धर्म समाज

मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं सूर्य देव

  • इन लोगों की किस्मत का खुलेगा ताला
सूर्य देव 15 जून 2024 को वृषभ राशि से निकलकर अपनी मित्र राशि मिथुन में गोचर करेंगे। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे सूर्य संक्रांति कहा जाता है। सूर्य संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का बहुत महत्व बताया गया है। 15 जून यानी मिथुन संक्रांति पर शुभ समय सूर्योदय से शुरू होकर सुबह 8.28 बजे तक रहेगा। इस दौरान स्नान और दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ज्योतिष, पंडित गणेश शर्मा के मुताबिक, सूर्य के गोचर से कुछ राशि वालों को जमकर लाभ होने वाला है। आइए, जानते हैं कि वे राशियां कौन-सी हैं।
वृषभ राशि-
वृषभ राशि के जातकों को मिथुन राशि में सूर्य गोचर शुभ फल देने वाला है। आय में वृद्धि होगी। निवेश से लाभ मिलेगा। काम के नए मौके मिलेंगे। आपको कोई बड़ा लाभ मिल सकता है। नई नौकरी का प्रस्ताव मिल सकता है। व्यापारियों को कोई बड़ा ऑर्डर मिल सकता है। इस अवधि में आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी।
सिंह राशि-
सूर्य का राशि परिवर्तन सिंह राशि के लिए आर्थिक लाभ लेकर आने वाला है। आपको अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। इन राशि वालों के लिए यह समय शुभ रहने वाला है। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। कारोबारियों को लाभ प्राप्त होगा। धन लाभ हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले लोगों को सफलता मिलेगी।
कन्या राशि-
सूर्य का मिथुन राशि में गोचर कन्या राशि वालों के लिए अच्छा समय लेकर आने वाले हैं। इस दौरान इन लोगों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। करियर के लिए यह समय काफी अच्छा साबित होने वाला है। विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं। किसी मांगलिक कार्य का हिस्सा बन सकते हैं। प्रमोशन मिल सकता है।
मीन राशि-
सूर्य का गोचर मीन राशि वालों के लिए काफी धन लाभ कराने वाला है। इस दौरान आप प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं। नई नौकरी के लिए भी अनुकूल समय है। करियर में आगे बढ़ने के लिए इस दौरान कोई जरूरी फैसला कर सकते हैं। व्यापारियों को इस दौरान कोई बड़ा ऑर्डर मिल सकता है, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

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भगवान शिव ने देवी सती को दिया था विधवा होने का श्राप

  • पढ़ें पौराणिक कथा...
धार्मिक ग्रंथों में सती-स्वरूपा देवी धूमावती का उल्लेख मिलता है। देवी धूमावती दस महाविद्याओं में सातवीं देवी मानी जाती हैं। इन्हें विधवा देवी के नाम से जाना जाता है। हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमावती जयंती मनाई जाती है। इस साल यह 14 जून, 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन देवी धूमावती को समर्पित माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता सती ने अपने पिता के घर में हवन कुंड में खुद को भस्म कर लिया था, तब उनके शरीर से निकले धुएं से माता धूमावती प्रकट हुईं। मां धूमावती को रोग, पीड़ा और शोक को नियंत्रित करने वाली महाविद्या कहा गया है।
विवाहित महिलाएं देवी धूमावती की पूजा नहीं करती हैं, क्योंकि यह देवी विधवा स्वरूप में हैं। किसी भयानक रोग से पीड़ित लोगों को इनकी पूजा करनी चाहिए। देवी धूमावती से जुड़ी एक और पौराणिक कथा प्रचलित है।
देवी धूमावती से जुड़ी पौराणिक कथा-
एक बार देवी सती के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें बहुत भूख लगने लगी। अत्यधिक भूख के कारण देवी सती ने देखते ही देखते सब कुछ निगल लिया, लेकिन फिर भी उनकी भूख शांत नहीं हुई। अत्यधिक भूख से पीड़ित होकर देवी इधर-उधर भटक रही थी, तभी भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए। तब देवी सती ने बिना कुछ देखे या समझे भगवान शिव को निगल लिया। इससे हर तरफ हड़कंप मच गया।
सभी देवता मिलकर माता सती के पास गए और देवी सती से भगवान शिव को मुक्त करने की प्रार्थना की। देवी सती को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव को रिहा कर दिया। तब भगवान शिव क्रोधित हो गए और देवी सती को वृद्ध विधवा होने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से देवी सती वृद्ध विधवा हो गईं। देवी सती के इस वृद्ध विधवा रूप को धूमावती कहा गया। देवी सती के धूमावती रूप को एक विधवा देवी के रूप में पूजा जाने लगा।
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इस बार मासिक शिवरात्रि पर बनने जा रहा है बेहद शुभ संयोग

  • 4 जुलाई को मनाई जाएगी मासिक शिवरात्रि पर्व
सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है। व्रत के प्रभाव से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि शिवरात्रि का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है। इस बार शिवरात्रि पर बेहद शुभ संयोग बनने जा रहे हैं। आइए, जानते हैं कि शिवरात्रि की सही तिथि, मुहूर्त और शुभ योग कौन-से हैं।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 4 जुलाई को सुबह 5:44 बजे शुरू होगी और अगले दिन 5 जुलाई को सुबह 5:57 बजे समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि में निशा काल में भगवान और माता शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इस बार मासिक शिवरात्रि 4 जुलाई को मनाई जाएगी।
इस बार मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ वृद्धि योग बन रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन भद्रावास योग भी बन रहा है। इस दिन भद्रा स्वर्ग लोक में रहेंगी। भद्रा के स्वर्गवास के दौरान मानव समाज को शुभ फल मिलते हैं।
इन मंत्रों का करें जाप-
शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
रूद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रूद्राय ।
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय
धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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महेश नवमी पर इस मुहूर्त में पूजा करने से पूरी होगी मन की इच्छा

