धर्म समाज

जया एकादशी पर इस मुहूर्त में करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा

  • जया एकादशी पर करें ये खास उपाय
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार आती है साल में कुल 24 एकादशी का व्रत किया जाता है। अभी माघ मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की साधना आराधना के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है इस दिन भक्त भगवान की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर का उपवास भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से श्री हरि और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार इस बार जया एकादशी का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जा रहा है ऐसे में इस बार एकादशी का व्रत 20 फरवरी 2024 दिन मंगलवार को रखा जा रहा है इस दिन विष्णु पूजा का विधान है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त बता रहे हैं।
जया एकादशी की तारीख और शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 19 फरवरी दिन सोमवार को सुबह 8 बजकर 49 मिनट से हो चुका है इसका समापन 20 फरवरी दिन मंगलवार को सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को किया जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से भक्तों को कृपा प्राप्त होती है एकादशी पर आप दिनभर भगवान विष्णु की पूजा की जा सकती है। मान्यता है आज के दिन विधिवत पूजा करने से प्रभु की असीम कृपा प्राप्त होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
जया एकादशी पर करें ये खास उपाय-
तुलसी से जुड़ा खास उपाय- जया एकादशी के दिन तुलसी के कुछ पत्तों को लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें। इस बीच भगवान विष्णु से संबंधित मंत्रों का जाप करें। पूजा के दौरान इन पत्तों को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को अर्पित करें। इससे आर्थिक लाभ होता है। समृद्धि में वृद्धि होती है।
लक्ष्मी-नारायण को ये चीजें अर्पित करें- भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें। पीले वस्त्र, पीले फूल और पीले फल चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं. इससे देवी लक्ष्मी और श्रीहरि दोनों प्रसन्न होते हैं। व्यक्ति जीवन की चिंताओं से मुक्त हो जाता है। आर्थिक लाभ की संभावना है।
जया एकादशी के दिन पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी को 16 श्रृंगार अर्पित करें। इससे सौभाग्य आएगा. पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है.
पीपल से जुड़ा खास उपाय- इस दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीपल के पत्ते पर दूध और केसर की मिठाई रखकर अर्पित करें। पीपल के पेड़ को प्रणाम करें और घी का दीपक जलाएं। इससे आर्थिक लाभ होता है। कर्ज से मुक्ति मिलती है।
इस उपाय को पीले फूलों के साथ प्रयोग करें- जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को गेंदे या पीले फूलों की माला चढ़ाएं। पूजा के बाद इस माला को पीले कपड़े में लपेटकर घर के पूर्वी हिस्से में लटका दें। इसका मतलब है कि घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है। व्यक्ति को क्रोध और वाद-विवाद से मुक्ति मिलती है।
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जानिए ज्योतिषशास्त्र से आज का राशिफल

