धर्म समाज

मंगल दोष से मुक्ति के लिए करें स्कंद षष्ठी का व्रत

जानें इसकी तिथि और पूजन विधि
सनातन परंपरा में हर महीने शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि भगवान कार्तिकेय को समर्पित होती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद, मुरुगन और सुब्रमण्यम के नाम से जाना जाता है। स्कंद भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र हैं और गणेश के बड़े भाई हैं। भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए स्कंद षष्ठी व्रत को बहुत ज्यादा शुभ माना गया है। मई महीने में यह पावन तिथि 25 मई 2023 को पड़ेगी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को रखने और विधि-विधान पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान की उन्नति होती है। वहीं मंगल दोष से मुक्ति के लिए भी स्कंद षष्ठी का व्रत करना चाहिए।
स्कंद षष्ठी का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। भगवान श्री गणेश की तरह भगवान कार्तिकेय की पूजा भी जीवन से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करके सुख, सौभाग्य और सफलता दिलाती है। मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं, और अपने भक्तों को बड़े से बड़े संकट से पलक झपकते बाहर निकाल लाते हैं। इनकी पूजा से मंगल दोष भी दूर होते हैं। बता दें कि ज्योतिष में मंगल को ग्रहों का सेनापति माना जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से पूजा जाता है।
स्कंद षष्ठी तिथि पर सुबह सूर्यादय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान कार्तिकेय के बाल स्वरूप की फोटो या मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद उन्हें पुष्प, चंदन, धूप, दीप, फल, मिष्ठान, वस्त्र, आदि चढ़ाएं और स्कंद षष्ठी व्रत की कथा पढ़ें। भगवान कार्तिकेय के साथ माता पार्वती और महादेव की पूजा जरूर करें। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान कार्तिकेय को मोरपंख बहुत पसंद है, क्योंकि मोर उनकी सवारी है। इसलिए स्कंद षष्ठी की पूजा में विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय को मोर पंख अर्पित करना चाहिए।

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