धर्म समाज

एकादशी व्रत, जानिए... दिन, तारीख और मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन एकादशी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आता है। यह तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथियों में शामिल है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जा रहा है
जो कि हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है इस बार यह एकादशी 20 फरवरी दिन सोमवार को पड़ रही है तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा जया एकादशी की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं।
जया एकादशी की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी की शुरुआत 19 फरवरी की सुबह 8 बजकर 49 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन यानी 20 फरवरी की सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को करना शुभ रहेगा। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से श्री विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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बसंत पंचमी कल, आजमाए वास्तु के ये 5 उपाय

नई दिल्ली। बसंत पंचमी हर साल मुर्गा माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार सरस्वती पूजा उत्सव 14 फरवरी को मनाया जाएगा. यह दिन विद्यार्थियों के लिए बेहद खास दिन होता है। मां सरस्वती ज्ञान, बुद्धि और भाषा की देवी हैं। देवी शारदा की पूजा करने से आपका मन शांत होगा। एकाग्रता और याददाश्त में सुधार होता है। बसंत पंचमी के दिन वास्तु संबंधी कार्य करना शुभ माना जाता है। इस प्रकार मां सरस्वती की कृपा से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। आपके आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा गायब हो जाती है। आपके घर में सुख-समृद्धि आएगी।
घर के इन हिस्सों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें- सरस्वती पूजा के दिन अपने घर की साफ-सफाई करें। उत्तर-पूर्व दिशा यानी उत्तर-पूर्व दिशा पर विशेष ध्यान दें। पूर्वोत्तर कोना. वास्तु शास्त्र में इस स्थान को पवित्र माना गया है। इससे आपके घर में समृद्धि आएगी। सबसे बढ़कर आपको पूजा स्थल और रसोई की साफ-सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए।
अपने घर को पीले रंग से सजाएं- वास्तु शास्त्र में पीले रंग का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी के दिन चीजें और भी खास हो जाती हैं। यह रंग भाग्य और सफलता का प्रतीक भी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन आप अपने घर को पीले रंग से सजा सकते हैं। इससे आपकी पढ़ने में रुचि बढ़ेगी. शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
सजावट के लिए पीतल और तांबे की वस्तुओं का प्रयोग करें- बसंत पंचमी के दिन अपने घर को सजाते समय तांबे और पीतल की वस्तुओं का प्रयोग करें। यह आपके घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है।
छात्रों को ये करना चाहिए- बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थियों को अपने अध्ययन कक्ष को साफ-सुथरा रखना आवश्यक होता है। टेबल को गंदा न छोड़ें. पूर्वोत्तर की ओर एक अध्ययन. इससे आपकी याददाश्त और एकाग्रता में सुधार होगा। रचनात्मक विचार उत्पन्न करें. मुझे सीखने की इच्छा है
इन फूलों से सजाएं अपना घर- बसंत पूजा के दिन घरों को पीले फूलों से सजाया जाता है। आप गेंदे का उपयोग कर सकते हैं। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है। पारिवारिक शांति और खुशहाली बनी रहती है।
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कारोबार में सफलता पाने जरूर करें भगवान शिव से जुड़ा ये उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सोमवार का व्रत रखने से और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित स्त्रियों को अखंड सुहाग की प्राप्ति होती हैं। कुंवारी कन्याओं को इस व्रत के फल से अच्छा जीवनसाथी मिलता है। कहा जाता है कि सोमवार के दिन कुछ खास उपाय कर लिए जाएं, तो विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा के साथ-साथ यदि 'श्री उमा महेश्वर स्तोत्र' का पाठ कर लिया जाए, तो दोगुना फल मिलता है। यह बहुत ही फलदायी माना जाता है।
''श्री उमा महेश्वर स्तोत्रं''
॥ श्रीगणेशाय नमः ॥
''नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां
परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।
नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 1 ॥
नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां
नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।
नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां
विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।
विभूतिपाटीरविलेपनाभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां
जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।
जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां
पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।
प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां
अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।
अशेषलोकैकहितङ्कराभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां
कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।
कैलासशैलस्थितदेवताभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां
अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।
अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां
रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।
राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां
जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।
जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्यां
बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।
शोभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां
जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम् ।
समस्तदेवासुरपूजिताभ्यां
नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥
स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां
भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।
स सर्वसौभाग्यफलानि
भुङ्क्ते शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥ ॥
॥ इति श्री शङ्कराचार्य कृत उमामहेश्वर स्तोत्रम ॥
आद्य गुरु शंकराचार्य रचित उमा महेश्वर स्तोत्र

