दुनिया-जगत

जलवायु परिवर्तन के कारण सूख रही हैं तुर्की की झीलें

तुर्की। लगभग 40 साल पहले जब मूरत उलुदाग किशोर थे, तब मध्य तुर्की की कुलु झील में इतना पानी था कि उसमें तैरना खतरनाक था। यह क्षेत्र पक्षियों की 186 प्रजातियों के लिए एक अभयारण्य हुआ करता था। अतीत की तुलना में अब केवल मुट्ठी भर पक्षी बचे हैं। एक पूर्व किसान ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ के बताया कि "अगर पानी नहीं है, तो जीवन नहीं है" और झील में एक छोटी सी जगह में एकत्र राजहंस और बत्तखों के एक छोटे से झुंड की ओर इशारा किया।
कुलु झील, जिसके पास उलुदाग बड़ा हुआ, कोन्या प्रांत के कुलु जिले से लगभग पांच किमी पूर्व में स्थित है। एक समय यह गुलाबी राजहंस और अफ्रीका जाने वाले अन्य प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल था, लेकिन भूजल के अत्यधिक दोहन और जलवायु परिवर्तन के कारण यह पहले ही सूख चुका है। उलुदाग ने कहा, अतीत में कुल्लू में किसान गेहूं और जौ जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे, लेकिन बाद में वे मक्का या चुकंदर जैसी जल-गहन फसलों की ओर रुख करने लगे, जिससे भूजल का आक्रमक उपयोग हुआ, जिससे झील को पानी देने वाली खाड़ियां धीरे-धीरे सूख गईं।
अनिश्चित भविष्य का सामना करने वाली कुलु झील अकेली नहीं है। गत 18 सितंबर को तुर्की प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 60 वर्षों में तुर्की की 240 झीलों में से 186 पूरी तरह से सूख गई हैं, जबकि शेष झीलें सूखे और प्रदूषण के खतरे में हैं। इसके अलावा, अधिकारियों ने कोन्या प्रांत में सैकड़ों सिंकहोल्स की सूचना दी है, जो आधारशिला को कमजोर कर रहे हैं और कृषि तथा मानव सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। अंकारा स्थित विद्वान और वन्यजीव कार्यकर्ता मेलिह ओज़बेक ने शिन्हुआ को बताया, "मध्य अनातोलिया और विशाल कोन्या मैदान में मुख्य मुद्दों में से एक जल-गहन फसलों की सिंचाई के लिए किसानों द्वारा खोदे गए अवैध कुओं का प्रसार है।" ओज़बेक ने कहा, दूसरा कारण हाल के वर्षों में कृषि में बदलाव है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण और अधिक बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप अनियमित मौसम की स्थिति और सूखा पड़ा है। उन्होंने कहा, "लोग उस चीज़ के लिए बलिदान देने को तैयार नहीं हैं जिसे वे देख नहीं सकते। आने वाले दशकों में उन्हें और अधिक पीड़ा झेलनी पड़ेगी।"
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यूएन महासभा के मंच से फ्रांस के राष्ट्रपति ने की भारत की वकालत

  • UNSC में स्थायी सीट का किया समर्थन
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बड़ा बयान दिया है। दरअसल उन्होंने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार की जरूरत बताई और भारत को इसमें स्थायी सीट देने की वकालत की। गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका समेत कई प्रमुख राष्ट्र भी भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट देने का समर्थन कर चुके हैं। 
अपने संबोधन में इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि 'फ्रांस, सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है और जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए। साथ ही अफ्रीका से भी दो देशों को इसमें प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।' गौरतलब है कि अमेरिका भी भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट देने का समर्थन कर चुका है। बीते दिनों ही संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी की राजदूत लिंडा थॉमस ने भी अपने एक बयान में कहा था कि भारत, जापान और जर्मनी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दी जानी चाहिए। अमेरिकी राजदूत ने अफ्रीका के दो देशों को भी स्थायी सीट देने का समर्थन किया और अन्य अफ्रीकी देशों को सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता देने की वकालत की थी।
हालांकि अमेरिका ने ब्राजील को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट देने पर साफ कोई जवाब नहीं दिया। अमेरिका ने कैरिबियाई देश और लैटिन अमेरिकी देशों को भी सुरक्षा परिषद में जगह देने का समर्थन दिया। भारत, लंबे समय से सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है और अब जैसे जैसे भारत की वैश्विक मंच पर अहमियत बढ़ रही है तो दुनिया के कई देश भी भारत को सुरक्षा परिषद में शामिल करने का समर्थन दे रहे हैं।
 
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भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने की सलाह

