धर्म समाज

शनि दोष से छुटकारा पाने के उपाय जानिए

 

शनिवार का दिन शनिदेव के पूजन और उनकी कृपा पाने के लिए खास होता है. कहते हैं कि शनि देवकी कुदृष्टि से बचने के लिए शनिवार  के दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. उन्हीं के नाम पर इस दिन का नाम शनिवार रखा गया है. बता दें कि शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है. कहते हैं कि हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव देते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार उनकी पत्नी ने शनिदेव को श्राप दे दिया था, कि वे जिसकी ओर भी अपनी नजर डालेंगे, उसका नाश हो जाएगा. इसलिए जब किसी व्यक्ति पर शनिदेव की वक्र दृष्टि पड़ती है, तो उसे दुष्प्रभाव सहना ही पड़ता है.कहते हैं कि जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती या ढैय्या आदि महादशा चल रही होती है, उन्हें शनि पूजन  करना चाहिए. शनिवार के दिन शनि मंदिर में या पीपल के पेड़ के नीच सरसों के तेल का दीया जलाएं. इसमें काले तिल डाल दें और मंदिर में बैठ कर शनि स्तुति का पाठ करें. ऐसा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है.

 शनिदेव की स्तुति 

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
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पूर्ण सूर्य ग्रहण आज

 

धार्मिक दृष्टि से ग्रहण लगना शुभ नहीं माना जाता है.आज  सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. इस दौरान सूर्य वृश्चिक राशि में गोचर होगा और नक्षत्र ज्येष्ठा होगा. वृश्चिक राशि मंगल ग्रह के आधिपत्य की राशि है, जबकि ज्येष्ठा नक्षत्र का स्वामी बुध देव को माना गया है. इस प्रकार जो लोग वृश्चिक राशि या ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे हैं, उन पर विशेष रूप से इस ग्रहण का प्रभाव होगा, लेकिन भारत में रहने वाले लोग इस ग्रहण से प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यहां देखे सूर्य ग्रहण का सही समय, कितने समय तक रहेगा सूर्य पर ग्रहण...

सूर्य ग्रहण का समय, कहां दिखेगा?
4 दिसंबर को लगने जा रहा साल 2021 का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिणी अटलांटिक के देशों से देखा जा सकेगा. आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 10:59 बजे शुरू होगा. अधिकतम ग्रहण दोपहर 01:03 बजे लगेगा. सूर्य ग्रहण दोपहर 3:07 बजे समाप्त होगा.

कितने समय तक रहेगा सूर्य पर ग्रहण?
भारतीय समय (IST) के अनुसार, आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो जाएगा, जो दोपहर 3 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा. इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 8 मिनट होगी.

इन चार राशियों को होगा फायदा
सूर्य ग्रहण अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन यह सदैव ही अशुभ हो, ऐसा आवश्यक नहीं है. कुछ राशियों के लिए सूर्य ग्रहण शुभ परिणाम लेकर आ रहा है. इस पूर्ण सूर्य ग्रहण से मिथुन राशि, कन्या राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं |
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सूर्य ग्रहण पर प्रेग्‍नेंट महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान

सूर्य ग्रहण को धर्म और ज्‍योतिष में तो अशुभ माना ही गया है लेकिन विज्ञान भी इस बात को स्‍वीकारता है कि ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारक तरंगे सेहत पर असर डालती हैं. खासतौर पर ग्रहण को नंगी आंखों से देखना आंखों को बहुत ज्‍यादा नुकसान पहुंचा सकता है. सूर्य ग्रहण का नकारात्‍मक असर प्रेग्‍नेंट महिलाओं पर भी बहुत ज्‍यादा पड़ता है. लिहाजा ग्रहण के दौरान प्रेग्‍नेंट महिलाओं को विशेष तौर पर सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा ऐसी मांएं जिन्‍होंने हाल ही में बच्‍चों को जन्‍म दिया है, उन्‍हें और उनके बच्‍चे को भी इस दौरान एहतियात बरतना चाहिए.