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बसंत पंचमी पर करे ये उपाय

बसंत पंचमी का त्यौहार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देवी सरस्वती की पूजा करने से बच्चों को आशीर्वाद मिलता है
सफ़ाई और सजावट. बसंत पंचमी के दिन अपने घर की साफ-सफाई और सजावट करने की आदत बनाएं। अपने घर को साफ-सुथरा रखने से प्रकृति की ऊर्जा बढ़ती है और आपके घर में शांति और सकारात्मकता का माहौल बनता है।
रंगों का प्रयोग. बसंत पंचमी को ध्यान में रखते हुए अपने घर को हरे और प्राकृतिक रंगों से सजाएं। हरा, पीला, नीला और सफेद रंग एक आकर्षक और खुशहाल घर बनाते हैं।
पौधों एवं फूलों का उपयोग। अपने घर को फूलों और पौधों से सजाएं। इससे घर की सुगंधित और प्राकृतिक महक बढ़ती है और घर में शांति और स्थिरता का माहौल बनता है।
गुलाबी रंग का प्रयोग. बसंत पंचमी का त्यौहार गुलाबी रंग का होता है। तो अपने घर को गुलाबी बिस्तर, तकिए और फूलदान से सजाएं।
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गुप्त नवरात्रि में करें दुर्गा कवच का पाठ, होगी मनोकामनाएं पूरी

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन नवरात्रि को बेहद ही खास माना गया है जो कि साल में चार बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि इस बार 10 फरवरी से आरंभ हो चुकी है और 18 फरवरी को समाप्त हो जाएगी।
गुप्त नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक भक्त मां भगवती की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की कृपा बरसती है। ऐसे में अगर आपकी कोई विशेष इच्छा है जो अभी तक पूरी नहीं हुई है तो आप नवरात्रि के नौ दिनों तक विधिवत दुर्गा कवच का पाठ करें मान्यता है कि इस चमत्कारी पाठ को करने से मां भगवती जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री दुर्गा कवच।
श्री दुर्गा कवच-
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम्।
पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत सङ्कटात् ॥
उमा देवी शिरः पातु ललाटं शूलधारिणी।
चक्षुषी खेचरी पातु वदनं सर्वधारिणी ॥
जिह्वां च चण्डिका देवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा।
अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ॥
हृदयं ललिता देवी उदरं सिंहवाहिनी।
कटिं भगवती देवी द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ॥
महाबाला च जङ्घे द्वे पादौ भूतलवासिनी
एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्यरक्षणात्मिके।
रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे दॆवि नमोऽस्तु ते ॥
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सोमवार के इस उपाय से पूरी होगी हर मनोकामना

