धर्म समाज

गणेश कवच का पाठ किया जाए तो यश, बल में वृद्धि होगी प्राप्ति

आज बुधवार का दिन है और ये दिन श्री गणेश को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुधवार के दिन ही गौरी पुत्र गणेश का जन्म हुआ था ऐसे में ये​ दिन श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना जाता है।
भक्त आज के दिन प्रभु की विधि पूर्वक पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं लेकिन इसके साथ ही अगर बुधवार के दिन प्रभु की महिमा करने वाले हरिद्रा गणेश कवचम् का पाठ किया जाए तो यश और बल में वृद्धि होती है साथ ही साथ सभी परेशानियों से भी निजात मिल जाती हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए है। हरिद्रा गणेश कवचम् का संपूर्ण पाठ।
॥ अथ हरिद्रा गणेश कवच ॥
ईश्वरउवाच:
शृणु वक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिकरं प्रिये ।
पठित्वा पाठयित्वा च मुच्यते सर्व संकटात् ॥१॥
अज्ञात्वा कवचं देवि गणेशस्य मनुं जपेत् ।
सिद्धिर्नजायते तस्य कल्पकोटिशतैरपि ॥ २॥
ॐ आमोदश्च शिरः पातु प्रमोदश्च शिखोपरि ।
सम्मोदो भ्रूयुगे पातु भ्रूमध्ये च गणाधिपः ॥ ३॥
गणाक्रीडो नेत्रयुगं नासायां गणनायकः ।
गणक्रीडान्वितः पातु वदने सर्वसिद्धये ॥ ४॥
जिह्वायां सुमुखः पातु ग्रीवायां दुर्मुखः सदा ।
विघ्नेशो हृदये पातु विघ्ननाथश्च वक्षसि ॥ ५॥
गणानां नायकः पातु बाहुयुग्मं सदा मम ।
विघ्नकर्ता च ह्युदरे विघ्नहर्ता च लिङ्गके ॥ ६॥
गजवक्त्रः कटीदेशे एकदन्तो नितम्बके ।
लम्बोदरः सदा पातु गुह्यदेशे ममारुणः ॥ ७॥
व्यालयज्ञोपवीती मां पातु पादयुगे सदा ।
जापकः सर्वदा पातु जानुजङ्घे गणाधिपः ॥ ८॥
हारिद्रः सर्वदा पातु सर्वाङ्गे गणनायकः ।
य इदं प्रपठेन्नित्यं गणेशस्य महेश्वरि ॥ ९॥
कवचं सर्वसिद्धाख्यं सर्वविघ्नविनाशनम् ।
सर्वसिद्धिकरं साक्षात्सर्वपापविमोचनम् ॥ १०॥
सर्वसम्पत्प्रदं साक्षात्सर्वदुःखविमोक्षणम् ।
सर्वापत्तिप्रशमनं सर्वशत्रुक्षयङ्करम् ॥ ११॥
ग्रहपीडा ज्वरा रोगा ये चान्ये गुह्यकादयः ।
पठनाद्धारणादेव नाशमायन्ति तत्क्षणात् ॥ १२॥
धनधान्यकरं देवि कवचं सुरपूजितम् ।
समं नास्ति महेशानि त्रैलोक्ये कवचस्य च ॥ १३॥
हारिद्रस्य महादेवि विघ्नराजस्य भूतले ।
किमन्यैरसदालापैर्यत्रायुर्व्ययतामियात् ॥ १४॥
॥ इति विश्वसारतन्त्रे हरिद्रागणेशकवचं सम्पूर्णम् ॥
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वैशाख मास का अंतिम प्रदोष व्रत आज, इस विधि से करें पूजा-पाठ

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन इस मास का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। बुधवार के दिन यह प्रदोष व्रत पड़ने के कारण, इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष उपासना करने से साधकों को लाभ मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 02 मई 2023 को रात्रि 11:17 से शुरू होगी और इसका समापन 3 मई को रात्रि 11:49 पर होगा। पूजा का समय शाम 6:57 से रात्रि 9:06 तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण भी हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:29 से रात्रि 8:56 पर होगा और रवि योग रात्रि 8:56 से शुरू होगा और अगली सुबह 5:38 पर इसका समापन होगा। इस शुभ योग में पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
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रायपुर में विद्वान पं. अंश शास्त्री ने दी धर्म और नैतिकता की शिक्षा

