धर्म समाज

एक चुटकी हल्दी से दूर होंगी परेशानी, माँ लक्ष्मी की रहेगी कृपा

हर घर की रसोई में हल्दी का प्रयोग रसोई में भोजन आदि के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। हल्दी सेहत के लिहाज से जितनी महत्वपूर्ण मानी जाती है। उतना ही इसका उपयोग टोने टोटको में भी किया जाता है।
ज्योतिषशास्त्र की मानें तो हल्दी के कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें सही तरीके से अगर किया जाए तो व्यक्ति की किस्मत चमक जाती है और साथ ही साथ मां लक्ष्मी की कृपा से उस पर धन वर्षा होती हैं तो आज हम आपको एक चुटकी हल्दी का उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते है।
हल्दी के अचूक उपाय
अगर आप पर किसी की बुरी नजर लगी हुई हैं जिसके कारण आपको रोग बीमारी व अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तो ऐसे में आप हल्दी का उपाय कर सकते हैं इसके लिए हल्दी की गांठ लेकर उसे मौली के साथ बांधें और अपने साथ रखकर सो जाएं। मान्यता है कि इस उपाय को करने से नजर दोष दूर हो जाता है। वही इसके अलावा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अगर एक चुटकी हल्दी अर्पित किया जाए तो इससे किस्मत के द्वार खुल जाते हैं और लक्ष्मी कृपा से जातक पर धन वर्षा होने लगती है।
अगर कड़ी मेहनत के बाद भी आपको कार्य में सफलता हासिल नहीं हो रही है या फिर आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तो ऐसे में आप बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश को हल्दी अर्पित करें। इस उपाय को करने से हर काम में आपको सफलता मिलेगी और जीवन में आने वाली परेशानियां व आर्थिक तंगी भी दूर हो जाएगी।
 

 

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अक्षय तृतीया पर सोना ही नहीं, इन चीजों की भी करें खरीदारी

बरसती है मां लक्ष्मी की कृपा
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया का दिन काफी शुभ होता है और किसी भी नए कार्य की शुरुआत इस दिन की जा सकती है और इसके लिए किसी विशेष मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक अक्षय तृतीया पर्व इस साल शनिवार 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाया जाएगा। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को हर साल अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा है। इस दिन सोना खरीदना काफी शुभ होता है। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और आप सोना नहीं खरीद सकते हैं तो ऐसी परिस्थिति में सोने के विकल्प के रूप में भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें खरीद सकते हैं। जिससे मां लक्ष्मी की कृपा घर और परिवार पर बनी रहेगी। पौराणिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी को सोना बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन लोग सोना और उसके आभूषण, आदि खरीदते हैं।
सोने के स्थान पर खरीदें ये चीजें
श्री यंत्र
अक्षय तृतीया पर्व पर सोने के स्थान पर श्रीयंत्र भी खरीदा जा सकता है। अक्षय तृतीया के दिन श्री यंत्र खरीद कर घर लाना बेहद शुभ माना जाता है। पूरे विधान से घर में श्री यंत्र की स्थापना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
पीली कौड़ी
ज्योतिष और वास्तु में पीली कौड़ी को घर में रखना शुभ माना गया है। पीली कौड़ी माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को बेहद पसंद है। अक्षय तृतीया पर पीली कौड़ी खरीद माता लक्ष्मी के चरणों में रखना शुभ होता है। फिर अगले दिन लाल कपड़े में लपेटकर अलमारी में रखने से आर्थि लाभ होता है।
शंख
शंख को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन शंख घर में लाने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
जौ
अक्षय तृतीया के दिन जौ खरीद सकते हैं। सवा किलो जौ खरीद कर घर के भंडारगृह में रखने से घर में मां अन्नपूर्णा की भी कृपा बनी रहती है। घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
 
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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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अक्षय तृतीया वह दिन है जो वैशाख मास के शुक्लपक्ष में आता है

