पाठ करें। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होगा, बल्कि सांसारिक कष्टों से भी रक्षा करेगा।इस सोमवार से ही शिव रुद्राष्टकम को अपने जीवन में स्थान दें और देखें कैसे आपकी मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं।

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