नई दिल्ली। ज्योतिषशास्त्र में जिस तरह से मनुष्य के जीवन से जुड़ी कुछ जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं। ठीक उसी तरह से टैरो कार्ड की सहायता से मनुष्य के जीवन से जुड़ी कई बातें मालूम की जा सकती हैं, तो पढ़ें आज का टैरो राशिफल
मेष- यात्रा की योजनाओं को पुनर्निर्धारित करने की जरूरत हो सकती है लोगों के साथ बातचीत आउपको शक्ति और कौशल प्रदान करेगा। मन प्रसन्न बना रहेगा आर्थिक मजबूती देखने को मिलेगी।
वृषभ- पारिवारिक जीवन सामान्य बना रह सकता है कानूनी मामलों में पड़ने से अभी आपको बचना होगा। जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिलेगा। कारोबार से जुड़े लोगों के हाथ बड़ा मुनाफा लग सकता है।
मिथुन- माता पिता की सेहत को लेकर चिंता बनी रह सकती है आज का दिन सामान्य रहेगा। सरकारी योजनाओं का आप पूरा लाभ उठा सकते हैं परिवार में शांति का माहौल बना रहेगा।
कर्क- आराम करें और दूसरों की संगति का आनंद लें। आपकी सामूहिक या संगठनात्मक गतिविधयां आपके परिवार और घरेलू जीवन को प्रभावित कर सकती है। मित्रों का सहयोग मिलेगा।
सिंह- आज का दिन उतार चढ़ाव से भरा होने वाला है कार्यस्थल पर वेतन में वृद्धि या पदोन्नति के साथ अभी आपको पुरस्कृत किया जा रहा है। आर्थिक तौर पर बदलाव देखने को मिलेगा।
कन्या- वैवाहिक जीवन बढि़या बना रह सकता है रिश्ते में मजबूती बनी रहेगी। ससुराल पक्ष से धन लाभ भी मिल सकता है संतान को लेकर चिंता हो सकती है वाहन सुख की प्राप्ति होगी।
तुला- आज का दिन उतार चढ़ाव से भरा होने वाला है आर्थिक तौर पर बदलाव देखने को मिल सकता है। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है वाद विवाद से बचें।
वृश्चिक- आज का दिन बढि़या बना रहेगा। परिवार और मित्रों के साथ अच्छा वक्त गुजार सकते हैं काम काज की अधिकता बनी रह सकती है। धार्मिक कार्यों में आप शामिल भी हो सकते हैं।
धनु- रिश्ते में चीजें तनावपूर्ण हो सकती हैं ऐसे में रिश्ते का टूटना एकमात्र विकल्प हो सकता है। काम काज में आने वाली दिक्कतें दूर होगी। परिवार का पूरा सहयोग आपको मिलेगा।
मकर- नए मौकों का फायदा उठाएंगे। प्रगति के मार्ग पर आप आगे बढ़ चुके हैं मन प्रसन्न बना रह सकता है काम काज पूरे होंगे। संतान की ओर से आपको शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
कुंभ- नौकरी में आ रही समस्याएं आपकी चिंता का कारण हो सकती है लेकिन कुछ वक्त बाद आपको इनसे राहत मिल सकती है आर्थिक मजबूती बनी रहेगी। पिता के साथ अधिक वक्त गुजार सकते हैं।
मीन- आज का दिन बढि़या बना रहेगा। लंबी दूरी की यात्रा के योग बन रहे हैं अपनी चीजों का ध्यान स्वयं रखें वरना छोटी हो सकता है। आर्थिक तौर पर मजबूती बनी रहेगी।
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21 फरवरी को रखा जाएगा प्रदोष व्रत

  • इन मंत्रों का करें जाप, हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता
हिंदू धर्म में हर महीने के कृष्ण और शुक्ल त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार माघ महीने में प्रदोष व्रत 21 फरवरी को रखा जाएगा। इस खास अवसर पर शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान महादेव की विधि-विधान से पूजा करने से साधक सभी प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है। साथ ही सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान कुछ खास मंत्रों का जाप करने से किस्मत चमक जाती है। हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फरवरी महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024, बुधवार को मनाया जाएगा। माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी को सुबह 11:27 बजे शुरू होगी। यह 22 फरवरी 2024 को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी।
महामृत्युंजय मंत्र-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव स्तुति मंत्र-
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
शिव नामावली मंत्र-
।। श्री शिवाय नम:।।
।। श्री शंकराय नम:।।
।। श्री महेश्वराय नम:।।
।। श्री सांबसदाशिवाय नम:।।
।। श्री रुद्राय नमः।।
।। ॐ पार्वतीपतये नमः।।
।। ओम नमो नीलकण्ठाय नमः।।
शिव प्रार्थना मंत्र-
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
शिव गायत्री मंत्र-
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
शिव आरोग्य मंत्र-
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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सुख-सौभाग्य दाता की इस राशि वालों पर रहेगी मेहरबानी

  • अप्रैल तक पैसों से भरी रहेगी जेब
इंदौर। गुरु ग्रह गोचर हर राशि के जातकों पर प्रभाव डालता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति को भाग्य का स्वामी ग्रह माना जाता है। इसकी स्थिति में थोड़ा-सा परिवर्तन 12 राशि वालों के जीवन को प्रभावित करता है। फिलहाल देवगुरु मेष राशि में विराजमान है। 3 फरवरी को बृहस्पति ने भरणी नक्षत्र में प्रवेश किया था। जहां वे 17 अप्रैल तक रहेंगे। भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र और स्वामी यमराज हैं। आइए जानते हैं गुरु भरणी नक्षत्र से किन राशियों को विशेष लाभ मिलेगा।
मेष राशि-
बृहस्पति का नक्षत्र परिवर्तन शुभ हो सकता है।
भाग्य आपका पूरा साथ देगा।
विदेश जाने का सपना पूरा हो सकता है।
परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा।
वृषभ राशि-
प्रोफेशनल्स को लाभ मिल सकता है। गुरु की कृपा से झुकाव अध्यात्म की ओर होगा।
भाग्य के सहयोग से हर क्षेत्र में सफलता मिलने की प्रबल संभावना है।
कई दिनों से लंबित काम पूरे होंगे।
निर्यात-आयात के कारोबार में बड़ी सफलता मिलेगी।
कन्या राशि-
धन और भाग्य के सहयोग से हर क्षेत्र में फायदा मिलेगा।
निवेश लाभदायक हो सकता है।
नौकरीपेशा जातकों को सफलता के साथ पदोन्नति मिल सकती है।
शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिलने की संभावना है।

