धर्म समाज

भिलाई में ब्रह्मा वत्सो ने की गहन राजयोग साधना

भिलाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के साकार संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा की 55वीं स्मृति दिवस सो समर्थी दिवस को भिलाई सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया. भिलाई सेवा केंद्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने पिताश्री ब्रह्मा बाबा के संस्मरण सुनाते हुए कहा की पिताश्री ब्रह्मा बाबा के अंतिम महावाक्य थे निराकारी, निर्विकारी, निरअंहकारी.
संस्था प्रमुख होते हुए भी पिता श्री ब्रह्मा बाबा हर छोटा-बड़ा कार्य करके सबको शिक्षा देकर हर एक मनुष्य आत्मा में हिम्मत और उल्लास से भरपूर करते. कोई भी कार्य छोटा बड़ा नहीं होता श्रेष्ठ स्थिति, श्रेष्ठ स्मृति है तो छोटा कार्य भी महान हो जाता है. जिन माताओं बहनों को समाज में नारी नरक का द्वार कहकर अपमानित किया ब्रह्मा बाबा ने उनका ट्रस्ट बनाकर इतने विशाल बेहद कार्य के निमित्त निर्भय शिवशक्ति बनाया.
ब्रह्मा बाबा जितने सम्मान के साथ बड़ों से मिलते थे उतने ही आदर के साथ छोटों को परमात्म स्नेह की अंचली देते. परमात्म शिक्षाओं का साकार माध्यम बन पिताश्री ब्रह्मा बाबा ने विश्व कल्याण का बीज बोया जो आज समूचे विश्व को शांति की शीतल छाया प्रदान कर रहा है.अंतर्दिशा भवन में बने शांति स्तम्भ, हिस्ट्री हाल ,मेडिटेशन रूम, पीस ऑडिटोरियम में बड़ी संख्या में ब्रह्मा वत्सो ने राजयोग मेडिटेशन द्वारा साइलेंस पॉवर को आत्मसात किया.
ज्ञात हो की पिताश्री ब्रह्मा बाबा की 55वीं स्मृति दिवस को भिलाई,दुर्ग छत्तीसगढ़ सहित समूचे विश्व के सभी सेवाकेंद्रो में विश्व शान्ति दिवस के रूप में मनाया गया. जिसमे सभी ब्रह्मा वत्स अमृतवेले ब्रह्ममुहूर्त से ही मौन में रह संगठित रूप से राजयोग मेडिटेशन द्वारा विश्व में शांति के प्रकम्पन प्रवाहित किये.
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गृह प्रवेश करते समय इन नियमों का रखें ध्यान

  • हमेशा भरा रहेगा धन-धान्य
सनातन धर्म में शुभ या मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त देखकर ही किए जाते हैं। शुभ मुहूर्त में शुभ कार्य करने से सफलता प्राप्त होती है। ऐसे में गृह प्रवेश करते समय भी शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। लेकिन इसके अलावा कुछ अन्य नियम भी है, जिनका पालन गृह प्रवेश करते समय करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और हमेशा धन-धान्य भरा रहता है।
हिंदू धर्म में माना जाता है कि घर में प्रवेश हमेशा शुभ समय में ही किया जाना चाहिए। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और पौष माह गृह प्रवेश के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। वहीं, गृह प्रवेश के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ माह अच्छे माने जाते हैं।
नए घर में प्रवेश करते समय अपना दाहिना पैर आगे की ओर रखें। साथ ही नए घर में सबसे पहले मंदिर की स्थापना की जानी चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि और खुशियां बनी रहती है।
नए घर में कभी भी टूटा हुआ फर्नीचर नहीं रखा जाना चाहिए। यदि आप नए घर में प्रवेश करने जा रहे हैं, तो पुराने बुरे विचार और यादें छोड़कर ही प्रवेश करें। ऐसा करने से घर में नकारात्मकता प्रवेश कर सकती है।
मंगल गीतों के साथ नए घर में प्रवेश करें। अपने घर में आम और नींबू के पत्तों से बनी डोरी जरूर लगाएं। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नए घर में हमेशा मंगल कलश लेकर प्रवेश करना चाहिए। ऐसा करने के लिए एक कलश में शुद्ध जल भरें और उसमें आठ आम या अशोक के पत्ते रखें और उनके बीच एक नारियल रखें।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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आज गुरुवार के दिन करें ये उपाय, दूर होगा दुर्भाग्य

सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा साधना को समर्पित होता है वही गुरुवार का दिन विष्णु पूजा के लिए खास माना जाता है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि ऐसा करने से श्री हरि की कृपा बरसती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन पूजन के समय कुछ उपायों को किया जाए तो भाग्य का साथ मिलता है और सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं गुरुवार के आसान उपाय।
गुरुवार के आसान उपाय-
अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु कमजोर है तो गुरुवार के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें इस दिन किसी ज्योतिषीय से सलाह लेकर पुखराज धारण करें। माना जाता है कि इस रत्न को धारण करने से गुरु मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करता है साथ ही आय और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए आज के दिन स्नान के बाद श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा करें और प्रभु को पीले फल, पुष्प और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
साथ ही ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः इस मंत्र का जाप भी करें। सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि के लिए गुरुवार के दिन पूजन के समय पीले रंग की चूडि़यां विवाहित महिलाओं को दान करें ऐसा करने से गुरु मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करता है और सुख सौभाग्य व आय में वृद्धि होने लगती है।
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पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को मिलते हैं कई लाभ

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित मानी जाती है। पुत्रद एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है। पहला व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को और दूसरा व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को कई आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इसे हमारे साथ साझा करें. साथ ही जानिए पौष पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त.
पुत्रदा एकादशी 2024 मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 20 जनवरी 2024 को शाम 7 बजकर 26 मिनट से शुरू हो रही है. इसके अलावा, यह 21 जनवरी को 19:26 बजे समाप्त होगा। ऐसे में पौष पुत्रदा एकादशी उदय तिथि के अनुसार 21 जनवरी, रविवार को मनाई जाएगी. पुत्रद एकादशी व्रत भी 22 जनवरी, सोमवार को रखा जाएगा.
आपको मिलेंगे ये लाभ-
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व पुराणों और महाभारत में वर्णित है। भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया कि पौष माह में पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन भी सुखी रहता है।
भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वाले साधक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
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साल 2024 में इन राशियों पर शनिदेव मेहरबान रहेंगे

साल 2024 में न्याय और कर्मों के देवता शनि कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे और अपनी राशि नहीं बदलेंगे, लेकिन इस वर्ष पूर्वाभाद्रपद और शतभिषा नक्षत्र में गोचर करेंगे। जून 2024 में शनि कुंभ राशि में वक्री चाल चलेंगे और नवबंर 2024 में मार्गी हो जाएंगे। जिसका सकारात्मक-नकारात्मक असर 12 राशियों पर भी होगा, लेकिन कुछ राशियों पर सालभर शनिदेव की विशेष कृपा होगी। जीवन के हर क्षेत्र में भाग्य साथ देगा। नौकरी-कारोबार में तरक्की करेंगे और धन-धान्य का भंडार भरा रहेगा। आइए जानते हैं साल 2024 में किन राशियों पर शनिदेव रहेंगे मेहरबान…
मेष राशि : करियर में नई उपलब्धियां हासिल होंगी। शासन-सत्ता पक्ष का सहयोग मिलेगा। लाइफ में नई चीजों को एक्सप्लोर करने के लिए इंस्पायर रहेंगे। अपने लीडरशिप स्किल से नौकरी-कारोबा में तरक्की करेंगे। यह साल कई बड़े फैसले लेने के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।
सिंह राशि : सालभर ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरपूर होंगे। व्यापार में लाभ होगा। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलेगी। बिना किसी विघ्न-बाधा के सभी कार्य सफल होंगे। करियर में तरक्की के नए अवसर मिलेंगे। धन आगमन के नए मार्ग प्रशस्त होंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
तुला राशि : करियर में कई बड़े बदलाव आएंगे। प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की के सुनहरे अवसर मिलेंगे। आकर्षण के केंद्र बने रहेंगे। जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। वाणी में मधुरता आएगी। भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि होगी।
धनु राशि : शनिदेव की कृपा से प्रोफेशनल लाइफ में नई उपलब्धियां हासिल होंगी। जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आएंगे। ऑफिस में आपकी परफॉर्मेंस बहुत अच्छी रहेगी। नौकरी में अप्रेजल या प्रमोशन के सुनहरे अवसर मिलेंगे।
कुंभ राशि : नए इनोवेटिव और क्रिएटिविटी आइडियाज के साथ किए गए कार्यों अपार सफलता मिलेगी। ऑफिस में कार्यों की जान-पहचान बनेगी। सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यावसायिक लाभ होगा। धन का आवक बढ़ेगा।
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मां लक्ष्मी की पूजा करते समय इन नियमों का करें पालन

