धर्म समाज

बसंत पंचमी के दिन करें इस विधि से पूजा, जाने शुभ मुहूर्त

 
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस खास दिन पर ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि फरवरी में किस दिन वसंत पंचमी मनाई जाती है। साथ ही यह भी बताएं कि देवी सरस्वती की कृपा पाने के लिए इस दिन क्या करना चाहिए।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि प्रारंभ 13 फरवरी को 14:41 बजे। इसके अलावा, यह 14 फरवरी को 12:09 बजे समाप्त होगा। ऐसे में वसंत पंचमी उदय तिथि के अनुसार 14 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ समय इस प्रकार रहेगा- वसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त- 7:01 से 12:35 तक।
सरस्वती पूजा विधि-
वसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनें। इस दिन आप पीले या सफेद रंग के कपड़े पहन सकते हैं। फिर पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र लगाएं। इसके बाद देवी को माला पहनाएं, अक्षत, पीली रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। पूजा के दौरान देवी सरस्वती को पीले फूल और पीला मिश्रण अर्पित करें। अंत में अपने परिवार के साथ देवी सरस्वती की आरती करें और सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।
सरस्वती की पूजा-
या ग्राहक दुतुषार्हर्धावला या शुभ्रावस्त्रवृत्त।
या विनवरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासन।
या ब्रह्मच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवाय: सदा वंदिता।
सा माँ पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाद्यपहा॥1॥
शुक्ल ब्रह्मविचार सार परममाद्यं जगद्व्यापिनि।
वीणा धारिणीमभैदं जड्यन्धकरपः पुस्तक।
त्वरणस्फटिकमालिकान् विद्धातिं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ठा परमेश्वरी भगवती बुद्धिप्रदं शरदम्॥2॥
सरस्वती या क्लाइंट डू देवी सरस्वती को समर्पित एक बहुत प्रसिद्ध भजन है और यह सरस्वती स्तोत्र का एक अंश है। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के दौरान इस सरस्वती स्तुति का पाठ करना चाहिए। इससे साधक मां सरस्वती की कृपा प्राप्त कर सकता है।
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मौनी अमावस्या, जानें स्नान दान का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस महीने पड़ने वाली अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है जो कि बेहद खास मानी जाती है। इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विशेष विधान होता है।
मान्यता है कि ऐसा करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है इस साल मौनी अमावस्या 9 फरवरी दिन मंगलवार को पड़ रही है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मौनी अमावस्या की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मौनी अमावस्या पर स्नान दान का मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की अमावस्या तिथि का आरंभ 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट से होगा। जो कि अगले दिन यानी की 10 फरवरी की सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में मौनी अमावस्या 9 फरवरी को ही मनाई जाएगी।
मौनी अमावस्या के शुभ दिन पर पवित्र नदियों में स्नान करना उत्तम माना जाता है ऐसे में अमावस्या तिथि पर स्नान का शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त से ही आरंभ हो जाएगा। मौनी अमावस्या के दिन स्नान दान का समय सुबह 5 बजकर 21 से सुबह 6 : 13 तक है। इसके अलावा सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पूरे दिन स्नान दान और पूजा की जा सकती है। मौनी अमावस्या पर पूजा और दान के लिए अभिजित मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक मिल रहा है।
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पितृदोष से राहत पाने के लिए मौनी अमावस्या पर करें ये उपाय

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस महीने पड़ने वाली अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है जो कि बेहद खास मानी जाती है। इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विशेष विधान होता है।
मान्यता है कि ऐसा करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है इस साल मौनी अमावस्या 9 फरवरी दिन मंगलवार को पड़ रही है और इस दिन स्नान दान के साथ ही अगर कुछ उपायों को किया जाए तो पितृदोष दूर हो जाता है तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
मौनी अमावस्या के आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार मौनी अमावस्या के दिन अगर कुछ ज्योतिषीय उपायों को किया जाए तो बहुत लाभ मिलता है ये उपाय नौकरी कारोबार में तरक्की प्रदान करते हैं और बाधाओं को दूर कर देते हैं इसके साथ ही विवाह में आने वाली रुकावट भी दूर हो जाती है। जीवन में सुख समृद्धि आती है साथ ही पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है।
मौनी अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना पुण्य प्रदान करता है साथ ही पितृ भी प्रसन्न हो जाते हैं। आप मौनी अमावस्या के दिन तेल, कंबल, दूध, चीनी, अन्न और धन का दान कर सकते हैं। मौनी अमावस्या के दिन पशु पक्षियों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था करना भी अच्छा माना जाता है कि इस दिन गाय, कुत्ते,पक्षियों और चीटियों के लिए भोजन रखें। मौनी अमावस्या के दिन सूर्यदेव साधना करना शुभ माना जाता है।
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हनुमान जी के इन मंत्रों से दूर होंगे सारे संकट, मिलेगी अपार सफलता