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शनि दोष से छुटकारा दिला सकता है ये पौधा

  • घर में लेकर आएगा सुख-समृद्धि
नई दिल्ली। सनातन धर्म में पेड़-पौधों का विशेष महत्व है। यहां बहुत सारे पेड़-पौधे लगे हुए हैं। इन्हीं पौधों में से एक है शमी का पौधा। कहा जाता है कि घर में शमी नामक पौधा लगाना बहुत शुभ होता है। शमी का पौधा शनिदेव और भगवान शंकर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में इस पौधे की पूजा करने से भगवान शंकर और शनिदेव की कृपा सदैव बनी रहती है। वैसे तो शमी के पेड़-पौधों की पूजा कैसे करनी चाहिए ये तो सभी जानते हैं, लेकिन शमी के पेड़-पौधों के दर्शन कितनी बार करना चाहिए, इसे लेकर अक्सर असमंजस रहता है। अगर आप भी इसी असमंजस में हैं और नहीं जानते कि क्या करें तो आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आपको कितनी बार पेड़ या पौधे के आसपास घूमना चाहिए। कृपया मुझे अपडेट रखें।
मुझे शमी वृक्ष के चारों ओर कितनी बार घूमना चाहिए?
शमी के पेड़ या झाड़ी की सात बार परिक्रमा करना उत्तम होता है। शनि से संबंधित होने के कारण यह अंक शनिदेव को प्रसन्न करने वाला शुभ अंक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शमी के पौधे की पूजा करते समय परिक्रमा करने से मनुष्य का जीवन जल्द ही समाप्त हो जाता है, अगर इसमें जरा भी ईमानदारी है।
आपको ईवनिंग प्रिमरोज़ कब और कैसे लगाना चाहिए?
साया के पौधे रोपने के लिए शनिवार का दिन सबसे भाग्यशाली दिन माना जाता है। इसके अलावा विजयादशमी के दिन शमी का पौधा लगाना भी बहुत शुभ माना जाता है। जलवायु की दृष्टि से शमी के पौधे उच्च तापमान में भी पनपते हैं, इसलिए इन्हें गर्मियों की शुरुआत में लगाना सबसे अच्छा होता है।
दिशा के संबंध में कहा जाता है कि शमी का पौधा दक्षिण या पूर्व दिशा में लगाना एक अच्छा शगुन होता है। शमी के पौधों को अच्छे जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है. आप गमले को मिट्टी से भर सकते हैं या पौधे को सीधे मिट्टी में लगा सकते हैं। यदि आप गमले में शमी लगा रहे हैं तो उसे लगभग 2/3 मिट्टी से भर दें और उसमें थोड़ी सी खाद मिला दें। फिर शमी को गमले में रोपें और खूब पानी दें, धूप दिखाएं, साल में दो बार खाद डालें और नियमित रूप से काटते रहें।
आपको किस बात पर ध्यान देना चाहिए?
1. कैसे करें परिक्रमा : सूर्योदय के बाद दाएं हाथ से बाएं हाथ की ओर परिक्रमा करें।
2. वस्त्र : परिक्रमा के दौरान साफ ​​और शुद्ध वस्त्र पहनें।
3. मंत्र : परिक्रमा करते समय "ॐ श्याम शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें।
4. रोशनी: शमी के पेड़ के नीचे आप रोशनी भी जला सकते हैं।
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गुप्त नवरात्रि की अष्टमी आज, करें ये चमत्कारी उपाय