तिथि की शुरुआत 14 जून की रात 12:05 पर होगी. वहीं, तिथि का समापन अगले दिन 15 जून को देर रात 02:34 पर होगा. उदयतिथि को महत्व देते हुए महेश नवमी 15 जून को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन माता पार्वती और भगवान शिव ने 72 क्षत्रियों को श्राप मुक्त किया था. यह सभी ऋषियों के श्राप से पत्थर हो चुके थे. इन्हें माता पार्वती ने आशीर्वाद दिया की आपके ऊपर हमारी छाप रहेगी. तुम्हारा वंश माहेश्वरी के नाम से जाना जाएगा. यह दिन माहेश्वरी समाज के लिए बहुत ही खास होता है.
महेश नवमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करने से लेकर अपार सुख, धन-संपदा, अखंड सौभाग्य और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है. भगवान शिव जी की आज्ञा से ही इस समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य धर्म को अपनाया था. इसलिए आज भी ‘माहेश्वरी समाज’ के नाम से इसे जाना जाता है.
समस्त माहेश्वरी समाज इस दिन श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं. इस बार महेश नवमी के दिन भगवान शिव जी का सबसे प्रिय दिन सोमवार पड़ने के कारण इस तिथि का महत्व अधिक बढ़ गया है.
महेश नवमी 2024 पूजा मुहूर्त-
महेश नवमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 15 जून को सुबह 7:08 से लेकर सुुबह 8:53 तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता की विधि-विधान से पूजा करें. ऐसा करने से उनके आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
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शादी के कार्ड पर गणेश जी की फोटो क्यों छपवाते हैं, जानिए...

भारत में स्थित सबसे पवित्र और प्रसिद्ध गणेश मंदिर का जिक्र होता है तो सिद्धिविनायक मंदिर का नाम जरूर लिया जाता है, लेकिन सिद्धिविनायक के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी कई विश्व प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं। मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस पवित्र और लोकप्रिय मंदिर का निर्माण 1761 के आसपास सेठ जय राम पल्लीवाल की देखरेख में हुआ था।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर के संबंध में यह भी माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थर से लगभग 4 महीने के भीतर पूरा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों को खूब आकर्षित करती है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है। कथा के अनुसार कहा जाता है कि राजा गणेश प्रतिमा लेकर बैलगाड़ी से यात्रा करके लौट रहे थे, लेकिन शर्त थी कि बैलगाड़ी जहां भी रुकेगी, उसी स्थान पर गणेश मंदिर बनवाया जाएगा।
कहानी के अनुसार ट्रेन डूंगरी पहाड़ी के नीचे रुकी. सेठ जय राम पल्लीवाल ने उस स्थान पर एक मंदिर बनाने का फैसला किया जहां कार रुकी थी। मोती डूंगरी गणेश मंदिर बेहद खास है। यह जयपुर के साथ-साथ पूरे राजस्थान के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है। इस पवित्र मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं।
गणेश चतुर्थी के खास मौके पर हर दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं. कहा जाता है कि प्रत्येक बुधवार को मंदिर परिवार में एक बड़ा मेला लगता है और इसी दिन सबसे अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में एक शिवलिंग भी स्थापित है। इसके अलावा लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति भी स्थापित की जाती है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में हर समय भक्तों का आगमन लगा रहता है। आप रोजाना सुबह 5 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद आप शाम 4:30 बजे से रात 9 बजे के बीच यात्रा कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मंदिर में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है. इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां आना खास माना जाता है।
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कर्ज से मुक्ति पाने मंगलवार के दिन करें ये उपाय

आज मंगलवार का दिन है और यह दिन राम भक्त हनुमान को समर्पित है. हनुमान जी का एक नाम संकटमोचन भी है और मान्यता है कि वह अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर कर उसे खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं. इसके लिए हनुमान जी को प्रसन्न करना बेहद जरूरी है और वह अपने जिस भक्त से प्रसन्न हो जाएं उसके जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता. मंगलवार को हनुमान जी का पूजन करने के साथ ही कुछ विशेष उपाय जरूर अपनाएं.
मंगलवार को करें मंगल स्तोत्र का पाठ-
मंगलवार के दिन सुबह अथवा शाम किसी भी समय ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें. इस पाठ को करने के लिए लाल वस्त्र धारण करें और लाल रंग की बाती से दीप जलाकर इसका पाठ करें. अगर संभव हो तो मंगलवार के दिन ग्यारह बार इसका पाठ करना चाहिए अथवा संकल्प लेकर मंगलवार से इसका पाठ आरंभ करें और हर दिन एक बार पाठ करें. कम से कम 21 मंगलवार इसका पाठ करने के बाद आपको इसका लाभ मिलता दिखने लगेगा.
हनुमानजी को चढ़ाएं राम नाम की माला-
ऋण संबंधी परेशानी हो अथवा स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से गुजर रहे हों तो 108 तुलसी के पत्तों पर श्रीराम लिखकर इसकी माला बनाएं और फिर हनुमानजी को पहनाएं. कम से कम यह उपाय आपको 21 मंगलवार करना है. इस उपाय में श्रद्धा भाव की प्रधानता सबसे जरूरी है. श्रद्धा भाव के साथ हनुमानजी को ऐसी तुलसी की माला चढ़ाने वाले भक्त के हर संकट बजरंगबली दूर कर देते हैं. इस उपाय से आप मांगलिक दोष से भी मुक्ति पा जाते हैं.
हनुमानजी को चढ़ाएं लाल लंगोट-
हनुमानी जी को खुश करना है तो इन्हें लाल सिंदूर के चोले के साथ लाल लंगोट भी आप भेंट कर सकते हैं. जो भक्त हनुमानजी के नाम से मंगलवार के दिन व्रत रखते हैं और लाल लंगोट का भेंट चढ़ाते हैं हनुमानजी उन भक्तों की लाज की रक्षा करते हैं और उनका मान-सम्मान कम नहीं होने देते हैं. ऐसे भक्तों को घोर संकट चाहे वह ऋण संबंधी हो अथवा कोई और परेशानी उनसे निकलने में हनुमानजी उनके प्रति कृपा का हाथ बढ़ाते हैं.
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निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्‍मी को ऐसे करें प्रसन्न