वैशाख मास के शुक्लपक्ष में आने वाले दिन को 'अक्षय तृतीया' कहते हैं। कुछ लोगों का मत है कि इसी दिन धर्मराज ने 'महाभारत' में सूर्य की उपासना की थी और भास्कर से अक्षय पात्र प्राप्त किया था, इसलिए इस दिन को 'अक्षय तृतीया' के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन यदि आप सोना खरीदते हैं तो आपको अक्षय धन की प्राप्ति होती है। हालाँकि, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं लगता है। शास्त्रों में कहा गया है कि आज के दिन किए गए पुण्य कार्य, जपताप और दान अक्षय फल देंगे। कहा जाता है कि सोने का दान सबसे अच्छा दान है। अक्षय तृतीया के अवसर पर सोना दान करना चाहिए, लेकिन इसे खरीदने का एकमात्र लाभ व्यक्तिगत संतुष्टि है!
परमेश्वर, जिन्होंने पार्वती को अक्षय तृतीया की विशेषता बताई, ने समझाया कि 'इस दिन यदि आप अक्षय रूप भगवान की पूजा करते हैं, तो आपको अनंत कृपा मिलेगी'। पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन पवित्र गंगा धरती पर उतरी थी। इसके अलावा, कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह वह दिन है जब भगवान कृष्ण के दर्शन से कुचेलू को अखूट धन प्राप्त हुआ था। यह भी कहा जाता है कि वैशाख शुद्ध है जब एक गरीब महिला ने अपने गोफन से आंवला प्राप्त किया और उसके उपहार को पहचान लिया और 'कनकधारा स्तोत्रम' के साथ देवी से प्रार्थना की और गरीब महिला के घर पर स्वर्ण आंवला बरसाया।
बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि आज जो भी अच्छे कर्म किए जाएंगे उसका फल सबसे अच्छा मिलेगा, अगर बुरे कर्म किए गए हैं तो उसका असर भी उन्हें हमेशा के लिए सताएगा। इसीलिए गरीबों को दान देकर और भगवान के नाम का स्मरण करके हम भगवान से अनंत आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
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शनि बाधा से मुक्ति के लिए हर मंगलवार करें ये खास उपाय

हिंदू धर्म में हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता हैं। वही मंगलवार का दिन भगवान हनुमान की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा और व्रत आदि करते है।

मान्यता है कि मंगलवार के दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ अगर कुछ विशेष उपायों को किया जाए तो हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है साथ ही शनि बाधा से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली का आगमन होता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मंगलवार के दिन किए जाने वाले अचूक उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते है।
मंगलवार के खास उपाय-
अगर आप अपने जीवन में शनि पीड़ा या शनि बाधा से परेशान है और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में हर मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाकर प्रभु श्रीराम का जाप करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के जीवन में आए सभी विपत्तियों का नाश करते है। इसके अलावा शनि बाधा से मुक्ति पाने के लिए आप मंगलवार के दिन काली उड़द और कोयले को एक थैली में रख लें।
इसके साथ ही एक सिक्का भी जरूर रखें। अब थैली को अपने सिर से वार कार बहते जल में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से शनि की हर पीड़ा से जातक को मुक्ति मिल जाती है और शनिदेव व हनुमान कृपा से जीवन में सुख शांति और धन प्राप्ति होती है।
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सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें और किन चीजों से करें परहेज

हिंदी पंचांग के अनुसार, साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख अमावस्या को पड़ रहा है। ग्रहण के समय राहु और केतु का नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है। इसके लिए सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। साथ ही सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। ग्रहण के दौरान सूर्य से निकलने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके अलावा, सूर्य ग्रहण के समय कई अन्य सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए, जानते हैं कि ग्रहण के समय क्या करें और किन चीजों से परहेज करें
ज्योतिषियों की मानें तो गर्भवती महिलाओं को सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय कैंची, सुई, ब्‍लेड या चाकू का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में ग्रहण के दौरान काटने की मनाही है। ऐसा करने से बच्चे में शारीरिक या मानसिक विकृति हो सकती है। सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय राहु-केतु का नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ती है। साथ ही ग्रहण से भोजन दूषित हो जाता है। ग्रहण के समय भोजन करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
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अक्षय तृतीया के दिन करें ये विशेष उपाय, हमेशा प्रसन्न रहेंगी मां लक्ष्मी