मग गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू हो गई है. शनिवार यानी आज दुर्गाष्टमी है. सनातन धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। अष्टमी और नवमी नवमी तिथि बहुत खास होती है. इस दिन मां दुर्गा की पूजा के अलावा कई काम बहुत शुभ माने जाते हैं। मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. घर में सुख-समृद्धि आती है। समस्याओं से मुक्ति मिलती है. सफलता के योग हैं.
आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए दुर्गा अष्टमी के दिन पांच पान के पत्तों पर चंदन से मां दुर्गा का बीज मंत्र "ॐ हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" लिखें। इसे मां दुर्गा के चरणों में समर्पित करें. नवमी के दिन इन पत्तों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या मनी काउंटर पर रख दें। इससे आर्थिक लाभ के अवसर बनते हैं। ऋण मुक्ति प्राप्त करें.
अपने घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए चारों कोनों में कपूर का एक टुकड़ा रखें। कपूर को ऐसी जगह अवश्य रखें जहां किसी की नजर न पड़े। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। यहां सुख, शांति और समृद्धि का माहौल है।
गुप्त नवरात्रि अष्टमी के दिन शाम के समय मिट्टी के दीपक में कपूर के साथ लौंग जलाएं। पूरे घर में धुआं फैलाएं. ऐसी मान्यता है कि इससे आपको जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी। प्रगति की गुंजाइश है.
इस दिन शाम के समय तुलसी कारखाने के पास 9 दीपक जलाएं। ऐसी मान्यता है कि इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. साथ ही घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। सुख-समृद्धि बढ़ती है। सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करें.
इस दिन मां दुर्गा को श्रृंगार के रूप में वर्षा अर्पित की जाती है। महिलाओं को दुर्गा अष्टमी पर श्रृंगार का सामान दान करना चाहिए। इससे आपकी ख़ुशी बढ़ती है. आय बढ़ती है.
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20 फरवरी को रखा जाएगा जया एकादशी व्रत

  • जानिए सही तिथि और मंत्र
जया एकादशी का पर्व हर साल हिंदू माह के माघ में मनाया जाता है। इस शुभ समय में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस साल यह व्रत 20 फरवरी को रखा जाने वाला है।
जया एकादशी व्रत के लाभ-
हिंदू पुराणों में एकादशी की तिथि का व्रत रखना बहुत लाभकारी बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को बताया था। इस व्रत को करने से पिछले जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मानसिक शांति प्राप्त होती है। अत: हर व्यक्ति को इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत का पारण 21 फरवरी को सुबह 6 बजकर 55 मिनट से सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक कर सकते हैं।
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 19 फरवरी 2024 को सुबह 08:49 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 20 फरवरी 2024 को सुबह 09:55 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी, मंगलवार को रखा जाएगा।
श्री हरि विष्णु का रूपम मंत्र-
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
विष्णु जी का गायत्री मंत्र-
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
भगवान विष्णु पूजन मंत्र-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

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मूलांक 4 वालों को मिलेगा भाग्य का साथ

  • पढ़ें शुक्रवार का अंक राशिफल
मूलांक 1- वाहन खरीदने की योजना बन सकती है। मन में कुछ नया काम का उत्साह रहेगा। फिजूल खर्चों को लेकर मन में चिंता रहेगी। बदले की भावना से कोई भी काम न करें।
मूलांक 2- आर्थिक स्थिति में सुधार के योग है। अपनों से मेलजोल बढ़ सकता है। कार्यस्थल में अचानक परेशानी बढ़ सकती है। भावनाओं में बहकर कोई कार्य न करें। स्वास्थ्य को लेकर सहज रहें।
मूलांक 3- शारीरिक समस्या में सुधार के योग है। पुराने दोस्तों से मुलाकात हो सकती है। पैसों को लेकर विवाद गहरा सकता है। जरूरी काम को लेकर यात्रा करना पड़ सकती है। सबको साथ लेकर चलने का प्रयास करें।
मूलांक 4- भाग्योदय के अवसर बन सकते हैं। समय पर अपनों का साथ प्रसन्नता का कारण बनेगा। सफलता को मन पर हावी न होने दें। पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो सकती है।
मूलांक 5- पुराने रुके हुए काम को लेकर तनाव रहेगा। आर्थिक स्थिति चिंता का कारण बन सकती है। एक साथ दो काम न करें। किसी भी तरह के कागजी कार्यवाही को सावधानी से करें। नौकरीपेशा जातकों को किसी आधिकारिक टूर पर जाना पड़ सकता है।
मूलांक 6- मन मुताबिक इच्छा पूरी हो सकती है। इन्वेस्टमेंट करना फायदेमंद रहेगा। खुद के व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे। पति-पत्नी के बीच शांतिपूर्ण संबंध रहेंगे। खांसी-जुकाम जैसी परेशानी हो सकती है। काम में नयापन आएगा।
मूलांक 7- किसी समस्या का समाधान पाने में सक्षम रहेंगे। दूसरों के तकलीफ में उनकी सहायता में आपका सहयोग रहेगा। व्यवस्थिति गतिविधियों में मन संतुष्ट रहेगा। पैसों के मामले में दरिया दिली ना रखें। दोस्तों के साथ समय व्यर्थ ना करें।
मूलांक 8- हर जगह उचित सामंजस्य बना लेंगे। दिन की शुरुआत सुखद रहेगी। जमीन-जायदाद संबंधी मसला शांति से सुलझ सकता है। प्रतिद्वंदी समस्या खड़ी कर सकते हैं। नई योजना पर कार्य शुरू न करें।
मूलांक 9- कहीं से कोई सुखद समाचार प्राप्त हो सकता है। आज वह उपलब्धि हासिल कर लेंगे जिसकी लंबे समय से तमन्ना थी। मेहमत के मनोनकुल परिणाम मिलेंगे।

