धर्म समाज

माघ के महीने में करें इन नियमों का पालन

हिंदू धर्म में वैसे तो हर महीने को महत्वपूर्ण बताया गया है लेकिन पौष के बाद आने वाला माघ का महीना अधिक खास होता है। जो कि माता लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु की पूजा को समर्पित माह होता है। इस पवित्र मास में भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा करते हैं और विशेष दिनों पर उपवास भी रखते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल माघ मास का आरंभ 26 जनवरी दिन शुक्रवार से होने जा रहा है और इस माह का समापन 24 फरवरी को हो जाएगा। इस पूरे महीने लक्ष्मी और श्री हरि की पूजा पुण्य फल प्रदान करती है लेकिन इसी के साथ ही कुछ ऐसे काम है जिन्हें माघ मास में नहीं करना चाहिए वरना अगर आपको नहीं मिल पा रही है लक्ष्मी की कृपा तो आज हम बात करेंगे इन चुनौतियों के बारे में।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माघ माह में गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। अगर आप गंगा घाट पर स्नान करने में असमर्थ हैं तो नहाने का पानी घर पर ही रखें गंगाजल मिलाकर स्नान जरूर करें। ऐसा करने से लाभ मिलता है इसके साथ ही इस महीने रोजाना गीता का पाठ करना चाहिए। इससे घर में सुख समृद्धि आती है। पवित्र मास में तिल का सेवन अच्छा माना जाता है इससे उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
माघ के महीने में तुलसी पूजा करना शुभ माना जाता है ऐसा करने से परेशानियां दूर होती हैं। इस माह में दान पुण्य करना उत्तम बताया गया है। इसके अलावा माघ मास में मूली का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने तामसिक भोजन से भी बचना चाहिए। किसी को अपशब्द भी न कहें साथ ही क्रोध करने से बचें और झूठ ना बोले। ऐसा करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
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इन राशियों के अच्छे दिन 13 फरवरी से शुरू होंगे

13 फरवरी को सूर्य देव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिषशास्त्र में सूर्य देव को विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्य देव के शुभ होने पर व्यक्ति का भाग्योदय हो जाता है। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने से कुछ राशि वालों को शुभ तो कुछ राशि वालों को अशुभ फल की प्राप्ति होगी। सूर्य के शुभ होने पर व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है। सूर्य देव व्यक्ति के जीवन को राजा के समान बना देते हैं। आइए जानते हैं, सूर्य के राशि परिवर्तन करने से किन राशि वालों के अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे…
मेष राशि-
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। माता से धन प्राप्ती के योग बन रहे हैं। दाम्पत्य सुख में वृद्धि होगी। किसी मित्र के सहयोग से रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। आय में वृद्धि होगी। पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं। परिवार में मान-सम्मान बढ़ेगा। नौकरी में पदोन्नति के योग बन रहे हैं।
मिथुन राशि-
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। कुटुंब परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। संतान सुख में वृद्धि होगी। उच्च शिक्षा एवं शोध आदि कार्यों के लिए विदेश प्रवास की संभावना बन रही है। नौकरी में कार्यक्षेत्र में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। स्थान परिवर्तन भी संभव है। मन में शांति व प्रसन्नता के भाव रहेंगे। आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। माता व परिवार की किसी बुजुर्ग महिला से धन की प्राप्ती के योग बन रहे हैं। नौकरी में अफसरों का सहयोग तो मिलेगा।
कन्या राशि-
धन-लाभ होगा। परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा। घर में धार्मिक कार्य होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में लाभ होगा। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। प्रेम, संतान अच्छा रहेगा। भूमि खरीदने का योग बन रहा है। नौकरी में तरक्की के योग बन रहे हैं। घर में धार्मिक कार्य हो सकते हैं। किसी धार्मिक यात्रा पर जाने के योग भी बन रहे हैं।
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भौम प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में मनाए जाने वाले कई व्रत और त्योहारों में से शिव पूजा को समर्पित प्रदोष व्रत को विशेष माना जाता है और यह महीने में दो बार मनाया जाता है। प्रदोष व्रत रखा जाता है.
यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है और इस दिन पूजा और व्रत करना अच्छा रहता है। साथ ही जीवन की सभी चिंताएं और चिंताएं दूर हो जाती हैं। जो कोई भी व्यक्ति जल्दी प्रदोष का दर्शन करता है उसे अखंड सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह सौभाग्य और समृद्धि भी लाता है। प्रदोष व्रत के दिन शुभ समय में भगवान शिव की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। इसीलिए आज इस लेख में हम आपको चर्च सेवाओं के लिए सबसे अनुकूल समय के बारे में बताएंगे।
पंचान समाचार पत्र के अनुसार, प्रदोष दिवस मां का दूसरा व्रत पावश माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। 23 जनवरी। चूंकि यह व्रत मंगलवार को मनाया जाता है, इसलिए इसे वृक्ष प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है और इस शुभ दिन पर भगवान शिव के साथ हनुमान की पूजा करना लाभकारी होता है।
शिव पूजा का शुभ समय-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत 22 जनवरी को शाम 7 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर आज 23 जनवरी को रात 8 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. उदयतिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 23 जनवरी को है। इस मामले में, अनुकूल समय शाम 5:42 बजे के बीच है। और रात 8:33 बजे ऐसे में इस शुभ अवधि में भगवान शिव की पूजा करना लाभकारी होता है।
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इन राशियों पर 6 मार्च तक मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