  • बढ़ते तनाव के बीच भारतीय दूतावास की एडवाइजरी
बेरूत। बेरूत स्थित भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने की सलाह दी है। वहीं उन लोगों को 'अत्यधिक सावधानी' बरतने और दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी गई है, जिन्हें गंभीर हालात के बीच लेबनान में ही रहना है। इसके अलावा भारतीय नागरिकों से अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की अपील की गई है।
लेबनान पर जारी इजरायली हमले के बीच भारतीय दूतावास ने यह एडवाइजरी जारी की है। अल जजीरा की गुरुवार की एक रिपोर्ट के अनुसार, लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हमलों में अब तक 620 लोग मारे जा चुके हैं। दूतावास ने बुधवार को अपने नोटिस में कहा, "1 अगस्त, 2024 को जारी की गई सलाह के अनुसार और क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों और तनाव को देखते हुए, भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की सलाह दी जाती है।"
दूतावास ने कहा, 'लेबनान में पहले से मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को यहां से जाने की सलाह दी जाती है। जो लोग किसी भी कारण से वहां रह जाते हैं, उन्हें अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को सीमित रखने और बेरूत में भारतीय दूतावास से हमारी ईमेल आईडी: cons.beirut@mea.gov.in या इमरजेंसी फोन नंबर +96176860128 के माध्यम से संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है।"
इस बीच इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला जारी रखा है। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने इजरायल में रॉकेट दागकर पलटवार किया है। इजरायली रक्षा बलों ने कहा कि एयर फोर्स ने दक्षिणी लेबनान और बेका घाटी में 1,600 से अधिक टारगेट्स को निशाना बनाया है। इनमें मिसाइल लांचर, कमांड पोस्ट और नागरिक घरों के अंदर स्थित अन्य आतंकवादी बुनियादी ढांचे शामिल थे।
इजरायली टैंकों ने बॉर्डर के पास आयता अश शब और रामयेह के इलाकों में हिजबुल्लाह के अन्य ठिकानों पर हमला किया। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच दुश्मनी बढ़ने का कारण पिछले सप्ताह लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी को निशाना बनाकर किए गए रहस्यमय विस्फोट हैं। इनमें कई लोग मारे गए और हजारों की संख्या में लोग घायल हो गए। हिजबुल्लाह ने इन विस्फोटों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि इजरायल ने धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली।
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अमेरिका : सैक्रामेंटो के स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़

नई दिल्ली। अमेरिका में पिछले कुछ दिनों में कई हिंदू मंदिरों पर हमला देखा गया है। न्यूयॉर्क की घटना को अभी 10 दिन भी नहीं बीते थे। बीती रात अब कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई है। मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर हिंदू विरोधी टिप्पणी लिखी गई हैं।
कट्टरपंथियों ने मंदिर की दीवारों पर 'हिंदू वापस जाओ' के नारे लिखे हैं। इस घटना से हिंदुओं में डर पैदा हो गया है। भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस भी इस घटना की निंदा की है। बीएपीएस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, ''न्यूयॉर्क में बीएपीएस मंदिर के अपमान के 10 दिन से भी कम समय में बीती रात कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में हमारे मंदिर को हिंदू विरोधी घृणा के साथ अपमानित किया गया। दीवारों पर 'हिंदू वापस जाओ!' के नारे लिखे गए हैं। हमें इस बात का गहरा दुख है। हम शांति की प्रार्थना के साथ नफरत के खिलाफ एकजुट हैं।''
सैक्रामेंटो काउंटी का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनेटर अमी बेरा ने मंदिर में हुई घटना की निंदा करते हुए लोगों से असहिष्णुता के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ''सैक्रामेंटो काउंटी में धार्मिक कट्टरता और नफरत के लिए कोई स्थान नहीं है। सभी को मिलकर असहिष्णुता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए ताकि हमारे समुदाय में सभी धर्मों के लोग सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सकें।
बता दें कि इससे पहले 17 सितंबर 2024 को न्यूयॉर्क के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की एक घटना हुई थी। भारत के महावाणिज्य दूतावास ने भी इस घटना की निंदा करते हुए इसे अस्वीकार्य करार दिया था। कई अमेरिकी सांसदों ने न्यूयॉर्क में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के अपमान की आलोचना की और अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की थी। वहीं इसी साल जुलाई की शुरुआत में कनाडा के एडमॉन्टन में बीएपीएस स्वामी नारायण मंदिर में भी तोड़फोड़ की गई थी।
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हम भारत को आमंत्रित कर चुके : वोलोदिमीर जेलेंस्की

  • रूस से युद्ध को रोकने के लिए फिर शांति सम्मेलन की तैयारी करेंगे यूक्रेन के राष्ट्रपति
यूएन। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को पूरी तरह से रोकने के लिए दूसरे शांति शिखर सम्मेलन की तैयारी करनी होगी। उन्होंने भारत और अन्य देशों को शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए निमंत्रित किया। जेलेंस्की ने कहा कि शांति के लिए एकता हमेशा काम करती है। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए भारत के अलावा चीन और ब्राजील को भी आमंत्रित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे अमेरिका के साथ भी इसपर काम कर रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर जेलेंस्की ने कहा, "हम सभी जानते हैं कि अगर हम ईमानदारी से स्थिति को देखे और वास्तव में रूस से युद्ध को रोकना चाहते हैं तो हमें मालूम है कि इसके लिए क्या करने की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण, एकसाथ काम करें। एकता हमेशा शांति के लिए काम करती है। हमें इस युद्ध को समाप्त करने के लिए दूसरे शांति शुखर सम्मेलन की तैयारी करनी होगी। इसके लिए मैं आप सभी को आमंत्रित करता हूं। सभी प्रमुख देशों को इस प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए। हमने चीन को आमंत्रित किया। हमने ब्राजील को आमंत्रित किया। मैं भारत को पहले ही आमंत्रित कर चुका हूं। हम सभी अफ्रीकी, लैटिन अमेरिका, पश्चिम एशियाई देश और सेंट्रल एशिया के संपर्क में हैं।"
अमेरिका में पीएम मोदी से की थी मुलाकात-
जेलेंस्की ने सोमवार को अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह तीन महीने में तीसरी मुलाकात थी। पिछले महीने पीएम मोदी ने यूक्रेनी नेता से कीव में मुलाकात की थी। इससे एक हफ्ते पहले पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले थे। सोमवार को जेलेंस्की से मिलने के बाद पीएम मोदी ने कहा, "हम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए मेरी यूक्रेन की यात्रा परिणामों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में संघर्ष के समाधान और शांति की बहाली के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।"
जेलेंस्की ने इस मुलाकात पर कहा कि उनकी बातचीत का मुख उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और जी20 में बातचीत को बढ़ाने के साथ-साथ दूसरे शांति शिखर सम्मेलन की तैयारी थी। उन्होंने आगे कहा कि वे सक्रिय रूप से अपने संबंधों को आगे बढ़ा रहे हैं। बता दें कि पिछले ढाई साल से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी है। 
 