  • होगी धन वर्षा
वास्तु शास्त्र को सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण विज्ञानों में से एक माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर चीज को सही स्थान पर रखा जाए, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। ऐसे में अगर आप पूजा करते समय वास्तु के कुछ खास नियमों का ध्यान रखें, तो जीवन में तरक्की के रास्ते खुलने लगते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में यानी उत्तर और पूर्व के बीच में होना चाहिए। यह दिशा पूजा के लिए शुभ मानी जाती है। जहां भी आपका मंदिर हो, वहां ताजी हवा और रोशनी की पर्याप्त आपूर्ति होनी चाहिए। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे, तो मां लक्ष्मी की कृपा परिवार पर हमेशा बनी रहेगी।
देवी लक्ष्मी की पूजा करते समय हमेशा ताजे फल और फूल चढ़ाने चाहिए। जो फूल जमीन पर गिर गए हों या ऐसे फूल जिनकी पंखुड़ियां टूट गई हों, ऐसे फूल जिन्हें सूंघ लिया गया हो आदि का प्रयोग कभी भी पूजा-पाठ में नहीं करना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि फल-फूल तोड़कर या काटकर नहीं चढ़ाने चाहिए।
यह भी ध्यान रखें कि पूजा घर के आसपास कोई पुराने कपड़े, जूते, बक्से आदि न हो। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। माना जाता है कि देवी लक्ष्मी वहीं निवास करती हैं, जहां साफ-सफाई होती है। ऐसे में आपको अपने घर और मंदिर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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हथेली की कौन सी रेखाएं व्यक्ति को बनाती है धनवान, जाने

हर किसी की हथेली पर कई तरह की रेखाएं, निशान और आकृतियां बनी होती है जो व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व रखती है हथेली पर बनने वाली ये रेखाएं व्यक्ति के भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करती है साथ ही हथेली पर बनी कुछ रेखाएं जातक की आर्थिक स्थिति का भी विवरण प्रदान करती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि हथेली पर बनने वाली कौन सी रेखाएं व्यक्ति को धनवान बना सकती हैं तो आइए जानते हैं।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की हथेली में भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से निकलती है तो ऐसा व्यक्ति धनी कहलाता है इन लोगों को समाज में खूब मान सम्मान और धन की प्राप्ति होती है। ऐसे जातक का धर्म के प्रति भी अधिक झुकाव देखने को मिल सकता है इसके अलावा अगर किसी जातक की हथेली में गुरु, शुक्र, चंद्रमा और बुध पर्वत में उभार लिए हुए हैं
तो ऐसे जातक के जीवन में राजलक्ष्मी योग का निर्माण होता है जो उसे कम आयु में ही धनवान और सफल बना देता है ऐसे लोगों को अपने जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। हथेली में जीवन रेखा से निकलने वाली भाग्य रेखा अगर शाखा युक्त हो तो ऐसे जातक भी भाग्यशाली कहलाते हैं ये कारोबार में अपना खूब नाम करते हैं और धन लाभ हासिल करते हैं इनके जीवन में पैसों की कमी नहीं रहती है।
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कब मनाते है रथ सप्तमी, जानें पूजा विधि और महत्त्व