इन बातों का ध्‍यान रखें प्रेग्‍नेंट महिलाएं
  •  प्रेग्‍नेंट और हाल ही में मां बनी महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान गलती से भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. ना ही नवजात बच्‍चे को बाहर भेजना चाहिए. यदि मजबूरी में घर से बाहर निकलना पड़े तो वापस आकर गंगाजल मिलाकर स्‍नान कर लें. साथ ही दान जरूर करें.
  • सूर्य ग्रहण के दौरान नकारात्‍मकता हावी रहती है. इससे आम व्‍यक्ति भी थकान और उदासी महसूस करता है. प्रेग्‍नेंट महिलाओं पर तो इसका असर कहीं ज्‍यादा होता है इसलिए उन्‍हें थकावट वाले काम करने से बचना चाहिए.
  • ग्रहण के दौरान चाकू-कैंची जैसी नुकीली-धारदार वाली चीजों का इस्‍तेमाल बिल्‍कुल भी न करें.
  • ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने-पीने से मना किया जाता है. साथ ही भोजन-पानी में तुलसी के पत्‍ते डालने के लिए कहा जाता है. ताकि ग्रहण का नकारात्‍मक असर भोजन-पानी पर न पड़े. लेकिन ग्रहण का समय लंबा होने के कारण ज्‍यादा देर तक बिना खाए-पिए रहना प्रेग्‍नेंट महिलाओं की सेहत के लिए ठीक नहीं है. वे लोग इस दौरान तुलसी डली हुई चीजें खा सकती हैं.
  • प्रेगनेंट महिलाएं ग्रहण को नंगी आंखों से देखने की गलती बिल्‍कुल न करें. इससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है.

 

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साल का आखरी चंद्र ग्रहण आज

साल 2021 के आखिरी चंद्र ग्रहण का काउंटडाउन शुरू हो चुका है ये चंद्र ग्रहण अपने साथ एक बेहद खास संयोग लाया है आज के आंशिक चंद्र ग्रहण को 1000 सालों में लगने वाला सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण माना जा रहा है हालांकि, ये आंशिक चंद्र ग्रहण है जिसकी वजह से सूतक मान्य नहीं होगा और ये भारत के बहुत कम हिस्सों से ही दिखाई देगा।
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19 नवंबर को लगेगा चंद्र ग्रहण

इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण शुक्रवार 19 नवंबर को लगने वाला है। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण की सबसे खास बात ये है कि ऐसा 580 साल बाद होगा, जब इतना लंबा आंशिक चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा। इतना लंबा चंद्र ग्रहण 18 फरवरी 1440 को लगा था, उसके बाद से अभी तक इतना लंबा चंद्र ग्रहण नहीं लगा है। अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है। इसके अलावा यह उत्तर और दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में देखा जा सकता है।
शुक्रवार 19 नवंबर को लगने जा रहा है। यह भारतीय समय के अनुसार सुबह 11:34 बजे शुरू होगा और शाम 5:33 बजे समाप्त होगा। खंडग्रास ग्रहण की कुल अवधि 03 घंटे 26 मिनट की होगी। उपच्छाया चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 05 घंटे 59 मिनट होगी। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण वृष और कृतिका नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए यह चंद्र ग्रहण तुला, कुंभ और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ रहेगा। वहीं वृष, सिंह, वृश्चिक और मेष राशि के लोगों की दिक्कत बढ़ सकती है। भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण है इसलिए ग्रहण के दौरान सूतक नहीं लगेगा। ज्योतिषविदों की मानें तो भारत पर इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव नहीं रहेगा. क्योंकि यह आंशिक यानी उपछाया ग्रहण है, तो सूतक काल नहीं होगा।
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आज हैं तुलसी विवाह, जानें भगवान विष्णु से जुड़ी ये बातें ...