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North Korea ने अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी के बुसान में बंदरगाह पर आने की निंदा की

सियोल (आईएएनएस)। उत्तर कोरिया (आधिकारिक तौर पर डीपीआरके) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दक्षिण कोरिया के बुसान में अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी के बंदरगाह पर आने की निंदा की और इसके जवाब में देश की परमाणु निवारक क्षमताओं को बढ़ाने का संकल्प लिया, सरकारी मीडिया ने रिपोर्ट की।
कोरियाई वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति के उप विभाग निदेशक किम यो जोंग ने मंगलवार को बुसान ऑपरेशन बेस पर एक नई कमीशन की गई परमाणु पनडुब्बी भेजने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की आलोचना की और इस कदम को "शक्ति की श्रेष्ठता" का जानबूझकर किया गया प्रदर्शन बताया, आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) द्वारा जारी एक प्रेस बयान में कहा गया।
केसीएनए के हवाले से सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया की सुरक्षा लगातार अमेरिकी परमाणु खतरे और ब्लैकमेल के संपर्क में है, इस बात पर जोर देते हुए बयान में कहा गया है कि देश बाहरी खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी परमाणु निरोध क्षमताओं को गुणवत्ता और मात्रा दोनों में "निरंतर और असीमित रूप से" बढ़ाएगा।
दक्षिण कोरिया की नौसेना का हवाला देते हुए योनहाप समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली और तेज़ गति से हमला करने वाली पनडुब्बी यूएसएस वर्मोंट सोमवार को बुसान में नौसैनिक अड्डे पर आपूर्ति को फिर से भरने और अपने चालक दल को आराम देने के लिए पहुँची। यह 2020 में कमीशन होने के बाद से वर्जीनिया-क्लास की हमलावर पनडुब्बी की दक्षिण कोरिया की पहली यात्रा है। (आईएएनएस)
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भारत पड़ोसी देशों के राजनीतिक कदम नियंत्रित नहीं करना चाहता : जयशंकर

  • श्रीलंका और बांग्लादेश पर विदेश मंत्री
वॉशिंगटन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर बात की। उन्होंने विश्वास जताया कि श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध सकारात्मक और रचनात्मक बने रहेंगे।
उन्होंने कहा, मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप इसे लेकर निर्धारक नहीं बनें। ऐसा नहीं है कि भारत हर पड़ोसी के प्रत्येक राजनीतिक कदम को नियंत्रित करना चाहता है। यह इस तरह से काम नहीं करता है। यह सिर्फ हमारे लिए ही नहीं, बल्कि किसी और के लिए भी काम नहीं करता
जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में यहां के एशिया सोसाइटी और एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित 'इंडिया, एशिया एंड द वर्ल्ड' नामक एक कार्यक्रम में बातचीत के दौरान यह बात कही। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि भारत ने बांग्लादेश और श्रीलंका को बिना किसी शर्त के मदद दी है, लेकिन वहां सरकार में बदलाव भारत के लिए संभावित रूप से प्रतिकूल नजर आ रहा है।
उन्होंने कहा, 'हर देश के अपने तरीके होते हैं। विदेश नीति में, आप इसे पढ़ने, अनुमान लगाने और फिर इसका जवाब देने की कोशिश करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे पड़ोस में परस्पर निर्भरता या पारस्परिक लाभ की वास्तविकताएं और साथ मिलकर काम करने की हमारी क्षमता हमारे दोनों हितोंको पूरा करेगी। ये वास्तविकताएं खुद को मुखर करेंगी। यही इतिहास रहा है।'
उन्होंने आगे कहा कि कुछ वर्षों में, हमारे क्षेत्र में कुछ होता है और लोग सलाह देने लगते है कि वहां किसी न किसी तरह की असुधार्य स्थिति है। फिर आप देखते हैं कि सुधार खुद ही सामने आने लगते हैं। इसलिए मैं इसे उसी भावना से लूंगा और मुझे पूरा विश्वास है कि इन दोनों मामलों में हमारे संबंध सकारात्मक और रचनात्मक बने रहेंगे।'
भारत ने आगे आकर कोलंबो की मदद की-
बता दें, विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान श्रीलंका और बांग्लादेश में बदली हुई सरकार को लेकर आया है। श्रीलंका को लेकर उन्होंने कहा, 'जब कोलंबो बहुत गहरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा था तब भारत आगे आया और बहुत स्पष्ट कहूं तो कोई और आगे नहीं आया। मुझे बहुत खुशी है कि हमने ऐसा किया। हमने इसे समयबद्ध तरीके से किया। हमने इसे बड़े पैमाने पर किया। हमने प्रभावी तरीके से 4.5 अरब डॉलर का निवेश किया। इस कदम से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था स्थिर हुई।'
उन्होंने आगे कहा कि बाकी सब उन पर निर्भर था। उस समय हमने ऐसा किया था, ऐसा नहीं था कि हमारे पास कोई राजनीतिक शर्त थी। हम एक अच्छे पड़ोसी के रूप में ऐसा कर रहे थे जो अपने पड़ोस में इस तरह की आर्थिक मंदी नहीं देखना चाहता था।'
हमारे प्रत्येक पड़ोसी की अपनी विशेष नीति होगी-
बता दें, 56 साल के मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका में राजनीतिक रूप से जो होता है, वह उनकी राजनीति के लिए होता है। उन्होंने कहा, 'आखिरकार, हमारे प्रत्येक पड़ोसी की अपनी विशेष नीति होगी। हमारा यह सुझाव देने का इरादा नहीं है कि उनकी गतिशीलता अनिवार्य रूप से उसी के अनुरूप होनी चाहिए जिसे हम अपने लिए बेहतर मानते हैं। मुझे लगता है कि यह वास्तविक दुनिया है। मेरा मतलब है कि हर कोई अपनी पसंद चुनता है और फिर देश एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाते हैं और इसे सुलझाने के तरीके खोजते हैं।'
वहीं, बांग्लादेश को लेकर उन्होंने कहा, 'यह थोड़ा अलग है। पिछले दशक में हमने जो किया है, वह विभिन्न प्रकार की परियोजनाएं हैं जो हम दोनों के लिए अच्छी रही हैं। कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधि में तेजी आई है और उस क्षेत्र की रसद में सुधार हुआ है। दोनों देशों को इससे काफी फायदा हुआ है।'
 

