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साल में दो बार होंगी CBSE बोर्ड 10वीं की परीक्षा

  • ड्राफ्ट को मिली मंजूरी, जानिए...कब से लागू होगा नियम
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अगले वर्ष 2026 से साल में दो बार कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है। नए नियम के ड्राफ्ट को सीबीएसई ने मंजूरी दे दी है। सीबीएसई कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा का पहला चरण चरण फरवरी-मार्च में में आयोजित किया जाएगा, जबकि दूसरा चरण मई 2026 में आयोजित किया जाएगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपनी परीक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव की घोषणा की है। इसके तहत वर्ष 2026 से 10वीं के लिए साल में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं होंगी। सीबीएसई 2026-27 के सत्र के लिए 260 विदेशी स्कूलों के लिए एक वैश्विक पाठ्यक्रम भी तैयार करेगा। 
बता दें कि हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस निर्णय पर चर्चा की गई थी।
परीक्षा का पहला-दूसरा चरण कब होगा?
बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीबीएसई बोर्ड 10वीं परीक्षा का पहला चरण 17 फरवरी से 6 मार्च तक आयोजित किया जाएगा, जबकि दूसरा चरण 5 से 20 मई तक आयोजित किया जाएगा।
दोनों परीक्षाएं सिलेबस पर आधारित होंगी
बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि दोनों परीक्षाएं पूरी तरह सिलेबस के अनुसार आयोजित की जाएंगी और उम्मीदवारों को दोनों चरणों में एक ही परीक्षा केंद्र आवंटित किए जाएंगे। आवेदन दाखिल करने के समय दोनों परीक्षाओं के लिए परीक्षा शुल्क बढ़ाया जाएगा।
सप्लीमेंट्री परीक्षा का रोल
अधिकारी ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं का पहला और दूसरा चरण सप्लीमेंट्री परीक्षा के रूप में भी काम करेगा और किसी भी परिस्थिति में कोई विशेष परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। नई प्रणाली के तहत छात्रों के पास वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा देने और अपने सर्वश्रेष्ठ स्कोर को बनाए रखने का विकल्प होगा।
परीक्षा के तनाव को कम करने का उद्देश्य
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये योजना विद्यार्थियों में परीक्षा के दबाव को कम करने और छात्रों को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने का अवसर देगी। इसका उद्देश्य परीक्षा से संबंधित तनाव को कम करना है, साथ ही अधिक समग्र मूल्यांकन प्रणाली सुनिश्चित करना है। इसमें रटने की बजाय समझ और कौशल आधारित मूल्यांकन पर जोर देना है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार लिया गया निर्णय
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में सिफारिश की गई थी कि बोर्ड परीक्षा के 'रिस्क' को खत्म करने के लिए सभी छात्रों को अधिकतम दो अवसरों पर परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी।

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