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी से विवाह करते हैं. इसलिए हर साल कार्तिक मास की द्वादशी को महिलाएं तुलसी और शालिग्राम का विवाह करवाती हैं. इस बार तुलसी-शालिग्राम विवाह सोमवार, 15 नवंबर को कराया जा रहा है. आइए अब आपको इसके पीछे का इतिहास और मान्यताओं के बारे में बताते हैं.


क्यों विष्णु ने किया था तुलसी से विवाह?

शंखचूड़ नामक दैत्य की पत्नी वृंदा अत्यंत सती थी. बिना उसके सतीत्व को भंग किए शंखचूड़ को परास्त कर पाना असंभव था. श्री हरि ने छल से रूप बदलकर वृंदा का सतीत्व भंग कर दिया और तब जाकर शिव ने शंखचूड़ का वध किया. वृंदा ने इस छल के लिए श्री हरि को शिला रूप में परिवर्तित हो जाने का शाप दिया. श्री हरि तबसे शिला रूप में भी रहते हैं और उन्हें शालिग्राम कहा जाता है.वृंदा ने अगले जन्म में तुलसी के रूप में जन्म लिया था. श्री हरि ने वृंदा को आशीर्वाद दिया था कि बिना तुलसी दल के कभी उनकी पूजा सम्पूर्ण ही नहीं होगी. जिस प्रकार भगवान शिव के विग्रह के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है. उसी प्रकार भगवान विष्णु के विग्रह के रूप में शालिग्राम की पूजा की जाती है. शालिग्राम एक गोल काले रंग का पत्थर है जो नेपाल के गण्डकी नदी के तल में पाया जाता है. इसमें एक छिद्र होता है और पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं.
 
शालिग्राम की पूजा का महत्व क्या है?

कार्तिक मास में भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करने से भाग्योदय होता है. इस महीने शालिग्राम का पूजन भाग्य और जीवन दोनों बदल सकता है. शालिग्राम का विधि पूर्वक पूजन करने से किसी भी प्रकार की व्याधि और ग्रह बाधा परेशान नहीं करती हैं. शालिग्राम जिस भी घर में तुलसीदल, शंख और शिवलिंग के साथ रहता रहता है, वहां हमेशा सम्पन्नता बनी रहती है |

 

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सीएम बघेल ने नगरीय निकायों में विकास कार्यों के लिए स्वीकृत किए 112 करोड़ रुपए

झूठा सच @ रायपुर :- छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में मूलभूत सुविधाएं बढाने और विकास कार्य में गति लाने हेतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय निकायों में विकास कार्यों के लिए 112 करोड़ रुपए स्वीकृत किये हैं।जनसामान्य से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने भिलाई-चरोदा, रिसाली, बीरगांव सहित अन्य नगरीय निकायों के लिए कुल 112 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इससे बिजली, पानी, सड़क, सामुदायिक भवन, उद्यान सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के साथ नगर को स्वच्छ व सुंदर बनाने की दिशा में कार्य किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग नगरीय निकायों का कायाकल्प करने में जुटा है। स्वच्छ शहर, सुंदर और स्मार्ट शहर बनाने के साथ गली मोहल्लों में स्ट्रीट लाइट के माध्यम से अंधेरा दूर कर हर जगह नई रोशनी बिखेरी जा रही है। आम नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप सड़कों को चौड़ा ही नहीं अपितु पार्किंग के साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है। व्यवस्थित बाजार, मल्टीस्टोरी व्यवस्थित पार्किंग, पानी निकासी, ड्रेनेज निर्माण, अपशिष्ठ का प्रबंधन, स्वच्छ पेयजल व्यवस्था, बच्चों-बुजुर्गों, महिलाओं के लिए सुविधाओं का विकास के साथ आकर्षक उद्यान से लेकर नागरिकों के लिए मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। नगरीय निकाय क्षेत्रों में लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबों के उन्नयन, स्वच्छता से संबंधित कार्य, शहरी गरीबों के लिए आवास, घर-घर पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में पहले से बेहतर कदम उठाया जा रहा है।