सोमवार का दिन शिव पूजा के लिए समर्पित किया गया है इस दिन भक्त भगवान की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन शिव नामावली स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो सारी परेशानियां दूर हो जाती है साथ ही किस्मत का भरपूर साथ मिलता है और व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव का चमत्कारी पाठ।
शिव नामावली स्तोत्र-
ॐ शिवाय नमः ॥
ॐ महेश्वराय नमः ॥
ॐ शंभवे नमः ॥
ॐ पिनाकिने नमः ॥
ॐ शशिशेखराय नमः ॥
ॐ वामदेवाय नमः ॥
ॐ विरूपाक्षाय नमः ॥
ॐ कपर्दिने नमः ॥
ॐ नीललोहिताय नमः ॥
ॐ शंकराय नमः ॥ १० ॥
ॐ शूलपाणये नमः ॥
ॐ खट्वांगिने नमः ॥
ॐ विष्णुवल्लभाय नमः ॥
ॐ शिपिविष्टाय नमः ॥
ॐ अंबिकानाथाय नमः ॥
ॐ श्रीकंठाय नमः ॥
ॐ भक्तवत्सलाय नमः ॥
ॐ भवाय नमः ॥
ॐ शर्वाय नमः ॥
ॐ त्रिलोकेशाय नमः ॥ २० ॥
ॐ शितिकंठाय नमः ॥
ॐ शिवाप्रियाय नमः ॥
ॐ उग्राय नमः ॥
ॐ कपालिने नमः ॥
ॐ कौमारये नमः ॥
ॐ अंधकासुर सूदनाय नमः ॥
ॐ गंगाधराय नमः ॥
ॐ ललाटाक्षाय नमः ॥
ॐ कालकालाय नमः ॥
ॐ कृपानिधये नमः ॥ ३० ॥
ॐ भीमाय नमः ॥
ॐ परशुहस्ताय नमः ॥
ॐ मृगपाणये नमः ॥
ॐ जटाधराय नमः ॥
ॐ क्तेलासवासिने नमः ॥
ॐ कवचिने नमः ॥
ॐ कठोराय नमः ॥
ॐ त्रिपुरांतकाय नमः ॥
ॐ वृषांकाय नमः ॥
ॐ वृषभारूढाय नमः ॥ ४० ॥
ॐ भस्मोद्धूलित विग्रहाय नमः ॥
ॐ सामप्रियाय नमः ॥
ॐ स्वरमयाय नमः ॥
ॐ त्रयीमूर्तये नमः ॥
ॐ अनीश्वराय नमः ॥
ॐ सर्वज्ञाय नमः ॥
ॐ परमात्मने नमः ॥
ॐ सोमसूर्याग्नि लोचनाय नमः ॥
ॐ हविषे नमः ॥
ॐ यज्ञमयाय नमः ॥ ५० ॥
ॐ सोमाय नमः ॥
ॐ पंचवक्त्राय नमः ॥
ॐ सदाशिवाय नमः ॥
ॐ विश्वेश्वराय नमः ॥
ॐ वीरभद्राय नमः ॥
ॐ गणनाथाय नमः ॥
ॐ प्रजापतये नमः ॥
ॐ हिरण्यरेतसे नमः ॥
ॐ दुर्धर्षाय नमः ॥
ॐ गिरीशाय नमः ॥ ६० ॥
ॐ गिरिशाय नमः ॥
ॐ अनघाय नमः ॥
ॐ भुजंग भूषणाय नमः ॥
ॐ भर्गाय नमः ॥
ॐ गिरिधन्वने नमः ॥
ॐ गिरिप्रियाय नमः ॥
ॐ कृत्तिवाससे नमः ॥
ॐ पुरारातये नमः ॥
ॐ भगवते नमः ॥
ॐ प्रमधाधिपाय नमः ॥ ७० ॥
ॐ मृत्युंजयाय नमः ॥
ॐ सूक्ष्मतनवे नमः ॥
ॐ जगद्व्यापिने नमः ॥
ॐ जगद्गुरवे नमः ॥
ॐ व्योमकेशाय नमः ॥
ॐ महासेन जनकाय नमः ॥
ॐ चारुविक्रमाय नमः ॥
ॐ रुद्राय नमः ॥
ॐ भूतपतये नमः ॥
ॐ स्थाणवे नमः ॥ ८० ॥
ॐ अहिर्भुथ्न्याय नमः ॥
ॐ दिगंबराय नमः ॥
ॐ अष्टमूर्तये नमः ॥
ॐ अनेकात्मने नमः ॥
ॐ स्वात्त्विकाय नमः ॥
ॐ शुद्धविग्रहाय नमः ॥
ॐ शाश्वताय नमः ॥
ॐ खंडपरशवे नमः ॥
ॐ अजाय नमः ॥
ॐ पाशविमोचकाय नमः ॥ ९० ॥
ॐ मृडाय नमः ॥
ॐ पशुपतये नमः ॥
ॐ देवाय नमः ॥
ॐ महादेवाय नमः ॥
ॐ अव्ययाय नमः ॥
ॐ हरये नमः ॥
ॐ पूषदंतभिदे नमः ॥
ॐ अव्यग्राय नमः ॥
ॐ दक्षाध्वरहराय नमः ॥
ॐ हराय नमः ॥ १०० ॥
ॐ भगनेत्रभिदे नमः ॥
ॐ अव्यक्ताय नमः ॥
ॐ सहस्राक्षाय नमः ॥
ॐ सहस्रपादे नमः ॥
ॐ अपपर्गप्रदाय नमः ॥
ॐ अनंताय नमः ॥
ॐ तारकाय नमः ॥
ॐ परमेश्वराय नमः ॥ १०८ ॥
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भगवान शिव की पूजन समाग्री में शामिल करें काली मिर्च