इस बार अक्षय तृतीया बेहद शुभ संयोगों में पड़ रही है। 22 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 48 मिनट से अक्षय तृतीया तिथि शुरू हो रही है और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस दिन अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग, त्रिपुष्कर योग और आयुष्मान योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो कि खरीदारी के लिए बहुत शुभ दिन माना जा रहा है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि अक्षय तृतीया का दिन अबूझ मुहूर्त है माना जाता है। इस दिन बिना पंचांग देखे ही आप मांगलिक कार्य करवा सकते हैं। इस दिन दान-पुण्य व धन प्राप्ति के उपाय करना भी बहुत कारगर साबित होते हैं। तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी तिजोरी हमेशा भरी रहे और आपको धन संबंधित कोई परेशानी ना आए तो इस दिन कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं।
आइए जानते हैं क्या करें उपाय-
- अक्षय तृतीया से एक दिन अपने घर को साफ-सुथरा रखें और अगर घर का वास्तु ठीक नहीं है तो वस्तुओं के सही दिशा में रखें। साथ ही घर की अलमारी को दक्षिण की दीवार को ओर करके रखें। ये धन वृद्धि के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।
- अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी को गुलाब का फूल अर्पित करें और गुलाबी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें। साथ ही मोती या फिर स्फटिक की माला से ‘"ह्रीं क ए इ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं" मंत्र का जाप करें।
- अक्षय तृतीया के दिन गणेश जी के स्वरूप को घर लेकर आएं और अपने घर के मुख्य द्वार पर लगा दें। इससे धन संबंधित समस्याएं दूर हो जाएंगी और अगर व्यापार मंदा चल रहा हो तो वह भी अच्छा चलने लगता है।
- अक्षय तृतीया का दिन मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए बहुत अच्छा दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा साथ में पूजा करें दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहेंगी और आपस में प्रेम बढ़ता है।
- धन, वैभव, यश पाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
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इन पौधों की जड़ों को रखें अपने पास, नहीं होगी धन की कमी

धन कमाने के लिए हर व्यक्ति तरक्की करना चाहता है। अपनी पहचान बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करता है। लेकिन बहुत से लोगों की यह शिकायत होती है कि लगातार परिश्रम करने के बाद भी उन्हें मनचाहा धन और उन्नति नहीं मिलती। यदि आप किसी तरह के आर्थिक संकट से परेशान हैं, तो इसके पीछे कई तरह के दोष हो सकते हैं। वास्तु शास्त्र में इन दोषों को दूर करने के लिए कई तरह के उपाय बताए गए हैं। जिनसे धन की कमी दूर होती है और घर में पैसों की आवक होने लगती है। इतना ही नहीं बल्कि आपकी तिजोरी भी भरी रहती है।
श्वेतार्क
श्वेतार्क की जड़ से बनी श्वेतार्क गणेश प्रतिमा की पूजा करने से भक्तों को खूब लाभ मिलता है। इस पौधे की जड़ का टुकड़ा ताबीज में भरकर बाजू पर धारण करने से घर में दरिद्रता का नाश होता है। साथ ही मां लक्ष्मी का भी वास होता है।
बहेड़े का पत्ता और जड़ भी काफी चमत्कारी होते हैं। इसके पत्ते या जड़ को भंडार ग्रह, तिजोरी या अन्य किसी पवित्र स्थान पर रखने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
सहदेवी
सहदेवी पौधे की जड़ को लाल रंग के कपड़े में लपेटकर बाजू पर बांधने से व्यक्ति के घर की दरिद्रता का नाश होता है। अगर इसे तिजोरी में रख दिया जाए तो धन की कमी नहीं होती। तंत्र सिद्ध श्वेत अपामार्ग की जड़ को भी धन आकर्षित करने के लिए फायदेमंद माना गया है। इस पौधे की जड़ को पास रखने से व्यापार में भी बहुत मुनाफा होता है।
निर्गुण्डी
पीली सरसों के साथ निर्गुण्डी का पौधा लेकर इसे पीले रंग की पोटली में बांध लें। इस पोटली को दुकान के द्वार पर लटकाने से व्यक्ति को व्यापार में लाभ मिलता है। कुश का बांदा भरणी नक्षत्र में लाकर मंदिर में रखने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। माघ नक्षत्र में हरसिंगार का बांदा लाकर, इसकी विधि पूर्वक पूजा कर, घर में किसी सही जगह पर रखने से धन वैभव की प्राप्ति होती है।