  • शुक्र का गोचर दिलाएगा बड़ा लाभ
शुक्र की चाल बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। शुक्र की स्थिति शुभ होने पर जीवन में धन-दौलत की कमी नहीं रहती है। कुछ दिनों में शुक्र अपनी चाल में बदलाव करने वाले हैं। शुक्र ग्रह का संबंध मां लक्ष्मी से भी माना जाता है। जल्द ही शुक्र मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शुक्र फरवरी 12, सोमवार को सुबह 05:00 बजे मकर राशि में एंट्री करने वालें हैं। इसके बाद मार्च में शुक्र अगला राशि परिवर्तन करेंगे। शुक्र के इस गोचर से कुछ राशियों पर मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि रहेगी। इसलिए आइए जानते हैं मकर राशि में शुक्र के गोचर से किन राशियों का गोल्डन टाइम शुरू होने जा रहा है-
मेष राशि-
मेष राशि वालों के लिए शुक्र की बदलती चाल लाभकारी साबित हो सकता है। कार्यक्षेत्र में आपको इन्वेस्ट करने के लिए कोई अच्छी डील मिल सकती है, जो प्रॉफिटेबल भी साबित होगी। यात्रा पर भी आप जा सकते हैं। फाइनेंशियल तौर पर प्रॉफिट में रहेंगे। लाइफ में रोमांस रहेगा। पूजा-पाठ में आपका खूब मन लगेगा।
कर्क राशि-
शुक्र का गोचर कर्क राशि के जातकों के लिए लाभदायक रहने वाला है। आपको अपने हार्ड वर्क का रिजल्ट मिलेगा। सुख-शांति से घर का माहौल खुशनुमा रहेगा। अपने लवर के साथ डेट पर भी जा सकते हैं। इंकम बढ़ाने के लिए आपको नए सोर्स मिल सकते हैं। नई जॉब मिलने की भी संभावना है।
मकर राशि-
मकर राशि वालों के लिए शुक्र का राशि परिवर्तन शुभ माना जा रहा है। इस दौरान आपकी सेहत अच्छी रहेगी। लाइफ में रोमांस और अट्रैक्शन बना रहेगा। छोटी-मोटी ट्रिप पर भी जाने की संभावना है। करियर में आपको नए टास्क मिल सकते हैं। प्रोफेशनली और फाइनेंशली आप स्टेबल रहने वाले हैं।
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इन राशि के जातकों के लिए लकी साबित हो सकती है गुरु-बुध की स्थिति