  • मिलते हैं शुभ फल
हर कोई अपने जीवन में सुख-समृद्धि चाहता है। वह सफलता जो व्यक्ति प्रयास से प्राप्त करता है। उन्हें दैवीय आशीर्वाद और ज्योतिषीय उपचार की भी आवश्यकता है। भूलनाथ को देवों के देव महादेव के नाम से जाना जाता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि बोर्नैट सबसे निर्दोष है और इस बलिदान से आसानी से संतुष्ट हो जाता है। अगर शंभू किसी से प्यार करता है तो वह उसकी सभी इच्छाएं पूरी करेगा। आज हम ऐसे ही कुछ मामलों के बारे में बात करेंगे. इसे महादेव को अर्पित करें आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
अगर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाए तो व्यक्ति को जीवन में वह सब कुछ मिलता है जो वह चाहता है। कार्यस्थल पर पदोन्नति, व्यवसाय में उन्नति, विवाह, धन – आपकी सभी इच्छाएँ भगवान के आशीर्वाद से पूरी होंगी। इसके लिए शिवलिंग पर कुछ खास चीज जरूर चढ़ाएं।
अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको काले तिल और काली मिर्च मिलाकर शिव लिंग पर चढ़ाना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी।
दोनों को शिव लिंग में अर्पित करने से सब कुछ शुभ हो जाता है। इसके लिए शिवलिंग पर एक काली मिर्च और सात तिल चढ़ाने चाहिए।
कब कार्य करना है-
अगर आप भोलेनाथ की कृपा पाना चाहते हैं तो इस उपाय का प्रयोग सप्ताह के किसी भी दिन कर सकते हैं। हालाँकि, यदि आप विशेष आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको मासिक शिवरात्रि के दिन ऐसा करना चाहिए। इस तरह आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
ये होंगे फायदे-
इस उपाय के प्रभाव से कुंडली में शनि, राहु और केतु का अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है।
शिवलिंग पर काली मिर्च चढ़ाने से रोग दूर होते हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इस उपाय की मदद से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां टल जाती हैं और सब कुछ अनुकूल हो जाता है।
इस उपकरण का उपयोग करके कोई व्यक्ति वह हासिल कर सकता है जो वह चाहता है। यह भगवान शिव के आशीर्वाद से प्राप्त होता है।
इस उपाय के प्रभाव से व्यक्ति को धन लाभ होता है। कृषि मुद्दों में फंसे लोगों का भ्रम भी खत्म हो गया है.
 

 

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घर में बेलपत्र लगाना शुभ या अशुभ, जानिए...

बेलपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. क्योंकि बोलेनाथ को बेलपत्र बेहद पसंद है. इसलिए भगवान शिव की पूजा के दौरान उन्हें यह अवश्य अर्पित करना चाहिए। दरअसल, बेलपत्र के कई नियम वास्तु में बनाए गए हैं।
बेलपत्र का पौधा घर में लगाना बहुत शुभ माना जाता है। उनका कहना है कि इस पौधे को घर में लगाने से घर की दरिद्रता जल्द ही दूर हो जाती है। साथ ही लक्ष्मी मां भी बेहद खुश हो जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस घर में यह पौधा होता है उस घर में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं रहती है और वहां हमेशा सकारात्मक माहौल बना रहता है।
घर में बेलपत्र लगाने से पहले सही दिशा का ध्यान देना बहुत जरूरी है। क्योंकि इसे गलत दिशा में लगाने से कोई लाभ नहीं मिलता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार बेलपत्र का पौधा घर की उत्तर-दक्षिण दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। इस दिशा में इसे लगाने से आर्थिक लाभ होगा और घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
घर में बेलपत्र का पेड़ लगाने से व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दोष खत्म हो जाता है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी के घर में बेलपत्र का पेड़ है, तो वह घर चंद्र दोष के दुष्प्रभाव से बचा रहेगा।
घर में बेलपत्र का वृक्ष होता है उस घर के सदस्य बुरे कर्मों से मुक्त हो जाते हैं। इस प्रकार व्यक्ति को शाश्वत पुण्य की प्राप्ति होती है।
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गृह दोष के साथ विवाह में आ रही बाधा भी दूर करती है हल्दी की गांठ