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श्रीसैलदेवस्थानम में अरिजीतसेवा टिकट ऑनलाइन

श्रीशैलम : श्रीशैलम श्री भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुनस्वामी अम्मावरला दर्शन ने सभी भक्तों के लिए इसे और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। देवस्थानम इवो लावन्ना ने कहा कि मंदिर में होने वाली अर्जितसेवा के सभी टिकट अब से ऑनलाइन प्राप्त किए जाएं। उन्होंने कहा कि श्रीशैल देवस्थानम की वेबसाइट पर 25 अप्रैल से टिकट उपलब्ध कराया जाएगा। एक मई से श्रद्धालुओं को ऑनलाइन ही टिकट जारी किए जाएंगे।
मंदिर के ईओ लावन्ना ने खुलासा किया है कि आम भक्तों के लिए श्रीस्वामी के अम्मावरा के दर्शन की सुविधा के लिए अर्जितसेवा टिकट और स्पर्श दर्शनम टिकट के मुद्दे में बदलाव किए गए हैं क्योंकि श्रीशैल क्षेत्र में पहले से ही अधिक भक्त न केवल छुट्टियों और छुट्टियों पर आ रहे हैं। लेकिन सामान्य दिनों में भी। यह स्पष्ट किया गया है कि सभी अर्जितसेवा चरणों में आयोजित की जाएंगी ताकि आम श्रद्धालुओं के साथ-साथ अर्जितसेवा और स्पर्श दर्शन करने वाले भक्तों को भी किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
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22 अप्रैल को परशुराम जयंती

