धर्म समाज

बकरीद का धार्मिक महत्व और इतिहास

इस्लाम धर्म में बकरीद एक प्रमुख त्योहार है और इसे ईद-उल-जुहा के नाम से जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद-उल-जुहा का पर्व 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है. ये पवित्र त्योहार रमजान महीने के खत्म होने के 70 दिन बाद मनाया जाता है.  मुस्लिम धर्म में इसका बेसब्री से इंतजार किया जाता है. इस साल किस दिन मनाई जाएगी बकरीद और क्या है इसका महत्व?

कब है बकरीद 2022 
बकरीद यानि ईद-उल-अजहा का पवित्र त्योहार भारत में 10 जुलाई, रविवार के दिन मनाया जा सकता है. इस त्योहार पर बकरे की कुर्बानी देने की प्रथा है और इसलिए इसे कुर्बानी के तौर पर मनाया जाता है.
बकरीद का धार्मिक महत्व
इस्लाम धर्म के अनुसार पैंगबर हजरत इब्राहिम के समय से कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी. कहा जाता है कि एक बार अल्लाह ने पैंगबर इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए उनसे उनकी सबसे प्यारी वस्तु का त्याग करने के लिए कहा. जिसके बाद पैंगबर सा​हब ने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया.
बकरीद का इतिहास
पैगंबर हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए अल्लाह ने उन्हें हुक्म दिया कि वे अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कर दें. हजरत सोचने लगे कि आखिर उन्हें सबसे ज्यादा प्यार किससे है जिसकी वह कुर्बानी दे सकें. फिर उन्होंने अपने इकलौते बेटे हजरत इब्राहिम की कुर्बानी का फैसला किया क्योंकि वह अपने बेटे से सबसे ज्यादा प्यार करते थे. वे अपने बेटे को कुर्बान करने निकल पड़े. उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधी जिससे कुर्बानी के समय उनके हाथ रुक न जाएं. और कुर्बानी दे दी.लेकिन जब उन्होंने पट्टी उतारी तो देखा कि उनका बेटा सही-सलामत है. रेत पर एक भेड़ कटा पड़ा था. कहते हैं कि अल्लाह ने उनकी कुर्बानी की भावना से खुश होकर बेटे को जीवनदान दिया था. तभी से जानवरों की कुर्बानी को अल्लाह का हुक्म माना गया और बकरीद का पर्व मनाया जाने लगा | 

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