धर्म समाज
आज धूमधाम से मनेगी ईद
परशुराम जयंती आज,जानिए महत्व एवं पूजा मुहूर्त
अक्षय तृतीया आज ,जानिए महत्व एवं पूजा मुहूर्त
अक्षय तृतीया के दिन शोभन और मातंग योग, तैतिल करण,रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि का चंद्रमा रहेगा। मंगलवार, 03 मई के दिन अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र के संयोग से मातंग नाम का शुभ योग बन रहा है। इस योग में किए गए कार्य का फल अक्षय रहता है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन रोहिणी नक्षत्र पड़ने को बहुत ही शुभ माना गया है। इसके अलावा इस अक्षय तृतीया पर पांच ग्रहों की शुभ स्थिति भी देखने को मिलेगी। ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर सूर्य,चंद्रमा,शुक्र उच्च राशि में और गुरु और शनि अपनी स्वराशि में रहेंगे। इस तरह के शुभ योग और नक्षत्र में खरीदरी, निवेश और लेन-देन के लिए पूरा दिन बहुत ही शुभ रहने वाला होगा। अक्षय तृतीया पर क्यों खरीदते हैं सोने के आभूषण? हर वर्ष अक्षय तृतीया के त्योहार के दिन सोने के आभूषण खरीदने की परंपरा निभाई जाती है। मान्यता है इस दिन खरीदा गया सोना सुख,समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक होता है। ऐसा माना जाता है इस दिन खरीदा गया सोना या निवेश किया गया धन कभी भी खत्म नहीं होता। मान्यता है अक्षय तृतीया के दिन खरीदे गए सोने और निवेश का स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी रक्षा और उसमें वृद्धि करते हैं।
आज है वरुथिनी एकादशी का मुहूर्त, मंत्र, व्रत एवं पूजा विधि
जानिए कब हैं शनि जयंती
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। शनि जयंती के दिन विधिवत तरीके से शनिदेव की पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शनि को न्याय का देवता माना गया है। शनिदेव ही हर इंसान को उसके कर्मों के हिसाब से दंड या फल देते हैं। जहां अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और बुरे लोगों को अपने कर्मों के फल का भुगतान करना पड़ता है। इसलिए शनिदेव की कृपा पाने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति अच्छा कर्म करें। मान्यता है कि शनि जयंती के दिन विधि-विधान के साथ शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति के ऊपर से साढ़ेसाती, ढैय्या, शनि दोष से राहत मिल जाती है। जिससे व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक के साथ-साथ आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। जानिए शनि जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय
गुरु तेग बहादुर की जयंती आज
गुरु तेग बहादुर की जयंती आज, जाने उन से जुडी कुछ खास बातें Subhi21 April 2022 9:20 AM x सिख धर्म के नौवें गुरु श्री तेग बहादुर साहिब का 400वां प्रकाश पर्व 21 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जा रहा है। गुरु तेज बहादुर का जन्म वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। सिख धर्म के नौवें गुरु श्री तेग बहादुर साहिब का 400वां प्रकाश पर्व 21 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जा रहा है। गुरु तेज बहादुर का जन्म वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। तेज बहादुर जी के बचपन का नाम त्यागमल था।
उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। गुरु श्री तेग बहादुर साहिब, हगोविंद के पांचवें पुत्र थे और सिखों के आठवें गुरु हरिकृष्ण राय के निधन के बाद उनको गुरु बनाया गया। इन्होंने आनंदपुर साहिब का निर्माण किया और यहीं पर रहने लगे थे। मुगलों के खिलाफ युद्ध- गुरु तेगबहादुर जी बचपन से ही निडर थे। मात्र 14 वर्ष की आयु में पिता के साथ उन्होंने मुगलों के खिलाफ युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया था। उनकी वीरता से प्रभावित होकर ही उनके पिता ने नाम तेग बहादुर रखा था और एक तलवार भेंट की थी। गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बाद भी इस्लाम कुबूल नहीं किया था। तब तेग बहादुर साहिब ने कहा था कि वह शीश कटा सकते हैं लेकिन अपने केश (बाल) नहीं। गुरु तेग बहादुर ने जब किसी भी हाल में इस्लाम स्वीकार नहीं किया तो औरंगजेब ने उनका शीश कटवा दिया था।
आज के दिन मां लक्ष्मी को मनाने के लिए करें ये उपाय
हनुमान जी की चालीसा करने से हर मुश्किल का होगा समाधान
हनुमान जयंती पर करें ये उपाय, हर मनोकामना होगी पूरी
बजरंगबली के भक्त चैत्र नवरात्र और राम नवमी के बाद अब हनुमान जयंती की तैयारी में जुटे हैं। इस बार हनुमान जयंती 16 अप्रैल के दिन मनाई जाएगी। इस बार की हनुमान जयंती इस लिए भी खास है, क्योंकि इस दिन पूर्णिमा के साथ शनिवार भी पड़ रहा है। जिसके कारण इस दिन किए गए पूजा पाठ का फल कई गुना अधिक मिलेगा।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आज के ही दिन करें ये उपाय
- भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन सफेद, हरे, पीले, लाल या आसमानी रंग के वस्त्र घारण कर पूजा करें.