  • चमत्कारी है ये उपाय
किचन में मसाले के रूप में उपयोग की जाने वाली हल्दी औषधीय गुणों से भी भरपूर होती है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में भी हल्दी को बहुत उपयोगी बताया गया है। पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, हल्दी की गांठ से जुड़े कुछ उपाय जीवन में कई तरह की बाधाओं को दूर करने में मददगार होते हैं।
यदि आपके बेटे या बेटी के विवाह में देरी हो रही है। कुंडली में बंधन दोष, पितृ दोष या मांगलिक दोष के कारण विवाह में बाधा आ रही है तो गुरुवार को सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठे और स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करें और पीले रंग के आसन पर बैठकर ध्यान करें। आखिर में तुलसी के पौधे के पास हल्दी की गांठ छोड़ दें और गंगाजल के छिड़क दें।
कई लोगों के विवाह में देरी पितृ दोष के कारण भी होती है। पितृ दोष को दूर करने के लिए भी हल्दी की गांठ से जुड़े उपाय कर सकते हैं। इसके लिए हल्दी की गांठ को पीसकर भगवान लक्ष्मीनारायण को इसका तिलक रोज लगाना चाहिए। पूजा के बाद यह तिलक आपको खुद को भी लगाना चाहिए। इससे कुंडली के दोष खत्म होते हैं और विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है।
बृहस्पति बीज मंत्र का जाप-
देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए बीज मंत्र की तीन माला का जाप करें। ‘ॐ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करने से भी विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है।
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मौनी अमावस्या पर उपाय, पितृदोष से जल्द मिलेगा छुटकारा

हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या को खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आता है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है जो कि स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप को समर्पित होता है मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और सेहत भी अच्छी बनी रहती है।
अमावस्या की तिथि पूर्वजों को भी समर्पित होती है ऐसे में इस दिन पितरों का तर्पण करना भी लाभकारी माना जाता है इस बार मौनी अमावस्या आज यानी 9 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ ही कुछ उपायों को भी करना लाभकारी माना जाता है ऐसा करने से पितृदोष दूर हो जाता है साथ ही सुख समृद्धि आती है। तो आज हम आपको मौनी अमावस्या पर ज्योतिषीय उपाय बता रहे हैं।
मौनी अमावस्या पर स्नान दान का मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या की तिथि का आरंभ 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर हो रहा है और समापन अगले दिन यानी 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 9 फरवरी के दिन ही मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।
मौनी अमावस्या के आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार मौनी अमावस्या के दिन दान करना श्रेष्ठ माना जाता है ऐसे में आप इस दिन काले तिल, अन्न और वस्त्रों का दान गरीब व जरूरतमंदों को करें ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। वही पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए मौनी अमावस्या पर स्नान आदि के बाद पितरों का तर्पण जरूर करें ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं।
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मौनी अमावस्या शनि के इन उपायों से दूर होगी साढ़ेसाती और ढैय्या

अमावस्या तिथि को सनातन धर्म में महत्वपूर्ण बताया गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या को माघी अमावस्या व मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है इस दिन स्नान दान व पूजा पाठ का विधान होता है मान्यता है कि ऐसा करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
इस बार मौनी अमावस्या 9 फरवरी दिन शुक्रवार यानी की आज मनाई जा रही है। इस दिन कुछ विशेष उपायों को करने से शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से मुक्ति मिल जाती है तो आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
मौनी अमावस्या पर करें ये आसान उपाय-
अगर आप शनि के अशुभ प्रभाव से पीडि़त है और साढ़ेसाती व ढैय्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में मौनी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक जलाएं साथ ही शनि देव के मंत्र का विधिवत जाप भी करें माना जाता है कि ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभावों में कमी आती है।
मौनी अमावस्या के दिन शनि देव की विधि विधान से पूजा करें इस दिन शनि देव को आक का पुष्प अर्पित करें यह फूल शनि देव को बेहद प्रिय है। माना जाता है कि अमावस्या तिथि पर शनि देव को आक के पुष्प अर्पित करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिल जाती है।
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बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा से मिलते हैं कई लाभ

