धर्म समाज

मुंगेली में कल से शिवमहापुराण कथा का होगा आयोजन

लोरमी। मुंगेली के चातरखार में शिव महापुराण एवं संत समागम का आयोजन कल 27 फरवरी से किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर तैयारी का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है जब मुंगेली में इतने विशाल एवं भव्य संत समागम का आयोजन होने जा रहा है। उन्होंने कार्यक्रम के भव्य एवं सफल आयोजन के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी करने के लिए निर्देश दिए।
गौरतलब है कि 27 फरवरी से 6 मार्च तक चातरखार में शिवमहापुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में देश प्रसिद्ध संत शामिल होंगे। कार्यक्रम में प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा कथवाचन करेंगे। संतसमागम में साध्वी ऋतम्भरा एवं पुष्पांजलि देवी, बाबा कल्याणदास जी महाराज,चित्रकूटधाम के राजीवलोचन दास महाराज, सहित देश के विख्यात संत हिस्सा लेंगे।
और भी

CM विष्णुदेव साय ने तेलंगाना के भद्राचलम में श्री सीतारामचंद्र स्वामी मंदिर में की पूजा-अर्चना

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रविवार को तेलंगाना में भद्राचलम स्थित श्री सीतारामचंद्र स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। श्री साय ने प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना भगवान श्रीराम से की। उल्लेखनीय है कि श्रीसीतारामचंद्र स्वामी मंदिर भद्राचलम में गोदावरी नदी के किनारे स्थित सिद्ध मंदिर है।
और भी

माघ पूर्णिमा पर बना अद्भुत संयोग, करें ये खास उपाय

हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा है जो कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा को समर्पित दिन है इस दिन भक्त विधिवत माता लक्ष्मी और श्री हरि की पूजा करते हैं साथ ही व्रत आदि भी रखते हैं।
माघ पूर्णिमा के दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है इस बार माघ पूर्णिमा आज यानी 24 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जा रही है ऐसे में आज हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं जिन्हें करने से आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
माघ पूर्णिमा पर करें ये खास उपाय-
ज्योतिष अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर शाम के वक्त चंद्रमा की विधिवत पूजा करनी चाहिए। जल में अक्षत, सफेद पुष्प, सफेद चंदन मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें इस समय आप चंद्रमा के बीच मंत्र का जाप भी जरूर करें माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्र देव का आशीर्वाद मिलता है जिससे जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है इसके अलावा मानसिक तनाव भी दूर हो जाता है।
वही धन लाभ की प्राप्ति व आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए माघ पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें उन्हें बताशा मखाने की खीर, दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इसके अलावा माता लक्ष्मी के कनकधारा स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से करें मान्यता है कि इस आसान उपाय को करने से धन लाभ के योग बनने लगते हैं और आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
और भी

क्या मनी प्लांट को घर में गुप्त रूप से लगाना चाहिए?

  • आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र में इसके बारे में क्या कहा गया है
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पेड़-पौधों का विशेष महत्व है। यहां कई पेड़-पौधे लगे हुए हैं, जो न सिर्फ घर की खूबसूरती बढ़ाते हैं, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा भी लाते हैं। ऐसा ही एक पौधा है मनी प्लांट. जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक ऐसा पौधा है जिसे घर के अंदर रखने या लगाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। ज्यादातर लोगों का मानना ​​है कि मनी प्लांट को घर में गुप्त रूप से लगाना चाहिए क्योंकि इससे भाग्य बढ़ता है। क्या आपको भी लगता है ये सही है? आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र में इसके बारे में क्या कहा गया है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मनी प्लांट का होना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पौधे को दक्षिण-पूर्व दिशा में लगाना सबसे अच्छा होता है। मनी प्लांट को पानी या मिट्टी में लगाया जा सकता है। पौधे को स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि जंगली पौधे नकारात्मक ऊर्जा लेकर आते हैं।
क्या सचमुच हमें चोरी करके धन की फसल बोनी चाहिए?-
इसे नर्सरी से खरीदें या किसी मित्र या परिवार के सदस्य को उपहार के रूप में दें। चोरी-छिपे लगाया गया मनी प्लांट आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि नहीं लाएगा।
मनी प्लांट लगाने के टिप्स-
मनी प्लांट को साफ और सुंदर गमले में लगाएं। अच्छी गमले वाली मिट्टी का प्रयोग करें। अगर आपका मनी प्लांट बोतलबंद है तो समय-समय पर पानी बदलते रहें। पौधे को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन इसे ज़्यादा न करें। पौधे को धूप वाले स्थान पर रखें, लेकिन सीधी धूप से दूर रखें। अपने पौधे को स्वस्थ रखने के लिए उसे नियमित रूप से खाद दें।
मनी मिल्स कितने प्रकार की होती हैं?-
मनी प्लांट- यह मनी प्लांट का सबसे आम प्रकार है। इसमें सुनहरे धब्बों वाली हरी पत्तियाँ होती हैं।
कैश प्लांट कितने प्रकार के होते हैं?-
मनी प्लांट- यह मनी प्लांट का सबसे आम प्रकार है। हरी पत्तियों पर सुनहरे धब्बे होते हैं।
जैम क्वीन- हरी पत्तियों पर सफेद धब्बे वाली एक प्रजाति।
गोल्डन पोथोस- सुनहरी पत्तियों वाली एक प्रजाति।
जेड पोथोस- गहरे हरे पत्तों वाली एक प्रजाति।
एन'जॉय पोटोस- इस किस्म में सफेद धब्बों और किनारों वाली हरी पत्तियां होती हैं।
संगमरमर का पौधा- इस प्रजाति में सफेद और हल्के हरे धब्बों के साथ हरी पत्तियां होती हैं।
ठोस पौधा- इस प्रजाति की हरी पत्तियों पर सफेद, क्रीम या हल्के हरे रंग के धब्बे होते हैं।
हैप्पी लीफ प्लांट- इस प्रजाति में पीले और हल्के हरे धब्बों के साथ हरी पत्तियां होती हैं।
चांदनी पौधा- इस प्रजाति में चांदी के धब्बों वाली हरी पत्तियां होती हैं।
पिक्सी प्लांट- इस प्रजाति में छोटे हरे पत्ते होते हैं।
और भी

ललिता जयंती, जानिए... तारीख और मुहूर्त

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है एक आता है तो दूसरा जाता है अभी माघ मास चल रहा है और इस माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर ललिता जयंती मनाई जाती है जो कि मां ललिता की पूजा को समर्पित दिन है इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि माता ललिता दस महाविद्याओं में से तीसरी महाविद्या है।
ललिता जयंती के शुभ दिन पर पूरे विधि विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है ऐसा करने से माता प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा ललिता जयंती की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
ललिता जयंती की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 23 फरवरी को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन 24 फरवरी ​दिन शनिवार को दोपहर 5 बजकर 59 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में ललिता जयंती का पर्व 24 फरवरी दिन शनिवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन देवी मां की विधिवत पूजा और व्रत करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ललिता जयंती के शुभ दिन पर मां ललिता की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है सााि ही साधक को जन्म मरण के चक्र से भी मुक्ति मिलती है।
और भी

किस देवी-देवता को कौन-सा फूल चढ़ाएं और कौन-सा नहीं, जानिए...