हर साल रथ सप्तमी मार्ग माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव अवतरित हुए थे। इसलिए माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव की पूजा की जाती है। इसे बनु सप्तमी और आचार सप्तमी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से आपको स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है। सुख-समृद्धि और धन में भी वृद्धि होगी। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए भगवान भास्कर की पूजा करने की सलाह भी दी जाती है। अब रथ सप्तमी पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि बताएं।
शुभ समय-
पंचांग समाचार पत्र के अनुसार, मुर्गा माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 24 बहमन को सुबह 10:12 बजे शुरू होती है और अगले दिन 25 बहमन को सुबह 8:54 बजे समाप्त होती है। इसलिए, रथ सप्तमी बहमन की 25 तारीख को मनाई जाती है।
योग शुभ है-
ज्योतिषियों के अनुसार रथ सप्तमी तिथि पर ब्रह्म योग का उदय होता है। यह योग कक्षा अपराह्न 3:18 बजे समाप्त होती है। तदनन्तर इन्द्र योग का उदय होता है। रथ सप्तमी पर भी भद्रा स्वर्ग लोक में निवास करेगी। भद्रा के स्वर्ग में रहने से पृथ्वी के सभी प्राणियों को लाभ होता है।
कैसे करें पूजा-
शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को चंद्रमा सूर्योदय से पहले उदय होता है। इस समय हम सूर्य देव को प्रणाम करते हैं। बाद में मैं अपना दैनिक कार्य समाप्त करके गंगा जल से स्नान करता हूँ। इस समय आचमन से शुद्ध होकर पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद जल में अक्षत, तिल, लोलि और दरवा मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस बिंदु पर, निम्नलिखित नारा पढ़ें-
“एम ग्रीनी सूर्या नाम”
“ओम सिरी नमः”
हे सूर्य सहस्त्रांशु तेजलशे जगत् देवपिता।
कल्याणमयी माता देवि गृहानाल्ज्ञं दिवाकर।
इसके बाद विधि के अनुसार पंचो पचल करें और सूर्य देव की पूजा करें। इस समय सूर्य चालीसा और सूर्य कवच का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। पूजा के बाद बहते जल में काले तिल छिड़कें। हम गरीबों और जरूरतमंदों की भी मदद करते हैं। साधक अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी अपनी गतिविधियाँ जारी रख सकते हैं।
 
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श्री यंत्र की पूजा के बताए गए हैं कई नियम

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि जिन साधकों पर देवी लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उन्हें कभी भी धन की समस्या नहीं होती। कई लोग देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अपने घरों में श्रीयंत्र स्थापित करते हैं, लेकिन साथ ही कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी है। यही एकमात्र तरीका है जिससे आप पूर्ण परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
स्थापना के समय श्रीयंत्र को साफ लाल कपड़े में लपेटकर पंचामेराइट से भिगो दें। फिर इसे घर के किसी मंदिर में रखा जाता है और लोली, अक्षत और फूल चढ़ाकर आधिकारिक तौर पर पूजा की जाती है। इसके बाद देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए ‘ओम महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्नीय च दिमाहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्’ मंत्र का जाप करें। रात्रि के समय श्री सूक्त का पाठ भी कर सकते हैं।
श्री यंत्र स्थापित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे सही समय पर ही अपने घर में स्थापित करें। वहीं, श्री यंत्र की स्थापना के लिए घर या कार्यस्थल का उत्तर-पूर्व दिशा होना अच्छा माना जाता है। सुनिश्चित करें कि आप जो कपड़ा जोड़ रहे हैं वह गंदा या फटा हुआ नहीं है। श्रीयंत्र घर ले जाने के लिए
घर या ऑफिस में श्रीयंत्र रखने से भी आपको विशेष लाभ मिल सकता है। श्री यंत्र की पूजा करते समय प्रतिदिन लाल फूल चढ़ाने से भी लाभ होने की मान्यता है।
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प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी, राम मंदिर में 14 स्वर्ण कपाट का काम पूरा

  • प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे अरविंद केजरीवाल
अयोध्या। तीर्थनगरी अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी का काम तेजी से चल रहा है। आज से प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विधिवत पूजा का काम शुरू हो जाएगा। यह 9.30 बजे पूजन पद्धति का काम शुरू होगा, जो करीब 5 घंटे तक चलेगा। मिली जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले प्रायश्चित पूजा की शुरुआत होगी। इस पूजन विधि में शारीरिक, आंतरिक और मानसिक तरीके का प्रायश्चित किया जाता है। यजमान को 10 विधि से स्नान कराया जाता है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूतल पर 14 स्वर्ण मंडित कपाट लगाने का काम पूरा कर लिया गया है। वहीं कार्यदायी संस्था के अधिकारी ने जानकारी दी है कि 22 जनवरी से पहले परिसर के समतलीकरण का काम भी तेजी से किया जा रहा है। इस इलाके में सड़क निर्माण का कार्य भी अंतिम दौर में चल रहा है।
प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को संपन्न कराने के लिए वालंटियर की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अभी तक यह संख्या 500 के पार पहुंच चुकी है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, केरल, दिल्ली आदि प्रदेशों के पुरुष व महिलाएं कार्यकर्ता इस काम में आगे आए हैं। इन सभी को आवास, भोजन, आवागमन के प्रबंधन में लगाया जाएगा।
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे केजरीवाल-
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा उत्सव के निमंत्रण पत्र को लेकर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी अब सामने आने लगी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के रामघाट स्थित संपर्क, संवाद कार्यालय से अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव ने संपर्क कर दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए आवास व्यवस्था के बारे में पूछा। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष के रूप में समारोह में शामिल होंगे।
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मेहुल ने 300 किलोमीटर पूरा किया उल्टे पांव पदयात्रा