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन बसंत पंचमी का त्योहार बेहद ही खास माना जाता है जो कि देवी सरस्वती की पूजा को समर्पित किया गया है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से देवी की कृपा प्राप्त होती हैं।
इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस खास दिन पर मां सरस्वती की पूजा करने से साधक की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और बुद्धिए विद्याए धन और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख दवारा बसंत पंचमी की से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मां सरस्वती पूजन के लाभ-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने से साधक को बुद्धि, विवेक और गुण ज्ञान की प्राप्ति होती है। अगर आप किसी कला के क्षेत्र से जुड़े हुए है तो ऐसे में आप बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की विशेष रूप से पूजा अर्चना जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है जिससे जातक शिक्षा के क्षेत्र के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी सफलता हासिल करता है।
ऐसे में इस दिन शुभ मुहूर्त में माता सरस्वती की विधि विधान से पूजा करें इस दिन पीले रंग के वस्त्रों को धारण करना शुभ माना जाता है पीला रंग देवी सरस्वती को प्रिय है ऐसे में इस दिन माता को पीले पुष्प अर्पित करें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं साथ ही पीले वस्त्र भी देवी को चढ़ाएं।
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इस दिन मनाई जाएगी रथ सप्तमी, जानें विधि महत्त्व

मृत्यु माह की शुक्ल पक्ष सप्तमी को रेत सप्तमी या मां सप्तमी भी कहा जाता है. इस दिन को भगवान सूर्य के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव ने पूरे ब्रह्मांड को रोशन करना शुरू किया था।
माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 24 बहमन तिथि को सुबह 10:12 बजे प्रारंभ हो रही है। यह तिथि 16 फरवरी को सुबह 8:54 बजे समाप्त हो रही है। उदय तिथि के अनुसार इन परिस्थितियों में रथ सप्तमी मनाई जाएगी। शुक्रवार, 16 फरवरी। इस ऋतु का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है- रथ सप्तमी पर अरुणोदय- सुबह 6:35 बजे। रथ सप्तमी पर सूर्योदय- सुबह 6:59 बजे।
रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय में स्नान करना चाहिए। सूर्योदय के समय स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और उनकी विधि-विधान से पूजा करें। अर्घ्य देने के लिए सबसे पहले सूर्य देव के सामने खड़े होकर अपने हाथों को नमस्कार की मुद्रा में जोड़ लें। भगवान सूर्य को छोटे लोटे से धीरे-धीरे जल दें, फिर गाय के घी का दीपक जलाएं। साथ ही पूजा के दौरान सूर्य देव को लाल फूल भी चढ़ाए जाते हैं।
सूर्य सप्तमी के दिन रीति-रिवाज के अनुसार भगवान सूर्य की पूजा करने से भक्तों को स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन दान-पुण्य का कार्य करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य के निमित्त व्रत करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं। रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय में स्नान का विशेष महत्व है।
रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है क्योंकि इसके माध्यम से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति की जा सकती है। सूर्य सप्तमी के दिन ग़ुस्ल घर में ग़ुस्ल करने से भी अधिक लाभकारी नदी के समान है। सूर्य सप्तमी पर स्नान, दान-पुण्य करने और भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने से दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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कौड़ियों में होता है देवी लक्ष्मी का वास