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्व है और पूजा-पाठ के दौरान फूल चढ़ाने का भी बहुत महत्व है। फूलों के बिना देवी-देवताओं की पूजा अधूरी मानी जाती है। दुनिया में कई तरह के फूल हैं और कुछ फूल बेहद खूबसूरत होते हुए भी उनका इस्तेमाल पूजा के लिए नहीं किया जाता है, जबकि कुछ का इस्तेमाल हमेशा पूजा के लिए किया जाता है। यह भी माना जाता है कि पूजा के दौरान देवी-देवताओं को फूल चढ़ाना आस्था और सम्मान का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि कोई उनके सम्मान में भगवान को फूल चढ़ा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर देवी-देवता का अपना पसंदीदा फूल भी होता है? जी हां, हर देवी-देवता का अपना पसंदीदा फूल होता है, तो आइए जानते हैं-
भगवान गणेश- भगवान गणेश को तुलसी को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढ़ाए जा सकते हैं। ध्रुव भगवान गणेश के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मां दुर्गा- मां दुर्गा को लाल गुलाब, लाल कमल, गुड़हल का फूल और चंपा का फूल चढ़ाया जाता है.
मां सरस्वती- मां सरस्वती को कमल, लिली और चमेली के फूल चढ़ाए जाते हैं।
भगवान विष्णु- भगवान विष्णु को तुलसी के फूल, जल कमल और शंख चढ़ाए जाते हैं और घर में तुलसी का पौधा लगाना भी शुभ माना जाता है।
मां लक्ष्मी- मां लक्ष्मी को कमल का फूल, कमल गुट्टा और गुलाब चढ़ाया जाता है. कमल को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। कमल कई देवी-देवताओं का पसंदीदा है।
भगवान हनुमान- भगवान हनुमान को लाल गुलाब, सिन्दूर और चमेली चढ़ाया जाता है।
देवी पार्वती- पूजा के दौरान देवी पार्वती को सफेद कमल के फूल या चंपा अर्पित करना चाहिए। गलती हो भी जाए तो माता को फूल न चढ़ाएं।
सूर्य देव- सूर्य देव को लाल गुलाब, जल कमल और स्त्रीकेसर के फूल चढ़ाए जाते हैं। सूर्य देव को बेलपत्र की बलि नहीं चढ़ानी चाहिए।
किस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए?-
1. फूल ताजे और खिले हुए होने चाहिए।
2. फूलों को सादे पानी से धोकर पूजा के लिए भेजें।
3. जो फूल आप भगवान या देवी को चढ़ाना चाहते हैं उनकी गंध न लें। दूसरे शब्दों में, इस इत्र को साँस के रूप में न लें।
और भी

शुक्रवार के दिन करें ये उपाय, माँ लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न

नई दिल्ली। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है. वहीं शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। ऐसे में शुक्रवार के दिन कई ऐसे काम बताए गए हैं जिनसे आप मां लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं। इसलिए कई ऐसे काम हैं जिन्हें करने से देवी लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकती हैं। कृपया हमें इस बारे में सूचित करें।
शुक्रवार के दिन सुबह उठते ही मां लक्ष्मी को प्रणाम करें और स्नान करने के बाद साफ सफेद या गुलाबी कपड़े पहनें। इसके बाद श्री यंत्र और देवी लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ करें। पूजा के दौरान आप देवी लक्ष्मी को कमल के फूल भी चढ़ा सकते हैं। इसका अर्थ है कि देवी लक्ष्मी की कृपा साधक पर बनी रहती है।
ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार के दिन पैसों का लेन-देन नहीं करना चाहिए। अन्यथा आर्थिक समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसी भी मान्यता है कि शुक्रवार के दिन चीनी और चांदी नहीं देनी चाहिए। इससे शुक्र ग्रह कमजोर हो सकता है। इसके अलावा शुक्रवार के दिन प्रॉपर्टी या घर न खरीदना भी अपशकुन माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी केवल शुद्ध स्थानों पर ही निवास करती हैं। वैसे तो आपको हर दिन अपने घर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए लेकिन शुक्रवार के दिन आपको अपने घर की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। तभी आपके घर में माता लक्ष्मी का वास होगा। शुक्रवार के दिन व्यक्तिगत स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए।
और भी