  • रामजी के दर्शन करने 22 जनवरी तक पहुंच जाएंगे अयोध्या
रायपुर। रामजी के ननिहाल छत्तीसगढ़ से मेहुल नामक युवक उल्टे पांव पदयात्रा कर रामजी के दर्शनों के लिए निकला है. डोंगरगढ़ के रहने वाले मेहुल का मानना है कि लोग पूरी जिंदगी चलते सीधे हैं और काम उल्टे करते हैं. लिहाजा वो समाज को संदेश देना चाहता है कि जिंदगी में इंसान को सीधे काम करने चाहिए. मेहुल को पहले उम्मीद थी कि वो 22 जनवरी तक अयोध्या पहुंच जाएंगे. रास्ते में आ रही दिक्कतों की वजह से अब उनको ज्यादा वक्त लगने की उम्मीद है. मेहुल जहां उल्टे पांव पैदल चल रहा है वहीं उसकी मां ई रिक्शा से अयोध्या तक का सफर तय करने वाली हैं. मां और बेटा दोनों एक साथ सफर पर निकले हैं.
यात्रा के दौरान मेहुल ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से भी मुलाकात की. सीएम साय ने मेहुल को आशीर्वाद देते हुए कहा कि विर्विघ्न रुप से अयोध्या जाकर पूरी हो जाएगी. सीएम से मुलाकात के बाद मेहुल बिलासपुर के रास्ते आगे की ओर बढ़ चले हैं. मेहुल जहां कहीं से भी गुजरते हैं लोग उनके स्वागत में खड़े हो जाते हैं. मेहुल कहते हैं कि जो प्रेम और सम्मान रास्ते में लोगों से मिल रहा है उससे उनकी यात्रा का कष्ट दूर हो जा रहा है.
मेहुल की इच्छा है कि रामजी के दर्शनों के बाद वो मां को 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कराकर चार धामों के भी दर्शन कराएं. मेहुल कहते हैं कि अभी तक वो तीन सौ किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं. गांव शहर और जंगल के रास्ते में सफर करने के दौरान सावधानी रखनी पड़ती है. मेहुल के मुताबिक जिस दिन रामजी चाहेंगे उस दिन वो अयोध्या पहुंच जाएंगे. राम मंदिर के निर्माण से मेहुल और उनकी मां दोनों काफी खुश हैं. उनका कहना कि रामजी के आशीर्वाद से देश और पूरा छत्तीसगढ़ समृद्ध होगा.
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बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री 23 जनवरी को रायपुर में

  • 40 एकड़ जमीन में मंच तैयार
रायपुर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर संत पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री राजधानी रायपुर के विवेकानंद विद्यापीठ के सामने कोटा रोड गुढ़ियारी में हनुमंत कथा सुनाने आएंगे। पांच दिवसीय हनुमंत कथा के साथ वे दिव्य दरबार लगाकर श्रद्धालुओं की समस्याएं सुनेंगे।
इसके लिए 40 एकड़ क्षेत्र में भव्य पंडाल बनाया जाएगा, जिसकी खासयित ये रहेगी, कि प्रमुख द्वार पर रामभक्त हनुमान की गदा नजर आएगी। वहीं कथा मंच पर सीना चीरकर अपने ईष्टदेव का दर्शन कराते हनुमान की विशाल आकृति श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगी। 23 से 27 जनवरी तक आयोजित हनुमंत कथा को भव्य बनाने आयोजन समिति जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई है।
 
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मंगलवार के दिन पूजा के साथ-साथ करें इस खास स्तोत्र का पाठ

