धर्म समाज

घर की सुख समृद्धि के लिए शनिवार के दिन करें ये उपाय

शनिदेव कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। इसी कारण उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। ये सच्चे मन से शनिदेव की पूजा करने वाले और असहाय लोगों की मदद करने वाले लोग होते हैं और इनका जीवन हमेशा उन्नति के पथ पर अग्रसर रहता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आप कैसे ऐसी चीजों का दान कर सकते हैं। इससे आपको हर काम में सफल होने में मदद मिलेगी, तो आइए जानते हैं –
6 प्रकार के अनाज-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप अपने जीवन में कई समस्याओं से घिरे हुए हैं तो आपको शनिवार के दिन छह अनाजों का दान करना चाहिए जिनमें गेहूं, चावल, चना, मक्का, ज्वार और काले चने शामिल हैं।
काला तिल-
अगर आपको पैसों की समस्या है तो आप किसी जरूरतमंद को काले तिल का दान कर सकते हैं। तिल की मात्रा लगभग 1.25 किलोग्राम होनी चाहिए. यदि आप यह उपाय अपनाएंगे तो आपकी सभी आर्थिक परेशानियां दूर हो जाएंगी।
लोहे का बर्तन-
शनिवार के दिन लोहे के बर्तनों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दान से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। हालांकि इस दिन लोहा खरीदने से बचना चाहिए। इस औषधि के प्रयोग से शनि दोष शांत होता है।
सरसों का तेल-
शनिवार के दिन सरसों के तेल का दान करना बहुत शुभ होता है। इससे शनिदेव की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है। हर शनिवार या शनिवार की सुबह एक लोहे की डिब्बी में सरसों का तेल भरकर किसी जरूरतमंद को दें। इससे शनि दोष समाप्त हो जाता है।
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मकर संक्रांति के दिन करे ये उपाय, दूर होगी धन की कमी

सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन मकर संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है जो कि हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा। देशभर में इस पर्व को अलग अलग नामों से जाना जाता है।
मकर संक्रांति की तिथि भगवान श्री सूर्यदेव की पूजा अर्चना को समर्पित होती है इस दिन स्नान दान व पूजा पाठ करना लाभकारी माना जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। लेकिन इसी के साथ ही मकर संक्रांति पर कुछ खास उपायों को भी अगर किया जाए तो धन से जुड़ी परेशानियों का समाधान हो जाता है और व्यक्ति करोड़पति बन जाता है तो आज हम आपको उसी उपाय के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर मकर संक्रांति के दिन पर घर की पूर्व दिशा में पीतल से बने सूर्यदेव के प्रतीक को लगाया जाए तो लाभ मिलता है। इसे आप घर की पूर्व दिशा में स्थापित कर सकते हैं मगर इस बात का ध्यान रखें कि सूर्य देव के पीतल के प्रतीक में सात घंटियां लटकी होनी चाहिए और इनकी ध्वनि भी सुनाई देनी जरूरी है माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ परिणाम मिलता है।
सूर्य के प्रतीक को लगाने के लिए हमेशा ही लाल रंग के धागे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन की सारी परेशानियां व कष्ट दूर हो जाते हैं साथ ही धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है और तरक्की के योग बनते हैं। मकर संक्रांति के दिन स्नान दान करना लाभकारी माना जाता है ऐसे में 15 जनवरी की सुबह स्नान कर के कलश में जल लेकर उसमें गुलाब की पत्ती मिलाकर सूर्यदेव के मंत्र का जाप करते हुए भगवान को जल अर्पित करें इससे करियर कारोबार में तरक्की मिलती है और बाधाएं दूर हो जाती है।
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शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने किया PM मोदी का समर्थन