सनातन धर्म में हर दिन का एक विशेष अर्थ होता है। मंगलवार के दिन मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की पूजा का विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के कार्य पूर्ण हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप हनुमान जी की पूजा करते समय मंत्र का जाप नहीं करते हैं तो आपको हनुमान जी का आशीर्वाद नहीं मिलता है। इसलिए मंगलवार के दिन पूजा के दौरान हनुमान जी के मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन की चिंताओं से मुक्ति मिलती है। हनुमानजी का मंत्र है-
हनुमान मंत्र-
1. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, सर्वशत्रु विनाशाय, सर्वरोगहराय, सर्वव्याधिहाराय, रामदूताय स्वाहा!
2. ॐ नमु हनुमते रुद्रावताराय विश्वर्पाय अमितोविक्रमय
घोषणापत्र पराक्रमी महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामुदुताय स्वाहा।
3. मनोइवं मार्थुरिवगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतं सिनियम।
वातात्मजं वानरयोतमख्यम्, श्रीरामदूतं चरणं पसादेह।
4. मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर।
यपुजितं माया डेवलपर्स! पूर्णतः स्वस्थ ||
5. वायो का बेटा!
पूजाइशामि ते मूरद्नि नवरत्न-समुजाराम ||
6. ॐ नमु हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रतंत्रत्रतकनसकाय श्रवाजिवार्चिचेडकाय सर्वव्यादिनिकोरान्तकाय सर्वाभ्यप्रशमनाय सर्वदुष्टमकुस्तम्बनाय सर्वकार्यसिद्धिप्रदाय रामदूताय सोहा।
7. महाबलै वीरै चिरंजीविन उदते।
हरिणे वज्र देहै चोलंगित महाव्ये।
8 प्राधिकारबर्द्धं हम्शिर्बधं, धनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगणीयम्।
सकार्गुणनिदानं वानरणामदिषम्, रघुपतिप्रियभक्तं वचत्तं नमामि।
9 ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैविकाधिभौतिका
तपत्रि निवारणै रामदुति सोहा।
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इन चीजों के बिना अधूरी है "सकट चौथ" पूजा, जाने...

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन सकट चौथ को खास माना गया है जो कि भगवान गणेश की साधना आराधना को समर्पित होता है इस दिन भगवान की विधि विधान से पूजा की जाती है और दिनभर का उपवास भी रखा जाता है।
इस साल की पहली बड़ी चौथ 29 जनवरी दिन सोमवार यानी की आज मनाई जा रही है इस दिन को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। सकट चौथ व्रत में चंद्रमा को जल देने के बाद ही पूरा माना जाता है। सकट चौथ की पूजा कुछ खास चीजों के बिना पूरी नहीं मानी जाती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा उन्हीं के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
सकट चौथ पूजन ​मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ आज यानी 29 जनवरी की सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर हो चुका है और समापन अगले दिन यानी 30 जनवरी की सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर हो जाएगा। वही सकट चौथ के दिन चंद्रमा रात 9 बजकर 10 मिनट पर निकलेगा।
सकट चौथ पूजन सामग्री लिस्ट-
सकट चौथ पूजन में भगवान श्री गणेश की प्रतिमा या तस्वीर, चौकी, पीला वस्त्र, पुष्प, गंगाजल, सुपारी, जनेउ, लौंग, दीपक, दूध, मोदक, धूप, देसी घी के 11 या 21 तिल के लड्डू, फल, कलश आदि की जरूरत पड़ती है। इसके साथ ही पूजन के दौरान जातक को स्वयं के बैठने के लिए भी आसन की अवश्यकता होती है। मान्यता है कि इन सभी सामग्रियों के साथ अगर सकट पूजन किया जाए तो पूर्ण फल मिलता है और पूजा भी पूरी होती है।
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शनि के अस्त होते ही इन 3 राशियों के शुरू हो जाएंगे काले दिन