आज दिनभर रहेगा गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग

  • इन चीजों की करें खरीदारी
ज्योतिषशास्त्र में गुरु पुष्य नक्षत्र को बेहद ही पुण्यदायी और लाभकारी माना गया है इस समय किए जाने वाले कार्यों से जातक को कई गुना लाभ मिलता है। गुरु पुष्य नक्षत्र में कुछ चीजों की खरीदारी करना बेहद ही शुभ माना गया है मान्यता है कि ऐसा करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है इसके अलावा इस नक्षत्र में पवित्र नदियों में स्नान, पूजा पाठ और मंत्र जाप आदि करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
22 फरवरी दिन गुरुवार यानी आज गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बना हुआ है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि आज के दिन किन चीजों की खरीदारी आपको स्थायी समृद्धि और सुख प्रदान कर सकती है तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार गुरु पुष्य नक्षत्र आज यानी 22 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह सूर्योदय से आरंभ हो चुका है जो कि शाम को 4 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस दौरान शुभ कार्यों को करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी।
इन कार्यों को करना होगा शुभ-
ज्योतिष अनुसार गुरु पुष्य नक्षत्र में सूर्य को हल्दी मिश्रित जल जरूर अर्पित करें फिर गुरु और सूर्यदेव के मंत्रों का विधिवत जाप करें। ऐसा करना लाभकारी रहेगा। गुरु पुष्य नक्षत्र में सोने चांदी के आभूषण, वाहन, भूमि-भवन, सोना के सिक्के, चांदी का सिक्का, चने की दाल, धार्मिक वस्तुएं जैसे शंख, कलश, चंदन आदि चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। आपको बता दें कि इस नक्षत्र के दौरान दान करना भी पुण्यदायी होता है इस दिन आप पीली चीजों का दान गरीबों व जरूरतमंदों को कर सकते हैं आप आज पीले वस्त्र, चने की दाल, बेसन से बनी मिठाई का दान जरूर करें।
और भी

राजसी ठाठ-बाट से सजे बाबा महाकाल; मावे से हुआ शृंगार

  • श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर गुरुवार तड़के चार बजे भस्म आरती हुई। इस दौरान चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पण्डे पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत से कर पूजन-अर्चन किया। इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल का राजसी ठाठ बाट से मावे से शृंगार किया गया और त्रिनेत्र के साथ रजत का चन्द्र और त्रिपुंड धारण करवाया गया।
इस शृंगार के बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई। भस्म अर्पित करने के पश्चात भगवान महाकाल को रजत मुकुट रजत की मुण्डमाला और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ ही सुगंधित पुष्पों की माला अर्पित कर फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे जिन्होंने बाबा महाकाल के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
महानिर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गयी। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया, जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।
महाशिवरात्रि पर्व को लेकर अधिकारियो ने किया निरीक्षण-
श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि महापर्व की व्यवस्था के संबंध में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने अन्य अधिकारियों के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर के बाहरी एवं आंतरिक क्षेत्र का निरीक्षण किया गया। दर्शन मार्ग का दौरा किया गया। साथ ही संबंधितों को विशेष दिशा-निर्देश प्रदान किए। व्यवस्थाओं का निरीक्षण के दौरान नवागत पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा, उज्जैन नगर पालिक निगम आयुक्त आशीष पाठक, अपर कलेक्टर व श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी समिति सदस्य राजेन्द्र शर्मा 'गुरु'आदि के अतिरिक्त सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
और भी

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत 28 फरवरी को, जानें पूजा विधि

  • धन प्राप्ति के लिए जरूर करें ये उपाय
हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की निमित्त व्रत रखा जाता है और उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा-भाव से करने किया जाए, तो भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन की हर समस्या खत्म हो जाती है। आइए, जानते हैं कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन किए जाने वाले उपाय कौन-से हैं, जिनसे व्यक्ति को धन लाभ होता है।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त-
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 28 फरवरी को सुबह 01 बजकर 53 मिनट पर होगा। यह 29 फरवरी को 04:18 बजे समाप्त होगी। ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत 28 फरवरी, बुधवार को रखा जाएगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा-
द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करते समय लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, पान, सुपारी, धूप दीप आदि भगवान गणेश को चढ़ाएं। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें।
श्री वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येषु सर्वदा
संकष्टी चतुर्थी पर करें ये उपाय-
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को 21 लड्डुओं का भोग जरूर लगाएं। इसके साथ ही ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः मंत्र का जाप करें। इस उपाय को करने से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है। इसके अलावा बुध ग्रह की शांति के लिए द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी की पूजा करने के बाद हरे रंग की वस्तुएं जैसे इलायची, हरा वस्त्र आदि किन्नरों को दान कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करते समय 5 दूर्वा में 11 गांठें लगाकर उन्हें लाल कपड़े में बांध लें और भगवान गणेश को अर्पित करें। इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करें। यदि आप इस उपाय को अपनाएंगे, तो आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
 
