धर्म समाज

मकर संक्रांति पर कौन सी राशि की चमकेगी किस्‍मत

आज मकर संक्रांति है और देशभर में इस मौके पर सुबह से लोग पवित्र सरोबरों में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। धार्मिक ग्रंथों में मकर संक्रांति के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। मकर संक्रांति पर सूर्य का राशि परिवर्तन होता है इस दिन बनने वाले शुभ योग में पूजा, स्नान और दान करने से कई प्रकार की मुसीबतों से छुटकारा मिलता है वहीं जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसके साथ ही मकर संक्रांति का पर्व कई प्रकार के दोषों को भी दूर करता है।
 
मेष राशि -  पदोन्नति की संभावना, सरकार से लाभ, धनाागमन,प्रतिष्ठित जनों से मित्रता के योग है। चहुंमुखी विकास होगा। विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदें। ओम् सूर्याय नमः का जाप करें। गुड़ व गेहूं का दान करें।

वृषभ राशि -  सुख साधन बढ़ेंगे। मकान ,वाहन का क्रय अत्यंत शुभ रहेगा। दूध दही सफेद वस्तुओं का दान करें। मिथ्यारोप, धन हानि, अत्याधिक व्यय, राज्य पक्ष से चिंता हो सकती है। कनक दान करें।
 
मिथुन राशि - परिवार में सदस्यों की वृद्धि, संतान प्राप्ति संभावित। हरी सब्जी ,हरी मूंग की दाल या हरे फल, मिठाई दान करें। कंप्यूटर, मोबाइल ले सकते हैं। सूर्य का गोचर शारीरिक व्याधि, ज्वर, मानहानि, पत्नी को पीड़ा दे सकता है। गुड़़ का हलुवा गरीबों को खिलाएं।
 
कर्क राशि - फ्रिज, ए.सी, वाटर प्योरिफायर या वाटर कूलर खरीदें। सिर पीड़ा, उदर रोग, धन हानि, यात्रा, शत्रुओं से झगड़ा आदि दिखता है। सूर्य को तिल डाल कर जल अर्पित करें। चावल का दान लाभ देगा।
 
सिंह राशि-  सूर्य की उपासना करें। सरकार से लाभ होगा। ओम् घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। सोने के आभूषण या गोल्ड क्वाएन खरीदना धन वृद्धि करेगा। शत्रुओं पर विजय, कार्यसिद्धि, रोग नाश, सरकार से लाभ, वस्त्र का क्रय आदि करवाता है सूर्य।गेहूं या बेकरी आयटम्ज का दान करें।
 
कन्या राशि - जल में तिल डाल कर स्नान करें। नया मोबाइल, ब्रॉड बैंड कनेक्शन, टीवी तथा संचार संबंधी उपकरण खरीदें। क्रेडिट कार्ड या ऋण लेकर कुछ न खरीदें। किसी प्रियजन को मोबाइल भेंट करें या जरुरतमंद को दान करें। सूर्य संतान से चिंता दे सकता है।यात्रा ध्यान से करें, संतान की सेहत का ध्यान रखें,वाद विवाद से बचें, मतिभ्रम न होने दें। जल में तिल डाल कर नहाएं। गााय को चारा दें।
 
तुला राशि- हर तरफ से धन धान्य की प्राप्ति। तिल का उबटन लगाएं। इस अवसर पर चांदी खरीदें और वर्षांत तक मालामाल हो जाएं।,जमीन जायदाद संबंधी समस्याएं, मान हानि, घरेलू झगड़ों से परेशानी, शारीरिक कमजोरी। खिचड़ी और खीर का दान करें।
 
वृश्चिक राशि -  रुका धन आने की संभावना। कोर्ट केस में विजय।शत्रु दबे रहेंगे। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदें। गज्जक , रेवड़ी का दान फलेगा।रोग मुक्ति, राज्यपक्ष मजबूत, मान प्रतिष्ठा की प्राप्ति, पुत्र व मित्रों, समाज से सम्मान देगा। जल में गुड़ डाल कर सूर्य को अर्पित करें।
 
धनु राशि- शिक्षा क्षेत्र, कंपीटीशन आदि में सफलता। सोने का सिक्का या मूर्ति सामर्थ्यानुसार खरीद कर पूजा स्थान पर स्थापित करें। खिचड़ी स्वयं बनाकर 9 निर्धन मजदूरों को खिलाएं। सिर, नेत्र पीड़ा, दुष्ट लोगों से मिलन, व्यापार हानि, संबंधियों से वैमनस्य करा सकता र्है। नेत्रहीनों को भोजन करवाएं। चने की दाल का दान करें।
 