इसी कड़ी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नगरीय निकाय क्षेत्रों के विकास के लिए 112 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। स्वीकृत राशि में नगर पालिक निगम बीरगांव नगर पालिक निगम भिलाई, नगर पालिक निगम रिसाली के लिए 10.10 करोड़ रुपए, नगर पालिक निगम भिलाई-चरोदा हेतु 39 करोड़ रुपए और नगर पालिका परिषद जामुल, खैरागढ़, सारंगढ़, बैकुण्ठपुर एवम शिवपुर चरचा क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ प्रति निकाय के मान से कुल 25 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी तरह नगर पंचायत मारो, कोटा, भैरमगढ, भोपालपटनम, नरहरपुर एवं प्रेमनगर को 3 करोड़ प्रति निकाय के मान से 18 करोड़ रुपए स्वीकृत किया गया है।

 

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आज छठ पर्व पर करें छठी मैय्या की ये आरती

छठ पर्व पर भगवान सूर्य के साथ उनकी बहन छठी मैय्या का पूजन किया जाता है। मार्कण्डेय पुराण में छठी मैय्या को प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी और ब्रह्मा की मानस पुत्री बताया गया है। पुराण में कहा गया है कि प्रकृति ने अपनी सारी शक्ति को छः भाग में विभाजित किया है। उनका छठा और सबसे मूल भाग छठी मैय्या हैं। इनके पास प्रकृति की उर्वरा शक्ति निहित है। छठी मैय्या के पूजन से संतान की प्राप्ति होती है और संतानों के जीवन में सुख –सौभाग्य आता है। शिशु के जन्म के छठे दिन,छठी मैय्या का पूजन होता है। छठ के पूजन में छठी मैय्या की आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से छठी मैय्या प्रसन्न होती हैं और संतान सुख का वरदान प्रदान करती हैं.....

छठी मैय्या की आरती
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहायऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
 
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पहला अर्घ्य आज, जानें अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मूहुर्त

 

लोक आस्था के कई रंगों से सजा छठ पर्व की छठा हर ओर बिखरी हुई है. नहाय-खाय और खरना के बाद अब तीसरे दिन शाम के अर्घ्य की तैयारी है. अस्ताचल गामी सूर्य जब पश्चिम दिशा में अपने लोक की ओर जा रहे होंगे तो व्रती महिलाएं और पुरुष उन्हें अर्घ्य देंगे.

आज दिया जाएगा सूर्य को अर्घ्य
आज बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. गुरुवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महापर्व छठ संपन्न होगा. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय शाम में 4:30 से 5:30 बजे के बीच और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 6:41 बजे से है. शाम में अर्घ्य गंगा जल से दिया जाता है. जबकि उदयगामी सूर्य को अर्घ्य कच्चे दूध से देना चाहिए.

डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्ध्य
श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं. इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ  पहला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और उन्‍हें अर्घ्य दिया जाता है. बिहार झारखंड और यूपी के कुछ हिस्‍सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्‍था से मनाये जाने की परंपरा है.

ये है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.

सूर्यास्त का समय
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 30 मिनट पर है और छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर है | 
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आज हैं भाई दूज , जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्योहार को भाई टीका, यम द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे। इस बार भाई दूज 6 नवंबर को मनाई जाएगी।

भाई दूज पर क्या करते हैं?
  • भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।
  • फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।
  • चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है।
  • फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।
  • तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है।
  • फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं।
भाई दूज पूजा में शामिल करें ये

भाई दूज के दिन पूजा सामग्री में कुछ चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए. इसमें आरती की थाली, टीका, चावल, नारियल, सूखा नारियल, मिठाई, कलावा, दीया, धूप और रुमाल जरूर रखें. भाई दूज पर बहनें सबसे पहले भाइयों को तिलक लगाती हैं. ऐसे में तिलक लगाने के लिए कुमकुम(रोला) का होना बहुत जरूरी है. रोली के स्थान पर हल्दी पाउडर का तिलक भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा भाईदूज के दिन पूजा थाली में रोली जरूर रखें.