और भी

आज गुरु पुष्य नक्षत्र पर करें पीली चीजों का दान

  • नया काम शुरू करने पर मिलेगा शुभ फल
इंदौर। हिंदू धर्म व ज्योतिष शास्त्र में गुरु पुष्य नक्षत्र को काफी शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गुरु पुष्य नक्षत्र के दौरान यदि कोई काम शुरू किया जाता है तो इस काम सफलता जरूर मिलती है। इस शुभ योग के दौरान नई चीजें जैसे आभूषण, संपत्ति या वाहन खरीदने का शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, आज 22 फरवरी 2024 को गुरु पुष्य नक्षत्र है, यह खास संयोग गुरुवार के दिन ही निर्मित हो रहा है, इसलिए इसे काफी शुभ माना जाता है।
गुरु पुष्य नक्षत्र के दौरान आज नया व्यवसाय या प्रोजेक्ट शुरू करना शुभ होता है। यदि आप आज वाहन या आभूषण खरीदते हैं तो इसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा Guru Pushya Nakshatra के दौरान पीली चीजों का दान करना चाहिए। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, गुरु पुष्य नक्षत्र में पीली चीजों का दान करने से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और जातक की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
गुरु पुष्य नक्षत्र के दौरान न करें ये काम-
इन शुभ संयोग के दौरान कोई भी नकारात्मक काम न करें।
किसी से झगड़ा या मारपीट ना करें। अपनी वाणी पर काबू रखें।
शराब या मांसाहारी भोजन का सेवन न करें। इस दौरान जीव हत्या से बचें।
ये उपाय जीवन में लाएंगे समृद्धि-
गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन सूर्य को हल्दी मिश्रित जल से अर्घ्य देना चाहिए। गुरु और सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
गुरु पुष्य नक्षत्र के दौरान दान का महत्‍व है। इस शुभ संयोग के दौरान पीली चीजों जैसे पीले रंग के कपड़े, चने की दाल, बेसन की मिठाई आदि का दान गरीबों को करना चाहिए। इसके अलावा विद्यार्थी को शिक्षण सामग्री का दान में दे सकती हैं।
देवगुरु बृहस्पति को मजबूत करने के लिए पुखराज धारण करना चाहिए। ऐसा करने से गुरु ग्रह स्थिति प्रबल होती है।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
और भी

मनी प्लांट लगाते समय इन बातों का रखें ध्यान

वास्तुशास्त्र हर किसी के जीवन में अहम भूमिका अदा करता है इसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़ी हर एक चीज़ को लेकर नियम बताए गए है जिनका पालन करना लाभकारी होता है लेकिन अनदेखी समस्याओं को पैदा करती है।
वास्तु विज्ञान में मनी प्लांट को बेहद ही शुभ और सकारात्मकता से भरा पौधा माना गया है मान्यता है कि इसे अगर घर की सही दिशा और स्थान पर लगाया जाए तो लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है लेकिन इससे जुड़ी एक भी गलती आपको कंगाल बना सकती है तो आज हम आपको मनी प्लांट को लेकर वास्तु नियम बVता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर आप घर में मनी प्लांट लगाना चाहते हैं तो इसे घर की दक्षिण पूर्व दिशा में लगाएं। इस दिशा को मनी प्लांट के लिए बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिशा में मनी प्लांट लगाने से घर में हमेशा सकारात्मकता बनी रहती है। मनी प्लांट को घर में लगाने से घर का वातावरण बढ़िया होता है और परिवार में एकता और मधुरता बनी रहती है।
मनी प्लांट में अगर नियमित रूप से दूध अर्पित किया जाए तो जीवन में तरक्की होती है और धन लाभ भी मिलता है। अगर आप धन की परेशानी से जूझ रहे हैं तो ऐसे में शुक्रवार के दिन दूध और पानी को मिलकर मनी प्लांट पर अर्पित करें इस उपाय को करने से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है और धन वर्षा करती हैं।
और भी