मकर राशि- गरीबों में सवा किलो चावल और सवा किलो काले उड़द या इसकी खिचड़ी दान करें। सूर्य का गोचर मान हानि, कायों में देरी, उ उदेश्यहीन भ्रमण, मित्रों से मनमुटाव, सेहत खराब कर सकता है। तांबे के बर्तन धर्मस्थान पर दान दें।
 
कुंभ राशि - विदेश यात्रा, नेत्र कष्ट, अधिक व्यय, पद की हानि करवा सकता है सूर्य का गोचर। मरीजों को मीठा दलिया खिलाएं। काला सफेद कंबल या गर्म वस्त्र दान करें।
 
मीन राशि - सूर्य का भ्रमण धन लाभ, नवीन पद, मंगल कार्य, राज्य कृपा, तरक्की, धन प्राप्ति देता है। वाहन सुख। प्रापर्टी का ब्याना देना या बुकिंग ,दीर्घकालीन निवेश के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त। तिल के लडडू या बेसन से बनी चीजें दान करें।
 

 

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मंगलवार के दिन इस उपाय को करने से नहीं होगी पैसे की कमी

राम भक्‍त हनुमान को कलयुग में जागृत देव कहा जाता है. श्री हनुमान अपने भक्‍तों के सभी कष्‍ट हर लेते हैं. उनकी कृपा हो जाए तो व्‍यक्‍त‍ि क कभी पैसे की तंगी का सामना नहीं करना पडता है. अगर आप हमेशा पैसे की तंगी से जूझते हैं, काम होते होते रुके जाते हैं और समाज में सम्‍मान नहीं मिल रहा है, तो हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें. मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है. इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ आपको कई समस्‍याओं से मुक्‍त‍ि दिला सकता है. मंगलवार को हनुमान चालीसा पढने से क्‍या-क्‍या लाभ मिलते हैं, यहां जानिये ने 'रामयुग' सीरीज में किया 'हनुमान चालीसा' का पाठ, सामने आया

1. आर्थ‍िक समस्‍या दूर होगी: अगर आप कर्ज में डूबे हुए और लाख कोशिशों के बावजूद आपकी स्‍थ‍िति में सुधार नहीं हो रहा है. तो मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें. आपको ना केवल कर्ज से मुक्‍त‍ि मिलेगी, बल्‍क‍ि आपकी आय भी धीरे-धीरे बढने लगेगी. 

 2. बढेगा आत्‍मविश्‍वास: हनुमान चालीसा का पाठ करने से आत्‍मविश्‍वास में वृद्ध‍ि होती है. मंगलवार को या रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें और अपने आत्‍मविश्‍वास में अभूतपूर्व मजबूती दखेंगे. आत्‍मविश्‍वास आने से आपको हर क्षेत्र में सफलता हासिल होगी. 

खत्‍म होगा डर: मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से जातक को भय से मुक्‍त‍ि प्राप्‍त होती है. जीवन में आने वाले छोटे-छोटे बदलावों और अज्ञात शक्‍त‍ियों से लगने वाला डर समाप्‍त हो जाता है. जातक भगमुक्‍त होकर अपना जीवन खुशहाल जी पाता है.

रोग से मुक्‍त‍ि : हनुमान चालीसा में भी इस बात का वर्णन है कि श्री हनुमान रोग और कष्‍टों से रक्षा करते हैं. जो व्‍यक्‍त‍ि हनुमान चालीसा का पाठ करता है, वह रोगों से दूर रहता है

बुरी नजर से रक्षा: श्री हनुमान अपने भक्‍तों को बुरी नजर से बचाते हैं. हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले जातकों पर बुरी नजर का साया नहीं पडता.
 
 
 
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जानिए कब मनाई लोहड़ी का पर्व

जनवरी 2022 में कई प्रमुख त्योहार पड़ने वाले हैं. जिसमें से एक लोहड़ी भी है. लोहड़ी का पर्व पौष कृष्ण एकादशी को पड़ता है. लेकिन तारीख के हिसाब से लोहड़ी 13 जनवरी को पड़ने वाली है. लोहड़ी पर्व को मुख्य रूप से किसानों द्वारा मनाया जाता है. इसके अलावा इस दिन को किसानों के नए साल रूप में भी मनाया जाता है. लोहड़ी पर अलाव जलाकर उसमें गेहूं की बालियां दी जाती हैं. साथ ही इस पर्व पर पंजाबी समुदाय के लोग भांगड़ा कर इस पर्व को मनाते हैं.

लहड़ी 2022 का महत्व पंजाबी परंपरा के मुताबिक लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई से जुड़ा हुआ पर्व है. लोहड़ी के अवसर पर लोग जलाकर इसके आसपास नाचते और गाते हैं. आग में गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक आदि डाले जाते हैं. तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मिठाई आदि बांटे जाते हैं. इस पर्व को पंजाब में फसल कटने के बाद मनाया जाता है. दुल्ला भट्टी की कहानी लोहड़ी पर्व में दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने की परंपरा बहुत पुरानी है. इस दिन आग के चोरो ओर लोग घेरकर बैठते हैं फिर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है.
 