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रथ सप्तमी से इन राशि वालों की होगी चांदी ही चांदी

  • हर इच्छा होगी पूरी
हिंदू धर्म में रथ सप्तमी का त्योहार बहुत ही खास अंदाज में मनाया जाता है। इस त्योहार को माघ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। रथ सप्तमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान सूर्य देव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस साल यह त्योहार आज यानी शुक्रवार 16 फरवरी 2024 को मनाया जा रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, रथ सप्तमी कुछ राशियों के लिए काफी शुभ होने वाली है। आइए, जानते हैं कि वे राशियां कौन-सी है।
मेष राशि-
मेष राशि वाले लोगों के लिए रथ सप्तमी का त्योहार अद्भुत साबित हो सकता है। व्यापारियों को लाभ मिलने की संभावना है। आर्थिक रूप से इस राशि वालों के लिए यह समय शुभ रहने वाला है। निवेश से लाभ मिलेगा। निजी संबंध भी मधुर रहेंगे।
मिथुन राशि-
मिथुन राशि वालों के लिए रथ सप्तमी उत्तम परिणाम लेकर आई है। इस राशि के लोग हर कार्य में सफल होंगे। परिवार में खुशियां आएंगी।काम के नए मौके मिलेंगे। व्यापारियों को कोई बड़ा ऑर्डर मिल सकता है। मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
सिंह राशि-
सिंह राशि वालों के लिए यह दिन परेशानियों से राहत देने वाला रहेगा। इन लोगों को कई तरह के लाभ प्राप्त होंगे। विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। कारोबारियों को लाभ प्राप्त होगा। इस दौरान आप खूब सारा धन कमा सकते हैं।
मीन राशि-
मीन राशि वालों के लिए रथ सप्तमी का दिन बहुत ही लाभदायक रहने वाला है। इन लोगों को अपने करियर में मन मुताबिक सफलता हासिल होगी। हर काम में भाग्य का साथ मिलेगा। परिवार में खुशियां आएंगी। किसी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है।

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इस साल कब है महाशिवरात्रि, जानिए तिथि और रुद्राभिषेक का महत्व

फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन सभी चार प्रहरों में भक्त महादेव की विशेष पूजा करते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च को है। महाशिवरात्रि चतुर्दशी तिथि राति 09.57 बजे शुरू होगी। यह तिथि 9 मार्च को शाम 06.17 बजे समाप्त होगी। महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक क्यों महत्वपूर्ण है। जानें इसका महत्व और फायदे।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और शिवजी का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक का महत्व है। रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
क्या है रुद्राभिषेक?-
रुद्राभिषेक रूद्र और अभिषेक शब्दों से मिलकर बना है। अभिषेक का अर्थ है स्नान करना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक। रुद्राभिषेक दूध, जल, घी, दही और शहद से खाद्य पदार्थों से किया जाता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक के लाभ-
महाशिवरात्रि पर जल से शिवलिंग का अभिषेक करने से समृद्धि बढ़ती है।
कुशोदक से रुद्राभिषेक करने रोग दूर होते हैं।
दही से रुद्राभिषेक करने से वाहन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
धन वृद्धि और नौकरी में तरक्की के लिए शहद और घी से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
सुंगधित जल से अभिषेक करने से रोग दूर होते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन दूध से अभिषेक करना चाहिए।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है।

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शिवलिंग पर जलाअभिषेक से मिलते है अनेक फायदे

सनातन धर्म में भगवान शिव को महादेव, भोलेनाथ, शिव शंकर आदि कई नामों से जाना जाता है। प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्त पर उनकी कृपा बनी रहती है, लेकिन सोमवार का दिन पूरी तरह से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा-अर्चना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसे में आप कर्ज या जीवन की अन्य समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी शिवलिंग पर ये चीजें चढ़ा सकते हैं।
इसके लिए अगर आप कड़ी मेहनत के बाद भी कर्ज से छुटकारा नहीं पा रहे हैं तो हर सोमवार को मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। वैकल्पिक रूप से, आप चावल को पानी में मिलाकर भी शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। इस तरह आपको कर्ज से मुक्ति मिल सकती है और धन लाभ की भी संभावना है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति एक महीने तक प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाता है, उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। लेकिन इसका लाभ तभी मिलता है जब आप सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
सौभाग्य और समृद्धि के लिए इन चीजों को मिलाएं-
अगर कोई भक्त जल में जौ मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाता है तो उसे जीवन में कई लाभ मिल सकते हैं। माना जाता है कि इस उपाय को करने से भाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। यदि आप जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं तो उसके जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान एक साथ हो सकता है।
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जानें कब है नर्मदा जयंती, पूजा विधि और शुभ मुहर्त