बुध प्रदोष व्रत पर जानें पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व मनाए जाते हैं लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि शिव पूजा को समर्पित दिन है इस दिन भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर का व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है। पंचांग के अनुसार हर माह के त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है।
हर माह में दो प्रदोष व्रत आता है अभी माघ मास चल रहा है और इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत आज यानी 21 फरवरी दिन बुधवार को किया जा रहा है इस दिन शिव पार्वती की पूजा करना लाभकारी माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शिव पूजन का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
बुध प्रदोष व्रत की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी 2024 को सुबह 1ज्योतिष न्यूज़: हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व मनाए जाते हैं लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि शिव पूजा को समर्पित1 बजकर 27 मिनट से आरंभ हो रही है और अगले दिन यानी 22 फरवरी को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में माघ मास का दूसरा प्रदोष व्रत यानी बुध प्रदोष व्रत 21 फरवरी दिन बुधवार यानी आज किया जाएगा।
इस दिन शिव पूजा प्रदोष काल में की जाती है जिसका आरंभ शाम को 6 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 47 मिनट तक है ऐसे में आप इस मुहूर्त में शिव की विधिवत पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
और भी

जया एकादशी आज, जानें शुभ मुहर्त, पूजा विधि

नई दिल्ली। हर साल माघ महीने में जया एकादशी मनाई जाती है. इस एकादशी पर अगर पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए जया एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचांग के अनुसार माघ माह की एकादशी आज 20 फरवरी, मंगलवार को है. जानिए पूजा का शुभ समय, कल व्रत खोलने का समय, पूजा की विधि और भगवान विष्णु से जुड़े कुछ उपाय।
जया एकादशी की पूजा-
इस बार जया एकादशी के दिन बहुत ही अद्भुत संयोग बन रहा है। आद्य आयुष्मान योग, त्रिपुष्कर योग, रवि योग और प्रीति योग द्वारा निर्मित। इसके अलावा आद्रा नक्षत्र दोपहर 12.13 बजे तक रहता है, उसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र बनता है।
जया एकादशी की पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो पूरे दिन पूजा की जा सकती है। व्रत खोलने का सबसे अच्छा समय 21 फरवरी, बुधवार को शाम 6:38 से 8:55 तक है। अन्यथा द्वादशी तिथि कल सुबह 11:27 बजे समाप्त हो जाएगी.
एकादशी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करना चाहिए। तैरने के बाद साफ कपड़े पहनें। व्रत रखने का निर्णय भगवान विष्णु और एकादशी माता का ध्यान करके किया जाता है। इस दिन भक्त श्रीहरि का जलाभिषेक भी करते हैं। भगवान विष्णु को पंचामृत के साथ गंगा जल से स्नान कराया जाता है। चर्च सेवाओं में पीले रंग का विशेष अर्थ है। इस दिन पीले फूल, पीला प्रसाद और पीले फल पूजा का हिस्सा होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना बहुत शुभ होता है। भगवान विष्णु की पूजा करते समय भक्त तुलसी दल का भी उपयोग करते हैं। तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है और कहा जाता है कि विष्णु पूजा में तुलसी को शामिल करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
और भी

इन 4 राशियों पर होती है कुबेर देव की कृपा

नई दिल्ली। हिंदू पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में कुबेर जी को धन के देवता के रूप में जाना जाता है। वह धन के स्वामी हैं। हिंदू धर्म में कुबेर को द्वारपाल और नर्तक के रूप में भी जाना जाता है। वह यक्षों का राजा है। उनकी पूजा वे लोग करते हैं जो धन प्राप्त करना चाहते हैं। इसके अलावा, वह उत्तर का संरक्षक और रक्षक भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियों में से ये 4 सबसे लोकप्रिय कुबेर राशियां हैं। जिन लोगों पर कुबेर कन्या राशि वालों की विशेष कृपा होती है जिसके कारण उन्हें कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
पैमाना- तुला राशि के जातकों पर भगवान कुबेर की विशेष कृपा रहती है जिसके कारण इन्हें आर्थिक तंगी से नहीं गुजरना पड़ता है। हम आपको बताते हैं कि इन लोगों के जीवन में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है। ये लोग आराम से रहते हैं. आपको कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
राशि चक्र कर्क- कर्क राशि भी भगवान कुबेर की सबसे लोकप्रिय राशियों में से एक है। इस राशि के लोगों पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है इसलिए इन्हें कभी भी धन की कमी नहीं होती है। ये लोग अपनी इच्छा के अनुसार विलासितापूर्ण जीवन शैली जीते हैं। उसका घर हमेशा धन, संपदा और प्रचुरता से भरा रहता है।
मकर- मकर राशि के जातकों पर धन के देवता कुबेर की कृपा सदैव बनी रहती है। फलस्वरूप समृद्धि निरंतर बढ़ती रहती है। आपको कभी असफलता का स्वाद नहीं चखना पड़ेगा. ऐसे लोग दान भी करते हैं जिससे देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
बिच्छू- वृश्चिक राशि के जातकों पर भगवान कुबेर की कृपा सदैव बनी रहती है। इससे उन्हें व्यवसाय में प्रगति करने में मदद मिलती है। घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास रहता है। इसका मतलब है कि उन्हें कभी भी आर्थिक संकट से नहीं गुजरना पड़ेगा।
और भी