दरअसर इस कहानी को सुनने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि मुगल शासन के दौरान अकबर के समय दुल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति पंजाब में रहता था. उस जमाने में अमीर व्यापारी सामान से साथ-साथ शहर की लड़कियों को बेचा करते थे. उस समय दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई. मान्यता है कि उसी समय से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाई जाती है | 
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मैरी क्रिसमस कह कर ही क्यों शुभकामनाएं देते हैं लोग , जानें वजह ...

हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है. आमतौर पर आपने देखा होगा कि क्रिसमस के लिए बधाई देते समय लोग एक दूसरे को Merry Christmas बोलते हैं Happy Christmas नहीं. आप भी शायद ऐसा ही करते होंगे. अगर किसी के मुंह से हैप्पी क्रिसमस निकल जाए तो उसे ठीक करके वो लोग फिर से मैरी क्रिसमस कहते हैं, जैसे हैप्पी क्रिसमस कहकर उन्होंने कुछ गलत कह दिया हो.जाहिर है कि ऐसे में मन में ये सवाल तो उठेगा ही कि आखिर क्रिसमस को विश करते हुए ही मैरी क्रिसमस क्यों कहा जाता है, किसी और त्योहार पर पर हैप्पी की जगह मैरी शब्द क्यों इस्तेमाल नहीं किया जाता? यहां जानिए इसके बारे में.

मैरी और हैप्पी के बीच का अंतर समझें
साधारण शब्दों में समझे तो मैरी का अर्थ और हैप्पी का अर्थ अर्थ एक ही होता है. 'मैरी' शब्द का अर्थ है आनंदित. ये शब्द जर्मनिक और ओल्ड इंग्लिश से मिलकर बना है. फर्क सिर्फ इतना है कि 'हैप्पी' व्यवहारिक भाषा में बोला जाने वाला शब्द है जबकि 'मैरी' भावनात्मक स्थिति में. मैरी शब्द में भावनाओं के साथ साथ आनंद और प्रेम का भाव भी छिपा होता है. चूंकि ईसाह मसीह ईसाई धर्म के संस्थापक थे. ईसाई धर्म के लोग उन्हें परम पिता परमेश्वर मानते हैं और ईश्वर का बेटा मानते हैं. ऐसे में उनके जन्मदिन के अवसर पर अपनी भावनाओं और आनंद की अनुभूति को जाहिर करने के लिए वे हैप्पी की बजाय मैरी शब्द का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि इस मामले में कुछ लोगों का तर्क ये भी है कि यीशू की मां का नाम मरियम था जिन्हें 'मैरी' के नाम से भी जाना जाता है. यीशू के जन्मदिन पर लोग उन्हें उनकी मां के साथ याद करते हुए मैरी क्रिसमस बोलते हैं.

 

 
चार्ल्स डिकेंस को जाता है श्रेय
इस शब्द को प्रचलित करने का श्रेय इंग्लिश साहित्यकार चार्ल्स डिकेंस को जाता है. आज से करीब 175 साल पहले प्रकाशित किताब 'अ क्रिसमस कैरोल' में उन्होंने बार-बार मैरी शब्द का उपयोग किया गया था. कहा जाता है कि यहीं से क्रिसमस को विश करने के लिए मैरी शब्द चलन में आ गया. इससे पहले तक लोग हैप्पी क्रिसमस कहकर ही आपस में एक दूसरे को विश किया करते थे. इंग्लैंड में आज भी कई लोग हैप्पी क्रिसमस बोलते हैं. आप हैप्पी क्रिसमस और मैरी क्रिसमस में से कुछ भी बोल सकते हैं क्योंकि दोनों ही शब्द सही हैं. हालांकि मैरी का इस्तेमाल सिर्फ क्रिसमस को विश करने के लिए ही किया जाता है. कहा जाता है कि मैरी शब्द हैप्पी शब्द से ज्यादा पुराना है | 
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जानिए कब है पौष अमावस्या

 नए साल 2022 का प्रारंभ कुछ दिनों में ही होने वाला है. हिन्दू कैलेंडर के पौष माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है. इस माह की 15वीं तिथि यानी अमावस्या  का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व होता है. पौष अमावस्या के दिन स्नान, दान का महत्व है. इस दिन पितरों को भी याद किया जाता है और उनकी तृप्ति के लिए पिंडदान, तर्पण या श्राद्ध कर्म​ किया जाता है. जिन लोगों को पितृ दोष होता है, वे लोग भी अमावस्या के दिन ही उपाय करते हैं. आइए जानते हैं कि पौष अमावस्या कब है और नए साल 2022 में कब कब अमावस्या है?