  • इन स्थानों पर रखने से घर में आएंगी खुशियां
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है और हिंदू ज्योतिष शास्त्र में लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। पौराणिक मान्यता है कि कौड़ियों में देवी लक्ष्मी का वास होता है और इसलिए लोग कौड़ियों को घर में रखना शुभ मानते हैं। पंडित आशीष शर्मा यहां कौड़ियों को घर में रखने फायदों और नियमों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
कौड़ियां समुद्र से प्राप्त होती है और देवी लक्ष्मी भी समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से ही उत्पन्न हुई थी। यही कारण है कौड़ियों का संबंध देवी लक्ष्मी से बताया गया है। कौड़ियों को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। कौड़ी का आकार चंद्रमा के समान होता है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।
पूजा में जरूर रखें कौड़ियों को-
यदि आप भी घर में खुशियां लाना चाहते हैं तो पूजा के दौरान कौड़ियों को जरूर रखना चाहिए। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक मां लक्ष्मी की पूजा में कौड़ी चढ़ाना शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान 11 कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर मंदिर में दान करने से देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
तिजोरी में रखें कौड़ियां-
तिजोरी या धन रखने के स्थान पर 9 कौड़ियां लाल कपड़े में बांधकर रखना शुभ होता है। ऐसा करने से धन में वृद्धि होती है और परिवार में समृद्धि आती है। परिवार में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं आती है।
मुख्य द्वार पर लगाएं कौड़ियां-
पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, घर के मुख्य द्वार पर 7 7 कौड़ियां लाल कपड़े में बांधकर लटकाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
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बसंत पंचमी पर घर लाएं ये चीजें

बसंत पंचमी के दिन से मौसम सुहावना हो जाता है और पेड़-पौधों पर नये फल-फूल उगने लगते हैं। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने की परंपरा है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कुछ खास चीजें खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती को तिलक समर्पित किया गया था। ऐसे में इस दिन शादी से जुड़ी कोई चीज घर ले जाना बेहतर होता है। यह बहुत ही शुभ माना जाता है. इसका मतलब है कि आपको किसी भी वित्तीय संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती को पीला रंग पसंद है। अगर आप इस दिन मां सरस्वती को पीले फूलों की माला चढ़ाएंगे तो देवी बेहद प्रसन्न होंगी और आपको आशीर्वाद देंगी। इसलिए इस दिन एक माला लाकर देवी को अर्पित करें।
ऐसा कहा जाता है कि जिन बच्चों को पढ़ाई में रुचि नहीं होती है या वे अच्छे से पढ़ नहीं पाते हैं उन्हें बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की मूर्ति, पेंटिंग और मूर्तियां जरूर लानी चाहिए। इससे मां सरस्वती की कृपा से विद्यार्थियों में पाठ के प्रति रुचि पैदा होती है।
अगर आप नया घर या नई कार खरीदने की योजना बना रहे हैं तो बसंत पंचमी आपके लिए सबसे शुभ दिन है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन नई चीजें खरीदने से घर में बरकत बनी रहती है।
 
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प्रदोष व्रत के दिन महादेव को लगाएं ये भोग, हर काम होंगे सिद्ध

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का अधिक महत्व है. प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत के दिन शाम को भगवान महादेव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। इस बार प्रदोष व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष में 7 फरवरी को रखा जाएगा। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव को विशेष चीजें अर्पित करने से भक्त का जीवन सुखमय हो जाता है और उसे पूजा का पूरा फल मिलता है। आइए हम आपको बताते हैं कि आपको प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को क्या चढ़ाना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन शाम की पूजा के बाद महादेव को खीर का भोग लगाएं. मान्यता है कि भगवान शिव को खीर का भोग लगाने से घर में कोई भी संकट नहीं आता है।
इसके अलावा आप इस दिन सूजी या मसले हुए आलू भी बनाकर अपने प्रसाद में शामिल कर सकते हैं. इसके फलस्वरूप परिवार के सदस्यों के बीच हमेशा शांति बनी रहती है और व्यक्ति रोजमर्रा की समस्याओं से मुक्त हो जाता है।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ को शहद का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि इससे ग्रह शांत होते हैं और व्यक्ति ग्रह दोषों से मुक्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त, आप प्रसाद में सूखे मेवे भी शामिल कर सकते हैं। इससे आर्थिक लाभ होता है।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान बोहलेनाथ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी और उसे जीवन की सभी चिंताओं से मुक्ति मिल जाएगी। पारिवारिक जीवन में भी खुशियाँ आती हैं। रोली, फूल, बेलपत्र, मिठाई, फल, पंचामृत आदि चीजें अर्पित करें।
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कुंभ राशि में शुक्र-सूर्य की युति से इन राशियों को खूब प्रॉफिट मिलेगा