रायपुर। श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़े मंदिर में आज के श्रमण संस्कार शिक्षण शिविर में सांगानेर से आए विद्वान पं. अंश शास्त्री और पं. आदिश शास्त्री ने बच्चों-बड़ों सभी को धर्म और नैतिकता की शिक्षा दी। उन्होंने बताया कि इस आधुनिकता के युग में बढ़ती हुई बीमारियों की सबसे बड़ी वजह है बच्चों का घर से अधिक बाहर का फास्ट फूड पसंद कर सेवन करना। बच्चे को घर से ज्यादा आज बाजार के खाने की आदत डाल दी गई है। आज हर एक बच्चा चाहे वह छोटा हो या बड़ा सभी बाहर के खाने की ओर आकर्षित होते हैं और अपनी जिह्वा की लुलुपता के कारण ही बढ़ते हुए रोगों का शिकार हो रहे हैं, क्योंकि रोगों की मुख्य जड़ भोजन है। जैसा भोजन होगा, वैसा ही व्यक्ति का मन होगा। एक कहावत भी है कि “जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन“। हम आज जो बच्चों को खिला रहे हैं वह उसकी बॉडी के अनुसार, उसकी पाचन शक्ति के अनुसार है भी या नहीं यह एक विचारणीय बिंदु है। अब छोटे-छोटे से बच्चों को मैगी, नूडल्स, पिज़्ज़ा, बर्गर आदि खिलाते हैं क्या यह खाने योग्य पदार्थ है। हम कितना ही देखते हैं कि किस प्रकार एक ब्रेड को बनाया जाता है। व्यक्ति को स्वयं से सोचना चाहिए जब हम घर में भोजन बनाते तो इतनी सावधानियाँ बरतने के बाद भी कुछ ना कुछ उस खाने में कभी-कभी गिर ही जाता। फिर उस फैक्ट्री का विचार करे जहाँ क्विंटलों में पूरे देश भर में वह पदार्थ बन कर का बाजार में बिकता है। क्या उसमें इतनी शुद्धता होगी? कभी नहीं हो सकती।
पं. अंश और पं. आदिश ने कहा कि, यदि आप एक-एक अभिभावक है तो आप अपने बच्चे को बाजार के मिल रहे फास्ट फूड वगेहरा नहीं खिलाएँगे। आपको चाहिए की आप उस चीज को स्वयं घर में बनाए। आज हर एक चीज खाने संबंधित घर में बड़ी आसानी से बनाए जा सकती है। आज शिविर में आए अभिभावक और बच्चों सभी ने पंडित जी की बातें ध्यान सें सुनी। सभी उपस्थित महिलाओं ने अपने बच्चों को शुरुआत में सप्ताह में एक दिन फास्ट फूड के त्याग का नियम भी लिया। साथ ही भविष्य में बाहरी फास्ट फूड ना खाने के लिए पूरा प्रयास सभी की ओर से किया जाएगा।
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बुद्ध पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण पर भद्रा का साया, जानें समय व उपाय

हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है और इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023 को लगने वाला है। इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है। हिंदू पंचांग के मुताबिक चंद्र ग्रहण और बुद्ध पूर्णिमा पर इस बार भद्रा का साया होगा। यहां जानें क्या होती है भद्रा और क्या होगा इसका समय-
हिंदू पंचांग के मुताबिक भद्रा का समय अशुभ माना जाता है। भद्रा का वास पाताल लोक में होता है। भद्रा के पाताल में होने पर पृथ्वी पर इसका शुभ प्रभाव नहीं होता है। 5 मई को चंद्र ग्रहण और बुद्ध पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया लग रहा है और ये समय 05.01 मिनट पर शुरू होगा, जो रात को 11.27 मिनट तक रहेगा।
भद्रा के दुष्परिणाम से बचने को करें ये उपाय
चंद्र ग्रहण के दिन भद्रा का साया लग रहा है। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो चंद्रमा को प्रबल करने से लिए मुंह में तुलसी की पत्तियां रखें और बीज मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से चंद्र ग्रहण का दुष्प्रभाव कम होता है।
भद्रा के साये के दौरान मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए गोमती चक्र की स्थापना करना शुभ होता है। ऐसा करने से भी चंद्र ग्रहण के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद तत्काल स्नान करना चाहिए। गंगाजल से स्नान करना ज्यादा शुभ होता है।
ग्रहण काल खत्म होने के बाद कौवे को मीठे चावल खिलाने से भी ग्रहण का प्रभाव कम होता है और साथ ही राहु-केतु और शनि ग्रह के दोष दूर होते हैं।

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बिहार के इन मंदिरों में करें माता रानी के दर्शन, मनोकामनाएं होंगी पूरी

बिहार में कुछ मशहूर और चमत्कारी मंदिरें हैं जहां माता रानी के दर्शन और पूजन करने से श्रद्धालुओं को निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त होता है, आइए जानते हैं कि वो कौन से देवी स्थल है।
बिहार की राजधानी पटना में स्थिति बड़ी पटन देवी का मंदिर बेहद चमत्कारी माना जाता है। यह मंदिर उपासना का प्रमुख केंद्र भी माना जाता है। आपको बता दें कि यहां पर माता सती की दाहिनी जांघ गिरी थी। इस मंदिर में दर्शन व पूजन करने से भक्तों को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है
आपको बता दें कि पटना की नगर रक्षिका भगवती पटनेश्वरी हैं जिन्हें छोटी पटनदेवी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस स्थल पर देवी सती के पट और वस्त्र गिरे थे। यहां पर नवरात्रि के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
इसके अलावा बिहार के गया में स्थित भस्म कुरूट पर्वत पर माता मंगला गौरी का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर है। कहा जाता है कि यहां देवी सती के स्तन गिरे थे। यहां देवी के दर्शन के लिए भक्तों को 115 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। मान्यता है कि यहा दर्शन पूजन करने से श्रद्धालुओं को निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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प्रदोष व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप

सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन हर माह पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना जाता है। जो कि शिव शंकर की आराधना व पूजा को समर्पित होता है। अभी वैशाख का महीना चल रहा है और इस महीने पड़ने वाला प्रदोष व्रत बेहद ही खास है जो कि कल यानी 3 मई दिन बुधवार को रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है। प्रदोष व्रत को शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा और उपासना करने से साधक के सभी दुखों का नाश हो जाता है साथ ही साथ जीवन में सुख शांति बनी रहती है। इसके अलावा अगर प्रदोष व्रत के दिन शिव के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो जीवन के दुखों का अंत हो जाता हैं तो आज हम आपको शिव के शक्तिशाली मंत्रों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है
शिव के चमत्कारी मंत्र-
प्रदोष व्रत का दिन शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसे में इस दिन पूजा पाठ के साथ साथ शिव के 'ॐ नमः शिवाय' का जाप कम से कम 108 बार करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक का मन और मस्तिष्क हमेशा ही शांत रहता है और शिव कृपा भक्तों पर बनी रहती है साथ ही जातक को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।
वही इसके साथ प्रदोष काल में शिव का अभिषेक करते वक्त महामृत्युंजय मंत्र 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।' का निरंतर जाप करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
 
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मंगलवार पूजा में गाएं हनुमान जी की आरती, हर मनोकामना होगी पूरी