पौष अमावस्या 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 02 जनवरी 2022 दिन रविवार को तड़के 03 बजकर 41 मिनट पर हो रहा है. इस ति​थि का समापन उसी दिन देर रात 12 बजकर 02 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में पौष माह की अमावस्या 02 जनवरी 2022 को है.

नए साल 2022 की अमावस्या तारीखें

02 जनवरी, रविवार: पौष अमावस्या
01 फरवरी, मंगलवार: माघ अमावस्या, मौनी अमावस्या
02 मार्च, बुधवार: फाल्गुन अमावस्या
01 अप्रैल, शुक्रवार: चैत्र अमावस्या
30 अप्रैल, शनिवार: वैशाख अमावस्या
30 मई, सोमवार: ज्येष्ठ अमावस्या
29 जून, बुधवार: आषाढ़ अमावस्या
28 जुलाई, गुरुवार: श्रावण अमावस्या
27 अगस्त, शनिवार: भाद्रपद अमावस्या
25 सितंबर, रविवार: अश्विन अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या
25 अक्टूबर, मंगलवार: कार्तिक अमावस्या
23 नवंबर, बुधवार: मार्गशीर्ष अमावस्या
23 दिसंबर, शुक्रवार: पौष अमावस्या

वैसे तो हर अमावस्या हत्वपूर्ण होती है, लेकिन इसमें भी मौनी अमावस्या, कार्तिक अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मौनी अमावस्या और कार्तिक अमावस्या के दिन नदी स्नान और दान का महत्व है, लेकिन सर्वपितृ अमावस्या पितरों के लिए विशेष होता है. सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष में होता है. इस तिथि को आप अपने सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों की आत्मा को तृप्त कर सकते हैं और उनके लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर सकते हैं | 

 

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जानिए विष्णु भगवान की पूजा के महत्त्व

सनातन परंपरा में भगवान विष्णु की साधना-आराधना करने पर मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं में श्री हरि पूजा से कष्टों के दूर होने और उनकी कृपा बरसने के कई प्रसंग मिलते हैं. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है. मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से वे शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और उनकी साधना-आराधना से साधक को जीवन से जुड़े सभी सुखों की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की साधना से साधक के पूर्वजन्म और इस जन्म दोनों के पाप कट जाते हैं और उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की साधना-आराधना करने से धन के साथ वैवाहिक सुखों की भी प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि आज गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की विधि और मंत्र जानते हैं.

भगवान विष्णु की पूजन विधि
भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठने का प्रयास करें और स्नान-ध्यान के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें. इसके बाद उगते हुए सूर्यनारायण को जल में हल्दी मिलाकर अघ्र्य दें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा में उनकी मूर्ति को स्नान कराने के बाद उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और पूजा में पीले रंग के फूल और प्रसाद में पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं. भगवान विष्णु की पूजा में हल्दी के तिलक का प्रयोग करें और और उसे प्रसाद स्वरूप अपने माथे पर भी लगाएं. मान्यता है कि हल्दी के इस प्रसाद से भगवान विष्णु की कृपा बरसती हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके बाद तुलसी या फिर चंदन की माला से भगवान विष्णु के मंत्रों का कम से कम एक माला जाप करें.

श्रीहरि की कृपा पाने के लिए करें ये पाठ
भगवान विष्णु की पूजा में वैसे तो आप उनके किसी भी सरल मंत्र जैसे 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' अथवा 'ॐ नमो नारायण' या फिर 'श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि' का श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप कर सकते है. लेकिन इनके अलावा यदि आप नारायण कवच, विष्णु सहस्त्रनाम और गजेंद्र मोक्ष इन तीनों में से किसी का पाठ कर सकते हैं, तो निश्चित मान कर चलिए कि भगवान विष्णु की कृपा आप पर अवश्य बरसेगी. यदि इन सभी का पाठ करने में आपको दिक्कत आए तो आप किसी के माध्यम से या फिर आडियो चलाकर भी सुन सकते हैं.

