धर्म समाज

आज छठ पर्व पर करें छठी मैय्या की ये आरती

छठ पर्व पर भगवान सूर्य के साथ उनकी बहन छठी मैय्या का पूजन किया जाता है। मार्कण्डेय पुराण में छठी मैय्या को प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी और ब्रह्मा की मानस पुत्री बताया गया है। पुराण में कहा गया है कि प्रकृति ने अपनी सारी शक्ति को छः भाग में विभाजित किया है। उनका छठा और सबसे मूल भाग छठी मैय्या हैं। इनके पास प्रकृति की उर्वरा शक्ति निहित है। छठी मैय्या के पूजन से संतान की प्राप्ति होती है और संतानों के जीवन में सुख –सौभाग्य आता है। शिशु के जन्म के छठे दिन,छठी मैय्या का पूजन होता है। छठ के पूजन में छठी मैय्या की आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से छठी मैय्या प्रसन्न होती हैं और संतान सुख का वरदान प्रदान करती हैं.....

छठी मैय्या की आरती
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहायऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
 
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पहला अर्घ्य आज, जानें अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मूहुर्त

 

लोक आस्था के कई रंगों से सजा छठ पर्व की छठा हर ओर बिखरी हुई है. नहाय-खाय और खरना के बाद अब तीसरे दिन शाम के अर्घ्य की तैयारी है. अस्ताचल गामी सूर्य जब पश्चिम दिशा में अपने लोक की ओर जा रहे होंगे तो व्रती महिलाएं और पुरुष उन्हें अर्घ्य देंगे.

आज दिया जाएगा सूर्य को अर्घ्य
आज बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. गुरुवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महापर्व छठ संपन्न होगा. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय शाम में 4:30 से 5:30 बजे के बीच और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 6:41 बजे से है. शाम में अर्घ्य गंगा जल से दिया जाता है. जबकि उदयगामी सूर्य को अर्घ्य कच्चे दूध से देना चाहिए.

डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्ध्य
श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं. इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ  पहला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और उन्‍हें अर्घ्य दिया जाता है. बिहार झारखंड और यूपी के कुछ हिस्‍सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्‍था से मनाये जाने की परंपरा है.

ये है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.

सूर्यास्त का समय
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 30 मिनट पर है और छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर है | 
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आज हैं भाई दूज , जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्योहार को भाई टीका, यम द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे। इस बार भाई दूज 6 नवंबर को मनाई जाएगी।

भाई दूज पर क्या करते हैं?
  • भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।
  • फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।
  • चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है।
  • फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।
  • तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है।
  • फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं।
भाई दूज पूजा में शामिल करें ये

भाई दूज के दिन पूजा सामग्री में कुछ चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए. इसमें आरती की थाली, टीका, चावल, नारियल, सूखा नारियल, मिठाई, कलावा, दीया, धूप और रुमाल जरूर रखें. भाई दूज पर बहनें सबसे पहले भाइयों को तिलक लगाती हैं. ऐसे में तिलक लगाने के लिए कुमकुम(रोला) का होना बहुत जरूरी है. रोली के स्थान पर हल्दी पाउडर का तिलक भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा भाईदूज के दिन पूजा थाली में रोली जरूर रखें.

भाई दूज पूजा मुहूर्त:

भाई दूज अपराह्न समय- 01:10 PM से 03:21 PM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 05 नवम्बर 2021 को 11:14 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – 06 नवम्बर 2021 को 07:44 पी एम बजे

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा: मान्यताओं अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने के बाद उनके घर गए थे। यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे आपका भय नहीं रहेगा। यमराज ने यमुना को आशीष प्रदान किया। कहते हैं इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।
 
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आज है दिवाली ,जानिए महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त

हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान हैं। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव हैं और माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन सुखमय हो जाता है। हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त में पूजा करने का बहुत अधिक महत्व होता है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं दिवाली के दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और सामग्री .. 