  • प्राण-प्रतिष्ठा के बाद 40 दिन करेंगे विशेष यज्ञ
नई दिल्ली। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर है और सियासी खींचतान के बीच तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने प्रधानमंत्री का समर्थन करते हुए कहा है कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए काशी की यज्ञशाला में 40 दिन की विशेष पूजा का आयोजन करेंगे। विजयेंद्र सरस्वती ने कहा कि भगवान राम की कृपा से अयोध्या श्री राम जन्मभूमि में 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन का कार्यक्रम होना है। इस कार्यक्रम में यज्ञशाला का पूजन भी होगा। 100 से अधिक विद्वान लोगों द्वारा यज्ञशाला पूजन और हवन का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के तीर्थ स्थानों के विकास करने में श्रद्धा रखते हैं। उन्होंने केदारनाथ और काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण का विस्तार भी किया है।
विपक्ष का दावा गलत-
गौरतलब है कि विपक्ष की ओर से यह दावा किया गया था कि चारों पीठ के शंकराचार्य ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार किया है, लेकिन कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने ऐलान किया है कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के साथ इस यज्ञ की शुरुआत की जाएगी, जो अगले 40 दिनों तक जारी रहेगा।
कांची कामकोटि पीठ मठ का महत्व-
गौरतलब है कि आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म के प्रसार के लिए देश की चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी और उनके प्रमुखों को शंकराचार्य कहा जाता है। ये चार प्रमुख मठ द्वारका, ज्योतिष, गोवर्धन और श्रृंगेरी पीठ हैं।
 
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रामनाम का जाप करते अयोध्या के लिए पैदल ही निकल पड़ा युवक

राजनांदगांव। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या नगरी जाने के लिए एक युवक रामधुनी में मस्त होकर 800 किमी की दूरी पैदल नापने के लिए निकल पड़ा है। भगवान राम की स्तुतिगान करते निकले इस युवक के उत्साह में थकान का जरा भी अहसास नहीं हो रहा है। रामनाम का जाप  करते आगे बढ़ रहे इस युवक के हौसले को देखकर लोग हैरान भी हैं।
राजनांदगांव जिले के खुज्जी के इस युवक ने दिल की आवाज सुनकर रामलला का दर्शन करने पैदल सफर करने का दृढ़ संकल्प लेकर परिवार की मंजूरी के बाद अयोध्या का रूख किया।  खुज्जी के किराना व्यवसायी बृजेश जैन 11 जनवरी से पैदल सफर की शुरूआत की। उन्होंने कवर्धा से होकर अचानकमार अभ्यारण्य के रास्ते से शहडोल-रीवा होकर अयोध्या का मार्ग चुना है।
भगवा झंडा लेकर निकले जैन को रास्ते में रामभक्तों की ओर से प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। वहीं उनके लगन को देखकर राम के अनुयायी नाश्ता और भोजन भी परोस रहे है।  सफर को लेकर बृजेश के जोश में कोई फर्क पड़ा है।  बल्कि वह लोगों से मिल रहे स्नेह को ऊर्जा के तौर पर अनुभव कर रहे है।
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मुख्यमंत्री ने दो ट्रक हरी सब्जी को अयोध्या के लिए रवाना किया

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ युवा प्रगतिशील किसान संघ द्वारा श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए हरी सब्जी से भरे दो ट्रक को हरी झंडी दिखाकर श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के लिए रवाना किया। इन दो ट्रक में 20 टन सब्जी ननिहाल छत्तीसगढ़ से भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या धाम भेजी जा रही है।
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पौष पूर्णिमा 25 जनवरी को, जानें पौराणिक महत्व

  • गुरु पुष्य योग सहित बनेंगे ये 5 शुभ योग
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है और इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विशेष आराधना की जाती है। सभी पूर्णिमा तिथियों में पौष माह की पूर्णिमा तिथि को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, पौष पूर्णिमा हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होती है। इस साल पौष पूर्णिमा 25 जनवरी, बुधवार को है। इस दिन भगवान सत्यनारायण, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है, जीवन में खुशहाली आती है और सभी दुख दूर हो जाते हैं।
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस साल 24 जनवरी बुधवार को रात 09.49 बजे पौष माह​ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू होगी और इस तिथि का समापन 25 जनवरी को रात 11.23 मिनट बजे खत्म होगी। उदया तिथि के कारण जो लोग 25 जनवरी को पौष पूर्णिमा का व्रत रखेंगे, वे सूर्योदय के बाद से ही पूजा पाठ कर सकते हैं। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक है।
गुरु पुष्य समेत 5 शुभ योग-
सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन के लिए।
रवि योग सुबह 07:13 से 08:16 बजे तक।
गुरु पुष्य योग 08:16 सुबह से 26 जनवरी को सुबह 07:12 बजे तक।
अमृत सिद्धि योग भी सुबह 08:16 से अगले दिन 07:12 सुबह तक
प्रीति योग सुबह 07:32 से अगले दिन सुबह तक रहेगा।
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जानें क्या है पंचवटी के कालाराम मंदिर का पौराणिक महत्व