  • दूर होगी आर्थिक समस्या
हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्‍मी को समर्पित है, जो कि ज्‍येष्‍ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस साल यह व्रत 18 जून को रखा जाएगा।
मान्‍यता है कि इस व्रत के दौरान अन्‍न-जल ग्रहण नहीं किया जाता। यह व्रत करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्‍मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। हिंदू शास्त्रों की मानें तो निर्जला एकादशी व्रत रखने से 24 एकादशियों के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी व्रत को लेकर ये है मान्यता-
इस व्रत से यश, सम्मान और सुख में वृद्धि होती है।
जो भी इस व्रत को करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रती को आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
इस व्रत के दौरान व्रती द्वारा कुछ उपाय किए जाए तो उसे कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। यहां आपको इस व्रत से जुड़े उपाय बताते हैं।
निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी की मंजरी अर्पित करना चाहिए। मान्‍यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। तुलसी की मंजरी को एकादशी के एक दिन पूर्व ही तोड़कर रख लेना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्‍मी को श्रीफल भी चढ़ाना चाहिए।
निर्जला एकादशी पर पूजन के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करना शुभ माना गया है, मान्‍यता है कि ऐसा करने से व्रती को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
यदि आप समस्याओं से घिरे रहते हैं तो आप पूजा के दौरान भगवान विष्णु और मां लक्ष्‍मी को गुड़ से बनी खीर अर्पित करें। माना जाता है कि श्रीहरि और माता को खीर प्रिय है। ऐसा करने से वे प्रसन्न होते हैं और व्रती को तमाम समस्याओं से छुटकारा मिलता है। भगवान को खंडित यानी टूटे चावल की खीर नहीं चढ़ाना चाहिए।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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मिथुन राशि में तीन ग्रहों की युति बनाएगी मालामाल

  • इन जातकों को होगा फायदा...
ग्रहों के गोचर से कई राशि के जातकों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर यह गोचर कुंडली के पक्ष में हो तो जातकों को कई समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं ऐसे जातकों के न सिर्फ यश और समृद्धि में वृद्धि होती है, बल्कि आर्थिक संपन्नता भी आती है। आगामी दिनों होने वाला ग्रहों का गोचर कई राशि के जातकों के लिए शुभ योग बना रहा है। इस दिन एक साथ तीन ग्रह गोचर कर रहे हैं। जिसकी युति जातकों के भाग्य चमका रही है।
14 और 15 जून को सूर्य सहित दो अन्य ग्रह मिथुन राशि में गोचर करेंगे। 14 जून को 10 बजकर 55 मिनट पर बुध मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। साथ ही शुक्र भी मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। वहीं 15 जून को सूर्य भी 12 बजकर 16 मिनट पर इसी राशि में प्रवेश करेंगे। बता दे कि इन तीनों ग्रहों की युति से तीन राशि के जातकों को लाभ मिलेगा।
मिथुन राशि-
तीन ग्रहों की यह युति मिथुन राशि के जातकों को लाभ पहुंचाएगी। इस राशि के जातकों के रुके पैसे मिलेंगे और कार्य भी सिद्ध होंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। साथ ही पैतृक संपत्ति मिलने के भी योग हैं। यदि अब तक आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो इससे भी छुटकारा मिल सकता है। वाहन और संपत्ति खरीदने के भी योग हैं।
कुंभ राशि-
कुंभ राशि के जातकों की करियर में कामयाबी मिलेगी, नए काम भी हाथ लग सकते हैं। आय के नए स्‍त्रोत खुलेंगे। यदि आप निवेश करने का या कुछ खरीदने का सोच रहे हैं तो यह समय आपके लिए अनुकूल है। रिश्तों में सुधार आएगा। कार्यस्‍थल पर प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार के क्षेत्र से जुड़े जातकों को भी लाभ होगा।
कन्या राशि-
कन्या राशि के जातकों के सम्मान में वृद्धि होगी। नौकरीपेशा जातकों को तरक्की मिलने के योग है, आय भी बढ़ेगी। इस अवधि में संपत्ति या फिर वाहन खरीद सकते हैं। निवेश में भी लाभ होगा। दांपत्य जीवन सुखमय बना रहेगा।