पूजा का शुभ मुहूर्त-
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 06:09 पी एम से 08:04 पी एम
अवधि - 01 घण्टा 56 मिनट
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) - 06:35 ए एम से 07:58 ए एम
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 10:42 ए एम से 02:49 पी एम
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 04:11 पी एम से 05:34 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) - 05:34 पी एम से 08:49 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 12:05 ए एम से 01:43 ए एम, नवम्बर 05

पूजा- विधि
घर के पूजा स्थल को अच्छे से स्वच्छ करें।
एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और वस्त्र पर अक्षत अर्थात साबुत चावलों की एक परत बिछा दें। इस पर श्री लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें। यदि घर में श्रीलक्ष्मी गणेश का चांदी का सिक्का और श्रीयंत्र भी हो तो उन्हें भी इसी आसान पर स्थापित करें। पूजन के लिए फूल, मिठाई, खील, बताशे आदि रखें। लक्ष्मी गणेश के पूजन के लिए घी का एक दीपक बनाएं अन्य दीयों में सरसों के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। सर्वप्रथम घी का दीया प्रज्वलित करें।

विधि- विधान से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का अधिक से अधिक ध्यान करें।
भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आरती जरूर करें।
आरती के बाद घर के सभी सदस्यों को प्रसाद दें।

सामग्री की लिस्ट- मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद।
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छोटी दिवाली आज

छोटी दिवाली पांच दिवसीय दीपोत्सव के दूसरे दिन मनाई जाती है. इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. छोटी दिवाली के दिन यम की पूजा करने का बड़ा महत्व माना जाता है. आज यमदेव के नाम का दीपक जलाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध कर संसार को उसके भय से मुक्त किया था. छोटी दिवाली पर लोग एक-दूसरे को बधाई संदेश भेजते हैं।
दिवाली से पहले आज छोटी दिवाली मनाई जाएगी. छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन घरों में यमराज की पूजा की जाती है. छोटी दिवाली को सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है. इस दिन आप अपने दोस्तों और प्रियजनों को शुभकामना संदेश भेज उन्हें छोटी दिवाली के पर्व की बधाई दे सकते हैं।
 

 

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धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त

आज धनतेरस पर के दिन सोना-चांदी के आभूषण खरीदने के लिए शाम 6 बजकर 20 मिनट से लेकर 8 बजकर 11 मिनट तक का समय शुभ रहेगा. इसके अलावा अगर सुबह के मुहूर्त पर विचार किया जाए तो सुबह 11 बजकर 30 मिनट से खरीदारी कर सकते हैं लेकिन 02 नवंबर को राहुकाल के समय धनतेरस पर शुभ खरीदारी से बचें. वहीं घर के लिए बर्तन और दूसरी चीजें खरीदने का समय शाम 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक का है।

 

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भौतिक समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक धनतेरस

धनतेरस एक ऐसा और इकलौता महापर्व है, जिसमें भौतिक समृद्धि के साथ स्वास्थ्य को भी महत्व दिया गया। लक्ष्मी और कुबेर के साथ इस दिन म का पूजन हमें जीने का सलीका सिखाता हैं। सनद रहे कि धन और वैभव का भोग बिना बेहतर सेहत के संभव नहीं है, लिहाजा ऐश्वर्य के भोग के लिए कालांतर में धन्वंतरि की जो अवधारणा प्रकट हुई, वह नितांत वैज्ञानिक प्रतीत होती है।
इस दिन चांदी खरीदने की परंपरा है। चांदी यानी चंद्रमा, जो धन व मन दोनों का स्वामी है। चंद्रमा शीतलता का प्रतीक भी है और संतुष्टि का भी। दरअसल, संतुष्टि का अनुभव ही सबसे बड़ा धन है। जो संतुष्ट है, वही धनी भी है और सुखी भी। धन का भोग करने के लिए लक्ष्मी की कृपा के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की भी दरकार है। यही अवधारणा धन्वंतरि के वजूद की बुनियाद है।

 

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धनतेरस पर जरूर खरीदें ये चीजें

धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. इस साल धनतेरस 2 नवंबर 2021 दिन मंगलवार की है. धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस पर कुछ न कुछ खरीदने की परंपरा है. कुछ लोग तो सोने या चांदी की चीज़ें खरीदते हैं. वहीं जो लोग ये नहीं खरीद सकते हैं, वो स्टील, पीतल या तांबे आदि के बर्तन भी खरीद सकते हैं. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि धनतेरस के दिन इन तीन चीजों में से कोई एक चीज जरूर खरीदकर लाएं. इससे मां लक्ष्मी की तो आप पर कृपा रहेगी ही, साथ ही कभी भी

इन चीजों की करें खरीदें

1. सोना चांदी नहीं तो खरीद लें छोटी चम्मच: इस दिन सोने या चांदी की चीज खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन यदि नहीं खरीद सकते हैं, तो इस दिन स्टील का एक छोटा चम्मच जरूर खरीदें. पर याद रखें इस चम्मच को अपनी तिजोरी में रख दें. इससे आपको मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी और आपके धन में वृद्धि होगी।