  • मुश्किलों से भर जाएगा जीवन
17 फरवरी को शनिदेव कुंभ राशि में अस्त होंगे। इसके बाद 26 मार्च तक अस्त अवस्था में रहेंगे। इस दौरान कुछ राशिवालों के जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कर्मफलदाता के अस्त होने से तीन राशियों के जीवन में परेशानियां बढ़ सकती है। इस राशि के जातकों की नौकरी, व्यापार और करियर प्रभावित हो सकता है। कामकाज में रुकावट आ सकती है। शनि के अस्त होने से इन 3 राशियों पर पड़ेगा असर-
मेष राशि-
शनि देव मेष राशि के 11वें भाव में अस्त होंगे। आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। व्यापार में नुकसान हो सकता है। जो जातक मुकदमेबाजी से जूझ रहे हैं। उन्हें कठिन समय का सामना करना पड़ सकता है।
वृषभ राशि-
इस राशि के दसवें भाव में शनि अस्त होंगे। जीवन में अशांति बढ़ सकती है। करियर में उतार-चढ़ाव आ सकता है। व्यापार क्षेत्र में भारी नुकसान हो सकता है। वैवाहिक जीवन में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।
कन्या राशि-
शनि कन्या राशि के छठे भाव में अस्त होंगे। जिसके परिणामस्वरूप जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। इस दौरान कर्मचारियों को सावधानी बरतनी चाहिए। व्यापार में हानि के कारण तनाव बढ़ सकता है। मन अशांत रह सकता है।

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संकटों को हरने वाली संकष्टी चतुर्थी आज, बन रहा ये खास संयोग

  • जानें मुहूर्त और चांद निकलने का समय
हिंदू पंचाग में संकष्टी चतुर्थी को विशेष महत्व दिया गया है। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से सभी तरह के संकटों का निवारण होने की मान्यता है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इसे तिल चौथ और तिलकुट्टा चौथ भी कहा जाता है। तिलयुक्त जल से स्नान करके इष्टदेवों को तिल, गुड़ का भोग लगाने की परंपरा है।
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार 29 जनवरी को सूर्योदय से लेकर अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 8.55 बजे तक चतुर्थी तिथि विद्यमान रहेगी। 29 जनवरी को चंद्रमा रात्रि 9.15 बजे उदय हो रहा है। परिणामस्वरूप चतुर्थी और चंद्रोदय का अच्छा संयोग बन रहा है। चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को सुबह 6.10 बजे से 30 जनवरी को सुबह 8.55 बजे तक रहेगी। रात्रि 9.15 बजे चंद्रोदय होगा।
मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश के संयोग के परिणामस्वरुप संकष्टी चतुर्थी पर व्रत करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि, नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिन व्रत और पूजन से वर्ष पर्यंत सुख शांति और समृद्धि का वास होता है। इस दिन गुड और तिल का लड्डू बनाकर उसे पर्वत रूप समझकर दान किया जाता है। गुड़ से गाय की मूर्ति बनाकर पूजा करें। इसे गुड़-धेनु कहा जाता है। रात्रि में चंद्रमा और गणेश की पूजा के उपरांत अगले दिन दान करें।
संकष्टी चौथ का महत्व-
चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ से भगवान गणेश जीवन में सभी तरह बाधाएं को दूर करते हैं। माघ महीने की संकट चौथ का व्रत संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा संकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है। गाय और हाथी को गुड़ खिलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता।
ऐसे करें पूजन-
गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य, ऋतु फल से गणेशजी का षोडशोपचार विधि से पूजन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें।
चंद्रमा को देते समय ओम चंद्राय नमः , ओम सोमाय नमः मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए।
10 महादान करें- इनमें अन्न, नमक, गुड, स्वर्ण, तिल, वस्त्र, गौघृत, रत्न, चांदी, शक्कर का दान करें। इससे दुःख-दारिद्रता, कर्ज, रोग, अपमान से मुक्ति मिलती है।
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डिप्टी सीएम अरुण साव ने सपरिवार बाबा महाकाल के दर्शन किए