  • प्रभु राम ने यहां बिताया था वनवास का अधिकांश समय
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी और इसे लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने आज से 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान शुरू किया है, जिसकी शुरुआत नासिक में पंचवटी स्थित श्री कालाराम मंदिर से करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी आज श्री कालाराम मंदिर के दर्शन करने जाएंगे। यहां जानें श्री कालाराम मंदिर का पौराणिक महत्व।
महाराष्ट्र के नासिक शहर के पास स्थित पंचवटी तीर्थ स्थल में ही प्रभु श्री राम ने वनवास का अधिकांश समय बिताया था। इसी स्थान पर वन में कुटिया बनाकर राम भगवान सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रहते थे। इसको लेकर एक पौराणिक कथा भी है कि यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी, इसलिए यहां शहर का नाम नासिक पड़ा। पंचवटी में 5 बरगद के पेड़ों का समूह है, जहां भगवान राम ने माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अपने वनवास का कुछ समय व्यतीत किया था। पंचवटी में प्रमुख आकर्षण का केंद्र कालाराम मंदिर और माता सीता की वह गुफा है, जहां वे निवास करती थी।
वाल्मीकि रामायण के अरण्यकांड में पंचवटी का मनोरम वर्णन किया गया है। पंचवटी का वर्णन 'रामचरितमानस', 'रामचन्द्रिका', 'साकेत', 'पंचवटी' एवं 'साकेत-संत जैसे कई काव्य ग्रंथों में किया गया है। इनमें बताया गया है कि वनवास के दौरान श्री राम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी क्षेत्र में पर्णकुटी बनाकर रहने लगे थे। पंचवटी का पूरा क्षेत्र गोदावरी नदी के किनारे मनोरम स्थान है। इसी स्थान पर राम और लक्ष्मण का खर और दूषण के साथ युद्ध हुआ था और इसके बाद जब माता सीता का हरण हुआ था तो पंचवटी के मार्ग पर राम को विशालकाय गिद्ध जटायु मिले थे।
पंचवटी में स्थित श्री कालाराम मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है। यह मंदिर काले पत्थरों से निर्मित है। कालाराम मंदिर में भगवान राम की काली मूर्ति स्थापित है। मंदिर में माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी प्रतिमा स्थापित है।
 
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शुक्रवार के दिन न करें ये काम

आज शुक्रवार का दिन है और ये दिन धन लक्ष्मी को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन कुछ नियमों का पालन किया जाए तो लक्ष्मी जी जल्दी प्रसन्न हो जाती है और धन संपत्ति का आशीर्वाद प्रदान करती है तो आज हम आपको उन्हीं के बारे में बता रहे हैं।
शुक्रवार के दिन न करें ये काम-
शुक्रवार के दिन घर की साफ सफाई का ध्यान जरूर रखें इस दिन भूलकर भी अपने घर या खुद को गंदा न रखें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज़ हो जाती है। इसके अलावा आज के दिन मांस मदिरा या फिर नशे वाले सभी चीजों से दूरी बनाकर रखना चाहिए भूलकर भी इनका सेवन करें
ऐसा करने से माता लक्ष्मी क्रोधित हो सकती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार के दिन गलती से भी चीनी का दान नहीं देना चाहिए ऐसा करने से शुक्र कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान करता है और जीवन में परेशानियां बढ़ा देता है।
ज्योतिष की मानें तो आज के दिन धन का लेन देन भी नहीं करना चाहिए ऐसा करने से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है साथ लक्ष्मी जी भी नाराज़ हो जाती है शुक्रवार के दिन घर का माहौल शांति भरा रखें इस दिन वाद विवाद या झगड़ा करने से बचना चाहिए। परिवार परिवार में दरिद्रता और क्लेश पैदा होता है।
 
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मकर संक्रांति पर इन 4 राशियों को होगा महालाभ