ग्रहों के राजा सूर्य और शुक्र की चाल बदलने वाली है। रिश्ते, प्रेम और विवाह के कारक माने जाते हैं शुक्र। जहां शुक्र की अच्छी स्थिति खूब धन-लाभ कराती है वहीं, सूर्य के शुभ होने पर व्यक्ति के मान-सम्मान में चार चांद लग जाते हैं। सूर्य देव मकर राशि में विराजमान हैं, जो 13 फरवरी को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं, शुक्र की एंट्री कुंभ में 7 मार्च को होगी। ऐसे में शुक्र के प्रवेश करते ही सूर्य और शुक्र की युति का निर्माण होगा। इसलिए आइए जानते हैं कुंभ राशि में सालों बाद बनी शुक्र और सूर्य की युति किन राशियों को लाभ कराने वाली है-
तुला राशि-
शुक्र और सूर्य की युति तुला राशि वालों के लिए पॉजिटिव न्यूज लेकर आयी है। करियर में आपको कई ऐसे मौके मिल सकते हैं, जो आपकी ग्रोथ और प्रमोशन में मदद करेंगे। बिजनेस कर रहे लोगों की आर्थिक दिक्कतें दूर होंगी। भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा। आपका संतान पक्ष भी मजबूत रहने वाला है।
वृश्चिक राशि-
वृश्चिक राशि वालों आपके लिए सूर्य और शुक्र की युति बेहद ही लाभदायक मानी जा रही है। आपके जीवन में चल रही है समस्याएं इस गोचर के बाद से खत्म होने लग जाएंगी। जीवन में कुछ नए बदलाव हो सकते हैं, जो काफी पॉजिटिव रहने वाले हैं। परिवार और जीवनसाथी के साथ आप अच्छा समय व्यतीत करेंगे। कहीं घूमने का भी प्लान बन सकता है।
मकर राशि-
मकर राशि के लोगों के लिए शुक्र और सूर्य की युति फायदेमंद साबित हो सकती है। आपका आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। जीवन की मुश्किलें दूर होंगी और जीवनसाथी का साथ आपको मिलेगा। काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है। बिजनेस वालों को धन के मामले में कोई शुभ समाचार मिलेगा।
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जानें रुद्राक्ष धारण करने का नियम और समय

नई दिल्ली। प्राचीन काल से ही रुद्राक्ष को अपनी दैवीय शक्तियों के कारण बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इसे धारण करने का अवसर केवल उन्हीं को मिलता है जिन पर देवों के देव महादेव की कृपा होती है। “रुद्राक्ष” का अर्थ है रुद्र की धुरी, अर्थात घंटा।
इस आध्यात्मिक मोती की उत्पत्ति की कहानी बताती है कि इसे स्वयं शिव का आशीर्वाद क्यों माना जाता है। तो आइये जानते हैं इससे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें-
रुद्राक्ष के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस था जिसके पास विभिन्न प्रकार की दिव्य ऊर्जा थी जिसके कारण वह अत्यधिक अहंकारी हो गया और देवताओं और ऋषियों को परेशान करने लगा। उससे तंग आकर देवताओं ने भगवान शिव से उसे मारने की प्रार्थना की।
देवताओं की पीड़ा सुनकर भगवान शिव ध्यान करने लगे। फिर जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले। उनके आंसू भूमि पर जहां-जहां गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष के पेड़ उग आए। त्रिपुरासुर का वध करके भगवान शिव ने विश्व शांति भी बहाल की।
रुद्राक्ष, रुद्राक्ष के पेड़ पर उगने वाला एक प्राकृतिक सूखा फल है। जप की माला में आमतौर पर 108 रुद्राक्ष होते हैं। वे अलग-अलग आकार में आते हैं, अर्थात् 1 मुख से लेकर 27 मुख तक। इन्हें धारण करने वाले भक्तों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम और समय-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी आदि दिनों में धारण करना चाहिए। जनेऊ धारण करते समय भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। रुद्राक्ष को भोलेनाथ का ध्यान करते हुए और “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए धारण करना चाहिए।
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