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गुलाब से जुड़े यह उपाय किए जाने पर इन दिक्कतों से मिलेगी मुक्ति

गुलाब से जुड़े कुछ उपाय किए जाए तो कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। गुलाब से जुड़े कुछ उपाय किए जाए तो कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही बिगड़े काम भी बन जाते हैं। आपको यहां गुलाब से जुड़े कुछ उपाय बताते हैं।
काम बिगड़ने पर- अगर तमाम प्रयास के बावजूद आपके बनते काम बिगड़ रहे हैं, तो आप पूर्णिमा के दिन तीन गुलाब और तीन बेला को जल में प्रवाहित करें। इससे आपके कार्यों में कोई अड़चन नहीं आएगी।
कर्ज से मुक्ति के लिए- यदि आप पर कर्ज है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है तो सफेद कपड़े के चारोंं ओर गुलाब के फूल बांधकर इसे बहते जल में विसर्जित कर दें। ऐसा लगातार पांच शुक्रवार तक करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
धन रोकने के लिए- यदि आपसे खर्च अधिक होता है और पैसों की बचत नहीं हो रही है तो आप लाल चंदन, लाल गुलाब और रोली को एक लाल कपड़े में बांधकर इसे मंदिर में रखें और भगवान गणेश का पूजन करें। बाद में इस कपड़े को तिजोरी में रख दें। यह उपाय मंगलवार को करना चाहिए।
ग्रह दोष दूर करने के लिए- अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रह दोष हैं, तो इससे मुक्ति पाने के लिए आप एक पान में गुलाब की पांच पंखुड़ियां लेकर मां भगवती को चढ़ाएं।

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आज (11 जून) का राशिफल, जानिए...क्या कहते हैं आपके सितारे