इस साल 15 जनवरी को सूर्य का राशि परिवर्तन मकर राशि में हो रहा है।मकर राशि में सूर्य का राशि परिवर्तन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन दान-पुण्य आदि का विशेष महत्व होता है। सूर्य सभी ग्रहों के राजा है और इनके घर बदलने से सभी राशियां प्रभावित होती हैं। सूर्य 15 तारीख को तड़के 2.54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के इस राशि परिवर्तन से 4 राशियों के लिए महालाभ की स्थिति बन रही है। आइए जानते हैं, कौन सी राशियां हैं जिनका सूर्य के कारण भाग्य बदलेगा-
धनु और वृश्चिक राशि वालों के लिए समय अच्छा है। सूर्य इन राशियों के लिए शुभ संकेत लेकर आए हैं। बिजनेस में अप्रत्याशित लाभ होने के चांस हैं। इसलिए इस समय आपको बिजनेस पर खास ध्यान देने की जरूत है।
कन्या वालों के लिए समय सफलता का है, फिर चाहे वो एग्जाम की रिजल्ट हो, निवेश हो या फिर लीगल मैटर्स आपको एक के बाद एक सफलता मिलेगी। मकर संक्रांति का यह परिवर्तन आपको धन लाभ करा रहा है।
मकर राशि के लिए सूर्य का परिवर्तन कई खुशियां लेकर आ रहा है। आपको आत्मविश्वास से हर काम करना होगा, प्रोपर्टी के मामले सुलझेंगे। आपको इस समय कोई धनलाभ होगा, जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं था।
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शिव की भक्ति में 40 साल से महा उपवास है ये महिला

कोरिया। जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बरदिया गांव में रहने वाली पल्ली देवी (चाय वाली चाची) पिछले 40 वर्ष से महा उपवास पर हैं. लोग महिला को भगवान शिव की भक्त बताते हैं. कई सालों से महिला सिर्फ चाय पर ही जीवित है. स्थानीय लोग महिला को चाय वाली चाची के नाम से जानते हैं. लोग बताते हैं की 1985 से महिला निराहार रहकर भक्ति करती है. 40 वर्षों से महिला को केवल चाय पर ही जीवित देखकर ज्ञान विज्ञान भी हैरान है.
पल्ली देवी बताती है कि शादी के बाद जैसे ही मांग में सिंदूर लगा तब से उन्होंने अन्न और जल त्याग दिया. इसके बाद पति के घर को छोड़कर मायके आने के बाद फिर कभी ससुराल नहीं गई. वर्षों से भगवान शिव की पूजा करते हुए आज तक अन्न का एक दाना तक नहीं छुआ. वर्तमान में पूजा के बाद रात में सिर्फ एक बार वह लाल चाय ही पीती हैं.
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इन कामों से प्रसन्न होंगे पूर्वज, मिलेगा धन-संपत्ति का आशीर्वाद

आज गुरुवार, 11 जनवरी को साल 2024 की पहली अमावस्या पड़ेगी। इसे पावशु अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन गुस्ल, दान और इबादत करना लाभकारी होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अमावस्या तिथि है। इस दिन अपने पितरों को श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना लाभकारी होता है।
पौष अमावस्या को छोटा श्राद्ध भी कहा जाता है और कहा जाता है कि इसे करने से सुख-समृद्धि और शांति आती है और पितर प्रसन्न होकर आप पर आशीर्वाद बरसाते हैं लेकिन इसके अलावा इसके नुकसान भी हैं। इसे हटाया जा रहा है और ये मैं आज आपको बता रहा हूं.’ आइये बात करते हैं इन कामों के बारे में।
पौष अमावस्या के दिन किया जाने वाला श्राद्ध पितरों की रक्षा करता है ताकि उन्हें जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल सके। आज अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय, भूमि, वस्त्र, काले तिल, सोना, घी और कलेजी का तर्पण करते हैं। इन्हें चावल, चांदी और नमक का दान करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन आप अपनी इच्छानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाएं।
इससे हमारे पूर्वजों की आत्मा को संतुष्टि मिलेगी. अमावस्या के दिन नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे पेट्रोदोष के नकारात्मक प्रभाव कम होंगे। इसलिए शनि दोष से राहत के लिए इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करें। दूध और दही का प्रयोग करें. इससे व्यक्ति को समृद्धि, सुख और धन की प्राप्ति होती है।
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साल की पहली अमावस्या पर करें तुलसी का आसान उपाय