जानिए नदियों में क्यों फेके जाते हैं सिक्के

नई दिल्ली। आपने कहीं न कहीं देखा होगा कि जब भी कोई नदी अपने रास्ते में होती है तो उसमें सिक्के फेंके जाते हैं. आपने भी कभी न कभी ऐसा जरूर किया होगा. ऐसा माना जाता है कि लोग सम्मान स्वरूप सिक्के फेंकते हैं। कई लोग इसे एक परंपरा मानते हैं. लोगों का मानना ​​है कि अगर आप नदी में सिक्का फेंकेंगे तो आपको देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा। लेकिन क्या आपको लगता है ये सब सच है? आपके मन में भी सवाल है कि नदियों में सिक्के फेंकने से क्या होगा? आज हम आपके सवाल का जवाब देंगे और इसके कुछ वैज्ञानिक और धार्मिक कारण भी बताएंगे। हमें बताइए।
सिक्का डालने का धार्मिक कारण क्या है?
हिंदू धर्म में नदियों को देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। नदी में सिक्का फेंकना एक प्रकार का दान माना जाता है। माना जाता है कि नदी में सिक्का फेंकने से समृद्धि आती है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना ​​है कि नदी में सिक्का फेंकने से सौभाग्य आता है। वे कहते हैं कि सिक्के के साथ-साथ आपकी इच्छाएं भी प्रवाहित होती हैं और देवी-देवता इन इच्छाओं को पूरा करते हैं। हालाँकि, कुछ लोगों का यह भी मानना ​​है कि नदी में सिक्का फेंकने से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलेगी और उसे अगले जन्म में अच्छा जीवन मिलेगा।
सिक्का डालने का वैज्ञानिक कारण क्या है?
नदी को जल का स्रोत माना जाता है। सभी जानते हैं कि जल के बिना जीवन असंभव है। नदी के पानी का उपयोग पीने के लिए किया जाता है, इसलिए नदी के पानी को साफ़ और स्वच्छ रखना बहुत ज़रूरी है। पहले तांबे के सिक्के प्रचलन में थे। तांबा धातु जल को शुद्ध एवं शुद्ध करने के लिए सर्वोत्तम धातु मानी जाती थी। जब लोग नदी में तांबे के सिक्के फेंकते थे, तो इससे पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते थे और पानी साफ और स्वच्छ हो जाता था। आज के समय में नदी में सिक्के फेंके जाना एक तरह की परंपरा मानी जाती है।
नदियों को साफ़ रखने के कुछ उपाय
नदियों में कूड़ा-कचरा न फेंकें।
औद्योगिक और घरेलू कचरे को नदियों में न डालें।
नदी तटों पर पेड़ लगायें।
नदी संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाएँ।
और भी

