प्रदोष व्रत कल, जानिए...शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण नियम
10-Mar-2025 3:13:51 pm
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हिंदू धर्म में प्रदोष का व्रत बहुत विशेष माना गया है. प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. ये व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित है. जो भी इस व्रत को करता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. प्रदोष का व्रत सप्ताह में पड़ने वाले दिनों के नाम पर होता है. मतलब प्रदोष व्रत के दिन जो वार पड़ता है उसी के नाम पर प्रदोष व्रत होता है. मार्च माह का पहला प्रदोष व्रत कल रखा जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारण के नियम तक सबकुछ|
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत कल यानी 11 मार्च को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर हो जाएगी. वहीं इस तिथि का समापन 12 मार्च को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में प्रदोष का व्रत कल रखा जाएगा. कल मंगलवार है, इसलिए ये भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा.प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. ऐसे में कल भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा. ये मुहूर्त रात 9 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगा|
पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लें. फिर पूजा स्थल की सफाई करें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें. फिर एक बर्तन में शिवलिंग रखें. शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें. उस पर बेल पत्र, गुड़हल, आक और मदार के फूल चढ़ाएं. भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. शिव पुराण और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ जरूर करें. प्रदोष व्रत कथा पढ़ें. शाम के प्रथम प्रहर में स्नान के बाद शिव परिवार की पूजा करें. आरती के साथ पूजा का समापन करें. प्रदोष व्रत पर पूरा दिन उपवास करें. व्रत में सात्विक भोजन करें|
प्रदोष व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं-
प्रदोष व्रत में फालाहार कर सकते हैं. इस दिन पूर्ण व्रत भी रख सकते हैं. जो फालाहारी प्रदोष व्रत रखना चाहते हैं, तो फालाहार में संतरा, केला, सेब समेत आदि चीजें ग्रहण की जा सकती हैं. हरी मूंग खाई जा सकती है. दूध, दही, सिंघाड़े का हलवा, साबूदाना की खिचड़ी, कुट्टू के आटे की पूड़ी और समा चावल की खीर खाई जा सकती है. सूखे मेवे खाए जा सकते हैं. नारियल पानी पिया जा सकता है. इस व्रत में लहसुन-प्याज और मांसाहार का सेवन भूलकर भी नहीं करें. शराब न पियें. गेहूं-चावल अनाज आदि न खाएं. लाल मिर्च और सादा नमक भी नहीं खाएं|
क्या करें और क्या नहीं-
इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से व्रत के नियम का पालन करें. प्रदोष व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें. घर और मंदिर में सफाई का विशेष ध्यान रखें. इस दिन घर को पवित्र और शुद्ध रखें. प्रदोष व्रत के दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करें. इस दिन महिलाओं का अपमान न करें. मन में किसी के लिए नाकारात्मक विचार न लाएं. भगवान शिव को पूजा के समय उनको केतकी के फूल और हल्दी न| चढ़ाएं.शिवलिंग पर टूटे चावल न चढ़ाएं|
इन चीजों का करें दान-
प्रदोष व्रत के दिन फलों का दान करें. इस दिन वस्त्रों का दान करें. इस दिन अन्न का दान करें. इस दिन दूध का दान करें. काले तिल का दान करें. गाय का दान करें. इस दिन दान करने वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है. सौभाग्य की प्राप्ति होती है. विवाह में आ रहीं बाधाएं दूर हो जाती हैं. भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है|
प्रदोष व्रत का महत्व-
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन और उपवास करने से जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं. जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है. कल भौम प्रदोष व्रत है. इस व्रत को करने से मंगल की कृपा भी प्राप्त होती है. साथ ही मंगल के दोष दूर होते हैं. प्रदोष का व्रत करने से आध्यात्मिक उत्थान होता है. ये व्रत बहुत की पुण्यदायी माना गया है. इस व्रत को करने से मरने के बाद शिव धाम में स्थान मिलता है|
व्रत का पारण-
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष के व्रत का पारण उपवास के अगले दिन सूर्योंदयय के बाद ही किया जाता है. इस भौम प्रदोष व्रत का पारण 12 मार्च को 6 बजकर 34 मिनट के बाद किया जा सकता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष के व्रत का पारण करने के कुछ नियम बताएं गए हैं, जिनका पालन व्रत के पारण के समय किया जाना चाहिए. व्रत पारण के दिन सबसे पहले स्नान करें. भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद सात्विक भोजन से व्रत का पारण करें. व्रत के पारण के बाद दान करना भी शुभ होता है|