भाई दूज पूजा मुहूर्त:

भाई दूज अपराह्न समय- 01:10 PM से 03:21 PM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 05 नवम्बर 2021 को 11:14 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – 06 नवम्बर 2021 को 07:44 पी एम बजे

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा: मान्यताओं अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने के बाद उनके घर गए थे। यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे आपका भय नहीं रहेगा। यमराज ने यमुना को आशीष प्रदान किया। कहते हैं इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।
 
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आज है दिवाली ,जानिए महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त

हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान हैं। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव हैं और माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन सुखमय हो जाता है। हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त में पूजा करने का बहुत अधिक महत्व होता है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं दिवाली के दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और सामग्री .. 

पूजा का शुभ मुहूर्त-
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 06:09 पी एम से 08:04 पी एम
अवधि - 01 घण्टा 56 मिनट
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) - 06:35 ए एम से 07:58 ए एम
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 10:42 ए एम से 02:49 पी एम
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 04:11 पी एम से 05:34 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) - 05:34 पी एम से 08:49 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 12:05 ए एम से 01:43 ए एम, नवम्बर 05

पूजा- विधि
घर के पूजा स्थल को अच्छे से स्वच्छ करें।
एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और वस्त्र पर अक्षत अर्थात साबुत चावलों की एक परत बिछा दें। इस पर श्री लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें। यदि घर में श्रीलक्ष्मी गणेश का चांदी का सिक्का और श्रीयंत्र भी हो तो उन्हें भी इसी आसान पर स्थापित करें। पूजन के लिए फूल, मिठाई, खील, बताशे आदि रखें। लक्ष्मी गणेश के पूजन के लिए घी का एक दीपक बनाएं अन्य दीयों में सरसों के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। सर्वप्रथम घी का दीया प्रज्वलित करें।

विधि- विधान से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का अधिक से अधिक ध्यान करें।
भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आरती जरूर करें।
आरती के बाद घर के सभी सदस्यों को प्रसाद दें।

सामग्री की लिस्ट- मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद।
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छोटी दिवाली आज

छोटी दिवाली पांच दिवसीय दीपोत्सव के दूसरे दिन मनाई जाती है. इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. छोटी दिवाली के दिन यम की पूजा करने का बड़ा महत्व माना जाता है. आज यमदेव के नाम का दीपक जलाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध कर संसार को उसके भय से मुक्त किया था. छोटी दिवाली पर लोग एक-दूसरे को बधाई संदेश भेजते हैं।
दिवाली से पहले आज छोटी दिवाली मनाई जाएगी. छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन घरों में यमराज की पूजा की जाती है. छोटी दिवाली को सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है. इस दिन आप अपने दोस्तों और प्रियजनों को शुभकामना संदेश भेज उन्हें छोटी दिवाली के पर्व की बधाई दे सकते हैं।
 

 

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धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त

आज धनतेरस पर के दिन सोना-चांदी के आभूषण खरीदने के लिए शाम 6 बजकर 20 मिनट से लेकर 8 बजकर 11 मिनट तक का समय शुभ रहेगा. इसके अलावा अगर सुबह के मुहूर्त पर विचार किया जाए तो सुबह 11 बजकर 30 मिनट से खरीदारी कर सकते हैं लेकिन 02 नवंबर को राहुकाल के समय धनतेरस पर शुभ खरीदारी से बचें. वहीं घर के लिए बर्तन और दूसरी चीजें खरीदने का समय शाम 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक का है।

