धर्म समाज

22 अप्रैल को परशुराम जयंती

भगवान परशुराम जयंती वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है। इस साल यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। इस दिन विष्णु जी की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भगवान परशुराम ने सनातन धर्म को बढ़ाने का काम किया था, वे किसी धर्म जाति वर्ण या वर्ग विशेष के आराध्य ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के आराध्य हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि भगवान परशुराम जी ने एक युद्ध में 21 प्रजा शोषण, धर्मांध, और आताताई राजाओं का संहार किया था। लेकिन जब भी भगवान परशुराम का नाम आता है तो लोगों के मन में सबसे पहले क्रोध की और ध्यान जाता है। तो आइए जानते हैं परशुराम जयंती शुभ मुहूर्त और भगवान परशुराम के बारे में विस्तार से-
इस दिन बनने वाले योग
आयुष्मान योग- सुबह 09 बजकर 24 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
राहुकाल का समय- सुबह 9 बजकर 04 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक
कौन थे भगवान परशुराम, कैसे पड़ा नाम?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठवें अवतार के रूप में माना जाता है, उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान मिला था. उनके पिता ऋषि जमदग्नि थे. ऋषि जमदग्नि ने चंद्रवंशी राजा की पुत्री रेणुका से विवाह किया था. ऋषि जमदग्नि और रेणुका ने पुत्र की प्राप्ति के लिए एक महान यज्ञ किया।
इस यज्ञ से प्रसन्न होकर इंद्रदेव ने उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया और अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जी ने जन्म लिया। ऋषि ने अपने पुत्र का नाम राम रखा था, राम ने शस्त्र का ज्ञान भगवान शिव से प्राप्त किया और शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें अपना फरसा यानी परशु दिया था। इसके बाद से उन्हें परशुराम कहा जाने लगा और वे परशुराम के नाम से जाने गए।
परशुराम को चिरंजीवी कहा जाता है वह आज भी जीवित हैं। उनका वर्णन रामायण और महाभारत दोनों काल में होता है। श्री कृष्ण को उन्होंने सुदर्शन चक्र उपलब्ध करवाया था और महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया था।

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