भारत में जल्द कोरोना ट्रीटमेंट के लिए काम आने वाला नेजल स्प्रे मिलने लगेगा। भारतीय कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने स्प्रे बनाने वाली कनाडा की कंपनी सैनोटाइज रिसर्च एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के साथ सोमवार को करार किया है। कंपनी अब भारत के अलावा सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग, ताइवान, नेपाल, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, वियतनाम, श्रीलंका सहित एशिया के कई देशों में स्प्रे सप्लाई करने का काम करेगी।कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ग्लेन सल्दानहा ने कहा कि इससे एशिया के देशों पर पड़ रहा संक्रमण का दबाव कम होगा। उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी इस बात ख्याल रखेगी कि जल्द से जल्द पूरे एशिया में स्प्रे की सप्लाई की जा सके।
कनाडा के वैंकूवर की बायोटेक कंपनी सैनोटाइज ने इस नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे (NONS) को तैयार किया है। यह स्प्रे मरीजों को खुद ही अपनी नाक में करना होता है और यह नाक में ही वायरल लोड को कम कर देता है। इससे न तो वायरस पनप पाता है और न ही फेफड़ों में जाकर नुकसान पहुंचा पाता है। कनाडा और UK में इसके ट्रायल्स हुए हैं। 79 इन्फेक्टेड लोगों पर हुए फेज-2 क्लिनिकल ट्रायल्स में इस नेजल स्प्रे ने 24 घंटों के भीतर वायरल लोड को 95% तक कम कर दिया और 72 घंटों में 99% तक। अच्छी बात यह है कि कोरोना के UK वैरिएंट के खिलाफ भी यह कारगर साबित हुआ है। कनाडा में फेज-2 क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान 103 लोगों की नाक में स्प्रे किया गया। कोई भी कोविड-19 पॉजिटिव नहीं निकला। UK फेज-2 NHS क्लिनिकल ट्रायल्स में 70 लोग शामिल थे। सभी कोविड-19 इन्फेक्टेड थे। जिनकी नाक में स्प्रे किया गया, उनके मुकाबले स्टडी में शामिल अन्य लोगों में 16 गुना ज्यादा वायरल लोड मिला है। इससे पहले कनाडा में हुए ट्रायल्स में 7,000 मरीजों पर टेस्ट हुआ था। किसी भी मरीज को गंभीर साइड इफेक्ट्स का सामना नहीं करना पड़ा।
इजराइल और न्यूजीलैंड इस स्प्रे को इलाज के लिए मंजूरी दे चुके हैं। कंपनी ने पिछले महीने इजराइल में स्प्रे का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। सैनोटाइज की CEO और सह-संस्थापक डॉ. गिली रेगेव ने कहा था कि वे भारत में पार्टनर तलाश रहे हैं और उम्मीद है कि इस स्प्रे को भारत में मेडिकल डिवाइस के तौर पर मंजूरी मिल जाएगी।सैनोटाइज 4-5 हजार लोगों के साथ फेज-3 ट्रायल्स करना चाहती है। रेगेव के मुताबिक फेज-3 ट्रायल्स का कुछ हिस्सा भारत में भी हो सकता है। उन्हें इसके लिए फंडिंग की तलाश है। जैसे ही फंडिंग मिल जाएगी, कंपनी आगे बढ़कर भारत में भी ट्रायल कर सकेगी।