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार किसी सभी देवी देवता की पूजा आराधना व व्रत बिना उनकी आरती किए पूर्ण नहीं माना जाता है और ना ही व्रत पूजन का कोई फल साधक को प्राप्त होता है। मंगलवार का दिन हनुमान पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
ऐसे में अगर आप आज के दिन प्रभु की विधिवत पूजा कर रहे हैं या फिर दिनभर उपवास रख रहे हैं तो बजरंगबली की प्रिय आरती का पाठ जरूर करें मान्यता है कि श्री हनुमान जी की आरती पूजा में पढ़ने से प्रभु जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सभी परेशानियों व दुखों को दूर कर देते हैं साथ ही साथ साधकों की इच्छाएं भी पूरी हो जाती है। तो आज हम आपके लिए लेकर आए है हनुमान आरती।
॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
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आज मोहिनी एकादशी के दिन करें ये उपाय, होगा धन का लाभ

धार्मिक पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है जो कि इस बार 1 मई दिन सोमवार यानी की आज किया जा रहा है। एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक है और एकादशी का व्रत श्री हरि की पूजा के लिए समर्पित होता है
इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ अगर कुछ उपायों को भी किया जाए तो साधक को अधिक लाभ मिलता है। तो आज हम आपको एकादशी पर किए जाने वाले आसान उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते है।
एकादशी के आसान उपाय-
आपको बता दें कि मोहिनी एकादशी के दिन सुबह शाम भगवान विष्णु के संग तुलसी जी की पूजा करें और शाम के वक्त तुलसी कोट में घी के पांच दीपक जलाएं। साथ ही साथ तुलसी जी की 11,21 परिक्रमा करें। इस दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करें
मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है साथ ही गृहक्लेश भी दूर हो जाता है। इसके अलावा अगर आप धन की कमी से जूझ रहे हैं तो आज के दिन पीपल के वृक्ष में शक्कर मिश्रित जल अर्पित करें साथ ही शाम को पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते है जिससे धन की कमी दूर होती है।
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कथा फीस को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिया बयान

भिलाई। मध्यप्रदेश में स्थित कुबरेश्वर धाम के कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की ख्याती देश दुनिया में तेजी से फैल रही है। इन दिनों पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा भिलाई के प्रगति मैदान में जारी है। यहां रोजाना लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। आलम ऐसा है कि बरसते पानी में भी लोग शिव महापुराण की ​कथा सुनने पहुंच रहे हैं। जी हां कल यानि रविवार को भारी बरसात के बीच लाखों भक्त कथा सुनने पहुंचे थे। वहीं, पंडित प्रदीप मिश्रा ने भिलाई में मीडिया के सामने अपने सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल का जवाब दिया है। जी हां सही सोच रहे हैं एक प्रवचन की कितनी फीस लेते हैं कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा? तो आइए जानते हैं क्या कहते हैं पंडित प्रदीप मिश्रा?
मीडिया और सोशल मीडिया पर हमेशा से ऐसा दावा किया जाता रहा है कि प्रदीप मिश्रा एक कथा करने के लिए 7 से 8 लाख रुपए लेते हैं, लेकिन भिलाई में मीडिया के सामने उन्होंने इन दावों को खारिज कर दिया है। प्रदीप मिश्रा ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पहले तो आपको बता दूं कि यहां जजमान विनोद जी मौजूद हैं, उनसे ही पूछ लीजिए कि उन्होंने कितनी फीस दी है। उन्होंने कहा कि आप रायपुर, दुर्ग, भिलाई और नागपुर के आयोजकों से पूछ सकते हैं कि कितनी ​फीस लेते हैं।
वहीं, मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भिलाई में शिव महापुराण की ​कथा का आयोजन करने वाले विनोद सिंह ने बताया कि कथा के लिए गुरुजी को किसी प्रकार की कोई भी ​फीस का भुगतान नहीं किया गया है। हां जो भी खर्च आता है व्यवस्था में आता है।
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शिव पूजा में पढ़े ये आरती...होंगे प्रसन्न

सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है। वही सोमवार का दिन शिव आराधना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। भक्त इस दिन प्रभु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं
मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत में अगर भगवान शिव प्रिय आरती का पाठ किया जाए तो भोलेनाथ की कृपा बरसती है साथ ही साथ व्रत पूजन का पूर्ण फल भी साधक को मिलता है। तो आज हम आपके लिए लेकर आए है शिव शंकर की प्रिय आरती।
भगवान शिव की आरती-