नारायण संग करें मां लक्ष्मी की भी पूजा
यदि आर्थिक रूप से परेशान चल रहे हैं तो आपको भगवान विष्णु के साथ माता माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा में प्रयोग की जाने वाली हल्दी का प्रयोग आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी विशेष रूप से करें. धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उन्हें पांच हल्दी की साबुत गांठें चढ़ााएं. उसके बाद अगले दिन उसे एक एक लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन वाले स्थान पर रख लें. इस उपाय को करने पर आकपे पास धन का भंडार बढ़ने लगेगा और आपके घर में हमेशा मां लक्ष्मी का वास बना रहेगा |
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वास्तु शास्त्र के अनुसार लगाएं पेड़ - पौधे

वास्तु शास्त्र में आज आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए घने पेड़ों को किस दिशा में लगाना चाहिए। पेड़-पौधे मनुष्य के सच्चे दोस्त होते है व इनका आस-पास होना बहुत शुभ माना जाता है।वास्तु शास्त्र में पेड़ों की दिशा के बारे में विस्तार से बताया गया है, जिसके अनुसार ऊँचे और घने पेड़ों को दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए और इन्हें घर की दीवार से थोडा दूर लगाना चाहिए, जिससे उन्हें पर्याप्त सूर्य का प्रकाश मिल सके.पहले से उपस्थित पेड़ों को कभी नहीं काटना चाहिए बल्कि उनकी देख रेख करनी चाहिए।


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घर में क्रिसमस ट्री लगाने के फायदे जानिए

क्रिमसम का त्योहार आने में कुछ ही दिन बाकी हैं. हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस  का त्योहार मनाया जाता है. क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है. क्रिसमस  पर लोग अपने घरों कोस सजाते हैं. इस दिन घर पर क्रिसमस ट्री लगाया जाता है. क्रिसमस ट्री सिर्फ घर को सजाने के लिए ही नहीं लगाया जाता बल्कि वास्तु के अनुसार भी इसका काफी महत्व होता है. घर में क्रिसमस ट्री  लगाना काफी शुभ माना जाता है. ऐसे में आज हम आपको क्रिमसम ट्री के बारे में कुछ चीजें बताने जा रहे हैं

इस दिशा में रखें क्रिसमस ट्री- क्रिसमस ट्री को घर की उत्तर दिशा में रखना चाहिए. अगर क्रिसमस ट्री रखने के लिए घर की उत्तर दिशा खाली नहीं है तो आप इसे उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में रख सकते हैं. 

घर में आती है पॉजिटिविटी- घर पर क्रिसमस ट्री लगाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और घर में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवेश होने लगता है.

क्रिसमस ट्री में लगाएं ये लाइट्स- क्रिसमस ट्री को सजाते समय उसपर लाल या पीली रंग की लाइट्स लगाएं. ये दोनों रंग प्यार और दोस्ती का संकेत देते हैं. इससे घर के सदस्यों के बीच प्यार बरकरार रहेगा.

कलेशों को करे दूर- क्रिसमस ट्री रखने से उसकी ऊर्जा परिवार के लोगों का व्यवहार बदल देती है. इससे घर में होने वाले बेवजह के झगड़े आदि भी खत्म हो जाते हैं. इस जगह पर ना लगाएं क्रिसमस ट्री- क्रिसमस ट्री को घर के मुख्य द्वार के सामने नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह एक तरह का पेड़ होता है. वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार के सामने कोई पेड़, खंभा नहीं लगाना चाहिए |

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कुंडली के मंगल दोष से छुटकारा पाने के उपाय जानिए

आज का दिन संकटमोचन हनुमान जी को समर्पित है. इस दिन हनुमान जी की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से वो भक्तों के सभी दुख हर लेते हैं. इतना ही नहीं, भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी ही मंगल ग्रह के कारक देव हैं. मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है.मान्यता है कि कुंडली में मंगल दोष के कमजोर होने की स्थिति में हनुमान जी की पूजा करने के साथ-साथ कुछ उपाय भी किए जा सकते हैं. मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर चमेली के तेल का दिया जलाने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही, घी और सिंदूर का लेप हनुमान जी को अर्पित कर बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. नियमित रूप से हर मंगलावर को ऐसा करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है. मंगलवार के दिन करें ये बजरंग बाण का पाठ.

श्री बजरंग बाण का पाठ 
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैंसनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैंहनुमान

चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजैप्रभुअरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसेकूदि सिंधुमहिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा
आगेजाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधुमहँबोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जैहनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनुहनुहनुहनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनुअरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हेंमारु, तोहि सपथ राम की। राखुनाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृहगृ माहीं। तुम्हरेबल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जैजैजैधुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँपरौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चंचचंचंचपल चलंता। ॐ हनुहनुहनुहनुहनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ संसंसहमि परानेखल-दल॥
अपनेजन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करैबजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करैप्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपैहमेसा। ताके तन नहिं रहैकलेसा॥

दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करैधरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैंसब काम सफल हनुमान॥
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गुरु घासीदास बाबा ने समाज को दिया एकता, भाईचारे व समरसता का संदेश

घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया। इसी प्रभाव के चलते लाखों लोग बाबा के अनुयायी हो गए। फिर इसी तरह छत्तीसगढ़ में 'सतनाम पंथ' की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के लोग उन्हें अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं। गुरु घासीदास के मुख्य रचनाओं में उनके सात वचन सतनाम पंथ के 'सप्त सिद्धांत' के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है।
बाबा ने तपस्या से अर्जित शक्ति के द्वारा कई चमत्कारिक कार्यों कर दिखाएं। बाबा गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को प्रेम और मानवता का संदेश दिया। संत गुरु घासीदास की शिक्षा आज भी प्रासंगिक है।
बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी का सफुरा था। गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था, बाबा ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया। पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में गुरु घासीदास की जयंती 18 दिसंबर से एक माह तक बड़े पैमाने पर उत्सव के रूप में पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है। बाबा गुरु घासीदास की जयंती से हमें पूजा करने की प्रेरणा मिलती है और पूजा से सद्विचार तथा एकाग्रता बढ़ती है। इससे समाज में सद्कार्य करने की प्रेरणा मिलती हे। बाबा के बताए मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति ही अपने जीवन में अपना तथा अपने परिवार की उन्नति कर सकता है।
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दत्तात्रेय जयंती कल

  • ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का रूप हैं भगवान दत्तात्रेय
नई दिल्ली। सनातन धर्म में दत्तात्रेय पूर्णिमा या दत्ता पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। यह मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि जो इस बार 18 दिसंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन त्रिगुण स्वरुप यानि ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव तीनों का सम्मलित स्वरूप दत्तात्रेय की पूजा का विधान है। दक्षिण भारत सहित पूरे देश में इनके अनेक प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय के निमित्त व्रत करने व दर्शन-पूजन करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु और शिवजी की कृपा से मनुष्य के बिगड़े काम बन जाते हैं।

 

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शनि दोष से छुटकारा पाने के उपाय जानिए

 

शनिवार का दिन शनिदेव के पूजन और उनकी कृपा पाने के लिए खास होता है. कहते हैं कि शनि देवकी कुदृष्टि से बचने के लिए शनिवार  के दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. उन्हीं के नाम पर इस दिन का नाम शनिवार रखा गया है. बता दें कि शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है. कहते हैं कि हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव देते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार उनकी पत्नी ने शनिदेव को श्राप दे दिया था, कि वे जिसकी ओर भी अपनी नजर डालेंगे, उसका नाश हो जाएगा. इसलिए जब किसी व्यक्ति पर शनिदेव की वक्र दृष्टि पड़ती है, तो उसे दुष्प्रभाव सहना ही पड़ता है.कहते हैं कि जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती या ढैय्या आदि महादशा चल रही होती है, उन्हें शनि पूजन  करना चाहिए. शनिवार के दिन शनि मंदिर में या पीपल के पेड़ के नीच सरसों के तेल का दीया जलाएं. इसमें काले तिल डाल दें और मंदिर में बैठ कर शनि स्तुति का पाठ करें. ऐसा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है.

 शनिदेव की स्तुति 

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
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पूर्ण सूर्य ग्रहण आज

 

धार्मिक दृष्टि से ग्रहण लगना शुभ नहीं माना जाता है.आज  सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. इस दौरान सूर्य वृश्चिक राशि में गोचर होगा और नक्षत्र ज्येष्ठा होगा. वृश्चिक राशि मंगल ग्रह के आधिपत्य की राशि है, जबकि ज्येष्ठा नक्षत्र का स्वामी बुध देव को माना गया है. इस प्रकार जो लोग वृश्चिक राशि या ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे हैं, उन पर विशेष रूप से इस ग्रहण का प्रभाव होगा, लेकिन भारत में रहने वाले लोग इस ग्रहण से प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यहां देखे सूर्य ग्रहण का सही समय, कितने समय तक रहेगा सूर्य पर ग्रहण...

सूर्य ग्रहण का समय, कहां दिखेगा?
4 दिसंबर को लगने जा रहा साल 2021 का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिणी अटलांटिक के देशों से देखा जा सकेगा. आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 10:59 बजे शुरू होगा. अधिकतम ग्रहण दोपहर 01:03 बजे लगेगा. सूर्य ग्रहण दोपहर 3:07 बजे समाप्त होगा.

कितने समय तक रहेगा सूर्य पर ग्रहण?
भारतीय समय (IST) के अनुसार, आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो जाएगा, जो दोपहर 3 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा. इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 8 मिनट होगी.