 

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भौतिक समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक धनतेरस

धनतेरस एक ऐसा और इकलौता महापर्व है, जिसमें भौतिक समृद्धि के साथ स्वास्थ्य को भी महत्व दिया गया। लक्ष्मी और कुबेर के साथ इस दिन म का पूजन हमें जीने का सलीका सिखाता हैं। सनद रहे कि धन और वैभव का भोग बिना बेहतर सेहत के संभव नहीं है, लिहाजा ऐश्वर्य के भोग के लिए कालांतर में धन्वंतरि की जो अवधारणा प्रकट हुई, वह नितांत वैज्ञानिक प्रतीत होती है।
इस दिन चांदी खरीदने की परंपरा है। चांदी यानी चंद्रमा, जो धन व मन दोनों का स्वामी है। चंद्रमा शीतलता का प्रतीक भी है और संतुष्टि का भी। दरअसल, संतुष्टि का अनुभव ही सबसे बड़ा धन है। जो संतुष्ट है, वही धनी भी है और सुखी भी। धन का भोग करने के लिए लक्ष्मी की कृपा के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की भी दरकार है। यही अवधारणा धन्वंतरि के वजूद की बुनियाद है।

 

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धनतेरस पर जरूर खरीदें ये चीजें

धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. इस साल धनतेरस 2 नवंबर 2021 दिन मंगलवार की है. धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस पर कुछ न कुछ खरीदने की परंपरा है. कुछ लोग तो सोने या चांदी की चीज़ें खरीदते हैं. वहीं जो लोग ये नहीं खरीद सकते हैं, वो स्टील, पीतल या तांबे आदि के बर्तन भी खरीद सकते हैं. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि धनतेरस के दिन इन तीन चीजों में से कोई एक चीज जरूर खरीदकर लाएं. इससे मां लक्ष्मी की तो आप पर कृपा रहेगी ही, साथ ही कभी भी

इन चीजों की करें खरीदें

1. सोना चांदी नहीं तो खरीद लें छोटी चम्मच: इस दिन सोने या चांदी की चीज खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन यदि नहीं खरीद सकते हैं, तो इस दिन स्टील का एक छोटा चम्मच जरूर खरीदें. पर याद रखें इस चम्मच को अपनी तिजोरी में रख दें. इससे आपको मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी और आपके धन में वृद्धि होगी।

2. धनिया का बीज:  बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि धनतेरस के शुभ दिन पर धनिया के बीज खरीदने की परंपरा भी है. इसे धन का प्रतीक माना जाता है. लक्ष्मी पूजा के समय इन बीजों को उन्हें अर्पित करें और पूजा करने के बाद इनमें से कुछ बीजों को मिट्टी के बर्तन में या अपने घर के पीछे वाले हिस्से में बो दें और बाकी को अपनी तिजोरी में रख दें.

3. सोलह श्रृंगार का सामान : इस दिन विवाहित महिला को 'सोलह श्रृंगार' का एक सेट या सिंदूर के साथ एक लाल साड़ी उपहार में देना शुभ माना जाता है. इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. अगर कोई विवाहित महिला नहीं है, तो किसी अविवाहित लड़की को ये चीजें उपहार में दे सकते हैं और उसका आशीर्वाद ले सकते हैं. 

ये चीजें भूलकर भी न खरीदें 
यदि आप इस दिन कुछ नया नहीं खरीद पा रहे हैं तो कोई बात नहीं है, लेकिन धनतेरस पर एल्युमिनियम या कांच से बनी कोई भी चीज खरीदने की गलती न करें. यह शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि ये राहु से संबंधित हैं. माना जाता है कि इन चीजों को घर लाने से मां लक्ष्मी आपसे रूठ जाएंगी और आपके घर पर वास नहीं करेंगी | 
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आज है करवा चौथ का व्रत, जानें- पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