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
शिव पूजा में ये आरती पढ़े शिव जी होंगे प्रसन्न

पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा...॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
 

 

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हर सोमवार करे ये चमत्कारी पाठ सभी दुखों से छुटकारा दिलाए

हर कोई अपने जीवन में खुशहाली चाहता है इसके लिए लोग प्रयास भी करते हैं लेकिन फिर भी अगर जीवन में समस्याएं बनी रहती है या फिर कोई न कोई दुखा लगा रहता है जिसके कारण व्यक्ति नकारात्मकताओं से घिर जाता है
जिसके कारण इसे सुख की प्राप्ति नहीं होती है तो ऐसे में आप सोमवार के दिन शिव पूजा के बाद शिव तांडव स्तोत्र का विधिवत पाठ जरूर करें मान्यता है कि ये चमत्कारी पाठ सभी प्रकार के दुखों से छुटकारा दिलाता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव तांडव स्तोत्र।
शिव तांडव स्तोत्र-
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् |
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वय
चकार चण्ड्ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावक
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे |
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे( क्वचिच्चिदंबरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ||

लताभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वध मुखे |
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः |
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ||

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
-निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् |
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ||

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके |
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ||

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः |
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ||

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-

वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् |
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकछिदं तमंतकच्छिदं भजे ||

अखर्व( अगर्व) सर्वमङ्गलाकलाकदंबमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृंभणामधुव्रतम् |
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ||

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-

द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ||

स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-

गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदा सदाशिवं भजे ||

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् |
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ||

इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ||

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः ||

सम्पूर्ण शिव- ताण्डव- स्तोत्रम्
 
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आदि गंगा नाडी पुष्कर इस विशेषता के बारे में जानते हैं...

गंगा : हम मुस्कुराएंगे तो गंगा छलक पड़ेगी। आनंद बशपालु! हम रोएंगे तो गंगा तराजू को छू लेगी। त्रासदी वाष्प! गंगाजल से ही हमारी जीभ सबसे पहले चाटती है। हमारी सांस तभी रुकती है जब गंगा तीर्थ भर जाता है। अस्थियां जब गंगा में मिलती हैं तो यात्रा शुरू होती है। पुष्करालू गंगाम्मा माँ द्वारा हर बारह साल में मनाया जाने वाला एक बड़ा त्योहार है।गंगा पुष्करालू 22 अप्रैल को शुरू हुआ और 3 मई को समाप्त होता है। कहते हैं चलो उस मुलोक चैनल में गोता लगाएँ।
उत्तर के लोग गंगाजी का सम्मान करते हैं। तेलुगू लोग नोरारा को गंगम्मा कहते हैं.. यह एक बड़े को बधाई देने और एक पोते को घर बुलाने जैसा है। हमारी मिट्टी पर भले न बहे, पर हमारे हृदय में गंगा बहती रहती है। पानी की बूंद और आंसू की बूंद में हम गंगा को पालते हैं। गोदावरी, तुंगभद्रा, कृष्णा... हम धाराओं में गंगा की लहरों की कल्पना करते हैं। गंगा स्नान तुंगपनम.. बस तुंगभद्रा का पानी पिएं। हम तो यही कहेंगे कि हम जितने गंगा में डूबे हुए हैं उतने ही पुण्यशाली हैं। बुजुर्गों का सम्मान 'गंगा भागीरथी समानालु' के रूप में किया जाता है। "गंगेचा यमुनेचैव गोदावरी सरस्वती.." गंगा से शुरू होकर सात नदियों का उल्लेख करते हुए, पहला कटोरा डालने का मतलब यह नहीं है कि स्नान पूरा हो गया है। पुरुदुनाडु पर गंगाजल से शिशु के गले को गरारा करने की परंपरा है। बच्चे को पालने में रखकर गंगा पूजा की जाती है। जो मर रहे हैं उनके लिए गंगा मोक्ष का मार्ग है। बुजुर्गों का कहना है कि गंगा में अंतिम संस्कार किया जाए तो राजा अनंत लोकों में समृद्ध होगा। इसलिए, गंगा भारतीयों के दिलों में गहरी महसूस हुई।
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`अद्भुत योग` में 12 साल बाद लगेगा चंद्र ग्रहण