2. धनिया का बीज:  बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि धनतेरस के शुभ दिन पर धनिया के बीज खरीदने की परंपरा भी है. इसे धन का प्रतीक माना जाता है. लक्ष्मी पूजा के समय इन बीजों को उन्हें अर्पित करें और पूजा करने के बाद इनमें से कुछ बीजों को मिट्टी के बर्तन में या अपने घर के पीछे वाले हिस्से में बो दें और बाकी को अपनी तिजोरी में रख दें.

3. सोलह श्रृंगार का सामान : इस दिन विवाहित महिला को 'सोलह श्रृंगार' का एक सेट या सिंदूर के साथ एक लाल साड़ी उपहार में देना शुभ माना जाता है. इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. अगर कोई विवाहित महिला नहीं है, तो किसी अविवाहित लड़की को ये चीजें उपहार में दे सकते हैं और उसका आशीर्वाद ले सकते हैं. 

ये चीजें भूलकर भी न खरीदें 
यदि आप इस दिन कुछ नया नहीं खरीद पा रहे हैं तो कोई बात नहीं है, लेकिन धनतेरस पर एल्युमिनियम या कांच से बनी कोई भी चीज खरीदने की गलती न करें. यह शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि ये राहु से संबंधित हैं. माना जाता है कि इन चीजों को घर लाने से मां लक्ष्मी आपसे रूठ जाएंगी और आपके घर पर वास नहीं करेंगी | 
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आज है करवा चौथ का व्रत, जानें- पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

झूठा सच @ रायपुर :- करवा चौथ (करक चतुर्थी) रविवार 24 अक्टूबर को है। इस बार आठ सालों के बाद विशेष संयोग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र और मंगल योग एक साथ आ रहा है। चन्द्रमा के साथ प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ रहना अद्भूत योग का निर्माण कर रहा है। साथ ही रविवार का दिन काफी शुभ संयोग माना जा रहा है।ज्योतिष के जानकार पं. मोहन कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी चंद्रउदय व्यापिनी को किया जाता है। दिनभर उपवास के बाद सुहागन महिलाएं शिव एवं चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान कर पति की दुर्घायु की कामना करेंगी। इस बार चंद्रमा के साथ रोहिणी नक्षत्र का साथ और मार्कण्डेय यग व सत्यभावा योग का निर्माण काफी शुभफलदायक है। ऐसा संयोग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभावा के समय भी बना था। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर रात में चलनी से चांद को देखती हैं और अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। परंपरा है कि इस मौके पर सुहागन पति के हाथ से ही पानी ग्रहण करती हैं।


शुभ मुहूर्त - करवा चौथ की प्रात:काल सूर्य की उपासना एवं संध्या चन्द्रमा की उपासना करने का विधान है। रविवार को चन्द्रमा का उदय रात्रि 8 बजकर 5 मिनट पर होगा। सुहागन महिलाएं शिव परिवार की पूजा के साथ चन्द्रमा को अर्घ्य देंगी। इस बार 8.58 तक सर्वार्थ सिद्धि योग और रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक याचीज योग बन रहा है।

इन बातों का जरूर रखें ध्यान - सुहागगिनों को इस दिन कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए। सुहाग सामग्री चूड़ी, लहठी, बिंदी, सिंदूर आदि कचरा के डब्बे में नहीं फेंकाना चाहिए।इतना ही नहीं अगर चूड़ी पहनते समय टूट भी जाए तो उसे संभालकर पूजा स्थान पर रख दें। सबसे खास यह कि अपने मन में पति के अलावा किसी भी अन्य पुरुष का किसी भी तरह का कोई विचार न लाएं। साथ ही इस दिन किसी भी सुहागन को बुरा-भला कहने य् की गलती बिल्कुल भी न करनी चाहिए।44 दिनों तक ये राशि वाले रहें सावधान, धन- हानि होने की संभावना

पूजन-विधि - करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपडे़ पहन कर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की भी पूजा का विधान हैं। क्योकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या कर शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। इस लिये शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
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शरद पूर्णिमा पर क्यों खायी जाती है खीर?