मार्च के आखिर में बुध अपनी स्थिति में बदलाव करने वाले हैं। 26 मार्च के दिन ग्रहों के राजकुमार अपनी चाल में परिवर्तन करने जा रहे हैं। वहीं, गुरु मेष राशि में विराजमान रहेंगे। मार्च 26, को मीन राशि से मेष राशि में बुध गोचर करेंगे, जहां पहले से ही गुरु विराजमान हैं। दोनों ही ग्रहों की युति शुभ मानी जाती है। इसलिए आइए जानते हैं किन राशि के जातकों के लिए बुध और गुरु की स्थिति लकी साबित हो सकती है-
कर्क राशि-
गुरु और बुध की युति कर्क राशि वालों के लिए लाभकारी मानी जा रही है। कार्यक्षेत्र में आपको अपने दोस्तों और बॉस का भरपूर सहयोग मिलेगा। आर्थिक कष्ट से मुक्ति मिल सकती है और आप निवेश के नए विकल्पों के बारे में सोच सकते हैं। विदेश यात्रा करने के भी योग बन रहे हैं।
धनु राशि-
धनु राशि वालों के लिए गुरु और बुध की युति शुभ माना जा रहा है। बुध और गुरु के शुभ प्रभाव से आपकी सभी रुके हुए कार्य चल पड़ेंगे। यह समय किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए बेहद ही शुभ माना जा रहा है। सुख-संपदा का लाभ मिलेगा। वहीं, अपनी सेहत का ध्यान जरूर रखें।
सिंह राशि-
सिंह राशि के लोगों के लिए गुरु और बुध की युति लाभदायक साबित हो सकती है। जॉब कर रहे लोग प्रशंसा के पात्र बनेंगे। व्यापारियों के लिए आय के नए स्रोत खुलेंगे। छोटी-मोटी दिक्कतें आ सकती हैं, जो आपके पार्टनर के सपोर्ट से आसानी से हल की जा सकती हैं। जितना आप निडर रहेंगे, उतनी ही सफलता आपके कदम चूमेगी।
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कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए करें ये दान

सूर्य को राशि और भावों में स्थित देखकर ज्योतिषशास्त्री व्यक्ति के व्यक्तिगत, आर्थिक, और आध्यात्मिक जीवन के बारे में बताते हैं. सूर्य की राशि बताती है कि व्यक्ति की प्राकृतिक स्वभाव, आत्म-पहचान, और आत्मा के गुण. सूर्य ग्रह का कोने भाव में स्थान, व्यक्ति के पेशेवर, वित्तीय, और पारिवारिक क्षेत्रों में कैसा प्रभाव डालता है.सूर्य की गोचर और दशा से व्यक्ति को जीवन में कैसे प्रबल प्रभाव होगा, इसे भी ज्योतिषशास्त्र में देखा जाता है. कुंडली में सूर्य ग्रह के किसी दोष का पता चलने पर उसके उपाय भी किए जाते हैं ताकि व्यक्ति को उसकी शुभ गुण की वृद्धि हो सके. सूर्य ग्रह व्यक्ति को आत्मशक्ति और स्वयं की पहचान में मदद करता है. सूर्य ग्रह व्यक्ति को नेतृत्व की क्षमता देता है और उसे दृढ़ता से दिशा निर्देशित करने में मदद करता है.
सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए पुष्यमित्र या माणिक्य का दान करें। यह दान सूर्य ग्रह को बल प्रदान करता है और मनुष्य की सुख-समृद्धि में सहायक होता है।
गुड़ का दान, जो सैन के दिल के करीब है, उनका आशीर्वाद भी दिलाता है। यह दान सौर ग्रह की शांति के लिए कार्य करता है और मानव ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
सूर्य की अनुकूल स्थिति बनाए रखने के लिए आरोग्य दान करना जरूरी है। स्वास्थ्य देखभाल दान में रक्तदान और अन्य प्रकार के दान शामिल हो सकते हैं।
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रामरक्षा स्त्रोत का करें पाठ, मिलेगी सफलता

प्रभु राम के विग्रह की आज गर्भगृह में स्थापना हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस दौरान पूरा देश श्रीराम के नारों से गूंज उठी. ऐसे में ज्योतिष की मानें तो अगर आप रामरक्षा स्त्रोत का संपूर्ण पाठ करेंगे तो इससे आपको हर क्षेत्र में बेहिसाब सफलता मिलेगी. 
संपूर्ण रामरक्षा स्त्रोत पाठ-
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
जिह्वां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित:।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥

करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु:।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तक:।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोऽखिलं वपु: ॥९॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत्।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥


पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण:।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥

जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥

आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥१९॥
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षयाशुगनिषंग सङ्गिनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन्मनोरथोऽस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघूत्तम: ॥२२॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित:।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥
रामं लक्ष्मण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम्।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र:।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र:।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर् ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम्।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम:।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम्।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥
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फरवरी में बुध और शुक्र इन राशियों रहेंगे मेहरबान