इन राशि वालों की खुलेगी किस्मत
वैज्ञानिक भले ही चंद्र ग्रहण को एक खगोलीय घटना मानते गैं लेकिन हिंदू धर्म में चंद्रग्रहण का विशेष धार्मिक महत्व है। साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगेगा। चंद्र ग्रहम का प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर होगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार चंद्र ग्रहण 5 मई को तुला राशि और स्वाती नक्षत्र में लगेगा। 12 साल बाद ऐसा हो रहा जब मेष राशि में सूर्य, बुध, गुरु और राहु एक साथ विराजमान होंगे और इस कारण से चतुर्ग्रही योग बनने वाला है।
शुभफल देता है चतुर्ग्रही योग
चंद्र ग्रहण के दौरान चतुर्ग्रही योग के होने से सभी जातकों को इसका शुभ प्रभाव देखने को मिलता है। भारतीय ज्योतिष के मुताबिक कुछ राशि के जातकों के जीवन में धन की बारिश होने की संभावना रहती है। 15 मई को सूर्य के वृषभ में जाते ही चतुर्ग्रही योग समाप्त हो जाएगा। ऐस में इन तीन राशि को जातकों को यह अद्भुत योग विशेष फल दे सकता है -
मेष राशि
मेष राशि के जातकों पर चंद्र ग्रहण का शुभ असर होगा। ग्रहण के दौरान मेष राशि में ही चतुर्ग्रही योग बनने वाला है। ऐसे में मेष राशि के जो जातक नौकरी पेशा हैं, उन्हें रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं। लक्ष्यों को पाने के लिए अपने जी-जान लगा देंगे और उसमें सफलता भी पाएंगे। व्यापार में भी अच्छा आर्थिक लाभ हो सकता है।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को साल का पहला चंद्र ग्रहण अनुकूल परिणाम देगा। इस अवधि में घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास होगा। रुके हुए काम तेजी से पूरे होने की पूरी संभावना है। ऑफिस में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल हो सकती है।
धनु राशि
हिंदू पंचांग के मुताबिक धनु राशि वालों के लिए भी आने वाले 10 दिन बेहद शुभ फलदायी रहने वाले हैं। ज्योतिष के अनुसार धनु राशि वाले जातकों को करियर में आगे बढ़ने के नए मौके मिलेंगे। आय के स्रोत भी बढ़ेंगे। आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।
मीन राशि
चतुर्ग्रही योग में चंद्र ग्रहण लगने से मीन राशि वाले जातकों को आर्थिक लाभ होगा। धन संबंधी सभी समस्याएं दूर होगी। करियर को नई दिशा मिल सकती है। पुराने मित्रों से मुलाकात हो सकती है। हर कार्य में सफलता मिलेगी।
इन राशि वालों को रहना होगा सावधानी
चंद्र ग्रहण के दौरान बनने वाले चतुर्ग्रही योग के दौरान तुला राशि वालों को विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। तुला राशि के लोग ग्रहण से अगले कुछ दिन तक पैसे खर्च करने में सावधानी बरतें। इसके अलावा स्वाति नक्षत्र में जन्में लोगों को भी इस अवधि में सतर्क रहना होगा।

डिसक्लेमर
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समलैंगिक विवाह श्रेष्ठ नहीं : पं. प्रदीप मिश्रा