भगवान परशुराम जयंती वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है। इस साल यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। इस दिन विष्णु जी की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भगवान परशुराम ने सनातन धर्म को बढ़ाने का काम किया था, वे किसी धर्म जाति वर्ण या वर्ग विशेष के आराध्य ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के आराध्य हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि भगवान परशुराम जी ने एक युद्ध में 21 प्रजा शोषण, धर्मांध, और आताताई राजाओं का संहार किया था। लेकिन जब भी भगवान परशुराम का नाम आता है तो लोगों के मन में सबसे पहले क्रोध की और ध्यान जाता है। तो आइए जानते हैं परशुराम जयंती शुभ मुहूर्त और भगवान परशुराम के बारे में विस्तार से-
इस दिन बनने वाले योग
आयुष्मान योग- सुबह 09 बजकर 24 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
राहुकाल का समय- सुबह 9 बजकर 04 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक
कौन थे भगवान परशुराम, कैसे पड़ा नाम?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठवें अवतार के रूप में माना जाता है, उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान मिला था. उनके पिता ऋषि जमदग्नि थे. ऋषि जमदग्नि ने चंद्रवंशी राजा की पुत्री रेणुका से विवाह किया था. ऋषि जमदग्नि और रेणुका ने पुत्र की प्राप्ति के लिए एक महान यज्ञ किया।
इस यज्ञ से प्रसन्न होकर इंद्रदेव ने उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया और अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जी ने जन्म लिया। ऋषि ने अपने पुत्र का नाम राम रखा था, राम ने शस्त्र का ज्ञान भगवान शिव से प्राप्त किया और शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें अपना फरसा यानी परशु दिया था। इसके बाद से उन्हें परशुराम कहा जाने लगा और वे परशुराम के नाम से जाने गए।
परशुराम को चिरंजीवी कहा जाता है वह आज भी जीवित हैं। उनका वर्णन रामायण और महाभारत दोनों काल में होता है। श्री कृष्ण को उन्होंने सुदर्शन चक्र उपलब्ध करवाया था और महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया था।
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16 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी, क्या है महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है. एकादशी साल में 24 आती है और एक महीने में 2 आती है. एकादशी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्ष में आती है. एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन उनकी पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. 16 अप्रैल के दिन वरुथनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा जिसका खास महत्व है. वरुथनी एकादशी पर व्रत करने से, विधिवत पूजा करने से भगवान विष्णु उनके कष्टों को दूर करते हैं. चलिए आपको वरुथनी एकादशी का महत्व बताते हैं.
क्या है वरुथिनी एकादशी का महत्व?
ऐसा माना जाता है कि हर एकादशी का महत्व अलग-अलग होता है. वरुथनी एकादशी का महत्व ये है कि अगर आप सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो आपके शारीरिक कष्ट दूर हो सकते हैं. अगर आपने लगातार पड़ने वाली वरुथनी एकादशी कर ली तो आपको भगवान विष्णु के बैकुंठ लोक में मुक्ति मिल जाएगी. ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद बैकुंठ लोग में जाने वाले जीवन-मरण के कारचक्र से मुक्ति पा जाते हैं. उनका कार्मिक के कारण धरती पर बार-बार जन्म नहीं होता है. भगवान विष्णु की पूजा पूरे मन से करनी चाहिए जिससे आप उन्हें प्रसन्न कर सकें. वरुथनी एकादशी पर आपको अन्न और जल का दान करना चाहिए. भूखे को खाना खिलाएं और प्यासे को पानी पिलाएं ये बड़ा पुण्य और कुछ हो ही नहीं सकता है. इस दिन आप अगर जरूरतमंदों को घड़ा बांटें तो आपका कल्याण हो सकता है.
कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा? वैसे तो भगवान विष्णु की पूजा के लिए गुरुवार का दिन अच्छा होता है. अगर आप हर हफ्ते व्रत नहीं रखना चाहते तो 15 दिनों पर पड़ने वाली एकादशी का व्रत जरूर रख सकते हैं. इसमें व्रत वाले दिन सुबह स्नान करें अपने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त पर भगवान विष्णु की पूजा करें. इस पूजा में आपको तुलसी दल, सामर्थ्य अनुसार भोग, धूप-दीप, फूल और फल की आवश्यकता होगी. इसके बाद वरुथनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और एकादशी आरती करें. इसके बाद अगले दिन पारण करें तो आपके कष्टों को भगवान विष्णु जरूर दूर करेंगे. बस ध्यान रखें कि पूजा के समय आपका मन शुद्ध होना चाहिए. ना किसी की बुराई करें, ना किसी के लिए बुरा सोचें या करें.
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शनिवार के दिन क्या नहीं करना चाहिए जाने...

शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित माना गया है. मान्यतानुसार, ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव (Shanivar ke Upay) न्याय के देवता हैं, जो हर जीव को उसके कर्मों के अनुसार उचित फल देते हैं. शनिदेव जिस पर प्रसन्न हो जाते हैं, उसका भाग्य उदय हो जाता है. वहीं अगर किसी पर शनिदेव की अशुभ छाया पड़ती है, तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं और उसे हर क्षेत्र में असफलता ही हाथ लगती है. गौरतलब है कि शनिवार के दिन (Saturday Do’s And Don’ts) कुछ कार्यों को करने और कुछ कार्यों को न करने की सलाह दी जाती है. तो चलिए जानते हैं कि इस दिन क्या करें और क्या न करें.
शनिवार के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
1- शनिवार के दिन मांस मदिरा के साथ-साथ किसी भी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से शनिदेव नाराज हो सकते हैं.
2- शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु नहीं खरीदना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में संकट आना शुरू हो जाते हैं.
3- शनिवार के दिन कैंची की खरीददारी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से घर में ग्रह कलेश की स्तिथि बनने लगती है.
4- शनिवार के दिन नमक का लेन-देन नहीं करना चाहिए व साथ ही नमक की खरीददारी भी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से स्वास्थ्य बिगड़ता है.
5- शनिवार के दिन सरसो का तेल नहीं खरीदना चाहिए. ऐसा करने से आपके घर में नकारात्मकता आती है. आप दान के लिए तेल खरीद सकते हैं.
शनिवार के दिन क्या करना चाहिए?
1- शनिवार के दिन विधि विधान से भगवान शनिदेव की पूजा अर्चना करनी चाहिए.
2- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे शाम को जल चढ़ाना चाहिए और तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
3- शनिवार के दिन कौवे को रोटी खिलानी चाहिए, ऐसा करने से आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
4- शनिवार के दिन सरसो के तेल का दान बहुत ही शुभ माना गया है, ऐसा करने से आपको काफी लाभ मिलता है.
5- गुरुवार की तरह शनिवार को भी अपनी गलती की क्षमा मांगी जा सकती है.
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असम का प्रमुख पर्व 'बिहू' आज, जानें जरूरी बातें