 

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ताइवान के आसपास चीन की सैन्य मौजूदगी बढ़ी, अलर्ट जारी

ताइपे (एएनआई)। चीन द्वारा द्वीप के आसपास अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के बाद ताइवान की सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जिससे संभावित तनाव बढ़ने की चिंता बढ़ गई है। ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 24 घंटे की अवधि में ताइवान के आसपास छह चीनी नौसैनिक जहाजों और दो सैन्य विमानों का पता चला, ताइवान समाचार ने बताया।
एमएनडी के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के दो हेलीकॉप्टरों ने देश के मध्य और पूर्वी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया, ताइवान समाचार के अनुसार, इस उकसावे के जवाब में, ताइवान ने विमान और नौसैनिक जहाज भेजे और पीएलए गतिविधि की निगरानी के लिए तटीय-आधारित मिसाइल सिस्टम तैनात किए। "ताइवान के आस-पास 2 PLA विमान और 6 PLAN जहाज़ आज सुबह 6 बजे (UTC+8) तक देखे गए। 2 विमान मध्य रेखा को पार करके ताइवान के पूर्वी ADIZ में घुस गए। हमने स्थिति पर नज़र रखी और उसी के अनुसार कार्रवाई की," ताइवान MND ने X पर कहा।
यह ताज़ा घटना ताइवान के आस-पास चीन द्वारा सैन्य युद्धाभ्यास की बढ़ती श्रृंखला का हिस्सा है, जिससे संभावित आक्रमण या घेरेबंदी के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं। पिछले हफ़्ते, 19 सितंबर को एक प्रेस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, ताइवान के रक्षा मंत्री वेलिंगटन कू ने सैन्य अभ्यास की आड़ में चीन द्वारा ताइवान पर हमला करने की संभावना के प्रति आगाह किया, उन्होंने कहा कि बीजिंग ने अपने सैन्य युद्धाभ्यासों में तेज़ी से विविधता ला दी है, जिससे चीन के हमलों की भविष्यवाणी करना और भी मुश्किल हो गया है, फ़ोकस ताइवान ने रिपोर्ट किया।
कू ने कहा कि चीन "पारंपरिक" सैन्य अभ्यासों, जैसे कि संयुक्त हवाई और समुद्री प्रशिक्षण अभ्यास और ड्रिल, के साथ "अपरंपरागत" साधनों, जैसे कि ताइवान के आसपास हवा और पानी में "ग्रे ज़ोन" घुसपैठ का संयोजन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक आदर्श बन गया है और नवंबर में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों के बावजूद जारी रहेगा।
इसके अलावा, इन सैन्य कार्रवाइयों का पैमाना बढ़ गया है, जिससे यह अनुमान लगाना अधिक कठिन हो गया है कि सैन्य अभ्यास अचानक ताइवान पर हमले में बदल सकता है, कू ने कहा। उल्लेखनीय रूप से, इस महीने अब तक, ताइवान ने 323 चीनी सैन्य विमानों और 192 जहाजों को ट्रैक किया है। सितंबर 2020 से, चीन ने ताइवान के आसपास परिचालन करने वाले सैन्य विमानों और नौसैनिक जहाजों की संख्या में वृद्धि करके ग्रे ज़ोन रणनीति का उपयोग बढ़ाया है। ग्रे ज़ोन रणनीति को "स्थिर-स्थिति निरोध और आश्वासन से परे एक प्रयास या प्रयासों की श्रृंखला के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बल के प्रत्यक्ष और बड़े पैमाने पर उपयोग का सहारा लिए बिना किसी के सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है।" इस बीच, आज सुबह चीन ने घोषणा की कि उसने प्रशांत महासागर में एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का परीक्षण किया है। चीनी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डमी वारहेड ले जाने वाली ICBM को बुधवार को 00:55 GMT पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) रॉकेट फोर्स द्वारा लॉन्च किया गया और "यह अपेक्षित समुद्री क्षेत्रों में गिर गई।" (एएनआई)
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डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक की घोषणा की

न्यूयॉर्क। रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह यहां अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हुई। पीएम मोदी की संक्षिप्त यात्रा लगभग 55 घंटे की थी, जिसमें कई गतिविधियां शामिल थीं, जबकि ट्रंप छह सप्ताह बाद होने वाले चुनाव के लिए प्रचार अभियान में व्यस्त थे। शनिवार को पीएम राष्ट्रपति जो बिडेन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ क्वाड शिखर सम्मेलन में व्यस्त थे। सोमवार को पीएम मोदी ने भविष्य के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया और वापस उड़ान भरने से पहले कुछ नेताओं के साथ बैठकें कीं। रविवार को उन्होंने न्यूयॉर्क के एक उपनगर में प्रवासी रैली को संबोधित किया और बाद में उनके पास बैठकों के लिए कुछ समय था। लेकिन ट्रंप उत्तरी कैरोलिना में अपनी रैली करने के लिए बाहर गए हुए थे।
बाद में रविवार को पीएम मोदी ने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और कुवैत के क्राउन प्रिंस शेख सबा अल-खालिद से मुलाकात की। मीडिया में एक और मुलाकात के बारे में अटकलें लगाई जा रही थीं: प्रधानमंत्री मोदी और बांग्लादेश के वास्तविक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के बीच, संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन के दौरान। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी उनसे मिलने से इनकार करके उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं। आखिरकार यह समय का मामला भी था।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री से जब उनके संवाददाता सम्मेलन में उस मुलाकात के बारे में पूछा गया जो नहीं होनी थी, तो उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री अब से कुछ ही मिनटों में रवाना हो रहे हैं। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार अभी यहां नहीं आए हैं, इसलिए इस अवसर पर मुलाकात की कोई संभावना नहीं है"। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने सोमवार को यूनुस की जगह शिखर सम्मेलन में बात की, जिन्हें वक्ता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और वियतनाम के राष्ट्रपति टो लैम से सोमवार को मुलाकात करने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने वेटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन और आर्मेनिया के राष्ट्रपति निकोल पाशिनयान के साथ दो अन्य बैठकें भी कीं।