  • लक्ष्मी नारायण योग चमकाएगा भाग्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फरवरी में बुध और शुक्र का मिलन होगा। दोनों ग्रहों की युति से लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। इस शुभ योग के बनने से कई राशियों के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। सुख-संपदा के स्वामी शुक्र 12 फरवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जहां बुद्धि के कारक बुध पहले से गोचर कर रहे हैं। ऐसे में मकर राशि में ग्रहों की युति बनेगी।
मेष राशि-
इस राशि के दशम भाव में लक्ष्मी नारायण योग बन रहा है। ऐसे में आर्थिक लाभ मिलेगा। आय के नए दरवाजे खुलेंगे। बिजनेस से जुड़े जातक जबरदस्त सफलता हासिल कर सकते हैं। इस अवधि में निवेश करने पर फायदा हो सकता है। शुक्र के प्रभाव से प्रेमी से रिश्ते मजबूत होंगे।
कन्या राशि-
लक्ष्मी नारायण योग कन्या राशिवालों के लिए लाभकारी हो सकता है। रूझान अध्यात्म की ओर रहेगा। बुध और शुक्र जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। नया बिजनेस शुरू करना लाभदायक हो सकता है। वरिष्ठ आपके काम से प्रसन्न रहेंगे। वेतन बढ़ने के साथ कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
सिंह राशि-
इस राशि वालों पर शुक्र और बुध का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। करियर में आसमान छुएंगे। लगन और मेहनत को देखकर अधिकारी पदोन्नत कर सकते हैं। कारोबार में अच्छी खासी वृद्धि हो सकती है। मानसिक रूप से सुकून और शांति मिलेगी।
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पौष पूर्णिमा के दिन ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। पूर्णिमा का त्योहार हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। इस साल पौष पूर्णिमा 25 जनवरी को मनाई जाएगी. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने की परंपरा है। इस अवसर पर धन्य नदियों में ग़ुस्ल, दान, स्मरण और पश्चाताप भी मनाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी और उसका जीवन सुखमय हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि पावश पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ नहीं किया गया तो सेवा सफल नहीं होगी। इसलिए इस दिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आर्थिक लाभ मिलेगा। महालक्ष्मी स्तोत्र है-
महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने के लाभ इस प्रकार हैं-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त दिन में एक बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसे जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। जो व्यक्ति दिन में दो बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है उसे धन-धान्य में लाभ होता है। इसके अलावा, दिन में तीन बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें-
नमस्तेस्तु महामे श्रीपीते सुरूपजिते।
शंखचक्रागदहस्ते महालक्ष्मि नमस्तु ते।
नमस्ते गलदारदे कुलसुरबयंकालि।
सभी पापों की रक्षा करने वाली देवी महालक्ष्मी को श्रद्धांजलि।
सर्वज्ञ और सर्वज्ञ देवी दुष्ट और भयानक है।
हम सभी दुखों की देवी महालक्ष्मी को नमस्कार करते हैं।
सिद्दिबुदिप्रद देवि बुक्तिमुक्ति प्रदायिनी।
हमेशा देवी महालक्ष्मी की पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।
आद्यन्तर्हिते देवी आद्यशक्ति माहेश्वरी।
योगसंबुते महालक्ष्मि नमोस्तु ते।
सूक्ष्म स्थूल महारौद्रु महाशक्ति महोदरे।
नमोस्तु महान देवी महालक्ष्मी को समर्पित है।
पद्मासन स्थिति में देवी परब्रह्मस्वरूपिणी।
भगवान जगन्नमाता, महालक्ष्मी नमोस्तु ते:।
शोतेनब्रादरे दोइ नानालंकारबोशिते।
जगत्स्तित्य जगन्मातरमहलक्ष्मि नमोऽस्तु ते।
महालक्ष्म्यष्टकम् सूत्रम् यः पथेद्भक्तिमन्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सदैव।
इकल पशनितिम महापापविनाशनम्।
देवीकलां यः पत्नीतिं दनियाधनियासमेन्विताः।
त्रिकालं यः पथेनित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मि भुवेनित्यं प्रसन्न वर्धा मंगलकारी।
 
