झूठा-सच

2 साल बाद रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे भगवान जगन्नाथ, आज भी पुरानी बस्ती मंदिर में नहीं बदली परंपरा, महंत के पूजन बाद निकलती है रथयात्रा

झूठा-सच @ रायपुर:-  आज देश समेत प्रदेश में भी धूमधाम  से निकाला जायेगा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा। इसी क्रम में पुरानी बस्ती स्थित जगन्नाथ मंदिर में महंत रामसुंदर दास के नेतृत्व में अभिषेक, हवन-पूजन संपन्न होगया है | पूजन के बाद दोपहर 3 बजे भगवान रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे. यह रथयात्रा लोहार चौक अमीनपारा कंकाली तालाब आजाद चौक, आमापारा होते हुए लाखे नगर गुडिचा मंदिर पहुंचेगी.
                                  

आपको बता दे कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है.इस मौके पर हम आपको रायपुर शहर के सबसे प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे है. रायपुर की पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर को साहूकार मंदिर के नाम से जाना जाता था. मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित होने के बाद भी इसे जगन्नाथ मंदिर के रूप में पहचान नहीं मिली. इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है|  इस परिसर में जगन्नाथ स्वामी के अलावा श्री राम दरबार, दो शंकर मंदिर, संतोषी माता मंदिर, गरुड़ और संकट मोचन हनुमान मंदिर भी है.. मंदिर का प्रमुख उत्सव रथयात्रा है.
                                    

पुरानी बस्ती जगन्नाथ मंदिर में ये हैं परंपरा 

जिस साल दो आषाढ़ होते हैं, उस साल मूर्ति बदलने की परंपरा है. लेकिन पुरानी बस्ती के जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति को नहीं बदला जाता. क्योंकि यहां श्री मूल मूर्तियां जगन्नाथपुरी से लाई गई है. हर साल जगन्नाथ पुरी से विशेष कलाकार आते हैं और रंग रोगन का कार्य करते हैं.मंदिर के पुजारी का क्या है कहना: जगन्नाथ मंदिर के पुजारी तिलक दास महाराज ने बताया कि यह मंदिर 500 साल पुराना है. भगवान जगन्नाथ में जो श्रद्धालु पहुंचते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा को जगन्नाथ भगवान का महास्नान किया गया था. उसके बाद से उन्हें बुखार होने के कारण विश्राम कराया जा रहा है. रोजाना उन्हें जड़ी बूटियों का काढ़ा दिया जा रहा है. आज शाम से ही भगावान जगन्नाथ के साथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा जी दर्शन देंगे.
 
रथ खींचना माना जाता हैं शुभ 

मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा में शामिल होने और भगवान का रथ खींचने के लिए राजधानी के आसपास से हजारों श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. कहते हैं कि जिन श्रद्धालुओं को रथ खींचने का मौका मिलता है, वे उन्हें भाग्यशाली समझते हैं. जिन श्रद्धालुओ को रथ खींचने का मौका नहीं मिल पाता, वे रथ की रस्सी को छूने की कोशिश करते हैं.
                         

2 साल बाद मनाया जाएगा पर्व

पिछले 2 सालों से कोरोना संक्रमण के कारण रथयात्रा का पर्व सामान्य तरह से मनाया जा रहा था. हालांकि इस साल कोरोना संक्रमण कम होने के कारण धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी.शहर के अलग-अलग इलाकों से होकर निकलेगी रथयात्रा:राजधानी के मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई है। शहर के पुरानी बस्ती स्थित पुराने मंदिर के साथ ही गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाली रथयात्रा प्रमुख आर्कषण का केंद्र रहेगी। 

ये हैं सबसे प्राचीन मंदिर 

सदरबाजार : सदरबाजार स्थित 150 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर में पुजारी परिवार के नेतृत्व में पूजन के बाद गाजे-बाजे के साथ यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा कोतवाली चौक, कालीबाड़ी होते हुए टिकरापारा पुजारी पार्क के समीप गुंडिचा मंदिर में समाप्त होगी।

यहां भी दिखेगा उत्साह

रथयात्रा का उत्साह कोटा स्थित श्रीरामदरबार परिसर, अश्विनी नगर, गुढ़ियारी, आकाशवाणी कालोनी, पुराना मंत्रालय, लिली चौक और 10वीं यात्रा आमापारा नगर निगम कालोनी से निकलेगी। गजा-मूंग का प्रसाद लेने और भगवान का रथ खींचने के लिए श्रद्धालुओं में उत्साह छाएगा। प्रशासन ने मंदिर समितियों के माध्यम से श्रद्धालुओं को मास्क और अन्य प्रोटोकाल पालन करने की अपील की है।
                        
 
 

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