भारत में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। वही आज यानी 14 अप्रैल दिन शुक्रवार को असम का प्रमुख पर्व बिहू मनाया जा रहा है। हर वर्ष इस पर्व को असम के साथ साथ पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
आपको बता दें कि बिहू पर्व से ही असम के लोगों का नया साल शुरु होता है। इस त्योहार को बैसाख के महीने में मनाया जाता है। इस पर्व को बोहाग बिहू या रंगोली बिहू के नाम से भी जाना जाता है। ये दिन प्रकृति और ईश्वर को आभार प्रकट करने का दिन होता हैं लोग इस दिन को बड़ी उत्साह के साथ मनाते हैं, तो आज हम आपको इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदानकर रहे है।
बिहू का त्योहार हर साल 14 और 15 अप्रैल को असम राज्य में मनाया जाता है। यह पर्व नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व फसलों की कटाई को दर्शाता है। वहीं पंजाब में इसे बैसाखी के नाम से जाना जाता है। इस खुशी भरे दिन पर लोग नृत्य और गायन करते है। साथ ही बिहू के त्योहार पर लोग अपने घरों में अच्छे अच्छे पकवान बनाते है और नए वस्त्र धारण करते है।
इस दिन लोग अपने मित्रों व रिश्तेदारों को सम्मान और खुशी के तौर पर हाथ से बने अंगोछा भेंट करते है। साथ ही गायन और नृत्य के द्वारा प्राकृति की सुंदरता की प्रशंसा और आभार प्रकट करते है। इस पर्व को सुख समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक भी माना गया है।
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16 अप्रैल को मेहर समाज का वार्षिक सम्मेलन रायपुर में

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेहर समाज का वार्षिक सम्मेलन रविवार 16 अप्रैल को महादेव घाट रायपुर स्थित जगतगुरु रविदास की मंदिर प्रांगण में आयोजित हैं। प्रदेश युवा अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ चर्मशिल्प विकास बोर्ड के सदस्य तुलसी दौड़िया ने बताया कार्यक्रम प्रातः 10 बजे जगतगुरु रविदास जी की पुजा पाठ से शुरू होगी, तत्पश्चात मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत होगी जिसमें विवाह योग्य युवक युवतियों का परिचय सम्मेलन, आदर्श विवाह, समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों का सम्मान, वरिष्ठजनों का उद्बोधन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुत होगी।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी शामिल होंगे, वही साथ में डाॅ प्रेमसाय सिंह टेकाम शिक्षा व आदिम जाति सहकारिता मंत्री, विकास उपाध्याय विधायक व संसदीय सचिव, एजाज ढेबर महापौर रायपुर, तरूण बिजौर अध्यक्ष चर्मशिल्प विकास बोर्ड, खिलावन बघेल उपाध्यक्ष चर्मशिल्प विकास बोर्ड व अध्यक्ष मेहर समाज प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगे। समाज के महासचिव परदेसी राम लहरी, कोषाध्यक्ष राकेश मेहर, महिला अध्यक्ष व चर्मशिल्प विकास बोर्ड के सदस्य सरोजनी रात्रे, सचिव सुधा रात्रे, कोषाध्यक्ष मधुनीलम जोशी, युवा सचिव खेमराज बाकरे व कोषाध्यक्ष हितेश मंडाई ने समाज के सभी वर्गों को सम्मेलन में शामिल होने निवेदन किया है।
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सूर्य ग्रहण 2023 : 20 अप्रैल को दो अशुभ योग का रहेगा साया