मेष- कारोबारी गतिविधियों में तेजी रहेगी. विविध कार्योंमें रुचि बढ़ेगी. भवन वाहन के मामले पक्ष में रहेंगे. निजता पर ध्यान देंगे. करियर व्यवसाय में तेजी रखेंगे. सफलता से उत्साहित रहेंगे. आर्थिक मामलों में सफल होंगे. जोखिम लेने से बचें. कामकाजी विषयों में स्पष्ट रहेंगे. प्रबंधकीय कार्य साधेंगे. संसाधनों को बढ़ावा मिलेगा. स्वार्थ संकीर्णता त्यागें. क्षमाभाव रखें. लाभ प्रतिशत औसत स अच्छा रहेगा.
वृष- सभी क्षेत्रों में प्रभावी प्रदर्शन बनाए रखेंगे. संबंधों का लाभ उठाएंगे. इच्छित सफलता पाएंगे. आर्थिक प्रयासों में आवश्यक मामले हल होगे. पद प्रतिष्ठा संवार पर रहेगी. पेशेवर यात्रा संभव है. आलस्य त्यागें. कामकाज में सक्रियता बढत्राएं. करियर कारोबार में उपलब्धि बढ़ेगी. लाभ के अवसर बढ़ेंगे. जोखिमपूर्ण विषयों में रुचि रखेंगे. व्यापार को गति मिलेगी. सम्मान में वृद्धि होगी. लंबित कार्य पक्ष में बनेंगे.
मिथुन- धनधान्य में वृद्धि होगी. संपत्ति के प्रयास बेहतर बनेंगे. सबसे सामंजस्य रखेंगे. आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा. आय के साधन संसाधन बढ़ेंगे. व्यवस्थित तैयारी पर जोर देंगे. कामकाजी चर्चा से जुड़ेंगे. बचत बैंकिग पर जोर रखेंगे. संपर्क बढ़ेगा. धनधान्य में वृद्धि बनी रहेगी. नियम अनुशासन रखेंगे. निरंतरता बनी रहेगी. कार्य व्यापार में शुभता बढ़ेगी. अनुशासन रखेंगे. उधार के लेनदेन से बचेंगे. स्पष्टता बढ़़ाएं.
कर्क- कामकाजी लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं. व्यापार पर फोकस रहेगा. उपलब्धि अर्जित कर सकते हैं. यश और वैभव बढ़ेगा. धनधान्य में वृद्धि रहेगी. चहुंओर सफलता के संकेत हैं. करियर व्यवसाय के मामले गति लेंगे. निसंकाच गति बनाए रखें. करियर कारोबार में लाभ में बढ़ोतरी होगी. पेशेवरों का भरोसा जीतेंगे. कामकाजी प्रयासों में प्रभावी रहेंगे. सरकारी प्रयासों में सफल होंगे. विस्तार पर जोर होगा.
सिंह- क्षमता के अनुरूप कार्यगति बनाए रखें. पेशेवर प्रदर्शन से सभी प्रभावित होंगे. कामकाजी मामले लंबित रहेंगे. जल्दबाजी न दिखाएं. तैयारी से आगे बढ़ें. सेवाक्षेत्र से जुडे़ जन बेहतर करेंगे. करियर व्यापार में सतर्कता रखेंगे. पेशेवर मामलों में प्रबंधन बढ़ाएंगे. स्मार्ट डिले की नीति अपनाएंगे. नियमों का पालन करें. अनुशासन बनाए रखें. सहकर्मी सहयोगी होंगे. मेहनत लगन से कार्य बनेंगे. जोखिम न लें.
कन्या- वित्तीय मामलो में उत्साहित रहेंगे. पेशेवरता बढ़त पर रहेगी. आर्थिक ़क्षेत्रों में तेजी दिखाएंगे. जीत पर भरोसा बढ़ेगा. प्रस्तावों को समर्थन मिलेगा. उद्योग कार्या पर जोर रखेंगे. लक्ष्य के प्रति समर्पण बढ़ाएंगे. अवसरों को भुनाएंगे. कार्य कुशलता बढ़ेगी. विभिन्न गतिविधियों में प्रभावी रहेंगे. कारोबारी संबंध बल पाएंगे. साहस बढे़गा. कार्यक्षेत्र में अधिकाधिक समय देंगे. आकर्षक प्रस्ताव प्राप्त होंगे.
तुला- सभी का साथ समर्थन बनाए रखेंगे. पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. शासन के विषयों में तेजी दिखाएंगे. करियर व्यापार फोकस में रहेगा. बड़ी जिम्मेदारी उठाएंगे. आर्थिक पक्ष संवरेगा. योग्यता प्रदर्शन में आगे रहेंगे. योजनाएं गति लेंगी. बड़े प्रयास बनेंगे. उद्योग व्यवसाय उम्मीद के अनुरूप रहेंगे. महत्वपूर्ण विषय गति लेंगे. लंबित विषय हल होंगे. हितकर परिणाम बनेंगे. भवन वाहन के प्रयास फलेंगे.
वृश्चिक- कामकाजी प्रयासों में तेजी दिखाएंगे. पेशेवर चर्चाओं में सफल रहेंगे. अवसरों का लाभ उठाएंगे. जोखिम लेने की सोच रहेगी. स्मार्ट वर्किंग बढ़ाएंगे. करियर व्यापार पर जोर रखेंगे. शुभ सूचना मिलेगी. लंबित मामलों में तेजी आएगी. सफलता का प्रतिशत ऊंचा होगा. चहुंओर श्रेष्ठ परिणाम बनेंगे. वाणिज्यिक कार्योंको गति देंगे. अनुभव का लाभ उठाएंगे. साहस पराक्रम बढ़ेगा. धनधान्य में वृद्धि होगी. लक्ष्यों को साधेंगे.
धनु- कामकाजी अवसरों को भुनाने में जल्दबाजी न दिखाएं. सब से बना़कर चलें. विरोधियों से सजग रहें. व्यवस्था पर जोर रखें. परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण रहेंगी. धैर्य विवेक से कार्य सधेंगे. सूझबूझ व सजगता बनाए रहेंगे. करियर कारोबार के प्रयास सामान्य होंगे. उद्योग वाणिज्य में जल्दबाजी न दिखाएं. प्रस्तावों को समर्थन मिलेगा. आय सामान्य रहेगी. जरूरी सूचना मिलना संभव है. पहल से बचें. अवरोध बने रह सकते हैं.
मकर- पेशेवर साथियों का भरोसा जीतेंगे. सफलता का प्रतिशत ऊंचा रहेगा. महत्वपूर्ण कार्य संवारेंगे. मामले लंबित नहीं रखेंगे. रचनात्मक प्रयास बढ़ाएंगे. सौदेबाजी में बेहतर होंगे. भूमि भवन के कार्य बनेंगे. योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे. साझा प्रतिफल अच्छा रहेगा. पेशेवरता पर जोर रखेंगे. उपलब्धियों में वृद्धि होगी. कारोबार में प्रभावशाली रहेंगे. कार्यक्षमता को बल मिलेगा. आत्मविश्वास व पूछपरख बने रहेंगे. लाभ के प्रयास फलेंगे.
कुंभ- तथ्यों पर भरोसा रखें. श्रमशीलता पर जोर दें. कारोबारी जिम्मेदारियों पर ध्यान दें. आय पूर्ववत् रहेगी. नौकरीपेशा अच्छा करेंगे. नियम बनाए रखेंगे. योजनाएं सहज गति से आगे बढ़ेंगी. उचित प्रस्ताव प्राप्त होंगे. खर्च निवेश पर अंकुश रखेंगे. लेनदेन में स्पष्ट रहेंगे. कौशल से जगह बनाएंगे. पेशेवरता बनाए रखेंगे. करियर के मामले गति लेंगे. चालाक लोगों से दूरी रखें. लिखापढ़ी में स्पष्ट रहें. फोकस बनाए रखें.
मीन- सबका सहयोग समर्थन पाएंगे. महत्वपूर्ण गतिविधियों से जुड़ाव बढ़ाएंगे. कामकाजी प्रयासो में सक्रियता आएगी. पेशेवर परिणाम सकारात्मक रहेंगे. अनुकूल समय का लाभ उठाएंगे. सफलता प्रतिशत ऊंचा रहेगा. सभी क्षेत्रों में प्रदर्शन बेहतर होगा. विभिन्न स्त्रोतों से आय बनेगी. प्रबंधकीय कार्य सधेंगे. कला प्रदर्शन उम्मीद से अच्छा रहेगा. साहस पराक्रम बनाए रखेंगे. तेजी से काम लेंगे. चर्चाएं सफल होंगी.
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14 जून को मिथुन राशि में गोचर करेंगे बुध