हिंदू धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना-अपना महत्व होता है, लेकिन नर्मदा जयंती को स्नान, दान और पूजा के लिए समर्पित एक बहुत ही विशेष त्योहार माना जाता है। इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से आभासीता आती है। सफलता प्राप्त हुई है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां नर्मदा का जन्म मुर्गे के महीने शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन नर्मदा जयंती मनाई जाती है। आज इस लेख में हम आपके साथ नर्मदा जयंती की तारीख और समय साझा कर रहे हैं।
नर्मदा जयंती की तिथि और समय-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल का नर्मदा जयंती पर्व 16 फरवरी यानी शुक्रवार को मनाया जाएगा. कल। पंचांग के अनुसार, नर्मदा जयंती मृत्यु माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को आती है। यह सप्तमी तिथि 15 फरवरी को सुबह 10:12 बजे शुरू होती है और 16 फरवरी को सुबह 8:54 बजे समाप्त होती है इसलिए 16 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जाती है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करते हैं।
नर्मदा जयंती के शुभ दिन पर सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करके नर्मदा नदी की पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि इससे आपकी स्वास्थ्य, धन, सुख और समृद्धि की मनोकामना पूरी होगी। माना जाता है कि इस दिन नर्मदा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और अच्छे फल की प्राप्ति होती है।
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मार्च में इस दिन मनाई जाएगी होली

  • जानिए क्यों महत्वपूर्ण है ये त्योहार
होली हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। वसंत ऋतु के आते ही लोग होली का इंतजार करने लग जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। इस त्योहार पर लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। हर साल इसे लेकर लोगों में जमकर उत्साह देखने को मिलता है। पूरे देश में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इतना ही नहीं, होली की धूम अब विदेशों में भी देखी जा सकती है। ऐसे में आइए, जानते हैं कि साल 2024 में होली किस दिन मनाई जाएगी।
होली 2024 शुभ मुहूर्त-
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट पर प्रारंभ होगी। यह तिथि 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 24 मार्च रविवार को होलिका दहन किया जाएगा और 25 मार्च को होली मनाई जाएगी।
होली का महत्व-
धार्मिक महत्व के अलावा होली का सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व भी बहुत है। दिवाली के बाद होली का त्योहार दूसरा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अपनी लोकप्रियता के कारण अन्य देशों में भी मनाया जाता है। होली देखने के लिए दूर-दूर से कई पर्यटक भारत आते हैं।
क्यों मनाई जाती है होली?-
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यपु का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यपु भगवान श्रीहरि से बहुत घृणा करता था। सभी उपाय करने के बाद भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करना बंद नहीं किया, इसलिए हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका के साथ एक योजना बनाई।
होलिका को वरदान मिला कि अग्नि उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी। इस कारण वह भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। तब भगवान विष्णु ने होलिका को जलाकर राख कर दिया और श्रीहरि की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गया। तभी से इस दिन को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है।
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भगवान को भोग लगाते समय इन नियमों का रखें ध्यान

पूजा का मिलेगा पूर्ण फल
सनातन धर्म में माना जाता है कि नियमित रूप से पूजा करने से परिवार में खुशियां बनी रहती है और माहौल सकारात्मक रहता है। साथ ही भगवान की दृष्टि, साधक पर भी बनी रहती है। पूजा के साथ-साथ भोग लगाना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि पूजा के बाद भगवान को भोग लगाते समय कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। भगवान को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करना चाहिए। आइए, जानते हैं कि भगवान को भोग लगाते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए।
इतने समय के लिए लगाएं भोग-
ज्यादातर लोगों को आज भी यह बात नहीं पता कि भगवान को कितने समय तक भोग लगाना उचित होता है। माना जाता है कि पूजा के दौरान लगाए गए भोग को कभी भी तुरंत नहीं हटाना चाहिए और न ही उसे ज्यादा देर तक मंदिर में ही रखना चाहिए। ऐसा करने से आपका भोग भगवान स्वीकार नहीं करते। पूजा के बाद 5 मिनट तक भोग को भगवान के पास ही रखे रहने दें और फिर इसे हटा दें।
इन नियमों का करें पालन-
भोग हमेशा शुद्ध और साफ-सुथरे तरीके से ही बनाना चाहिए।
देवी-देवताओं को उनका पसंदीदा भोग भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है।
भोग लगाते समय पात्र का भी ध्यान रखना जरूरी है। प्रसाद के लिए आप हमेशा सोने, चांदी, तांबे, पीतल, मिट्टी या लकड़ी से बने बर्तन का उपयोग कर सकते हैं। एल्युमीनियम, लोहा, स्टील या प्लास्टिक के बर्तनों में भोग शुभ नहीं माना जाता है।
इस मंत्र का करें जाप-
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
इस मंत्र का अर्थ यह है कि हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारा प्रसाद स्वीकार करें और हम पर अपनी कृपा बनाए रखें। शास्त्रों में माना जाता है कि अपने इष्ट देवी-देवता को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करने से दोगुना फल मिलता है।