 

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जयशंकर ने ब्राजील, जर्मनी और जापान के अपने समकक्षों से मुलाकात की

न्यूयॉर्क (एएनआई)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में ब्राजील, जर्मनी और जापान के अपने समकक्षों से मुलाकात की और टेक्स्ट-आधारित वार्ता के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार के लिए जी4 देशों के समूह की प्रतिबद्धता दोहराई।
आधिकारिक यात्रा पर अमेरिका आए जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के दौरान जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक, जापानी विदेश मंत्री योको कामिकावा और ब्राजील के विदेश मंत्री मौरो विएरा से मुलाकात की। जी4 देशों में ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान शामिल हैं।
विदेश मंत्री ने एक्स पर बैठक की एक तस्वीर साझा की और लिखा, "आज
न्यूयॉर्क में सहकर्मियों @ABaerbock, @Kamikawa_Yoko और मौरो विएरा के साथ पारंपरिक #G4 विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होकर खुशी हुई। G4 ने पाठ-आधारित वार्ता के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तत्काल सुधार के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।" जी4 बैठक के अलावा, जयशंकर ने वेनेजुएला के विदेश मंत्री यवन गिल के साथ भी बातचीत की, जिसमें भारत और वेनेजुएला के बीच ऊर्जा, स्वास्थ्य और आर्थिक सहयोग पर चर्चा की गई।
जयशंकर ने एक्स पर कहा, "आज #UNGA79 के मौके पर वेनेजुएला के विदेश मंत्री @yvangil से मिलकर खुशी हुई। ऊर्जा, स्वास्थ्य और आर्थिक सहयोग के साथ-साथ सुधारित बहुपक्षवाद पर भी चर्चा हुई।" सोमवार को जयशंकर ने बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात की और बांग्लादेश और भारत के बीच आपसी हितों से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की।
79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के अवसर पर दोनों राजनयिकों ने पड़ोसी देशों के बीच दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) में बैठक की घोषणा की, जिसमें दोनों देशों के बीच चल रही साझेदारी पर जोर दिया गया। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के नेता मुहम्मद यूनुस 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) सत्र में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क में हैं। महासभा के 79वें सत्र की आम बहस 24 सितंबर को शुरू होगी और 28 सितंबर तक जारी रहेगी तथा 30 सितंबर को समाप्त होगी।
संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक बयान के अनुसार, महासभा के 79वें सत्र की आम बहस का विषय "किसी को पीछे न छोड़ना: वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए शांति, सतत विकास और मानवीय गरिमा की उन्नति के लिए मिलकर काम करना" है। जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता जैसी चुनौतियों से निपटने तथा चल रहे संघर्षों और वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की बढ़ती मांग के बीच आरंभ हो रहे इस सत्र में विश्व के नेता न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित असेंबली हॉल में अपने वक्तव्य देने के लिए आएंगे। (एएनआई)
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नवंबर में हारा तो दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लडूंगा : डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल नवंबर में राष्ट्रपति पद की दौड़ हारने की स्थिति में 2028 में व्हाइट हाउस के लिए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। "नहीं, मैं नहीं मानता। नहीं, मैं नहीं मानता। मुझे लगता है कि यही होगा, यही होगा। मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। मुझे लगता है कि उम्मीद है कि हम सफल होंगे," ट्रंप ने सप्ताहांत में एक साक्षात्कार में मेजबान शैरिल एटकिसन से कहा।ट्रंप इस बार लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने 2016 में पहली बार जीत हासिल की और 2020 में अपने दूसरे प्रयास में हार गए।
78 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ कड़ी टक्कर में हैं। 2028 में अगले चुनाव तक ट्रंप 82 वर्ष के हो जाएंगे।अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर को होंगे।जब उनसे पूछा गया कि उन्हें क्या स्वस्थ रखता है, तो ट्रंप ने कहा कि वह गोल्फ खेलते हैं और ठीक से खाने की कोशिश करते हैं।“ठीक है, मैं थोड़ा बहुत गोल्फ खेलता था। इससे मुझे क्या मिला, इसलिए मुझे नहीं पता, लेकिन पीछे मुड़कर देखने पर यह काफी खतरनाक खेल लगता है। मैं कोशिश करता हूं और सही तरीके से खाता हूं। मैं कोशिश करता हूं। मैं सबसे अच्छा करता हूं," रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने कहा।
"मुझे शायद सभी गलत खाना पसंद है। लेकिन फिर मैं कहता हूं 'क्या किसी को पता है कि सही खाना क्या है?'" उन्होंने पूछा। "मेरे पास ऐसे लोग हैं जो सालों से मुझे उपदेश दे रहे हैं, 'ओह यह मत खाओ, वह मत खाओ'। वे चले गए हैं, वे बहुत पहले ही गुजर चुके हैं," ट्रंप ने कहा। साक्षात्कार के दौरान, ट्रंप ने जोर देकर कहा कि उन्हें COVID-19 के खिलाफ लड़ाई का श्रेय नहीं मिलता है।
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सदी के मध्य तक US में गर्मी से होने वाली मौतों में भारी वृद्धि का अनुमान