दुर्ग। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा भिलाई के जयंती स्टेडियम में लोगों को एकांतेश्वर महादेव श्री शिवमहापुराण कथा का श्रवण करा रहे. आज कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने देश और छत्तीसगढ़ की वर्तमान स्थिति को लेकर पत्रकारो से चर्चा की. पं. मिश्रा ने छत्तीसगढ़ में नक्सली घटना को लेकर कहा कि पुलिस सैनिक सभी लोग हमारे धरती को जोड़ने के लिए लगे रहते हैं.जहां भी नक्सली घटना होती है वहां जवानों की जान जाती है तो उनका परिवार बिखर जाता है. परिवार वाले रोते हैं, लेकिन जो परिवार वाले बद्दुआ देते हैं वह हमको भी नष्ट कर देगा. जीवन को अच्छा बनाने का कोशिश करें.
पं. प्रदीप मिश्रा ने समलैंगिकता को लेकर कहा कि समलैंगिक विवाह का जो प्रस्ताव रखा गया है, यह श्रेष्ठ नहीं है. हमारे आने वाले सनातन धर्म के लिए कहीं ना कहीं चोट पहुंचाने वाला है. न्यायालय में इस तरह के मामले आने से समाजिक व्यवस्था पर इसका असर पड़ सकता है. इसके अलावा उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे.
पंडित मिश्रा भिलाई दुर्ग को प्रदेश का धार्मिक, सामाजिक सद्भाव वाला सबसे शांत शहर बताया. आपको बता दें कि इस कथा के आयोजनकर्ता सामाजिक संस्था जीवन आनंद फाउंडेशन है. 25 अप्रैल से शुरू हुए इस कथा में रोज हजारों लोगों की भीड़ जुट रही है.
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मनी प्लांट चोरी करके लगाना शुभ या अशुभ? जानें...

क्या कहता है वास्तु शास्त्र
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में लगे कुछ पौधों को सुख-समृद्धि, खुशहाली और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इन्हीं पौधों में से एक है मनी प्लांट। ये एक ऐसा पौधा है जो अधिकतर घरों में लगा होता है। मनी प्लांट को लोग ज्यादातर घर या ऑफिस में लगाते हैं। पौधे न केवल आपके घर को सुशोभित करते हैं बल्कि लगाने में भी आसान होते हैं। इस पौधे को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है। इसे आप किसी भी बोतल या गमले में रख सकते हैं। वास्तु के अनुसार वृक्षारोपण आपके घर में समृद्धि बनाए रखने में मदद करता है। मनी प्लांट को लेकर लोगों के बीच कई भ्रांतिया फैली हुई है जैसे कि चोरी का मनी प्लांट लगाना शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि मनी प्लांट रखना समृद्धि और प्रचुरता प्राप्त करने में सहायक होता है। आइए जानते हैं मनी प्लांट लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
जमीन में कोई भी पौधा लगाने से उसकी वृद्धि तेजी से होती है लेकिन जमीन से उसे हर तरह के पोषक तत्व मिल जाता है। मगर इसके विपरीत वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट को जमीन में लगाने के बजाय गमले में लगाना चाहिए क्योंकि इसे जमीन में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
ऐसी मान्यता है कि किसी के घर से चोरी करके मनी प्लांट लगाना शुभ माना जाता है और ऐसा करने से सुख-समृद्धि आती है। इसके विपरीत वास्तु शास्त्र कहता है कि मनी प्लांट कभी भी चोरी करके नहीं लगाना चाहिए। अपने पैसों से खरीद कर लगाना से आपको पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।
मनी प्लांट की बेल जमीन से बिल्कुल नहीं छूनी चाहिए। जमीन पर मणि प्लांट की लता छूने से नकारात्मक ऊर्जा अधिक उत्पन्न होती है। इसके साथ ही मनी प्लांट का संबंध माता लक्ष्मी से होता है। ऐसे में जमीन में छुने से मां लक्ष्मी का अपमान होता है।
वास्तु के अनुसार मनी प्लांट का पौधा हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में ही लगाना चाहिए। क्योंकि इस दिशा में भगवान गणेश का वास होता है। इसके साथ ही प्रतिनिधि शुक्र ग्रह है। मनी प्लांट को ईशान कोण दिशा में नहीं लगाना चाहिए। इस दिशा में लगाने से धन हानि होती है।
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शुक्रवार के दिन करें ये खास उपाय

शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है. इस दिन पूरे विधि-विधान से मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन की गई पूजा से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसती है. अब ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय बताये गए हैं. जिन्हें करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में शुक्रवार के दिन किए गए कुछ बताए गए हैं, जिन्हें करने से व्यक्ति के घर धन का आगमन होता है और मां लक्ष्मी भी बेहद प्रसन्न रहती हैं.
शुक्रवार के दिन करें ये खास उपाय
1. अगर आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो अपने घर के साफ-सफाई का खास ध्यान रखें. कोई भी ऐसा नहीं होना चाहिए, जो गंदा हो. इससे मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं, साथ ही रात में रसोईघर में भी भूलकर भी गंदे बर्तन न रखें.
2. कभी भी जूठे हाथ से रुपए पैसे न छुएं और नोट को गिनते हुए भी थूक न लगाएं. इससे मां लक्ष्मी का अपमान होता है और वह रूठकर चली जाती हैं.
3. अगर आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर बाहर की तरफ लाल रंग से माता लक्ष्मी के पैरों के चिन्ह बनाएं. इससे वो घर में पधारती हैं.
4. अगर आप मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद सफेद या फिर क्रिम कलर का कपड़ा पहनें. इससे शुक्रदेव भी प्रसन्न रहते हैं.
5. मां लक्ष्मी की मूर्ति को ईशाण कोण या फिर पूर्व दिशा में रखकर पूजा करें. इससे मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं और उन्हें कमल का फूल चढ़ाएं और श्री सूक्त का पाठ करें.
6. माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप स्फटिक या फिर कमलगट्टे की माला से जाप करना चाहिए. साथ ही लक्ष्मी और नारायण की पूजा करें. दोनों की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है और धन संबंधित बाधाएं भी दूर हो जाती है.
7. संकट से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस दिन महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें और उसकी पूजा करें. महालक्ष्मी यंत्र को तिजोरी में रखने से धन का आगमन भी होता है.
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सेमरा-बी के प्राचीन शिव मंदिर में की पूजा-अर्चना

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज धमतरी जिले के सेमरा-बी स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उल्लेखनीय है कि अपने प्रदेशव्यापी भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री धमतरी जिले के कुरूद विधानसभा पहुंचे हैं। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया, सिहावा विधायक डॉ लक्ष्मी ध्रुव सहित अन्य जनप्रतिनिधि और ग्रामीण मौजूद रहे।
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प्रदीप शर्मा ने मधेश्वर महादेव मंदिर में की पूजा-अर्चना

जशपुर। सलाहकार, योजना, नीति, कृषि व ग्रामीण विकास प्रदीप शर्मा ने आज जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखंड के मयाली नेचर पार्क के समीप स्थित ऐतिहासिक मधेश्वर महादेव मंदिर दर्शन करने पहुंचे। उन्होंने ने मंदिर पहुंचकर महादेव की पूजा अर्चना की कर प्रदेश के लोगों की सुख समृद्धि की कामना की। प्रदीप शर्मा ने मधेश्वर पर्वत के तराई में स्थित मंदिर परिसर का भ्रमण करते हुए गुफा का अवलोकन किया। कुनकुरी विधायक व संसदीय सचिव यूडी मिंज ने प्रदीप शर्मा को जानकारी देते हुए बताया की अभी हाल ही में मुख्यमंत्री यहां आये थे और यहां की पूरी जानकारी उनके साथ साझा किया है, यहां के बैगा ने भी यहां की पूरी जानकारी देते हुए मधेशवर महादेव शिवलिंग और गुफा के बारे विस्तृत रूप से जानकारी दिया, यहां पर हर मन्नत पूरी होती है। प्रदीप शर्मा ने माथा टेका और पूरे प्रदेश के लिए सुख समृद्धि की कामना की है और इस स्थल को वैश्विक पटल पर स्थापित करने की बात कही है, साथ ही मंदिर निर्माण के इतिहास के संबंध में जानकारी ली। इस अवसर पर संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन व विधायक कुनकुरी यू.डी. मिंज, कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल, जिला पंचायत सीईओ जितेंद्र यादव, डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय, झारखंड से आए फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
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