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सूर्य के कुंभ राशि में गोचर करने से इन राशियों के शुरू होंगे

ग्रहों के राजा सूर्य आज अपनी अगली चाल चलने वाले हैं। शनि की राशि में सूर्य का गोचर होने जा रहा है। सूर्य देव मकर राशि से कुंभ राशि में आज प्रवेश कर जाएंगे। आज मंगलवार को शाम 03:54 मिनट पर सूर्य राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव आने वाले 30 दिनों तक कुंभ राशि में ही विराजमान रहने वाले हैं। सूर्य देव के इस गोचर से सभी राशियां प्रभावित होंगी। कुछ को पॉजिटिव रिजल्ट्स मिलेंगे तो कुछ को अलर्ट रहना होगा। इसलिए आइए जानते हैं सूर्य के कुंभ राशि में गोचर करने से किन राशियों के अच्छे दिन शुरू होंगे और किन राशियों का होगा बुरा हाल-
मिथुन राशि-
मिथुन राशि वालों के लिए सूर्य का ये राशि परिवर्तन पॉजिटिव रिजल्ट्स लेकर आया है। विदेश की यात्रा के योग बन रहे हैं। कामों में आ रही रुकावटें दूर होंगी। धन का आगमन भी होगा। परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। प्रेम जीवन भी मधुर बना रहेगा।
मेष राशि-
सूर्य का कुंभ राशि में गोचर मेष राशि के जातकों के लिए बेहद ही लाभदायक साबित हो सकता है। समाज में आपका मान-सम्मान खूब बढ़ेगा। कार्यालय में आपके काम की सीनियर्स तारीफ भी करेंगे। इस दौरान नई जिम्मेदारी मिल सकती है। फाइनेंशियल सिचुएशन भी अच्छी रहने वाली है। व्यापारियों के लिए समय खास रहेगा।
वृषभ राशि-
शनि की राशि कुंभ में सूर्य का गोचर वृषभ राशि वालों को लाभ देगा। आप पर सूर्य देव की कृपा रहेगी। धर्म-कर्म में मन लगेगा। पॉजिटिव फील करेंगे। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। सेहत पर ध्यान दें और बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारें।
वृश्चिक राशि-
सूर्य का गोचर वृश्चिक राशि वालों के लिए लाभदायक नहीं माना जा रहा है। आर्थिक स्थिति में बदलाव हो सकता है। धन हानि होने की संभावना है। नेगेटिव फील कर सकते हैं। पार्टनर के साथ मनमुटाव की स्थिति पैदा हो सकती है। सेहत भी खराब हो सकती है।
मीन राशि-
मीन राशि के जातकों आपके लिए सूर्य का गोचर बेहद शुभ नहीं माना जा रहा है। आर्थिक जीवन में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। काम पूरा करने में रुकावटें आ सकती हैं। सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

डिस्क्लेमर
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।a
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सरस्वती पूजन में जरूर शामिल करें ये चीज