इन राशियों पर छाएंगे संकट के बादल
Surya Grahan 2023 : साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगने जा रहा है। इस बार सूर्य ग्रहण के दिन दो बड़े अशुभ योग बनने जा रहे हैं। इस नकारात्मक योग के प्रभाव से कुछ राशि वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ज्योतिष में सू्र्य को शुभ नहीं माना जाता है। इस अवधि में राहु का प्रभाव बढ़ जाता है और सूर्य पीड़ित होता है। यह ग्रहण सुबह 07.04 मिनट से दोपहर 12.29 मिनट तक रहेगा।
ग्रहण के दौरान सूर्य राहु और बुध के साथ मेष राशि में रहेगा। वहीं, मंगल मिथुन राशि में बुध के पास आएंगे। ज्योतिष शास्त्र में मंगल को मेष राशि और बुध को मिथुन राशि का स्वामी माना गया है। यह योग कुछ हद तक 3 राशि वालों की तकलीफ बढ़ाने वाला है।
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए योग बहुत अशुभ रहने वाला है। इस दौरान स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। साथ ही तनाव बढ़ेगा। कार्यों में बाधाएं आएंगी। कार्यक्षेत्र में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आपके द्वारा लिए गए निर्णय गलत साबित हो सकते हैं। यात्रा के लिए समय अनुकूल नहीं है।
इस राशि वालों के जीवन में अशुभ योग उतार-चढ़ाव लेकर आएगा। कई समस्याओं का सामना करना पड़ सतता है। आपके स्वभाव में परिवर्तन होगा। सूर्य ग्रहण के प्रभाव से आपका क्रोध बढ़ेगा। आप किसी बहस में फंस सकते हैं। अतिरिक्त खर्चे परेशानी बढ़ाएंगे।
कन्या राशि
अशुभ योग के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कोई पुराना रोग फिर से उभर सकता है। परिवार में किसी बात को लेकर विवाद बढ़ सकता है। ऑफिस में काम पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। बोरियत का सामना करना पड़ सकता है।

डिसक्लेमर
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खरमास के बाद कब से होगी मांगलिक कार्यों की शुरुआत

हिंदू धर्म में खरमास के महीने का विशेष महत्व माना गया है. इस महीने में किसी प्रकार के शुभ कार्य करने की मनाही होती है. आपको बता दें कि खरमास (Kharmas End Date 2023) की शुरुआत 15 मार्च 2023 से हुई थी, जो कि 14 अप्रैल तक (Kharmas 2023 End Date) रहने वाला है. मान्यता है कि खरमास के दौरान किए गए काम सफल नहीं होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में खरमास को अच्छा नहीं माना जाता है. गौरतलब है कि खरमास के समापन के बाद मांगलिक व शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. लेकिन इस साल 14 अप्रैल को खरमास समाप्त होने के बाद भी इस माह शादी विवाह, मुंडन, छेदन जैसे मांगलिक काम नहीं होंगे. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है और मई जून में पड़ने वाले विवाह मुहूर्त के बारे में.
कब से खत्म हो रहा है खरमास?
हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 अप्रैल 2023 को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इसके साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा.
कब से होगी मांगलिक कार्यों की शुरुआत?
आपको बता दें कि किसी भी मांगलिक कार्य के समय में गुरु ग्रह का इदय होना बहुत जरूर माना जाता है. ऐसे में 28 मार्च से गुरु अस्त चल रहे हैं. जो कि 22 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करने वाले हैं, लेकिन अस्त अवस्था में ही रहेंगे, जिसके चलते मांगलिक कार्य पर रोक रहेगी. वहीं 27 अप्रैल को सुबह 2 बजकर 7 मिनट पर मेष राशि में ही उदय हो जाएंगे. इसके बाद से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी.
खरमास खत्म होने के बाद शादी-विवाह की बनने वाली तारीखें
पंचाग के अनुसार, 14 अप्रैल से खरमास का समापन हो रहा है और 27 अप्रैल को गुरू का उदय भी हो जाएगा. ऐसे में 6 मई 2023 से शादी विवाह आरंभ हो जाएंगे. इसके बाद जून में भी कुछ विवाह के शुभ संयोग बन रहे हैं.
मई में पड़ने वाली शादी विवाह की तारीखें
6, 8, 9, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 22, 27, 29 और 30
जून में पड़ने वाली शादी विवाह की तारीखें
1, 3, 5, 6, 7, 11, 12, 23, 24, 26 और 27.
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मेष संक्रांति पर इन आसान उपायों से करें भगवान सूर्य को प्रसन्न

हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 अप्रैल 2023, शुक्रवार के दिन सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। बता दें कि यह हिंदू नव संवत्सर का पहला सूर्य राशि परिवर्तन होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे 'संक्रांति' के नाम से जाना जाता है। मेष संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना करने से, साथ ही स्नान-दान और कुछ उपायों का पालन करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं मेष संक्रांति के दिन के किन उपायों से मिलता है सूर्य देव का आशीर्वाद।
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प्रियंका गांधी ने मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और भरोसे का सम्मेलन कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रियंका गांधी ने जगदलपुर स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर पहुंचकर माता के किए दर्शन। पूजा अर्चना कर देश और प्रदेश के लिए सुख शांति, समृद्धि की कामना की।
बता दें कि प्रियंका गांधी जगदलपुर एयरपोर्ट से सिटी कोतवाली-कुम्हारपारा सड़क से होते हुए लाल बाग मैदान पहुंचेगीं। सुरक्षा को लेकर बस्तर में 3 हजार से अधिक जवानों की तैनाती की गई है। अन्य जिलों से भी जवानों को बुलाया गया है। IG समेत 6 से 7 IPS तैनात हैं। कार्यक्रम स्थल से बाहर सड़क तक तीन लेयर में सुरक्षा का इंतजाम किया गया है।
छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। कयास लगाए जा रहे हैं कि, उनके दौरे के बाद कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मूड में नजर आएगी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं भी हिस्सा लेंगी। प्रियंका के दौरे को ऐतिहासिक बनाने के लिए कांग्रेस ने सभी तरह की तैयारी कर ली है।
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बैसाखी का त्योहार, 13 या 14 अप्रैल, जानें सही तारीख

बैसाखी का त्यौहार देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हरियाणा और पंजाब के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है बैसाखी, इसे मनाने के पीछे कई कारण हैं। जिनमें से एक मुख्य कारण है कि इस दिन गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसके अलावा इसे सिखों के नए पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
वहीं पंजाब में रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है, इसलिए भी बैसाखी का पर्व मनाया जाता है। भारत देश में हर पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं लेकिन कई जगहों पर त्योहारों को कई नामों से भी बोला जाता है और मनाया जाता है। जैसे बैसाखी को कई नामों से जाना जाता है। असम में इसे 'बिहू', बंगाल में 'पोइला बैसाख' तो वहीं केरल में 'पूरम विशु' के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस बार कब मनाई जाएगी बैसाखी?
13 या 14 अप्रैल कब मनाई जाएगी बैसाखी 2023?
पंचांग के अनुसार इस साल बैसाखी का पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन ही मेष संक्रांति होगी क्योंकि सूर्यदेव 14 तारीख को मेष राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल 13 या 14 अप्रैल को बैसाखी मनाई जाती है।
कैसे मनाया जाता है बैसाखी का पर्व?
बैसाखी को सिख समुदाय के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन लोग नए साल के रूप में मनाते हैं। बैसाखी के दिन सिख समुदाय के लोग ढोल-नगाड़े बजाते हैं व नाचते-गाते हैं। साथ ही गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन करते हैं। लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं और घरों में मिठाईयां बांटते हैं। यूं तो यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन पंजाब और हरियाणा में इसकी धूम अलग ही नजर आती है। कई जगहों पर तो इस दिन मेले भी लगते हैं।
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