  • जानिए...किस राशि को होगा लाभ
बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है। बुध को बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, अर्थव्यवस्था और व्यापार का कारक माना जाता है, ऐसे में किसी की कुंडली में बुध शुभ स्थिति में विराजमान है तो उसे इन सभी कारकों की प्राप्ति होती है। साथ ही उन्हें धन और वैभव की कमी नहीं आती। बुध की महादशा का असर 17 सालों तक रहता है।
बुध का गोचर अलग-अलग राशि के जातकों को प्रभावित करता है। फिलहाल बुध वृषभ राशि में विराजित है और अब कुछ दिनों में मिथुन राशि में गोचर करेंगे। यह गोचर तीन राशि वालों के लिए शुभ फलदायी माना गया है।
बता दें कि बुध ग्रह 14 जून को रात 11 बजकर 5 मिनट पर वृषभ राशि से मिथुन राशि में गोचर करेंगे और 29 जून तक इसी राशि में विराजित रहेंगे। यह गोचर किन राशि के जातकों फायदा देगा आपको यहां बताते हैं।
बुध के गोचर से वृषभ राशि के जातकों की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नौकरीपेशा जातकों के पदोन्नति के योग है और कोई बड़ी जिम्मेदारी भी आपको मिल सकती है। यदि आप आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं तो यह दिक्कत भी खत्म होने जा रही है। आय के नए स्‍त्रोत खुलेंगे। साथ ही वैवाह‍िक जीवन भी सुखमय होगा।
कन्या राशि-
कन्या राशि के जातकों को बुध गोचर के सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। रुके हुए कार्य पूरे होंगे और नई सफलता प्राप्‍त होगी। ऐसे जातक जो व्यापार के क्षेत्र में हैं, उनके लिए यह समय अनुकूल है, कोई बड़ा सौदा हो सकता है। नौकरी की तलाश कर रहे जातकों को सफलता मिलेगी।
तुला राशि-
इस गोचर से तुला राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। करियर के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। परिवार का सहयोग मिलेगा।

डिसक्लेमर
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खाटू श्याम बाबा का व्रत किस दिन और कैसे रखते है? जानिए...

बाबा श्याम को कलयुग का अवतार माना जाता है। श्याम को हारे का सहारा भी कहा जाता है। हर साल लाखों भक्त बाबा श्याम के दरबार में शीश जलाने आते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बाबा श्याम कौन हैं... और खाटूश्याम जी में बाबा श्याम का मंदिर क्यों बनाया गया है... जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
महाभारत में उल्लेख है कि भीम के पुत्र घटोत्कच थे और उनके पुत्र बर्बरीक थे। बर्बरीक देवी माँ के भक्त थे। बर्बरीक की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर देवी माँ ने उन्हें तीन बाण दिये, जिनमें से एक से वह संपूर्ण पृथ्वी को नष्ट कर सकते थे। ऐसे में जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने अपनी मां हिडिम्बा को युद्ध लड़ने का प्रस्ताव दिया. तब बर्बरीक की माँ ने सोचा कि कौरवों की सेना बड़ी है और पांडवों की सेना छोटी है, इसलिए शायद कौरव युद्ध में पांडवों पर भारी पड़ जायेंगे। तब हिडिम्बा ने कहा कि तुम हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ोगे। इसके बाद माता की आज्ञा मानकर बर्बर लोग महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए निकल पड़े। लेकिन, श्री कृष्ण जानते थे कि यदि बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुँच गए तो जीत पांडवों की होगी, वे कौरवों की ओर से युद्ध लड़ेंगे। इसलिए भगवान कृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और बर्बरीक के पास पहुंचे।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश दान में मांग लिया। बर्बरीक ने दान स्वरूप अपना शीश बिना किसी प्रश्न के भगवान कृष्ण को दान कर दिया। इस दान के कारण श्री कृष्ण ने कहा कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे, कलयुग में तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे, तुम कलयुग के अवतार कहलाओगे और हारे का सहारा बनोगे।
जब घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान में दे दिया, तो बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की, तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश एक ऊँचे स्थान पर रख दिया। तब बर्बरीक ने संपूर्ण महाभारत युद्ध देखा। युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान कृष्ण ने बर्बरीक का सिर गर्भवती नदी में फेंक दिया। इस प्रकार बर्बरीक यानि बाबा श्याम का शीश गर्भवती नदी से खाटू (उस समय खाटुवांग शहर) में आ गया। आपको बता दें कि खाटूश्यामजी में गर्भवती नदी 1974 में लुप्त हो गई थी.
स्थानीय लोगों के अनुसार, पीपल के पेड़ के पास एक गाय प्रतिदिन अपने आप दूध देती थी, ऐसे में जब लोगों ने उस स्थान की खुदाई की तो वहां से बाबा श्याम का सिर निकला। बाबा श्याम का यह शीश फाल्गुन माह की ग्यारस को प्राप्त हुआ था इसलिए बाबा श्याम का जन्मोत्सव भी फाल्गुन माह की ग्यारस को मनाया जाता है। खुदाई के बाद ग्रामीणों ने बाबा श्याम का सिर चौहान वंश की नर्मदा देवी को सौंप दिया। इसके बाद नर्मदा देवी ने बाबा श्याम को गर्भ गृह में स्थापित कर दिया और जिस स्थान पर बाबा श्याम को खोदा गया था, वहां पर एक श्याम कुंड बनाया गया।
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विनायक चतुर्थी, जानें संपूर्ण पूजा विधि और चमत्कारी मंत्र