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षटतिला एकादशी व्रत जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में यूं तो कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन एकादशी व्रत को खास माना जाता है और यह महीने में दो बार मनाया जाता है. वर्तमान समय में एक वर्ष में 24 एकादशियाँ व्रत रखे जाते हैं। इस समय पौष का महीना चल रहा है और इसके बाद माघ महीना शुरू हो जाता है।
माघ माह में दो एकादशियां आती हैं जिनमें से पहली है षटतिला एकादशी। तो आज इस लेख में हम आपको षटतिला एकादशी तिथि और समय के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
षटतिला एकादशी की तिथि और शुभ समय-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। षटतिला एकादशी तिथि 5 फरवरी को शाम 5:24 बजे शुरू होती है और अगले दिन यानी कि समाप्त होती है। घंटा। 6 फरवरी 16:07 बजे।
इस बार षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी को रखा जाएगा। इस शुभ दिन पर स्नान आदि करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और व्रत करना चाहिए। माना जाता है कि इससे भगवान विष्णु की अपार कृपा होगी और सारी चिंताएं दूर हो जाएंगी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल खाने से जीवन में सौभाग्य, शांति और समृद्धि आती है। इसलिए इस दिन आपको समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए तिल का दान करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन तिल खाना भी लाभकारी माना जाता है।
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रामचरित मानस की इन 24 चौपाइयों में छुपा जीवन के हर संकट का समाधान

प्रत्येक मनुष्य के जीवन में किसी न किसी मोड़ पर अचानक ऐसी विपत्ति आ जाती हैं, जिससे पार पाने में वह खुद को असमर्थ पाता है। ऐसी स्थिति में जब कोई रास्ता नहीं दिखाई देता है, तो ईश्वर ही एक अंतिम सहारा होता है। विपत्ति के समय लोग अपने आराध्य देव को याद करते हैं। आराध्य देव का नाम लेने के अलावा कई ऐसे मंत्र हैं, जो इंसान को किसी भी तरह के संकट से उबारने में मददगार साबित हो सकते हैं। यदि आपको भी किसी तरह का संकट या चिंता सता रही है, तो आप राम चरित मानस की चौपाइयों का सहारा ले सकते हैं। रामचरितमानस का पाठ करने से जन्म जन्मांतरों के पाप से मुक्ति, भय, रोग आदि सभी दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि रामचरितमानस की चौपाइयां इतनी प्रभावशाली हैं कि इसके पाठ मात्र से धन की कामना रखने वाले को धन की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं उन चमत्कारी चौपाइयों व उनके प्रभाव के बारे में विस्‍तार से।
1- परीक्षा में सफलता के लिए रामायण चौपाई
मोरि सुधारहिं सो सब भांती। जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।
2- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई
जिमि सरिता सागर मंहु जाही। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
3- रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति के लिये रामायण चौपाई
साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।
4- प्रेम वृद्धि के लिए रामायण चौपाई
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।।
5- धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं।।
6- सुख प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई
सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई। लहहि भगति गति संपति नई।।
7- विद्या प्राप्ति के लिए रामचरितमानस चौपाई
गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई। अलपकाल विद्या सब आई।।
8- शास्त्रार्थ में विजय पाने के लिए रामायण चौपाई
तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।
9- ज्ञान प्राप्ति के लिए रामचरितमानस चौपाई
तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।
10- विपत्ति में सफलता के लिए रामायण चौपाई
राजिव नयन धरैधनु सायक। भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।
11- पुत्र प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई
प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
12- दरिद्रता दूर करने के लिए रामचरितमानस चौपाई
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद्र दवारिके।।
13- अकाल मृत्यु से बचने के लिए रामचरितमानस चौपाई
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट। लोचन निज पद जंत्रित प्रान केहि बात।।
14- रोगों से बचने के लिए
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम काज नहिं काहुहिं व्यापा।।
15- जहर को खत्म करने के लिए
नाम प्रभाऊ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।
16- खोई हुई वास्तु वापस पाने के लिए
गई बहारे गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।
17- शत्रु को मित्र बनाने के लिए
वयरू न कर काहू सन कोई। रामप्रताप विषमता खोई।।
18- भूत प्रेत के डर को भगाने के लिए
प्रनवउ पवन कुमार खल बन पावक ग्यान धुन। जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप घर।।
19- ईश्वर से माफ़ी मांगने के लिए
अनुचित बहुत कहेउं अग्याता। छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।।
20- सफल यात्रा के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कौशलपुर राजा।।
21- वर्षा की कामना की पूर्ति के लिए
सोइ जल अनल अनिल संघाता। होइ जलद जग जीवनदाता।।
22- मुकदमा में विजय पाने के लिए
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि विवके बिग्यान निधाना।।
23- प्रसिद्धि पाने के लिए
साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।।
24- विवाह के लिए
तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै। मांडवी श्रुतिकीरित उरमिला कुंअरि लई हंकारि कै।।