रायपुर। डिप्टी सीएम अरुण साव ने सपरिवार बाबा महाकाल के दर्शन किए। उन्होंने ट्विटर पर जानकारी देते बताया कि सपरिवार धर्म नगरी उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचकर बाबा महाकाल के दर्शन-पूजन कर प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि एवं शांति की कामना किया। बाबा महाकाल सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें, सब सुखी हों, सब निरोगी हों, यही प्रार्थना है।
 
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खाद्य मंत्री बघेल नवागढ़ रामायण मानस गायन कार्यक्रम में हुए शामिल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री दयालदास बघेल बेमेतरा जिले के नवागढ़ शंकर नगर में आयोजित रामायण मानस गायन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रामायण मानस मण्डली महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह हमारी संस्कृति की धरोहर है। रामायण मानस मंडलियां प्रदेश में प्रभु श्री राम के आदर्शो और उनके जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रही है।
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माघ माह में कब है संकट चौथ, जानें शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का अधिक महत्व है. मासिक चतुर्थी, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश का व्रत और पूजन करने की परंपरा है। इस वर्ष 26 जनवरी से मृत्यु माह शुरू हुआ। इसका समापन भी 24 फरवरी को होगा। इस महीने रामबोदर संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी के शुभ काल में भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशियां आती हैं। आइए बात करते हैं रामबोधर संकष्टी और विनायक चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
रामबोदर संकष्टी चतुर्थी 2024 की शुभ तिथि और समय-
पंचांग समाचार पत्र के अनुसार, मार्ग माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को सुबह 6:10 बजे शुरू होती है और अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 8:54 बजे समाप्त होती है। इस बार रामबोदर संकष्टी चतुर्थी 2 जनवरी को मनाई जाएगी 29.
विनायक चतुर्थी 2024 की शुभ तिथि और अवधि-
पंचान समाचार पत्र के अनुसार, मृत्यु माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 फरवरी को शाम 5:44 बजे शुरू होती है और अगले दिन 13 फरवरी को दोपहर 2:41 बजे समाप्त होती है। मार्ग माह में 13 फरवरी को विनायक चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। .
चतुर्थी पूजा की विधि-
चतुर्थी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
इसके बाद खंभे पर कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है।
रोशनी जलाएं और फूल, मालाएं और जड़ी-बूटियां चढ़ाएं।
इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें और आरती करें।
इस अवसर पर विशेष प्रसाद, बौंडी लड्डू या मोदक चढ़ाना पारंपरिक है। वे गणपति बप्पा को खाना खिलाते हैं और लोगों को प्रसाद बांटते हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलें।
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माघ मास में कर लें ये खास उपाय

  • सभी समस्या का होगा निवराण
सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने को खास माना गया है लेकिन माघ का महीना महत्वपूर्ण होता है जो कि इस बार 26 जनवरी से आरंभ हो चुका है और इसका समापन 24 फरवरी को हो जाएगा। इस महीने स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप करना लाभकारी माना जाता है।
मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस पवित्र मास में भगवान विष्णु, श्री कृष्ण, सूर्यदेव और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है ऐसा करने से सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इसी के साथ ही अगर माघ के महीने में कुछ उपायों को किया जाए तो धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
माघ मास में करें ये आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार माघ मास में पड़ने वाले शनिवार के दिन काली उड़द और काले तिल को एक वस्त्र में बांधकर किसी गरीब को दान कर देना चाहिए। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलता है। माघ मास में श्विलिंग का काले तिल और जल से अभिषेक करना भी शुभ माना जाता है ऐसा करने से सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।
इस महीने नियमित रूप से तुलसी के समक्ष दीपक जलाएं और विधिवत पूजा करें। साथ ही इस महीने में जरूरतमंदों को गर्म वस्त्र, कबंल आदि का दान करें। ऐसा करने से देवी देवता प्रसन्न होकर कष्ट दूर करते हैं और धन लाभ प्रदान करते हैं।
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शनिवार के दिन करे इन महामंत्रों का जाप

सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता है। वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनि देव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है लेकिन इसी के साथ ही अगर शनिवार के दिन शनि महाराज की विधिवत पूजने के साथ ही उनके चमत्कारी मंत्रों का जाप सच्चे मन और भक्ति भाव से किया जाए तो जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं और हर समस्या का समाधान होता है। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान शनिदेव के चमत्कारी मंत्र।
शनिदेव के चमत्कारी मंत्र-
अगर आप शनि महाराज की कृपा पाना चाहते हैं तो ऐसे में शनिवार के दिन स्नान करें इसके बाद मंदिर जाकर तेल का दान करें साथ ही इस मंत्र का सच्चे मन से जाप करें मान्यता है कि ऐसा करने से शनि देव की कृपा सदा बनी रहती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
1. ॐ शं शनिश्चराय नम:
2.शनि आह्वान मंत्र
नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |
चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||
3. साढ़ेसाती के प्रभाव से बचने का शनि मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।
4. शनि गायत्री मंत्र
ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
5. शनि आरोग्य मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
6. शनि दोष निवारण मंत्र
ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः।
ओम शं शनैश्चराय नमः।।
7. क्षमा हेतु शनि मंत्र
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
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आज 1 हजार लोगों को हिंदू धर्म में कराएंगे वापसी- पंडित धीरेंद्र शास्‍त्री

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में बागेश्‍वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री की श्री हनुमंत कथा चल रहा है। आज हनुमंत कथा का आखिरी दिन है। कथा में आज धीरेंद्र शास्त्री एक हजार लोगों की हिंदू धर्म में वापसी कराएंगे। इस घर वापसी कार्यक्रम के प्रमुख भाजपा नेता प्रबल प्रताप सिंह जूदेव हैं। प्रबल प्रताप ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा पर तंज कसते हुए कहा कि आप में थोड़ा भी आत्मसम्मान बचा है तो राजनीति से इस्तीफा दें।
बागेश्‍वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री की श्री हनुमंत कथा 23 से 27 जनवरी तक शहर के गुढ़ियारी इलाके में हो रही है। आज कथा का आखिरी दिन है। इसमें आज धर्मांतरित लोगों की घर वापसी भी होगी। हिंदू धर्म में वापसी करने वालों में 251 परिवार के लगभग 1 हजार धर्मांतरित लोग हैं। वहीं कार्यक्रम में 21 निर्धन कन्याओं का विवाह होगा।
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सूर्य और शनि की युति 11 फरवरी को

  • इन राशियों वाले को 30 दिन रहना होगा अलर्ट
हिंदू ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव और शनि देव के बीच पिता और पुत्र का संबंध माना गया है। ज्योतिष मान्यता है कि पिता-पुत्र के संबंध हमेशा शत्रु पूर्ण रहते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, फरवरी माह में सूर्य और शनि देव की स्थिति में बदलाव होगा। कुंभ राशि में शनिदेव और सूर्यदेव की युति निर्मित हो रही है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, 11 फरवरी से सूर्य देव कुंभ राशि में गोचर करेंगे, वहीं दूसरी ओर शनि देव कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे। ऐसे में कुछ राशि के जातकों के लिए आगामी 30 दिन भारी रह सकते हैं। इन राशि वालों का अलर्ट रहना चाहिए।
कर्क राशि वालों को नौकरी में परेशानी-
सूर्य शनि की युति कर्क राशि के जातकों का तनाव बढ़ा सकती है। जीवन में तनाव हो सकता है। कुछ बातों को लेकर चिंता हो सकती है। नौकरीपेशा लोगों को अपने काम में संतुष्टि नहीं मिलेगी।
सिंह राशि वालों को नहीं होगा मुनाफा-
सूर्य शनि की युति से सिंह राशि वालों को करियर या व्यापार में विशेष लाभ नहीं होगा। रिश्ते में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। तत्काल अपने व्यवहार में सुधार लाएं वरना दूसरों से संबंध खराब हो सकते हैं। परिवार में गलतफहमी हो सकती है।
तुला राशि वालों के जीवन में अशांति-
सूर्य और शनि की युति से तुला राशि वाले जातकों के जीवन में अशांति ला सकती है। किसी भी कार्य में असफलता हाथ लग सकती है। व्यापारियों को भी इस अवधि में मध्य लाभ ही मिलेगा। वाणी पर काबू रखें वरना परिवार में रिश्ता खराब हो सकता है।
कुंभ राशि पर प्रभाव-
सूर्य शनि की युति से कुंभ राशि वालों को परेशानी दे सकती है। सेहत खराब हो सकती है। जीवनसाथी के साथ रिश्ते खराब हो सकते हैं। परिवार में लगातार तनाव बना रहेगा। उधार चुकाने की चिंता सताएगी।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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पौष पूर्णिमा आज, करें ये उपाय