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन विनायक चतुर्थी को खास माना गया है जो कि माह में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस दौरान भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना का विधान होता है
मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन गणपति की विधिवत पूजा करने से जीवन के दुखों का नाश हो जाता है और सुख समृद्धि आती है इस बार यह व्रत 10 जून दिन सोमवार यानी आज रखा जा रहा है। इस दिन भगवान श्री गणेश की भक्ति भाव से आराधना करने से सभी कार्यों में सफलता हासिल होती हैं और बाधाएं दूर हो जाती है तो आज हम आपको पूजा विधि और मंत्र के बारे में बता रहे हैं।
भगवान गणेश का पूजा मंत्र-
ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
गणपति की पूजा विधि-
आपको बता दें कि आज विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद घर और पूजा कक्ष की अच्छी तरह सफाई करें इसके बाद व्रत का संकल्प करें एक वेदी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की स्थापना करें और अब प्रभु का अभिषेक करें। भगवान को लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। पीले पुष्पों की माला और दूर्वा घास अर्पित करें विनायक चतुर्थी की व्रत कथा और मंत्रों का जाप जरूर करें भगवान श्री गणेश की आरती कर उनकी पूजा को पूर्ण करें। इसके बाद संध्याकाल में चंद्र देव को जल अर्पित कर भगवान गणेश का आशीर्वाद लें और व्रत के अगले दिन व्रती अपने व्रत का पारण करें।
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गंगा दशहरा पर्व 16 जून को, इन कामों को करने से मिलता है पुण्य

सनातन धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन गंगा दशहरा को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर साल बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन पापों का नाश करने वाली गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।
पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष को गंगा दशहरा मनाया जाता है इस बार गंगा दशहरा का पर्व 16 जून को पड़ रहा है ऐसे में गंगा दशहरा के दिन कुछ खास कार्यों को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और परेशानियां दूर रहती हैं तो आज हम आपको इन्हीं के बारे में बता रहे है।
गंगा दशहरा के आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार कर्ज मुक्ति के लिए गंगा दशहरा के दिन अपनी लंबाई के बराबर काला धागा लेकर एक नारियल पर बांध दें और पूजा वाले स्थान पर रखकर पूजा करें फिर नारियल को गंगा जी में प्रवाहित कर दें। माना जाता है कि इस उपाय से कर्ज उतर जाता है इसके अलावा नौकरी में तरक्की पाने के लिए या फिर ​कारोबार में तरक्की के लिए गंगा दशहरा पर एक ​मिट्टी के घड़े को पानी से पूरा भर लें
इसमें थोड़ी चीनी मिलाकर जरूरतमंदों को दान करें माना जाता है कि इस उपाय से सारी बाधाएं समाप्त हो जाती है इसके अलावा गंगा दशहरा के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना भी अच्छा होता है इससे पितृदोष दूर होता है और मोक्ष भी मिलता है। गंगा दशहरा पर गंगा जी में स्नान जरूर करें इसके बाद गंगा स्तोत्र का पाठ करें ऐसा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और मोक्ष मिलता है।
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माता का मंदिर जहां इंसानों से ज्यादा है चूहें, मिलता है इनका जूठा प्रसाद

सनातन धर्म में करणी माता को मां दुर्गा का ही स्वरूप माना गया है। कहा जाता है कि मां दुर्गा ने जन कल्याण के लिए यह अवतार लिया था। करणी माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थी जो एक तपस्वी का जीवन जीती थी।
राजस्थान के बीकानेर के देशनोक शहद में स्थिति मां करणी माता का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर इंसानों से ज्यादा चूहे नजर आते हैं इस मंदिर में करीब 25 हजार चूहें है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा करणी माता मंदिर से जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में बता रहे हैं।
करणी माता के इस मंदिर भक्तों की भारी भीड़ भी देखने को मिलती है माना जाता है कि अगर किसी भक्त के पैर के उपर से चूहा गुजर जाए तो ये उस पर माता की कृपा का संकेत माना जाता है। वही अगर गलती से भी कोई चूहा किसी व्यक्ति के पैरों के नीचे आ जाता है, तो इसे पाप समझा जाता है इसलिए लोग यहां पैर घसीटकर चलते हैं इन चूहों को भोग लगाया जाता है जिसे प्रसाद के तौर पर भक्त ग्रहण करते हैं और इस प्रसाद को बेहद ही शुभ भी माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि यहां दर्शन पूजन करके भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और करणी माता के आशीर्वाद से जीवन के कष्टों का निवारण हो जाता है।
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शनिवार के ये खास उपाय, दूर होगा दुर्भाग्य