डिसक्लेमर
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प्राण प्रतिष्ठा के दिन घर पर करें ये खास उपाय, दूर हो जाएंगे दुख

पवित्र धार्मिक नगरी अयोध्या का राम मंदिर आज ऐतिहासिक श्प्राण प्रतिष्ठाश् समारोह के लिए पूरी तरह तैयार है। मंदिर को 20 और 21 जनवरी को बंद रखा गया था हालाँकि लोग 23 जनवरी से फिर से भगवान के दर्शन कर सकेंगे। 22 जनवरी यानि आज पौष शुक्ल द्वादशी अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा।
121 आचार्य प्रभु राम की प्राण.प्रतिष्ठा का अनुष्ठान कर रहे हैं। अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में लगातार पूजन.पाठए मंत्रोच्चार चल रहा है और वेदों की ऋचाएं पढ़ी जा रही हैं। हर रामभक्त अयोध्या जाकर अपने आराध्य राम के दर्शन करने को आतुर है। लेकिन अगर आप अयोध्या नहीं पहुंच पाएं है तो आज घर पर ही कुछ उपायों को करके रामलला का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं तो आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में।
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अयोध्या में राम लला की इसी मूर्ति के होंगे दर्शन

  • 22 जनवरी को खुलेगी आंखों पर बंधी पट्टी
अयोध्या। अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान जारी हैं। मुख्य कार्यक्रम 22 जनवरी को होगा। इस बीच, गर्भगृह से भगवान राम की मूर्ति की पहली तस्वीर भी सामने आई गई है। देर रात जारी तस्वीर में मूर्ति पूरी तरह ढकी हुई थी। वहीं शुक्रवार दिन में जारी तस्वीर में राम लला की आंखों पर सिर्फ पट्टी बंधी है। यह पट्टी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद खोली जाएगी। भगवान राम की यह मूर्ति 51 इंच की है, जिसे 'श्यामल' (काले) पत्थर से बनाई गई है। इसको मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है। पहले जारी तस्वीर में यह मूर्ति पूरी तरह ढंकी हुई थी, लेकिन अब मूर्ति में राम लला की आंखों पर सिर्फ बंधी है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पट्टी हटाई जाएगी।

 

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शनिवार को करें धन प्राप्ति के ये उपाय

आज शनिवार है और यह दिन शनि पूजा के लिए विशेष माना जाता है. इस दिन पूजा-पाठ, व्रत आदि करना अच्छा होता है। लेकिन साथ ही अगर शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ श्रद्धापूर्वक किया जाए तो जीवन बेहतर हो जाता है। शनि की कृपा से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
शनि चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
हे रवि तनाई, लोगों के सम्मान की रक्षा करना मुझे खुशी देता है।
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।
सदैव भक्तिमय जीवन जियें।
चरी भुजा तनु श्याम बिराजे।
उनके माथे पर रत्नजड़ित मुकुट दिखाई देता है।
एक बहुत बड़ा सुंदर भाला.
टेढ़ी नजर और झुकी हुई आंखें.
कुण्डल श्रवण चमक रहे थे।
हेलो माल मुक्तन मणि दमके॥ 4 .
गदा, त्रिशूल, कुल्हाड़ी.
चलो मुर्दों को एक पल में मार डालो।
पिंगल, कृष्ण, छाया नंदन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःखभंजन।
सौरि, मंद, शनि, दश नामा।
भानु पुत्र पूजै सकल मनोरथ।
जाओ, परन्तु भगवान की इच्छा है।
रंखूँ राव कारी माही पल॥ आठवां.
पहाड़ों को घास समझो।
त्रिनाहु पर्वत के समान है।
राज मिलत बने रामहीन दीन्हायो।
कैकेयीहूँ का मन हर्ष से भर गया।
बानाहौ में हिरण ने दिखाया छल।
जानकी की माता का अपहरण हो गया।
लखनहिं शक्ति विकल कारिदरा।
माचिगा के समूह में आक्रोश. 12
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पौष पुत्रदा एकादशी पर इस मुहूर्त में करें पूजा