सनातन धर्म में जड़ी-बूटी की तिथि अत्यंत ही गुप्त मानी जाती है, जो कि हर माह में एक बार आती है, अभी पौष मास चल रहा है और इस माह की वनस्पतियों में एक बार आती है, इस दिन स्नान दान व पूजा पाठ का विशेष महत्व है। महत्वपूर्ण होता है.
मान्यता है कि पौष वनस्पति के दिन पूजा पाठ करने से शुभ फल मिलते हैं लेकिन इसी के साथ अगर इस दिन तुलसी सहित कुछ आसान उपाय किए जाएं तो सुख-समृद्धि और धन-संपत्ति के साथ घर भर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। भी याद दिलाते हैं तो आज हम आपको आज़ाद मोगा के बारे में बता रहे हैं।
तुलसी के उपाय-
पौष तिथि तिथि पर तुलसी माता को लाल रंग की चुनरी से नवाज़ा जाता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है साथ ही लक्ष्मी जी का घर में वास होता है इसी दिन तुलसी पर कच्चा दूध चढ़ाने और तुलसी के दर्शन करने का विधान है। घी का दीपक जलने से भी लाभ मिलता है इससे दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं साथ ही घर का उदास सकारात्मक बना रहता है।
108 पेट के गहनों में एक पीला धागा। इसके बाद तुलसी को बांधने और तुलसी की पूजा करने की आज्ञा दी गई है। मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने परिवार पर कृपा करती हैं जिससे धन संकट का सामना नहीं करना पड़ता है और घर में हमेशा धन के भंडार बने रहते हैं।
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गुरुवार के दिन करें ये उपाय ,बढ़ेगी सुख-समृद्धि

आज गुरुवार है और इस दिन को भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। इस दिन आस्थावान रीति-रिवाज से भगवान की पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह भी कहा जाता है कि गुरुवार को विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की किस्मत बदल जाती है और भाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। इसलिए मैं आज विष्णु चालीसा लेकर आया हूं
विष्णु चालीसा पाठ-
॥ दोहा॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।
॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी ।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी ।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
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इस दिन लगेगा साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण

  • जानिए...तिथि और सूतक समय
सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण का महत्वपूर्ण माना जाता है। यह खगोलीय घटना अमावस्या तिथि को होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक, सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, जब राहु-केतु, सूर्य या चंद्रमा के सामने गोचर करते हैं, तो ग्रहण लगता है। इस दौरान राहु का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है। ग्रहण के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। साल 2024 में 4 ग्रहण लगने वाले हैं। इनमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण शामिल हैं। आइए, जानते हैं कि साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण कब लगने जा रहा है।
सूर्यग्रहण सूतक-
ज्योतिषियों के अनुसार, ग्रहण से पहले के समय को सूतक कहा जाता है। सूतक के कारण किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता है। सूर्य ग्रहण के दिन सूतक 12 घंटे तक रहता है। इसका मतलब यह है कि सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूर्य और चंद्र ग्रहण दिखाई न देने पर सूतक नहीं लगता है।
जानिए सही तारीख और शुभ मुहूर्त-
ज्योतिषियों के मुताबिक, साल 2024 का पहला ग्रहण चैत्र अमावस्या पर लगेगा। यानी साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगने जा रहा है। भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा। इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसके बाद भी ग्रहण के दिन शास्त्रों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
इस दिन होगा दूसरा सूर्यग्रहण-
ज्योतिषियों के मुताबिक, साल 2024 का दूसरा सूर्यग्रहण 2 अक्टूबर को लगेगा। दूसरा ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए उस दिन सूतक भी मान्य नहीं होगा। ग्रहण काल ​​के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से राहु के अशुभ प्रभाव से राहत मिलती है।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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पौष अमावस्या पर करें ये काम, पितरों को मिलेगा मोक्ष

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को महीने में एक बार पड़ने वाली बेहद खास घटना माना जाता है। अभी पौषु महीना चल रहा है और इस महीने में पड़ने वाली अमावस्या को पौषु अमावस्या के नाम से जाना जाता है और यह 11 जनवरी यानी गुरुवार को होगी। कल।
अमावस्या तिथि पितरों को सम्मान देने का दिन है और माना जाता है कि इस दिन स्नान, दान, पूजा, तप आदि करने से इसका प्रभाव दोगुना हो जाता है। इसके अलावा अगर पौष अमावस्या के दिन कुछ काम किए जाएं तो पितरों को मुक्ति मिल जाती है और पितृदोष भी दूर हो जाता है। इसलिए आज हम इन्ही कार्यों पर चर्चा करेंगे.
अमावस्या की दोपहर को पितर अपने वंशजों के पास आते हैं और उनसे भोजन और पानी की अपेक्षा करते हैं। ऐसे में इस दिन पितृ श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस प्रकार पितरों की सात पीढ़ियाँ तृप्त होंगी और उनका उद्धार होगा। पितृदोष से मुक्ति के लिए पौष अमावस्या के दिन अन्न, चावल, दूध, घी, कंबल और चावल का दान करें। इससे पितृदोष से मुक्ति मिलेगी और वंश में भी वृद्धि होगी।
यदि कोई बाधा आ रही हो या काम ठीक नहीं चल रहा हो तो अमावस्या तिथि के दिन जल में दूध, चावल और काले तिल मिलाकर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। शाम के समय दीपक भी जलाए जाते हैं। इस प्रकार आपको पितरों का आशीर्वाद और शनिदेव का लाभ मिलता है, जिससे उन्नति होती है। पौष अमावस्या के दिन लोग पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करते हैं। इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
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बुधवार के दिन जरूर करें ये उपाय, सभी बाधाएं होंगी दूर