US सैक्रामेंटो (आईएएनएस)। एक नए अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 21वीं सदी के मध्य तक अमेरिका भर में अत्यधिक तापमान से संबंधित मौतों में नाटकीय वृद्धि होगी, जिसमें विशिष्ट आबादी पर असंगत प्रभाव का बोझ होगा। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की वेबसाइट के जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि वर्तमान में प्रति वर्ष लगभग 8,250 मौतें अत्यधिक गर्मी और ठंड से जुड़ी हैं। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि भविष्य में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका में अत्यधिक तापमान से संबंधित मौतें 2036 से 2065 तक दोगुनी या तिगुनी से भी अधिक हो सकती हैं, सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया।
कम उत्सर्जन वृद्धि के परिदृश्य में, यह संख्या सदी के मध्य तक सालाना 19,300 से अधिक मौतों तक बढ़ सकती है। उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में प्रति वर्ष लगभग 26,600 मौतें हो सकती हैं। अध्ययन के लेखकों ने लिखा, "अत्यधिक ठंड से संबंधित मौतों में कमी के बावजूद, कुल मिलाकर अत्यधिक तापमान से संबंधित मौतों का अनुमान उत्सर्जन वृद्धि परिदृश्य के विश्लेषण के आधार पर दोगुना या तिगुना से अधिक है
अनुमानों के अनुसार, कुछ समूहों को अधिक महत्वपूर्ण जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
गैर-हिस्पैनिक श्वेत वयस्कों की तुलना में, हिस्पैनिक वयस्कों में अत्यधिक तापमान से होने वाली मौतों में 537.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सकती है, जबकि अफ्रीकी अमेरिकी वयस्कों में 278.2 प्रतिशत की वृद्धि का सामना करना पड़ता है।
वृद्ध वयस्कों और महानगरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में भी तापमान से संबंधित मृत्यु दर में बड़ी वृद्धि का अनुमान है। शोधकर्ताओं ने नोट किया कि यह संभवतः शहरी ताप द्वीप प्रभाव जैसे कारकों से संबंधित है।
उन्होंने एयर कंडीशनिंग तक कम पहुंच, उच्च शहरी ताप द्वीप प्रभाव, कम हरित स्थान जोखिम और पड़ोस में यातायात से संबंधित वायु प्रदूषण के अधिक जोखिम जैसे कारकों की ओर इशारा किया, जहां कई नस्लीय और जातीय अल्पसंख्यक व्यक्ति रहते हैं।
लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि, "ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के साथ-साथ, जनसंख्या के स्वास्थ्य पर अत्यधिक तापमान के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के प्रयास भी आवश्यक हैं।" (आईएएनएस)
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इक्वाडोर के जेल अधिकारी सशस्त्र हमले में घायल हुए

क्विटो (आईएएनएस)। इक्वाडोर की राष्ट्रीय जेल प्रशासन एजेंसी एसएनएआई के लिए काम करने वाले एक अधिकारी सहित दो लोग उस समय घायल हो गए, जब सशस्त्र हमलावरों ने क्विटो शहर में उनके वाहन पर गोलीबारी की।
"इस हमले के परिणामस्वरूप, लोग घायल हो गए और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है," इसने कहा, साथ ही कहा कि राष्ट्रीय पुलिस घटना की जांच कर रही है, सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट।
एजेंसी ने कहा, "हम अपने संस्थान के अधिकारियों के खिलाफ हिंसा या धमकी के किसी भी कृत्य को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं।" एक स्थानीय टेलीविजन समाचार प्रसारण के अनुसार, गोलीबारी स्थानीय समयानुसार सुबह 8:00 बजे से पहले एक प्रमुख मार्ग पर हुई, जहां बहुत अधिक यातायात था।
यह घटना ऐसे ही एक हमले के ठीक सात दिन बाद हुई है जिसमें इक्वाडोर के सबसे बड़े जेल, दक्षिण-पश्चिमी शहर ग्वायाकिल में लिटोरल पेनिटेंटरी की निदेशक मारिया इकाज़ा की जान चली गई थी। इससे पहले 12 सितंबर को इक्वाडोर के सबसे बड़े जेल के निदेशक की एक सशस्त्र हमले में हत्या कर दी गई थी, जो लैटिन अमेरिकी देश में दो सप्ताह के भीतर दूसरी ऐसी हत्या थी, ऐसा एसएनएआई जेल एजेंसी ने कहा।
एजेंसी ने कहा कि बंदरगाह शहर ग्वायाकिल में कुख्यात लिटोरल पेनिटेंटरी की निदेशक मारिया डेनिएला इकाज़ा की मौत पास के शहर डौले की ओर जाने वाली सड़क पर "सशस्त्र हमले के बाद" लगी चोटों के कारण हुई। (आईएएनएस)
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मोदी अगले सप्ताह अमेरिका में होंगे, तब उनसे मिलेंगे : डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह अमेरिका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान उनसे मिलेंगे। जबकि रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने आयात शुल्क के मुद्दे पर भारत को “दुर्व्यवहार करने वाला” बताया, उन्होंने मोदी को “शानदार व्यक्ति” बताया। पीएम मोदी 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका का दौरा करेंगे। हाल ही में हत्या के प्रयास के बाद मंगलवार को अपनी पहली सार्वजनिक उपस्थिति में बोलते हुए, ट्रंप ने कहा कि मोदी अगले सप्ताह अमेरिका में होंगे, तब उनसे मिलेंगे। “तो जब भारत, जो बहुत बड़ा दुर्व्यवहार करने वाला है। वह (मोदी) अगले सप्ताह मुझसे मिलने आ रहे हैं, और मोदी, वह शानदार हैं। मेरा मतलब है, शानदार आदमी। इनमें से बहुत से नेता शानदार हैं,” ट्रंप ने कहा, उन्होंने दोहराया कि भारत आयात पर भारी शुल्क लगाता है।
नई दिल्ली में, जब ट्रंप की टिप्पणी के बारे में पूछा गया, तो विदेश मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया। मोदी अपनी यात्रा की शुरुआत राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा विलमिंगटन, डेलावेयर में आयोजित क्वाड लीडर्स समिट से करेंगे। शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भाग लेंगे। इसके बाद मोदी न्यूयॉर्क जाएंगे और 22 सितंबर को लॉन्ग आइलैंड में एक बड़े सामुदायिक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। अगले दिन वे संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे। मोदी की यह यात्रा अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से दो महीने से भी कम समय पहले हो रही है, जिसमें ट्रम्प और डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति कमला हैरिस शीर्ष पद की दौड़ में हैं। अमेरिका में आम चुनाव 5 नवंबर को होंगे।
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पेजर हमलों को लेकर हिजबुल्लाह की जवाबी कार्रवाई के प्रति इजरायल सतर्क

