बस कंडक्टर की बेटी ऐसे बनी IPS
हिमाचल प्रदेश के ऊना के छोटे से गांव ठठ्ठल की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री ने बचपन में ही अपनी मां का अपमान देखकर अफसर बनने का फैसला कर लिया था. पुलिस अफसर बनने के बाद शालिनी ने एक ऐसी पहचान बनाई है कि अपराधी उनके नाम से थर्र-थर्र कांपते हैं. बचपन में एक बार शालिनी अग्निहोत्री अपनी मां के साथ बस में सफर कर रही थी. इस दौरान एक व्यक्ति ने उनकी मां की सीट के पीछे हाथ लगाया हुआ था, जिससे वे ठीक बैठ नहीं पा रही थी. उन्होंने कई बार उस व्यक्ति को हाथ हटाने के लिए कहा, लेकिन उसने एक नहीं सुनी. कई बार कहने के बाद व्यक्ति गुस्सा हो गया और कहा- तुम कहां की डीसी लग रही हो जो तुम्हारी बात मानी जाए. बस यहीं से शालिनी ने तय किया कि वे भी बड़ी होकर अफसर बनेंगी.
शालिनी अग्निहोत्री ने बताया, 'मुझे 10वीं की परीक्षा में 92 प्रतिशत से ज्यादा नंबर मिले थे, लेकिन 12वीं में सिर्फ 77 प्रतिशत नंबर ही आए. इसके बावजूद मेरे पैरेंट्स ने मुझपर भरोसा जताया और मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया.' बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शालिनी अग्निहोत्री ने धर्मशाला के डीएवी स्कूल से 12वीं करने के बाद पालमपुर स्थित हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कृषि में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. शालिनी ने ग्रेजुएशन के साथ ही यूपीएससी की भी तैयारी शुरू कर दी थी.
शालिनी अग्निहोत्री कॉलेज के बाद यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करती थीं और उन्होंने इसकी जानकारी अपने घरवालों को भी नहीं दी थी. शालिनी को लगता था कि इतनी कठिन परीक्षा है कि अगर पास नहीं हुई तो कहीं घरवाले निराश न हो जाएं. यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए उन्होंने ना तो कोचिंग ली और ना ही किसी बड़े शहर का रुख किया शालिनी अग्निहोत्री ने मई 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी और 2012 में इंटरव्यू का परिणाम भी आ गया. शालिनी ने ऑल इंडिया में 285वीं रैंक हासिल की और उन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) चुनी.शालिनी अग्निहोत्री के पिता रमेश अग्निहोत्री बस कंडक्टर थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. शालिनी की बड़ी बहन डॉक्टर हैं और भाई एनडीए पास करके आर्मी में हैं.|