आज बुधवार है और यह दिन भगवान गणेश की पूजा का दिन है। इस दिन, भक्त आधिकारिक तौर पर भगवान गणेश की पूजा करते हैं, उपवास करते हैं और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अन्य गतिविधियाँ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान का आशीर्वाद मिलता है और यह दिन भगवान गणेश की पूजा करने का दिन है। अगर आज के दिन गणेश चालीसा का पाठ किया जाए तो भी सभी कर्तव्य पूरे होते हैं और बाधाएं दूर होती हैं।
गणेश चालीसा-
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ती गणेश ॥
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मकर संक्रांति पर भूलकर भी ना करें ये काम

सनातन धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं और हर त्योहार का अपना-अपना महत्व होता है, लेकिन सूर्य की पूजा को समर्पित मकर संक्रांति को बहुत खास माना जाता है और इस दिन लोग पूजा-पाठ, तप, जप आदि करते हैं, व्रत-उपवास आदि करते हैं। आपको ईश्वरीय आशीर्वाद है, लेकिन इसके अलावा, कुछ कर्तव्य भी हैं जिन्हें मकर संक्रांति पर गलत नहीं करना चाहिए, अन्यथा पूरे परिवार को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। मैं आपको इन कार्यों के बारे में बताऊंगा.
मकर संक्रांति पर भूलकर भी न करें ये काम-
इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. ऐसे में अगर आपसे गलती भी हो जाए तो आपको उस दिन मांस और मादक पेय का सेवन नहीं करना चाहिए, नहीं तो आपको जीवन भर परेशानी होगी और आपकी उम्र कम हो जाएगी और साथ ही मादक पेय का सेवन करने से भी बचना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति इस शुभ दिन पर ऐसा काम करता है तो देवी-देवता नाराज हो जाएंगे और उस व्यक्ति को दोष लगेगा।
इस दिन जो लोग घर लौटने की गलती करते हैं उन्हें खाली हाथ घर नहीं जाना चाहिए। इससे आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। कृपया मकर संक्रांति पर क्रोध न करें। इस दिन आपको किसी का अपमान या अपमान नहीं करना चाहिए। इससे दिक्कतें होंगी. संक्रांति के दिन पूर्णतया संयमित रहें और किसी को नाराज न करें। आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
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मकर संक्रांति 15 जनवरी को, जाने स्नान का मुहूर्त

मकर संक्रांति त्योहार का इंतजार लोगों को बेसब्री से होता है क्योंकि इस दिन से ही सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जिसकी वजह वो उनके ताप में वृद्दि होती है। सर्दी से निजात मिलती है और यही नहीं इसी के साथ ही खरमास का महीना भी खत्म होता है और शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं।
इसकी डेट को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन हो गया है। कुछ लोग कह रहे हैं कि इस बार ये त्योहार 14 जनवरी को है तो कुछ लोगों का कहना है कि इस बार ये त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा, तो चलिए कन्फ्यूजन दूर कर देते हैं।
बार सूर्य देव 15 जनवरी को प्रातः 02:54 AM पर धनु राशि से मकर में जाएंगे और इस वजह से त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा, मकर संक्रांति वाले दिन स्नान का पुण्यकाल 15 फरवरी को 07:15 AM से सायं 06: 21 PM तक रहेगा।
संक्रान्ति का महा पुण्यकाल: 15 जनवरी को 07:17 AM से 09:04 AM
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 15 जनवरी को 09:06 AM से 10:04 AM तक
जो भक्त इन खास मुहूर्त में स्नान करता है उन्हें यशलाभ होता है और उनके सारे कष्टों का अंत भी होता है और इसी मुहुर्त में अगर इंसान दान-पुण्य करे तो उसके सारे पाप भी कट जाते हैं।

 

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