झूठा सच @ रायपुर:- शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खीर को चांदनी रात में रखकर खाने से बहुत लाभ होता है। खीर के लिए विशेष तरह के बर्तन का इस्तेमाल करने की भी मान्यता है। विद्वानों के अनुसार खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के पात्र में ही रखें। वहीं अगर उत्तम फल पाना है तो फिर इसे चांदी के बर्तन में बनाएं या फिर बनाकर उसमें खीर डालकर चांद की रोशनी में रखें।
क्या हैं खीर के आयुर्वेदिक फायदे
शरद पूर्णिमा का चांद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसका चांदनी (रोशनी) से पित्त, प्यास, और दाह दूर हो जाते है। दशहरे से शरद पूर्णिमा तक रोजाना रात में 15 सो 20 मिनट तक चांदनी का सेवन करना चाहिए। यह काफी लाभदायक है। साथ ही चांदनी रात में त्राटक करने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ेगी। ऐसा कहा जाता है कि वैद्य लोग अपनी जड़ी-बूटी और औषधियां इसी दिन चांद की रोशनी में बनाते-पीसते हैं जिससे यह रोगियों को दोगुना फायदा दें।
 
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मां सिद्धिदात्री की आराधना से आज होगा नवरात्रि का समापन

9. सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव-निधियों की प्राप्ति होती है।

 

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आज हैं दुर्गा अष्टमी जानें नवरात्रि हवन की विधि

झूठा सच @ रायपुर :-  शारदीय नवरात्रि में आज अष्टमी तिथि के अवसर पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि महागौरी प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं और पापों का नाश करती हैं. नवरात्रि के दिन में हर दिन देवी मां के अलग स्वरूप के पूजन के दौरान भक्तों को अलग लाभ मिलता है. लेकिन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन महाअष्टमी के दिन घर पर कन्या को बुलाकर उनका पूजन करने का विधान है. कुछ लोग इस दिन नवरात्रि के नौ दिनों का उद्यापन कर देते हैं, वहीं कुछ लोग महानवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. इस दिन देवी मां की कृपा पाने के लिए कुछ विशेष उपाय हैं, जिन्हें करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी साथ ही देवी मां की हमेशा आप पर कृपा बनी रहेगी.


मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि मां दुर्गा भक्तों द्वारा सच्चे मन से की गई व्रत, पूजा से प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं, लेकिन यदि कुछ ऐसे उपाय हैं, जिन्हें आज के दिन कर लिया जाए, तो देवी मां की जातक पर विशेष कृपा होती है.

1. सुहागिन को दें श्रृंगार का सामान: महाअष्टमी के दिन सुहागिन को लाल रंग की साड़ी और श्रृंगार का सामान भेंट देने से घर परिवार में सुख-समृद्धि आएगी और घर में धन की कमी नहीं होगी. इसके साथ ही चांदी का सिक्का भी दे सकते हैं.

2. मां को अर्पित करें ये समान: महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन के साथ ही लाल रंग की चुनरी में सिक्के और बताशे रख कर देवी मां को अर्पित करें. ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी करती हैं.

3. कन्या पूजन: अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन कन्याओं को घर बुलाकर उनका मनपसंद भोजन कराएं. उन्हें जरूरत की चीजें भेंट करें, ऐसा करने से देवी मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

4. तुलसी के पास जलाएं 9 दीपक: महा अष्टमी पर तुलसी के पास 9 दीपक जलाएं और फिर परिक्रमा करें. ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है. घर से ​नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख समृद्धि का वास होता है.

5. करें ये विशेष उपाय: अष्टमी के दिन मां दुर्गा को लौंग की माला अर्पित करें. इसके बाद लाल गुलाब के फूल से पूजा करें. ऐसा करने से देवी मां आपके हर कष्ट को दूर करेंगी |
 
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मां कालरात्रि की पूजा अर्चना आज

7. कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन मांं काल रात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है।

 

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मां का छठवां रूप कात्यायनी की पूजा अर्चना आज

 6. कात्यायनी- मां का छठवां रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है।

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आज कुष्मांडा के साथ करे माँ स्कंदमाता का पूजन

4. कुष्मांडा- चतुर्थी के दिन मांं कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों, निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।

5. स्कंदमाता- नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।

 

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मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा

 3. चंद्रघंटा- मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है।

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नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की साधना

2. ब्रह्मचारिणी- मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
 
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माँ दुर्गा के प्रथम रूप शैल पुत्री के पूजन से करे नवरात्रि की शुरूआत

1. शैल पुत्री- मां दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।
 
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