- पूजा में भगवान शिव अक्षत यानि चावल अर्पित करें. लेकिन ध्यान रखें चावल को कोई भी दाना खंडित यानि टूटा हुआ नहीं होना चाहिए.
- भगवान शिव को चंदन, बेल पत्र, धतूरा और गंगाजल अर्पित करें. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते है।.
- यदि आपके जीवन में धन संबंधी संकट चल रहा है तो सोमवार के दिन शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करना लाभकारी होगा.
आज दुर्गाष्टमी पर करें मां महागौरी की पूजा
आज है नवरात्रि का सातवां दिन
झूठा सच @ रायपुर :- नवरात्रि में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की आराधना की जाती है, मां कालरात्रि की पूजा से भूत प्रेत, अकाल मृत्यु ,रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। 8 अप्रैल यानी आज चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। मां दुर्गा को कालरात्रि का रूप शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज को मारने के लिए लेना पड़ा था। मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत ही भयानक है। लेकिन मां का हृदय अत्यंत ही कोमल है। मां अपने भक्तों को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति दिलाती है। देवी कालरात्रि का पूजन मात्र करने से समस्त दुखों एवं पापों का नाश हो जाता है। देवी कालरात्रि के ध्यान मात्र से ही मनुष्य को उत्तम पद की प्राप्ति होती है साथ ही इनके भक्त सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाते हैं। माता कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व, मां कालरात्रि की पूजा विधि, देवी कालरात्रि की कथा, कालरात्रि का मंत्र और माता कालरात्रि की आरती
रामनवमी कब है, जानिए इसकी शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
सनातन हिंदू धर्म में प्रत्येक त्योहार का एक विशेष महत्व है। नवरात्रि भी उन्हीं में से एक है। वैसे तो पूरे साल में चार बार नवरात्रि आती है लेकिन इनमें से शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से इन नवरात्रि की शुरुआत होती है। इन दिनों में मां के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। भक्तों में नवरात्रि को लेकर बहुत उत्साह देखने को मिलता है। नवरात्रि के आखिरी दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में ये पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन राम जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विधिविधान के साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा अर्चना की जाती है।
रामनवमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, जानिए कथा,पूजा विधि
आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है। नवरात्र के छठे दिन देवी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। मां के इस रूप के प्रगट होने की बड़ी ही अद्भुत कथा। माना जाता है कि देवी के इसी स्वरूप ने महिषासुर का मर्दन किया था। देवीभागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा गृहस्थों और विवाह के इच्छुक लोगों के लिए बहुत ही फलदायी है।
आज है स्कंदमाता की पूजा,जानें विधि और शुभ मुहूर्त
आज चैत्र नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कंदमाता को प्रेम और वात्सल्य की देवी कहा जाता है। मान्यता के मुताबिक स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। माता को लाल रंग प्रिय है इसलिए इनकी आराधना में लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करना चाहिए।