हिंदू धर्म में यूं तो कई त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन बसंत पंचमी को खास माना जाता है और आज यानी कि आज मनाया जाता है। घंटा। बुधवार, 14 फरवरी को। इस दिन ज्ञान से जुड़ी देवी सरस्वती की पूजा करने की परंपरा है। वह कला और संगीत की देवी हैं।
ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा से करियर में उन्नति मिलती है। तो अगर आप आज सरस्वती पूजा कर रहे हैं तो इन चीजों को जरूर शामिल करें और हमने आपके लिए सरस्वती पूजा सामग्री की एक लिस्ट तैयार की है.
सरस्वती पूजा के लिए सामग्री की सूची–
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा तभी सफल मानी जाती है जब वह विधि-विधान से की जाए। ऐसे में अगर आप भी आज मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन पूजन सामग्री को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि देवी सरस्वती की पूजा से इन उद्देश्यों की सफलतापूर्वक पूर्ति होती है।
पूजा में पीले फूल, चने के आटे के लड्डू, राजभोग, केसर चावल, मालपुआ, बूंदी के लड्डू, केला, पीला अछूता, हल्दी, अष्टगंध, केसर, पीले वस्त्र, मां सरस्वती की मूर्ति, गणपति की छवि, पूजा की चौकी। पीला फैला हुआ कपड़ा, सुपारी, पान का पत्ता, दूर्वा, कुमकुम, पीला चंदन, गंगा जल, घी, कलश, मौली, कपूर, नारियल, पुस्तक, सिक्का, पंख, स्याही, वाद्य यंत्र, हवन कुंड, आम समाधि, रक्षा सूत्र . पंचमेवा, कलावा, गाय का घी, सूखा नारियल, चीनी, गूलर की छाल, तिल, गुग्गल आदि अवश्य शामिल करें। पूजा में.
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बसंत पंचमी : मां सरस्वती को लगाएं इन चीजों का भोग

मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है. मां सरस्वती की कृपा प्राप्त लोग भाषा और ज्ञान में उत्कृष्ट माने जाते हैं। पंचान के अनुसार, बसंत पंचमी हर साल मुर्गा माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस वर्ष का त्योहार बुधवार, 23 फरवरी को होगा। मां सरस्वती की पूजा सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घरों, स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में भी की जाती है। देवी सरस्वती की पूजा और तर्पण का भी बहुत महत्व है। यहां जानें मां सरस्वती की पूजा कैसे करें और मां सरस्वती को क्या अर्पित करें।
प्रार्थना करें और बसंत पंचमी का आनंद लें-
मां सरस्वती की पूजा में पीला रंग बहुत ही शुभ रंग माना जाता है। इस दिन देवी सरस्वती को पीले फूल चढ़ाए जाते हैं, पीले वस्त्र पहने जाते हैं और पीले आभूषण सजाए जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ पीले या सफेद कपड़े पहनें। इसके बाद खंभे पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें। देवी मां को अक्षत, आम के फूल, पीली गेंदे, चंदन आदि चढ़ाए जाते हैं और पूजा सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।
बसंत पंचमी के दिन आप मां सरस्वती को विशेष उपहार दे सकते हैं। मां सरस्वती को पीला केसर वाला दूध अर्पित कर सकते हैं।
गर्म दाल के हलवे का भोग लगाना भी बहुत अच्छा माना जाता है. इस दिन धरती माता को पीली सूजी का दलिया भी अर्पित किया जाता है।
मां सरस्वती को गर्म आटे या बूंदी के लड्डू का भोग भी लगाया जा सकता है.
पीले चावल की भी सिफारिश की जाती है। राबड़ी को देवी सरस्वती के प्रसाद में भी शामिल किया जा सकता है। रबड़ी में केसर डालकर पीला रंग कर सकते हैं.
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बागेश्वर धाम में 8 मार्च 151 गरीब कन्याओं के विवाह का महामहोत्सव

छतरपुर। पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष भी 8 मार्च महाशिवरात्रि को 151 गरीब कन्याओं के विवाह का महामहोत्सव आयोजित किया जा रहा है। आयोजन की श्रंखला में 14 फरवरी से 20 फरवरी तक महाराजश्री के मुखारविंद से कथा रसपान करने का भक्तों को अवसर मिलेगा। वहीं जाने-माने राष्ट्रीय कवि एवं कथावाचक डॉ. कुमार विश्वास अपने-अपने राम थीम पर 27 से 29 फरवरी तक कथा करेंगे।
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य महाराज ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि 14 से 20 फरवरी तक धाम में कथा होगी। 27 से 29 फरवरी तक डॉ. कुमार विश्वास की कथा शाम 4 से 7 बजे तक होगी। महाराजश्री ने बताया कि 1 मार्च से 7 मार्च तक प्रख्यात कथा वाचक इन्द्रेश जी महाराज की श्रीमद्भागवत कथा आयोजित होने जा रही है।
विवाह महामहोत्सव के साक्षी बनेंगे-
देश विदेश से जुड़े बागेश्वर धाम बगिया के पुष्प इन धार्मिक आयोजनों और विवाह महामहोत्सव के साक्षी बनेंगे। 8 मार्च महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर 151 गरीब बेसहारा कन्याओं को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ परिणय सूत्र में बांधा जाएगा। महाराजश्री ने मीडिया के माध्यम से धर्म प्रेमियों, समाजसेवियों से आग्रह किया है कि वे धाम में होने वाले इन धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर पुण्यलाभ अर्जित करें।
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