  • जानिए... संपूर्ण विधि
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को खास माना गया है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन भक्त प्रभु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान की कृपा बरसती है। पंचांग के अनुसार अभी पौष मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जा रहा है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं तो आज हम आपको एकादशी व्रत की पूजा का मुहूर्त और विधि बता रहे हैं।
एकादशी पूजन का शुभ समय-
पंचांग के अनुसार पुत्रदा एकादशी इस बार 21 जनवरी 2024 को है और पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 22 जनवरी को सुबह 7 बजकर 21 मिनट से 9 बजकर 12 मिनट तक किया जाएगा।
पूजन की संपूर्ण विधि-
पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह स्नान आदि करके पूजन स्थल पर इष्ट देवता की पूजा कर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, सहित तुलसी, तिल आदि की पूजा करें उनके आगे हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और अपनी संतान संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए प्रभु से प्रार्थना करें इस दिन व्रत पूजन से जुड़े सभी नियमों का पालन करना जरूरी होता है। एकादशी व्रत पर पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए इस दिन क्रोध करने से बचें अपशब्दों का प्रयोग न करें। एकादशी तिथि पर अधिक से अधिक भगवान का चिंतन और पूजन करें व्रत कथा का पाठ करें इसके अलगे दिन व्रत का पारण करें और गरीबों को दान दें।
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तिरुचिरापल्ली से भी राम लला के लिए आया स्पेशल गिफ्ट

  • पीएम मोदी को सौंपा गया
अयोध्या। भगवान राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले महा आयोजन की तैयारियों पूरी कर ली गई हैं। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का शनिवार को पांचवां दिन है। अनुष्ठान की पूर्णाहुति 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में होगी। पूरा देश बेसब्री से उस दिन का इंतजार कर रहा है। हर शहर में दिवाली जैसी की तैयारियां हो चुकी हैं। क्या मॉल, क्या गगनचुंबी इमारतें और क्या आम परिवारों के घर, सभी को सजाया गया है। लोग उस दिन दिवाली मना सके, इसके लिए पटाखों की दुकानें लगाई गई हैं।
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के पीठासीन देवता की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अयोध्या में राम मंदिर ले जाने के लिए एक उपहार दिया गया। पीएम मोदी ने शनिवार सुबह यहां पूजा अर्चना की।
मेहमानों के लिए तैयार हो रहे प्रसाद के पैकेट-
22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले आमंत्रित लोगों के लिए वाराणसी के 'सुरभि शोध संस्थान' द्वारा अयोध्या के सरस्वती विद्या मंदिर में प्रसाद के 10,000 पैकेट तैयार किए जा रहे हैं। 
1,265 किलो का लड्डू-
एक भक्त हैदराबाद से 1,265 किलो का लड्डू लेकर अयोध्या पहुंचा। इसे प्रसाद के रूप में भगवान को चढ़ाया जाएगा। इन लड्डुओं को तैयार करने वाले श्री राम कैटरिंग सर्विसेज के एन नागभूषणम रेड्डी ने बताया, भगवान ने मेरे व्यवसाय और मेरे परिवार को आशीर्वाद दिया है। मैंने जीवित रहने तक प्रत्येक दिन के लिए 1 किलो लडडू तैयार करने का संकल्प लिया था। मैं एक सर्टिफिकेट भी। ये लड्डू एक महीने तक चल सकते हैं। 25 लोगों ने 3 दिन में ये लड्डू तैयार किए हैं।
अयोध्या पहुंचा दुनिया का सबसे बड़ा ताला-
22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले देशभर से अनूठी चीजें अयोध्या पहुंच रही हैं। अब लगभग 400 किलोग्राम वजनी ताला और चाबी अलीगढ़ से अयोध्या पहुंचा गया है। इसे बनाने में 6 महीने का समय लगा है। इसे बनाने वाले का कहना है कि यह ताला उन लोगों के मुंह पर लगाने के लिए है जो कभी कहते थे कि राम काल्पनिक हैं और कभी पूछते थे कि मंदिर कब बनेगा।

 

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श्री राम मंदिर के 500 वर्षों के इतिहास की संगीतमय प्रस्तुति आज