पंडित प्रदीप मिश्रा को गृह मंत्रालय देगी सुरक्षा

  • अज्ञात ने दी हत्या करने की धमकी
एमपी। सीहोर में प्रख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को जान से मारने की धमकी और बदनाम करने का पत्र मिलने का मामला सामने आया है. जानकारी लगते ही महाराष्ट्र से लोकसभा सांसद नवनीत राणा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कथावाचक के लिए सुरक्षा की मांग की है. लोकसभा सदस्य की ओर से लिख गए पत्र का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया है.
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा अपनी कथा और रुद्राक्ष महोत्सव को लेकर देश और दुनिया में प्रख्यात हैं. उनकी कथाओं में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. वहीं, कथावाचक प्रदीप मिश्रा के सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष लेने और दर्शन करने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. कथावाचक को धमकी भरा पत्र मिलने की सूचना लगते ही श्रद्धालुओं में भी नाराजगी है.
बताया गया है कि कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को जान से मारने की धमकी और बदनाम करने का जो पत्र मिला है, उसमें किसी का नाम और मोबाइल नंबर नहीं है. कथावाचक की सुरक्षा को लेकर महाराष्ट्र की अमरावती सीट से बीजेपी सांसद नवनीत राणा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.
लोकसभा सदस्य के लिखे गए पत्र का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह की ओर से लिखा गया, ''श्रीमती नवनीत रवि राणा जी आपका 22 दिसंबर 2023 का पत्र प्राप्त हुआ है, जो कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले की सुरक्षा से संबंधित है.'' गृहमंत्री की ओर से पत्र का 10 फरवरी को जवाब दिया गया है. धमकी भरे पत्र के मामले में कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कुबेरेश्वर धाम समिति के सदस्य समीर शुक्ला ने बताया कि लोकसभा सदस्य को जानकारी लगी तो उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से सुरक्षा की मांग की है. इससे पहले भी अमरावती में चिट्ठी मिली थी. अब एक बार फिर चिट्ठी मिली है. वहीं, मामले को लेकर एसपी मयंक अवस्थी ने बताया कि इस तरह की जानकारी यहां पर नहीं दी गई है. बाहर का मामला है. भोपाल पुलिस मुख्यालय से प्रदीप मिश्रा जी को सुरक्षा पहले से ही मिली हुई है.
और भी

तुलसी की माला धारण करने के लाभ जानें

हिंदू धर्म में माला पहनना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि माला पहनने या माला से प्रार्थना करने से देवता सभी मनोकामनाएं सुनते हैं। साथ ही माला जपने से मन को एकाग्र और शांत करने में मदद मिलती है। मालाएं कई प्रकार की होती हैं और उनमें से एक है तुलसी की माला। तुलसी माला पहनना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि तुलसी की माला में स्वयं देवी लक्ष्मी का वास होता है और तुलसी की माला से भगवान विष्णु का जप करने से भी वे प्रसन्न होते हैं। ऐसे में न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि आत्मा भी पवित्र हो जाती है। जानिए तुलसी की माला से होने वाले जाप और माला को धारण करने के फायदे और नियमों के बारे में।
तुलसी की माला पहनने के फायदे-
तुलसी में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। ऐसे में तुलसी की माला से जाप करने या तुलसी की माला पहनने से व्यक्ति को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है। ऐसे में तुलसी की माला पर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप किया जा सकता है।
तुलसी की माला पहनने से व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भगवान विष्णु व्यक्ति के परिवार में खुशहाली लाते हैं।
मान्यता के अनुसार तुलसी की माला पहनने से बुध और शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं। इससे दिमाग भी शांत रहता है।
तुलसी की माला पहनने के नियम-
तुलसी की माला पहनने से पहले इन मालाओं को गंगा जल से साफ किया जाता है। इसके बाद तुलसी माता के मंत्रों का जाप किया जाता है और फिर माला पहना दी जाती है।
तुलसी की माला पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन अवश्य कराना चाहिए। इसके अलावा माला धारण करने वाले व्यक्ति को शराब या तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
जो लोग तुलसी की माला पहनते हैं उन्हें रुद्राक्ष पहनने की मनाही है। दोनों तरह की मालाएं एक साथ पहनना अच्छा नहीं माना जाता है।
तुलसी की माला की रोजाना पूजा की जाती है और कहा जाता है कि इन मालाओं को पहनने के बाद उतारना नहीं चाहिए। माला को दैनिक अनुष्ठानों से पहले हटा दिया जाता है और स्नान के बाद इसे वापस पहना जा सकता है।
ऐसा माना जाता है कि जो लोग तुलसी की माला गले में नहीं पहन सकते वे इसे अपने दाहिने हाथ पर बांध सकते हैं।
और भी

Jhutha Sach News

news in hindi

news india

news live

news today

today breaking news

latest news

Aaj ki taaza khabar

Jhootha Sach
Jhootha Sach News
Breaking news
Jhutha Sach news raipur in Chhattisgarh