आज शनिवार का दिन है जो कि सूर्य पुत्र शनि की साधना आराधना को समर्पित है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का समाधान हो जाता है
लेकिन इसी के साथ ही अगर हर शनिवार के दिन शनि मंदिर जाकर भगवान की विधि पूर्वक पूजा करके उनके प्रिय शनि स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो दुर्भाग्य दूर हो जाता है और शनिदेव के आशीर्वाद से जीवन में सुख सफलता और शांति आती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र-
अस्य श्रीशनैश्चरस्तोत्रस्य । दशरथ ऋषिः ।
शनैश्चरो देवता । त्रिष्टुप् छन्दः ॥
शनैश्चरप्रीत्यर्थ जपे विनियोगः ।
दशरथ उवाच ॥
कोणोऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रुः कृष्णः शनिः पिंगलमन्दसौरिः ।
नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ १॥
सुरासुराः किंपुरुषोरगेन्द्रा गन्धर्वविद्याधरपन्नगाश्च ।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ २॥
नरा नरेन्द्राः पशवो मृगेन्द्रा वन्याश्च ये कीटपतंगभृङ्गाः ।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ३॥
देशाश्च दुर्गाणि वनानि यत्र सेनानिवेशाः पुरपत्तनानि ।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ४॥
तिलैर्यवैर्माषगुडान्नदानैर्लोहेन नीलाम्बरदानतो वा ।
प्रीणाति मन्त्रैर्निजवासरे च तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ५॥
प्रयागकूले यमुनातटे च सरस्वतीपुण्यजले गुहायाम् ।
यो योगिनां ध्यानगतोऽपि सूक्ष्मस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ६॥
अन्यप्रदेशात्स्वगृहं प्रविष्टस्तदीयवारे स नरः सुखी स्यात् ।
गृहाद् गतो यो न पुनः प्रयाति तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ७॥
स्रष्टा स्वयंभूर्भुवनत्रयस्य त्राता हरीशो हरते पिनाकी ।
एकस्त्रिधा ऋग्यजुःसाममूर्तिस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ८॥
शन्यष्टकं यः प्रयतः प्रभाते नित्यं सुपुत्रैः पशुबान्धवैश्च ।
पठेत्तु सौख्यं भुवि भोगयुक्तः प्राप्नोति निर्वाणपदं तदन्ते ॥ ९॥
कोणस्थः पिङ्गलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोऽन्तको यमः ।
सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः ॥ १०॥
एतानि दश नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति ॥ ११॥
॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे श्री दशरथ कृत शनि स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
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निर्जला एकादशी, नोट करें दिन तारीख और समय

दू धर्म में एकादशी की तिथि को खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ती है यह तिथि भगवान विष्णु की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त उपवास रखकर भगवान की विधिवत पूजा करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बरसती है पंचांग के अनुसार अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है
जो कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की एक साथ पूजा का विधान है मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति है इस दिन बिना जल ग्रहण किए दिनभर उपवास रखा जाता है इस व्रत को करने से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है तो आज हम आपको निर्जला एकादशी की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
निर्जला एकादशी की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को सुबह 4 बजकर 42 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि अगले दिन यानी की 18 जून को सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। वही उदया तिथि के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को किया जाएगा।
इसके अलावा निर्जला एकादशी का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाएगा। इस व्रत के अगले दिन व्रत का पारण करना अच्छा माना जाता है इस बार एकादशी व्रत का पारण 19 जून को सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस समय में द्वादशी तिथि रहेगी। ऐसे में इस दौरान पारण करना उत्तम माना जाता है।
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शुक्रवार को करें ये उपाय, माता लक्ष्मी की बरसेगी आप पर कृपा

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि जिस घर पर माता लक्ष्मी की कृपा रहती है, वहां कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. वहीं जाने-अनजाने हम कई बार कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिस कारण माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं. इसलिए अपने घर में सुख-संपत्ति और खुशियां बनाए रखने के लिए शुक्रवार को ये उपाय करें.
श्रीयंत्र-
शुक्रवार के दिन अगर आप अपने घर के पूजा स्थल में श्रीयंत्र स्थापित कर देते हैं तो माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसती है। हालांकि श्रीयंत्र की स्थापना आपको विधिवत रूप से करनी चाहिए। यंत्र स्थापना अगर आप किसी योग्य पंडित से करवाएं तो ज्यादा शुभ रहता है। श्रीयंत्र के प्रभाव से आपके घर में खुशियां आती हैं और पैसों से जुड़ी सारी परेशानियों का अंत हो जाता है। इसके साथ ही करियर और कारोबार में भी आपको सुखद परिणाम मिलने लगते हैं। 
घर में लाएं पिरामिड-
वास्तु शास्त्र में पिरामिड को बहुत शुभ माना जाता है। शुक्रवार के दिन आप क्रिस्टल या धातु का पिरामिड घर में स्थापित कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार पिरामिड को घर में लाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। पिरामिड के प्रभाव से आपके जीवन में आर्थिक संपन्नता आती है और आपके संचित धन में भी वृद्धि होने लगती है।  
घर में लाएं धातु का कछुआ-
शुक्रवार के दिन अगर आप घर में एक धातु का कुछआ लाएं और उसको उत्तर या फिर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थापित कर दें तो सौभाग्य में वृद्धि होती है। धातु का कछुआ घर में रखने से कई शुभ परिणाम आपको जीवन में मिल सकते हैं। बच्चों की अच्छी सेहत और शिक्षा में सफलता के लिए भी धातु का कछुआ शुभ माना जाता है। कछुए का संबंध भगवान विष्णु से भी माना जाता है, इसलिए कछुए को घर में रखने से आपको माता लक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। 
पश्चिम दिशा का फर्श-
वास्तु के अनुसार अगर आप पश्चिम दिशा वाले कमरे में सफेद रंग का फर्श लगा देते हैं तो आपके जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसती है दिन-ब-दिन आपके धन में इजाफा होने लगता है। इस दिशा के फर्श पर आपको ज्यादा कारीगरी का काम भी नहीं करना चाहिए, जीतना फर्श स्वेत और स्पष्ट रहेगा उतना ही धन आपके जीवन में आएगा। 
माता लक्ष्मी की तस्वीर लगाएं इस दिशा में-
वास्तु के अनुसार माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर आपको उत्तर दिशा में लगानी चाहिए। इस दिसा में माता लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करने से जीवन में बरकत आती है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि माता लक्ष्मी की तस्वीर बैठे हुए हो। माता की खड़ी तस्वीर घर में लगाना शुभ नहीं होता, ऐसी तस्वीर लगाने से धन ज्यादा दिन तक आपके पास नहीं टिकता। 

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।)
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