  • राजधानी के पुलिस परेड ग्राउण्ड में शाम 6 बजे होगा आयोजन
  • आडियो-विडियो के माध्यम से राम मंदिर की गाथा की दी जाएगी शानदार प्रस्तुति
रायपुर। अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के शुभ अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में आज 20 जनवरी को शाम 6 बजे संगीतमय प्रस्तुति के माध्यम से ‘‘गाथा राम मंदिर की‘‘ का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल शामिल होंगे। आडियो-वीडियो के माध्यम से दी जाने वाली इस प्रस्तुति में राम मंदिर के 500 वर्षों के इतिहास से जुड़ी विभिन्न घटनाओं की कथात्मक प्रस्तुति दी जाएगी।  
पूरे देश और दुनियाभर में प्रभु श्री राम के आने की प्रतीक्षा हो रही है। हर किसी को 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है, जब अयोध्या में भगवान श्री राम 500 से अधिक वर्षों के बाद मंदिर में पुनः विराजमान होंगे। राम महोत्सव को लेकर देश भर में विभिन्न तरह के आयोजन किए जा रहे हैं। श्री राम मंदिर की विडियो-आडियो प्रस्तुति में गाथा में श्रीराम जन्मभूमि को मुक्त कराने और अयोध्या में श्रीरामलला का भव्य मंदिर निर्माण तक की गाथा सुनाई जाएगी। यह प्रस्तुति एक लाइव म्यूजिकल बैंड के साथ होगी। श्रीराम जन्मभूमि की तपस्या एवं संघर्ष की सत्य गाथा के इस कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क रहेगा। श्रीराम मंदिर की महागाथा को सुर-संगीत में श्रद्धालु देख और सुन सकेंगे।
संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि कार्यक्रम में राम जन्मभूमि के इतिहास से लेकर अयोध्या में बनाए जा रहे भव्य राम मंदिर तक की घटनाओं की संगीतमय प्रस्तुति दी जाएगी। उन्होंने इस संबंध में आम नागरिकों से अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन में शामिल होने की अपील की है।
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इन राशियों पर एक महीना मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

प्रेम, आकर्षण, कला, साहित्य, सौंदर्य, धन, वैभव के कारक ग्रह शुक्र का धनु राशि में प्रवेश पौष शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि 18 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को सायंकाल 4:30 पर हो गया है। मंगल की राशि वृश्चिक को छोड़कर देवगुरु बृहस्पति की राशि में दैत्य गुरु शुक्राचार्य का प्रवेश चराचर जगत सहित सभी व्यक्तियों को सकारात्मक अथवा नकारात्मक रूप से प्रभावित अवश्य करेगा । इसके बाद शुक्र का धनु से वृश्चिक राशि में गोचर 11 फरवरी 2024 दिन रविवार को होगा। आने वाले एक महीना इन राशि वालों को भाग्य का साथ मिलेगा।
मेष :- कार्यो में भाग्य में का साथ प्राप्त हो सकता है,सम्मान एवं पराक्रम में वृद्धि की संभावना है। प्रेम संबंधों में वृद्धि तथा दांपत्य जीवन में सुधार होगा, साझेदारी के कार्यों में वृद्धि, धनवृद्धि के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं।
वृष :- मन एवं स्वास्थ्य को लेकर विशेष तौर पर सावधानी रखें ।धन में वृद्धि की स्थिति बन सकती है। वाणी व्यवसाय के क्षेत्र में प्रगति संभव है। परिवार में नया कार्य एवं पारिवारिक कार्यों में प्रगति की संभावना। पेशाब संबंधी समस्या में वृद्धि। मनोबल कमजोर बना रह सकता है।
मिथुन :- साझेदारी के कार्यो से लाभ में वृद्धि , दैनिक आय में सुधार. दांपत्य सुख में वृद्धि। प्रेम संबंधों में सुधार, जीवन साथी के साथ भ्रमण पर खर्च में वृद्धि, कलात्मकता में वृद्धि। अध्ययन अध्यापन में प्रगति संभव।
कर्क :- सुख एवं सुख के संसाधनों में कमी महसूस हो सकता है । घर एवं वाहन से संबंधित समस्याओं में वृद्धि सम्भव। माता के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें। अति घनिष्ट व्यक्ति द्वारा तनाव उत्पन्न किया जा सकता है। यात्रा खर्च में वृद्धि। एलर्जी की समस्या से तनाव।
सिंह :- आय एवं लाभ के साधनों में वृद्धि सम्भव। व्यापार में विस्तार की संभावना । संतान पक्ष से शुभ समाचार की प्राप्ति। अध्ययन अध्यापन से जुड़े लोगों के लिए सकारात्मक प्रभाव। सामाजिक प्रतिष्ठा एवं पराक्रम में वृद्धि। बौद्धिकता का सार्थक प्रयोग कर पाएंगे।
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