  • बजरंगबली बरसाएंगे कृपा
मंगलवार का दिन श्री राम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा मंगलवार का व्रत भी रखा जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख और परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती हैं। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से मंगल दोष से भी मुक्ति मिलती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान श्री राम की पूजा और ध्यान करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए मंगलवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद हनुमान जी की पूजा करें और जटायु द्वारा लिखित श्री राम स्तोत्र का पाठ करें।
जटायु कृत श्री राम स्तोत्र-
अगणितगुणमप्रमेयमाद्यं सकलजगत्स्थितिसंयमादिहेतुम् ।
उपरमपरमं परात्मभूतं सततमहं प्रणतोऽस्मि रामचन्द्रम् ॥
निरवधिसुखमिन्दिराकटाक्षं क्षपितसुरेन्द्रचतुर्मुखादिदुःखम् ।
नरवरमनिशं नतोऽस्मि रामं वरदमहं वरचापबाणहस्तम् ॥
त्रिभुवनकमनीयरूपमीड्यं रविशतभासुरमीहितप्रदानम् ।
शरणदमनिशं सुरागमूले कृतनिलयं रघुनन्दनं प्रपद्ये ॥
भवविपिनदवाग्निनामधेयं भवमुखदैवतदैवतं दयालुम् ।
दनुजपतिसहस्रकोटिनाशं रवितनयासदृशं हरिं प्रपद्ये ॥
अविरतभवभावनातिदूरं भवविमुखैर्मुनिभिस्सदैव दृश्यम् ।
भवजलधिसुतारणाङ्घ्रिपोतं शरणमहं रघुनन्दनं प्रपद्ये ॥
गिरिशगिरिसुतामनोनिवासं गिरिवरधारिणमीहिताभिरामम् ।
सुरवरदनुजेन्द्रसेविताङ्घ्रिं सुरवरदं रघुनायकं प्रपद्ये ॥
परधनपरदारवर्जितानां परगुणभूतिषु तुष्टमानसानाम् ।
परहितनिरतात्मनां सुसेव्यं रघुवरमम्बुजलोचनं प्रपद्ये ॥
स्मितरुचिरविकासिताननाब्जमतिसुलभं सुरराजनीलनीलम्।
सितजलरुहचारुनेत्रशोभं रघुपतिमीशगुरोर्गुरुं प्रपद्ये ॥
हरिकमलजशंभुरूपभेदात्त्वमिह विभासि गुणत्रयानुवृत्तः ।
रविरिव जलपूरितोदपात्रेष्वमरपतिस्तुतिपात्रमीशमीडे ॥
रतिपतिशतकोटिसुन्दराङ्गं शतपथगोचरभावनाविदूरम् ।
यतिपतिहृदये सदा विभातं रघुपतिमार्तिहरं प्रभुं प्रपद्ये ॥
इत्येवं स्तुवतस्तस्य प्रसन्नोऽभूद्रघूत्तमः ।
उवाच गच्छ भद्रं ते मम विष्णोः परं पदम् ॥
शृणोति य इदं स्तोत्रं लिखेद्वा नियतः पठेत् ।
स याति मम सारूप्यं मरणे मत्स्मृतिं लभेत् ॥
इति राघवभाषितं तदा श्रुतवान् हर्षसमाकुलो द्विजः।
रघुनन्दनसाम्यमास्थितः प्रययौ ब्रह्मसुपूजितं पदम् ॥
श्रीराम स्तोत्र के लाभ-
मंगलवार के दिन भगवान श्रीराम के साथ हनुमान जी की पूजा करना लाभकारी माना जाता है। साथ ही मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है। इस स्तोत्र के पाठ से भगवान श्रीराम प्रसन्न होते हैं। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्ट भी दूर होते हैं।
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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा पूजा विधि एवं महत्त्व

हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। ज्योतिष गणना के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी इस वर्ष 21 जनवरी को है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्त एकादशी व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। व्रत के इस पुण्य के आशीर्वाद से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
नि:संतान महिलाएं और नवविवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखती हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने से आस्तिक को पुत्र की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं तो पौष पुत्रदा एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। तो पूजा के दौरान पढ़ें ये छोटी सी कहानी.
व्रत के विषय में एक कथा-
द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सृष्टि के रचयिता भगवान श्रीकृष्ण की पावशु पुत्रदा एकादशी की कथा सुनाने की इच्छा व्यक्त की। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि एकादशी व्रत का बहुत ही विशेष अर्थ होता है. इस लेंटेन कथा को सुनने से मानव जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। सभी प्रकार की चिंताएं और परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। नमस्ते धर्मराज! राजा सुक्तोमन भद्रावती नामक नगर पर शासन करते थे। वह बहुत दयालु और शक्तिशाली शासक था। स्केट्समैन के कार्यों से लोग सदैव प्रसन्न रहते थे।
हालाँकि, सुक्त्समैन स्वयं अभी भी चिंतित थे। राजा सेटोमन की कोई संतान नहीं थी। इसी विचार से एक दिन राजा जंगल में चला गया। जब राजा जंगल में घूम रहा था तो उसकी मुलाकात एक बुद्धिमान व्यक्ति से हुई। उन्होंने विनम्रतापूर्वक अभिवादन किया. तभी बुद्धिमान व्यक्ति ने राजा के दुःखी मन को पढ़ लिया।
उन्होंने कहा, “हे राजा! यदि तुम राजा भी बन जाओ तो भी तुम चिंता क्यों करते हो? तब राजा स्कटुमान ने कहा, “भगवान नारायण की कृपा से सब कुछ मौजूद है, लेकिन मेरी कोई संतान नहीं है।” अपने पूर्वजों को तिरपाल कौन देता है?
ऋषि ने कहा- हर वर्ष पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें। इस व्रत के पुण्य से तुम्हें अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। ऋषियों की बात मानकर राजा और उनकी पत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। उस समय राजा सुक्तोमन को एक पुत्र रत्न हुआ। इससे भद्रावती नगर में खुशी की लहर दौड़ गई।
 
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1 साल बाद शनि की राशि में गोचर करेंगे बुध

  • इन राशि वालों को मिलेगा लाभ
बुध ग्रहों के राज कुमार माने जाते हैं, जो जल्द ही गोचर करने वाले हैं। बुध का गोचर सभी राशियों पर अपना प्रभाव डालेगा। फरवरी की शुरुआत में बुध ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करेंगे। फरवरी 1, बृहस्पतिवार को 02:29 पी एम बजे शनि की राशि मकर में बुध गोचर करेंगे। 1 साल के बाद धनु से मकर राशि में बुध के प्रवेश करने से कुछ राशियों के लिए समय बेहद शुभ माना जा रहा है। इसलिए आइए जानते हैं शनि की राशि में बुध के गोचर करने से किन राशियों की किस्मत का ताला खुल सकता है-
तुला राशि-
तुला राशि के लोगों के लिए बुध का ये गोचर बेहद ही फायदेमंद माना जा रहा है। आने वाले समय में आपकी बनाई गई हर रणनीति सफलता के कदम चूमेगी। काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है। स्वास्थ्य बेहतर रहने वाला है। हेल्दी डाइट लेते रहें। व्यापार में रुका हुआ धन वापस मिल सकता है।
कन्या राशि-
बुध का राशि परिवर्तन कन्या राशि के जातकों के लिए लाभकारी साबित होगा। फाइनेंशियल दिक्कतें दूर होने लगेंगी। व्यापार में धन को लेकर तनाव की स्थिति खत्म होगी। वहीं, सूझबूझ से आप अपनी परफॉरमेंस भी इंप्रूव करेंगे। अपने जीवनसाथी को समय जरूर दें।
मकर राशि-
बुध का गोचर मकर राशि के लोगों के लिए शुभ माना जा रहा है। कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों का मन पढ़ाई में खूब लगेगा। अच्छी योजनाओं के साथ व्यापार में प्रॉफिट कमा सकते हैं। अपनी सेहत का ख्याल रखें और जंक फूड खाने से बचें। धन लाभ होने की संभावना है। मां की देख-भाल करें।
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मकर सक्रांति पर इन मंत्रो का करें जाप

मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल पौष माह में मनाया जाता है, जिस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस शुभ अवसर पर कई श्रद्धालु आस्था के साथ गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। वे पूजा, जप, तप और दान भी करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई साधक मकर संक्रांति के दिन गंगा में डुबकी लगाता है, भगवान की पूजा करता है और दान करता है, तो साधक को अनंत फल प्राप्त होता है। सुख, संपत्ति और आय में भी वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति को पिछले जन्मों में किए गए सभी पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। अगर आप भी भगवान भास्कर की कृपा के भागीदार बनना चाहते हैं तो स्नान-ध्यान करें और विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करें। सेवा के दौरान इन मंत्रों का जाप और सूर्य स्तोत्र का पाठ भी करें। आज भगवान शिव का अभिषेक अवश्य करें।
सूर्य मंत्र-
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
करुणामयी माता देवि गृहानार्ग्यं दिवाकर।
सूर्य वैदिक मंत्र-
ॐ आकर्षणेन राजः वर्जनो निवेश्यान्नमृतं मर्त्यंच।
हिरण्येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पस्यां।
सूर्य तांत्रिक मंत्र-
ॐ घृणि: सूर्यादित्योम
ॐ घृणित: सूर्य आदित्य श्री
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
सूर्य का पौराणिक मंत्र-
जपाकुसुम संकाशं काश्यपयं महाद्युतिम्।
तमोसरिम सर्वपापगणं प्राणतोस्मि दिवाकरम्।
सूर्य गायत्री मंत्र-
ॐ आदित्य विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्न सूर्यः प्रहोदयात्।
भगवान विष्णु का मंत्र-
शान्त करम भुजंग शयनम पद्म नभम सुरेशम।
विश्वधरं गगनसादृष्यं मेघवर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मी कण्ठं कमल नयनं योगिभिर्ध्यान नागम्यम्।”
सूर्य स्तोत्र-
सुबह, सुबह, सुबह, सुबह, सुबह, रात, सुबह याद रखें।
अर्थ: अर्थ: अर्थ: मतलब.
प्रातर्नमामि तारणिम तनुवमानुवि ब्रब्रिलेन्द्रपूर्वसुरैनाथमल्कीतम् च।
वर्षा विनिग्रह हेतु भूतं त्रैलोक्य पालनपरन्तृगुणतकम् च।
प्रथल्बोजामि सवितारामन्शक्तिं पपुशत्रु भैरुगरं परमं चं
तं सर्वरूकनकैतिका कालमूर्ति गोकांतबंधं विमुचं मदिद्वम्।
चितं देवानामुद्गादनिकं चक्षुषु उनस्यागन।
त्स्तुश्वर्व द्वारा अनुवादित।
सूर्यो दुइमसं लोचमानं मियोन युशानबीति पेशवत।
यत्र नरो देवयन्त युगानि विताम्बेत् प्रति बद्रे भद्रम्।
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गृहमंत्री विजय शर्मा ने हनुमान मंदिर में पोछा लगाया

रायपुर। गृहमंत्री विजय शर्मा ने हनुमान मंदिर में पोछा लगाया। गृहमंत्री विजय शर्मा ने ट्विटर पर बताया कि आज कवर्धा में सिद्धपीठ श्री खेड़ापति हनुमान जी दादा के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर 14 से 22 जनवरी तक देश के सभी मंदिरों में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के तहत श्री खेड़ापति मंदिर में सफाई अभियान एवं श्रम दान किया।
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लोहड़ी क्यों मनाई जाती है? जानिए...

त्योहार सूर्य के उत्तरायण के बाद, जिसे ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है, मनाया जाता है और इससे गर्मी के मौसम की शुरुआत होती है. आमतौर पर देखा जाता है कि कई लोग इस त्योहार को मनाते तो हैं लेकिन उन्हें वास्तव में पर्व का महत्व और इतिहास पता ही नहीं होता है. ऐसे में यहां हम आपको बताएंगे कि लोहड़ी क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है.
लोहड़ी शब्द का अर्थ है गर्मी और खुशी से भरा होना. इस त्योहार का महत्व बहुत ही अधिक है और इसे खासकर अनाज उगाने वाले किसानों द्वारा मनाया जाता है. यह त्योहार उनकी मेहनत और परिश्रम को समर्थन करने का एक तरीका है और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है.
लोहड़ी की रात को लोग बोनफायर जलाते हैं. इसके चारों ओर बैठकर लोग गाने गाते हैं और नाचते हैं. बच्चे चढ़ते पेड़ों से गुड़ियां निकालते हैं और उन्हें बोनफायर के ऊपर देखते हैं.
लोग एक दूसरे को तिल, गुड़, और रेवड़ी भेजकर खुशियाँ बांटते हैं. इससे समृद्धि और सफलता की कामना होती है. इस त्योहार को एक बड़े पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं.
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