झूठा सच @ रायपुर :- करवा चौथ (करक चतुर्थी) रविवार 24 अक्टूबर को है। इस बार आठ सालों के बाद विशेष संयोग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र और मंगल योग एक साथ आ रहा है। चन्द्रमा के साथ प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ रहना अद्भूत योग का निर्माण कर रहा है। साथ ही रविवार का दिन काफी शुभ संयोग माना जा रहा है।ज्योतिष के जानकार पं. मोहन कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी चंद्रउदय व्यापिनी को किया जाता है। दिनभर उपवास के बाद सुहागन महिलाएं शिव एवं चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान कर पति की दुर्घायु की कामना करेंगी। इस बार चंद्रमा के साथ रोहिणी नक्षत्र का साथ और मार्कण्डेय यग व सत्यभावा योग का निर्माण काफी शुभफलदायक है। ऐसा संयोग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभावा के समय भी बना था। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर रात में चलनी से चांद को देखती हैं और अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। परंपरा है कि इस मौके पर सुहागन पति के हाथ से ही पानी ग्रहण करती हैं।


शुभ मुहूर्त - करवा चौथ की प्रात:काल सूर्य की उपासना एवं संध्या चन्द्रमा की उपासना करने का विधान है। रविवार को चन्द्रमा का उदय रात्रि 8 बजकर 5 मिनट पर होगा। सुहागन महिलाएं शिव परिवार की पूजा के साथ चन्द्रमा को अर्घ्य देंगी। इस बार 8.58 तक सर्वार्थ सिद्धि योग और रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक याचीज योग बन रहा है।

इन बातों का जरूर रखें ध्यान - सुहागगिनों को इस दिन कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए। सुहाग सामग्री चूड़ी, लहठी, बिंदी, सिंदूर आदि कचरा के डब्बे में नहीं फेंकाना चाहिए।इतना ही नहीं अगर चूड़ी पहनते समय टूट भी जाए तो उसे संभालकर पूजा स्थान पर रख दें। सबसे खास यह कि अपने मन में पति के अलावा किसी भी अन्य पुरुष का किसी भी तरह का कोई विचार न लाएं। साथ ही इस दिन किसी भी सुहागन को बुरा-भला कहने य् की गलती बिल्कुल भी न करनी चाहिए।44 दिनों तक ये राशि वाले रहें सावधान, धन- हानि होने की संभावना

पूजन-विधि - करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपडे़ पहन कर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की भी पूजा का विधान हैं। क्योकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या कर शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। इस लिये शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
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शरद पूर्णिमा पर क्यों खायी जाती है खीर?

झूठा सच @ रायपुर:- शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खीर को चांदनी रात में रखकर खाने से बहुत लाभ होता है। खीर के लिए विशेष तरह के बर्तन का इस्तेमाल करने की भी मान्यता है। विद्वानों के अनुसार खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के पात्र में ही रखें। वहीं अगर उत्तम फल पाना है तो फिर इसे चांदी के बर्तन में बनाएं या फिर बनाकर उसमें खीर डालकर चांद की रोशनी में रखें।
क्या हैं खीर के आयुर्वेदिक फायदे
शरद पूर्णिमा का चांद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसका चांदनी (रोशनी) से पित्त, प्यास, और दाह दूर हो जाते है। दशहरे से शरद पूर्णिमा तक रोजाना रात में 15 सो 20 मिनट तक चांदनी का सेवन करना चाहिए। यह काफी लाभदायक है। साथ ही चांदनी रात में त्राटक करने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ेगी। ऐसा कहा जाता है कि वैद्य लोग अपनी जड़ी-बूटी और औषधियां इसी दिन चांद की रोशनी में बनाते-पीसते हैं जिससे यह रोगियों को दोगुना फायदा दें।
 
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मां सिद्धिदात्री की आराधना से आज होगा नवरात्रि का समापन

9. सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव-निधियों की प्राप्ति होती है।

 

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