धर्म समाज

गोपाष्टमी आज, गायों की पूजा करना बेहद शुभ और फलदायी

  • जानिए...गौ माता के पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान कृष्ण और गौ माता की उपासना की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. ये मथुरा, वृंदावन समेत ब्रज क्षेत्रों का प्रसिद्ध त्योहार है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि गौ माता का पूजन करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसलिए इस दिन गायों की पूजा करना बेहद शुभ और फलदायी है जिससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
गोपाष्टमी तिथि व शुभ मुहूर्त-
गोपाष्टमी की अष्टमी तिथि 8 नवंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 9 नवंबर यानी आज रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगा. गोपाष्टमी का पूजन अभिजीत मुहूर्त में किया जाता है. अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि योग में भी पूजन किया जा सकता है जिसका समय सुबह 6 बजकर 39 मिनट से लेकर 11 बजकर 47 मिनट तक है.
गोपाष्टमी पूजन विधि-
गोपाष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म में बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इस दिन गौ माता का पूजन किया जाता है। कहते हैं कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर मंदिर को स्वच्छ करें। फिर मंदिर में गाय माता की बछड़े के साथ एक तस्वीर लगाएं और उसके समक्ष घी का दीपक जलाएं। साथ ही धूपबत्ती भी करें और पुष्प अर्पित करें।
आज के दिन गाय माता को स्नान कराकर उनका श्रृंगार करना चाहिए और उचित प्रकार से उनकी पूजा करके आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए। संभव हो तो गोपाष्टमी के दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगाएं। ऐसे करना शुभ माना गया है और इससे मनुष्य को सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है। यदि आस-पास गाय का मिलना मुश्किल है तो किसी गौशाला में जाकर चारा दान करें और गायों की सेवा करें। गोपाष्टमी पूजन विधि से सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है.

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