तेल अवीव। हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल पर पेजर विस्फोट की लहर के पीछे होने का आरोप लगाने के बाद इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) ने जवाब देने के लिए कमर कस ली है, जिसमें कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हो गए। मंगलवार को आईडीएफ के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हर्ज़ी हलेवी ने जोर देकर कहा कि इजरायल "सभी क्षेत्रों में हमले और बचाव के लिए तैयार है", लेकिन उन्होंने लेबनान और सीरिया के कुछ हिस्सों में हुए पेजर हमलों का जिक्र नहीं किया। आईडीएफ ने कहा, "हम (होम फ्रंट कमांड दिशा-निर्देशों) में किसी भी बदलाव के बारे में तुरंत अपडेट करेंगे।"
लेबनान और हिजबुल्लाह दोनों ने तेल अवीव पर हमले के पीछे होने का आरोप लगाया है, लेबनान के प्रधानमंत्री ने इसे "आपराधिक इजरायली आक्रमण" और "लेबनानी संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन" करार दिया है। हिजबुल्लाह, जिसके लड़ाके हमले में घायल और मारे गए, ने भी कहा कि वह "इस आपराधिक आक्रमण के लिए इजरायली दुश्मन को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराता है"। उन्होंने एक बयान में कहा, "इस विश्वासघाती और आपराधिक दुश्मन को निश्चित रूप से इस पापपूर्ण आक्रमण के लिए उचित सजा मिलेगी।" अमेरिका ने कहा कि वह हमलों की जांच कर रहा है और ईरानी मीडिया में किए गए दावों का खंडन किया कि उसे विस्फोटों के बारे में पहले से जानकारी थी।
"अमेरिका को इस घटना के बारे में पहले से जानकारी नहीं थी और इस समय हम जानकारी जुटा रहे हैं," विदेश विभाग ने कहा। व्हाइट हाउस ने हिजबुल्लाह और ईरान से संयम बरतने का आग्रह किया है, जिसके बेरूत में राजदूत हमले में घायल हो गए। विदेश कार्यालय ने लेबनान में एक साथ सैकड़ों पेजर विस्फोटों के बाद "शांत रहने और तनाव कम करने" का आह्वान किया है, जो एक समन्वित हमला प्रतीत होता है। एफसीडीओ के प्रवक्ता ने कहा: "हम लेबनान में स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं और यूके इस क्षेत्र में राजनयिक और मानवीय भागीदारों के साथ काम कर रहा है। इन विस्फोटों के बाद नागरिकों की हताहती बेहद दुखद है।" "हम इस महत्वपूर्ण समय में शांत रहने और तनाव कम करने का आग्रह करते हैं।"
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नेपाल के संविधान के लागू होने के नौ साल पूरे