इन चार राशियों को होगा फायदा
सूर्य ग्रहण अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन यह सदैव ही अशुभ हो, ऐसा आवश्यक नहीं है. कुछ राशियों के लिए सूर्य ग्रहण शुभ परिणाम लेकर आ रहा है. इस पूर्ण सूर्य ग्रहण से मिथुन राशि, कन्या राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं |
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सूर्य ग्रहण पर प्रेग्‍नेंट महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान

सूर्य ग्रहण को धर्म और ज्‍योतिष में तो अशुभ माना ही गया है लेकिन विज्ञान भी इस बात को स्‍वीकारता है कि ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारक तरंगे सेहत पर असर डालती हैं. खासतौर पर ग्रहण को नंगी आंखों से देखना आंखों को बहुत ज्‍यादा नुकसान पहुंचा सकता है. सूर्य ग्रहण का नकारात्‍मक असर प्रेग्‍नेंट महिलाओं पर भी बहुत ज्‍यादा पड़ता है. लिहाजा ग्रहण के दौरान प्रेग्‍नेंट महिलाओं को विशेष तौर पर सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा ऐसी मांएं जिन्‍होंने हाल ही में बच्‍चों को जन्‍म दिया है, उन्‍हें और उनके बच्‍चे को भी इस दौरान एहतियात बरतना चाहिए.


इन बातों का ध्‍यान रखें प्रेग्‍नेंट महिलाएं
  •  प्रेग्‍नेंट और हाल ही में मां बनी महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान गलती से भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. ना ही नवजात बच्‍चे को बाहर भेजना चाहिए. यदि मजबूरी में घर से बाहर निकलना पड़े तो वापस आकर गंगाजल मिलाकर स्‍नान कर लें. साथ ही दान जरूर करें.
  • सूर्य ग्रहण के दौरान नकारात्‍मकता हावी रहती है. इससे आम व्‍यक्ति भी थकान और उदासी महसूस करता है. प्रेग्‍नेंट महिलाओं पर तो इसका असर कहीं ज्‍यादा होता है इसलिए उन्‍हें थकावट वाले काम करने से बचना चाहिए.
  • ग्रहण के दौरान चाकू-कैंची जैसी नुकीली-धारदार वाली चीजों का इस्‍तेमाल बिल्‍कुल भी न करें.
  • ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने-पीने से मना किया जाता है. साथ ही भोजन-पानी में तुलसी के पत्‍ते डालने के लिए कहा जाता है. ताकि ग्रहण का नकारात्‍मक असर भोजन-पानी पर न पड़े. लेकिन ग्रहण का समय लंबा होने के कारण ज्‍यादा देर तक बिना खाए-पिए रहना प्रेग्‍नेंट महिलाओं की सेहत के लिए ठीक नहीं है. वे लोग इस दौरान तुलसी डली हुई चीजें खा सकती हैं.
  • प्रेगनेंट महिलाएं ग्रहण को नंगी आंखों से देखने की गलती बिल्‍कुल न करें. इससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है.

 

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साल का आखरी चंद्र ग्रहण आज

साल 2021 के आखिरी चंद्र ग्रहण का काउंटडाउन शुरू हो चुका है ये चंद्र ग्रहण अपने साथ एक बेहद खास संयोग लाया है आज के आंशिक चंद्र ग्रहण को 1000 सालों में लगने वाला सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण माना जा रहा है हालांकि, ये आंशिक चंद्र ग्रहण है जिसकी वजह से सूतक मान्य नहीं होगा और ये भारत के बहुत कम हिस्सों से ही दिखाई देगा।
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19 नवंबर को लगेगा चंद्र ग्रहण

इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण शुक्रवार 19 नवंबर को लगने वाला है। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण की सबसे खास बात ये है कि ऐसा 580 साल बाद होगा, जब इतना लंबा आंशिक चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा। इतना लंबा चंद्र ग्रहण 18 फरवरी 1440 को लगा था, उसके बाद से अभी तक इतना लंबा चंद्र ग्रहण नहीं लगा है। अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है। इसके अलावा यह उत्तर और दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में देखा जा सकता है।
शुक्रवार 19 नवंबर को लगने जा रहा है। यह भारतीय समय के अनुसार सुबह 11:34 बजे शुरू होगा और शाम 5:33 बजे समाप्त होगा। खंडग्रास ग्रहण की कुल अवधि 03 घंटे 26 मिनट की होगी। उपच्छाया चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 05 घंटे 59 मिनट होगी। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण वृष और कृतिका नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए यह चंद्र ग्रहण तुला, कुंभ और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ रहेगा। वहीं वृष, सिंह, वृश्चिक और मेष राशि के लोगों की दिक्कत बढ़ सकती है। भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण है इसलिए ग्रहण के दौरान सूतक नहीं लगेगा। ज्योतिषविदों की मानें तो भारत पर इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव नहीं रहेगा. क्योंकि यह आंशिक यानी उपछाया ग्रहण है, तो सूतक काल नहीं होगा।
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आज हैं तुलसी विवाह, जानें भगवान विष्णु से जुड़ी ये बातें ...