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण बताया गया है जो कि हर माह में एक बार आती है। अभी पौष का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और व्रत का विधान होता है।
पूर्णिमा तिथि माता लक्ष्मी को समर्पित की गई हैं इस दिन धन की देवी की आराधना करने से उत्तम फल मिलता है और आर्थिक संकट दूर हो जाता है इस बार पौष पूर्णिमा का व्रत आज गुरुवार को किया जा रहा है इस दिन पूजा पाठ करना लाभकारी माना जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं।
पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस मुहूर्त में अगर धार्मिक कार्यों को किया जाए तो अधिक फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन सुबह में स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें और इसके बाद व्रत पूजन का संकल्प करें। पौष पूर्णिमा के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र, कंबल आदि का अगर दान किया जाए तो पुण्य फलों में वृद्धि होती है और भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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षटतिला एकादशी 6 फरवरी को, इस दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है और इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस साल षटतिला एकादशी तिथि 6 फरवरी 2024, मंगलवार को है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत के प्रभावशाली मंत्र-
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ विष्णवे नम:
धन-समृद्धि मंत्र-
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
लक्ष्मी विनायक मंत्र-
दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
विष्णु के पंचरूप मंत्र-
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
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इस कारण रखा जाता है सकट चौथ व्रत, जानें इससे जुड़ा रहस्य

सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत किया जाता है। हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इस बार सकट चौथ व्रत 29 जनवरी को पड़ रहा है। सकट चौथ पर महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस चतुर्थी को कई नामों से जाना जाता है, जैसे तिलकुट, संकष्टी चतुर्थी और माघ चतुर्थी। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। आइए, जानते हैं सकट चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है।
क्यों रखा जाता है सकट चौथ व्रत ?-
सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के परंपरा है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। पूजा के दौरान व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। सकट चौथ कथा पढ़ने से व्रत पूर्ण माना जाता है। इस व्रत के दिन चंद्र देव को जल अर्पण करने से संतान का भाग्योदय होता है।
सकट चौथ का शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार माघ मास की चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार सकट चौथ व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। सकट चौथ के दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 10 मिनट पर होगा।
सकट चौथ चंद्र दर्शन-
इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही सकट चौथ का व्रत खोला जाता है। इस व्रत को करने के साथ-साथ चंद्र दर्शन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।

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बृहस्पति देव 1 मई तक मेष राशि में रहेंगे विराजमान

  • ये उपाय तीन राशि वालों को देंगे फायदा
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को काफी प्रभावकारी माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, बृहस्पति देव 1 मई 2024 तक मेष राशि में विराजमान रहेंगे। पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, इस दौरान गुरुदेव बृहस्पति अपनी पंचम दृष्टि से सिंह राशि पर नजर रखेंगे और सप्तम दृष्टि से तुला राशि को भी लाभ पहुंचाएंगे। इस दौरान यदि रोज बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए गरीब बच्चों को शिक्षा सामग्री दान करते हैं और गुरुवार के दिन गुरु मंत्र का जाप करते हैं तो इन तीन राशि वालों पर बृहस्पति देव की कृपा बनी रहेगी।
मीन राशि वालों का बढ़ेगा सामाजिक प्रभाव-
बृहस्पति देव का मीन राशि पर भी अच्छा प्रभाव हो सकता है। धन और वाणी भाव पर संचरण होने के कारण मीन राशि वालों के लिए बृहस्पति देव स्वामी की भूमिका में है। इस दौरान आकस्मिक धन लाभ हो सकता है। सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव बढ़ सकता है।
मिथुन राशि खरीदेंगे नया वाहन-
गुरु बृहस्पति का संचरण मिथुन राशि के जातकों के लिए फायदेमंद होगा। आय में बढ़ोतरी हो सकती है। मिथुन राशि वाले नया वाहन खरीद सकते हैं। संतान से संबंधित कोई शुभ समाचार मिल सकता है। संतान का विवाह संबंध तय हो सकता है।
मेष राशि को सरकारी कार्य में लाभ-
गुरु ग्रह का भ्रमण मेष राशि वालों के लिए भी फलदायी सिद्ध हो सकता है। किसी नए कार्य में निवेश कर सकते हैं। सरकारी कार्यों में लाभ मिलेगा। धन संचय करने में सफल रहेंगे। व्यापार के काम से विदेश यात्रा कर सकते हैं।

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