  • प्रधानमंत्री ओली ने संविधान में जरूरत के हिसाब से संशोधन की बात दोहराई
काठमांडू (एएनआई)। नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने जरूरत और सार के आधार पर संविधान में संशोधन की जरूरत दोहराई, क्योंकि हिमालयी राष्ट्र के मुख्य कानून के लागू होने के नौ साल पूरे हो रहे हैं।
संविधान दिवस और राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि संविधान को जीवंत बनाने और बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने के लिए इसमें संशोधन किया जाना चाहिए
प्रधानमंत्री ओली ने आर्मी पैवेलियन में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, "संविधान समय पर बनाया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें उन प्रावधानों को बदलना या हटाना होगा जो बदले हुए संदर्भ के साथ मेल नहीं खाते। मेरा मानना ​​है कि संविधान में अक्षर और अर्थ के आधार पर संशोधन किया जाना चाहिए, जो बदलाव के सार को और अधिक साबित करेगा या मौजूद अंतराल को भरेगा। मौजूदा संविधान में उन प्रावधानों को संशोधित करें जिन्हें संशोधित करने की आवश्यकता है, जो प्रावधान पहुंच में आसानी देते हैं।"
प्रधानमंत्री ओली ने आर्मी पैवेलियन में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, "अभी तक हमने जो राजनीतिक अस्थिरता देखी है, उसे संविधान में संशोधन करके हल किया जा सकता है। इसे लेकर स्पष्ट चिंता है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि संविधान संशोधन के मुद्दे पर हम न केवल संसदीय गणित, न केवल उन दलों की चिंताओं पर विचार करेंगे जो सरकार में शामिल हैं, बल्कि सभी दलों को एक साथ खड़े होने की चिंता है, और इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।" नेपाल के संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य का संविधान 20 सितंबर, 2015 (आशोज 3, 2072 बी.एस.) को संविधान सभा द्वारा नेपाली लोगों के सात दशक लंबे संघर्ष, बलिदान और लोकप्रिय आंदोलनों की उपलब्धि के रूप में लागू किया गया था।
नेपाल के संविधान में 35 भाग, 308 अनुच्छेद और 9 अनुसूचियाँ शामिल हैं, जिसमें एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य, समावेशी लोकतंत्र, आनुपातिक समावेशी प्रतिनिधित्व, धर्मनिरपेक्षता और अन्य सिद्धांतों को शामिल किया गया है। संविधान समाजवाद के प्रति समर्पण के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों और मानदंडों के आधार पर एक समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार हर साल संविधान लागू होने के दिन को संविधान दिवस और राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाती है। नेपाल के संविधान के नौवें जन्मदिन के अवसर पर सरकार द्वारा काठमांडू के दरबार मार्ग में एक राष्ट्रीय दिवस संगीत कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
ओली की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब मधेश आधारित पार्टियां जो अभी भी संविधान में संशोधन की मांग को लेकर विरोध कर रही हैं, ने राष्ट्र के मुख्य कानून के प्रावधानों पर अपनी आपत्ति जताते हुए इस दिन को न मनाने की घोषणा की है। नेपाल का संविधान-2015, जिसे दूसरी संविधान सभा के माध्यम से लागू किया गया था, को मधेश आधारित पार्टियों से अभी तक अनुमोदन नहीं मिला है। विश्लेषकों का दावा है कि नेपाल की पहली संविधान सभा, जो मुद्दों को हल करने में विफल रही, ने एक लंबा सफर तय किया है और अब इस बिंदु पर पहुंच गई है।
नेपाल के संघीय ढांचे पर काम करने के लिए अलग-अलग समय पर राजनीतिक दलों ने एक आयोग का गठन किया था जिसने 10 और 11 प्रांतों के मॉड्यूल का सुझाव दिया था लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने दम पर राष्ट्र को 7 प्रांतों में विभाजित कर दिया, जो अभी भी विवादित और विघटनकारी है। मधेश आधारित पार्टियां, जो नए संविधान के जन्म के साथ ही विरोध कर रही हैं, संविधान में बदलाव की मांग कर रही हैं, जो उन्हें राष्ट्र के कार्यकारी पदों को संभालने से रोकता है। संविधान के प्रावधानों को लेकर इन दलों के तत्काल विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और सीमा पर धरना-प्रदर्शनों के कारण देश में आपूर्ति ठप हो गई, जिससे देश का दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। यह लगभग आधे दशक से जारी है, लेकिन कोई समाधान नहीं दिख रहा है। (एएनआई)
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लेबनान में संचार उपकरणों में विस्फोट अस्वीकार्य : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख

जिनेवा (आईएएनएस)। लेबनान में संचार उपकरणों में व्यापक और एक साथ विस्फोट होना चौंकाने वाला है, जिसका नागरिकों पर अस्वीकार्य प्रभाव पड़ा है। "नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। आज तनाव कम करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है," संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने बुधवार को एक बयान में कहा।
उन्होंने क्षेत्र में प्रभावशाली देशों से संघर्ष को और बढ़ने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का भी आग्रह किया, सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री फिरास अबियाद ने बुधवार को बताया कि मंगलवार को एक साथ पेजर में विस्फोट होने से लेबनान में दो बच्चों सहित 12 लोग मारे गए और लगभग 2,800 अन्य घायल हो गए। इसके अलावा, लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की कि बुधवार को वायरलेस संचार उपकरणों के विस्फोटों ने नौ और लोगों की जान ले ली और देश भर में 300 से ज़्यादा लोगों को घायल कर दिया
तुर्क ने कहा कि हज़ारों लोगों को एक साथ निशाना बनाना, चाहे वे आम नागरिक हों या हथियारबंद समूह के सदस्य, बिना यह जाने कि लक्षित उपकरण किसके पास थे, उनका स्थान या हमले के समय उनका परिवेश क्या था, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और, जहाँ लागू हो, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है।
उन्होंने इन सामूहिक विस्फोटों के इर्द-गिर्द की परिस्थितियों की स्वतंत्र, गहन और पारदर्शी जाँच की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, और कहा कि हमलों का आदेश देने और उन्हें अंजाम देने के लिए ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। (आईएएनएस)
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अफगान सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और युद्ध उपकरण जब्त किए

लश्करगाह (आईएएनएस)। अफगानिस्तान के दक्षिणी हेलमंद प्रांत में पिछले तीन महीनों में कई अभियानों के दौरान अफगान सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और सैन्य उपकरण जब्त किए हैं, प्रांतीय पुलिस कार्यालय ने एक बयान में कहा।
शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बयान के हवाले से बताया कि जब्त किए गए सामान में नौ कलाश्निकोव, 41 पिस्तौल, दो एके-47 राइफल, छह अमेरिकी निर्मित एम16 मशीन गन, पांच ग्रेनेड, 15 विभिन्न प्रकार की खदानें और कारतूस और गोलियों जैसे युद्ध उपकरण शामिल हैं।
इस मामले के सिलसिले में पंद्रह लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनके डोजियर को आगे की जांच के लिए न्यायपालिका को भेज दिया गया। अफगान कार्यवाहक सरकार, जिसने सुरक्षा बलों के बाहर किसी से भी हथियार और गोला-बारूद इकट्ठा करने की कसम खाई थी, ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद से टैंकों सहित हजारों हल्के और भारी हथियारों की खोज और जब्ती की है। (आईएएनएस)
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