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी से विवाह करते हैं. इसलिए हर साल कार्तिक मास की द्वादशी को महिलाएं तुलसी और शालिग्राम का विवाह करवाती हैं. इस बार तुलसी-शालिग्राम विवाह सोमवार, 15 नवंबर को कराया जा रहा है. आइए अब आपको इसके पीछे का इतिहास और मान्यताओं के बारे में बताते हैं.


क्यों विष्णु ने किया था तुलसी से विवाह?

शंखचूड़ नामक दैत्य की पत्नी वृंदा अत्यंत सती थी. बिना उसके सतीत्व को भंग किए शंखचूड़ को परास्त कर पाना असंभव था. श्री हरि ने छल से रूप बदलकर वृंदा का सतीत्व भंग कर दिया और तब जाकर शिव ने शंखचूड़ का वध किया. वृंदा ने इस छल के लिए श्री हरि को शिला रूप में परिवर्तित हो जाने का शाप दिया. श्री हरि तबसे शिला रूप में भी रहते हैं और उन्हें शालिग्राम कहा जाता है.वृंदा ने अगले जन्म में तुलसी के रूप में जन्म लिया था. श्री हरि ने वृंदा को आशीर्वाद दिया था कि बिना तुलसी दल के कभी उनकी पूजा सम्पूर्ण ही नहीं होगी. जिस प्रकार भगवान शिव के विग्रह के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है. उसी प्रकार भगवान विष्णु के विग्रह के रूप में शालिग्राम की पूजा की जाती है. शालिग्राम एक गोल काले रंग का पत्थर है जो नेपाल के गण्डकी नदी के तल में पाया जाता है. इसमें एक छिद्र होता है और पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं.
 
शालिग्राम की पूजा का महत्व क्या है?

कार्तिक मास में भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करने से भाग्योदय होता है. इस महीने शालिग्राम का पूजन भाग्य और जीवन दोनों बदल सकता है. शालिग्राम का विधि पूर्वक पूजन करने से किसी भी प्रकार की व्याधि और ग्रह बाधा परेशान नहीं करती हैं. शालिग्राम जिस भी घर में तुलसीदल, शंख और शिवलिंग के साथ रहता रहता है, वहां हमेशा सम्पन्नता बनी रहती है |

 

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सीएम बघेल ने नगरीय निकायों में विकास कार्यों के लिए स्वीकृत किए 112 करोड़ रुपए

झूठा सच @ रायपुर :- छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में मूलभूत सुविधाएं बढाने और विकास कार्य में गति लाने हेतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय निकायों में विकास कार्यों के लिए 112 करोड़ रुपए स्वीकृत किये हैं।जनसामान्य से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने भिलाई-चरोदा, रिसाली, बीरगांव सहित अन्य नगरीय निकायों के लिए कुल 112 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इससे बिजली, पानी, सड़क, सामुदायिक भवन, उद्यान सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के साथ नगर को स्वच्छ व सुंदर बनाने की दिशा में कार्य किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग नगरीय निकायों का कायाकल्प करने में जुटा है। स्वच्छ शहर, सुंदर और स्मार्ट शहर बनाने के साथ गली मोहल्लों में स्ट्रीट लाइट के माध्यम से अंधेरा दूर कर हर जगह नई रोशनी बिखेरी जा रही है। आम नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप सड़कों को चौड़ा ही नहीं अपितु पार्किंग के साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है। व्यवस्थित बाजार, मल्टीस्टोरी व्यवस्थित पार्किंग, पानी निकासी, ड्रेनेज निर्माण, अपशिष्ठ का प्रबंधन, स्वच्छ पेयजल व्यवस्था, बच्चों-बुजुर्गों, महिलाओं के लिए सुविधाओं का विकास के साथ आकर्षक उद्यान से लेकर नागरिकों के लिए मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। नगरीय निकाय क्षेत्रों में लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबों के उन्नयन, स्वच्छता से संबंधित कार्य, शहरी गरीबों के लिए आवास, घर-घर पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में पहले से बेहतर कदम उठाया जा रहा है।

इसी कड़ी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नगरीय निकाय क्षेत्रों के विकास के लिए 112 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। स्वीकृत राशि में नगर पालिक निगम बीरगांव नगर पालिक निगम भिलाई, नगर पालिक निगम रिसाली के लिए 10.10 करोड़ रुपए, नगर पालिक निगम भिलाई-चरोदा हेतु 39 करोड़ रुपए और नगर पालिका परिषद जामुल, खैरागढ़, सारंगढ़, बैकुण्ठपुर एवम शिवपुर चरचा क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ प्रति निकाय के मान से कुल 25 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी तरह नगर पंचायत मारो, कोटा, भैरमगढ, भोपालपटनम, नरहरपुर एवं प्रेमनगर को 3 करोड़ प्रति निकाय के मान से 18 करोड़ रुपए स्वीकृत किया गया है।

 

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