धर्म समाज

कुंडली में बुध शुभ हो तो जातक बड़ा करोबारी बनता है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है। बुध ग्रह बुद्धि, तर्क, संवाद के कारक हैं। साथ ही इन्हें धन और व्यापार के कारक भी कहा जाता है। कुंडली में बुध शुभ हो तो जातक बड़ा करोबारी बनता है। साथ ही वह बोलने की कला में निपुण होती है। अपनी बुद्धिमता से वह हर कार्य को सफल करता है। वहीं 15 मई 2023 को बुध ग्रह मार्गी होने जा रहे है। इस समय बुध वक्री चाल चल रहे हैं और अब वे मेष में सीधी चाल चलेंगे। बुध की सीधी चाल कुछ राशि वालों को काफी शुभ फल देने वाली है। आइए जानते हैं कि वे राशियां कौन सी हैं, जिन्हें बुध की सीधी चाल मालामाल करने वाली है।
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए बुध की सीधी चाल काफी शुभ परिणाम लेकर आ रही है। अगर आप कोई बिजनेस करते हैं तो अच्छा ऑर्डर आपको मिल सकता है। इसके साथ ही अगर आप नौकरी पेशा हैं तो आपको लिए यह बहुत ही अच्छे नौकरी के अवसर लेकर आ रहा है।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए बुध की सीधी चाल काफी लाभकारी साबित होगा। शनि के मार्गी होने से इन राशि वालों को बहुत ही शुभ परिणाम प्राप्त होने वाले हैं। वृषभ राशि के लोगों को मान-सम्मान मिलेगा साथ ही समाज में एक विशेष व्यक्ति के तौर पर भी जाना जाएगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के लोगों के लिए बुध की सीधी चाल काफी खास होने वाली है। कर्क राशि वालों के लिए यह समय धन कमाने के मामले में बहुत अच्छा होगा। इस समय आपको अपनी कमाई पर ध्यान देना चाहिए। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को शुभ परिणाम मिलेंगे।
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए बुध की सीधी चाल से लाभ होने वाला है। इस राशि के जातकों को दिवाली के आसपास धन के कई साधन मिलेंगे। कन्या राशि के जातकों की आय में भी सफलता मिलेगी। अगर आप व्यापार करते हैं तो बहुत बड़ा लाभ होने के योग बन रहे हैं।
धनु राशि
धनु राशि वालों को करियर और धन के मामले में काफी लाभ होने वाला है। व्यापारियों को भी बड़ी मुनाफा होने वाला है। प्रमोशन मिलने की संभावना है। बुध की सीधी चाल धनु राशि वालों को प्रतिष्ठा दिलाएगी। आपके ऊंचे पद पर बैठे लोगों से संपर्क बनेंगे और यह आपको भविष्य में लाभ देंगे। लेखन और मीडिया में सक्रिय लोगों को विशेष लाभ मिलेगी।

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शोभन योग में 19 मई को मनेगा शनिदेव का जन्मोत्सव

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर शनि प्रकट उत्सव या शनि जयंती मनाने की परंपरा है। इस बार शनि जयंती 19 मई को शुक्रवार के दिन भरणी नक्षत्र एवं शोभन योग व मेष राशि उपरांत वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। क्योंकि इस बार 30 वर्ष बाद शनि कुंभ राशि पर गोचरस्थ हैं तथा अपनी श्रेष्ठ स्थिति में है इस दृष्टिकोण से यह कालखंड अनुकूल फल प्रदान कर सकता है, यहां साधना उपासना की आवश्यकता रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योगों का बड़ा महत्व है। कोई विशेष योग के साथ में कोई विशेष पर्व आता है तो उसकी शुभता बढ़ जाती है वहीं विशिष्ट वैदिक पद्धति या वैदिक क्रिया करने से संबंधित पर्व के अधिपति की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है, जिससे मांगलिक कार्य होते हैं एवं बाधाओं का निवारण होता है साथ ही वाहन की प्राप्ति का भी सुख मिलता है। शोभन योग का अधिपति बृहस्पति है शोभन योग 27 योगों में से प्रमुख योग की श्रेणी में आता हैं इनके अधिपति बृहस्पति है जो कार्य तथा धन की सिद्धि के लिए विशेष प्रयोजनीय है।
जन्म कुंडली में शनि की विपरीत स्थिति, महादशा, अंतर्दशा, शनि की साढ़ेसाती, लघु ढैय्या को अनुकूल बनाने के लिए शनिदेव की विशेष उपासना की जा सकती है। इस अंतर्गत महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र, शनि स्तोत्र,शनि स्तवराज, शनि अष्टक, शनि चालीसा का पाठ, शनि के वैदिक अथवा बीजोंक्त मंत्रों का जाप शनि की वस्तुओं का दान आदि करने से शनि की प्रसन्नता होती है। रुके कार्य में गति, मानसिक तनाव से मुक्ति, उत्तम स्वास्थ्य तथा उत्साह में अभिवृद्धि होती है।
ज्ञात-अज्ञात पितरों के निमित्त करें तर्पण
विधानवर्तमान में शनि कुंभ राशि पर है तथा शनि की तीसरी दृष्टि मेष राशि स्थित राहु पर गुरु की युति के साथ पढ़ती है। यह एक प्रकार का अज्ञात पितृदोष भी माना जाता है। जिसके कारण कार्य की प्रगति बाधित होती है। यहां पर पितरों के निमित्त तर्पण श्राद्ध पिंडदान गो ग्रास या गायों को घास देने से अनुकूलता होती है।
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शमी का वृक्ष क्यों लगाना चाहिए

शमी का पौधा या पेड़ शनि ग्रह का कारक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस पौधे को घर की उचित दिशा में लगाकर नित्य पूजा करते हैं। शमी के वृक्ष को कुंडली की स्थिति जानकर ही उचित दिशा में लगाना चाहिए। इस पौधे का उपयोग दशहरा के दिन भी होता है। यह बहुत ही शुभ पौधा है परंतु जानिए कि शमी का पौधा घर में क्यों लगाना चाहिए?
- जिस व्यक्ति को शनि से संबंधित बाधा दूर करना हो उसे शमी का वृक्ष लगाना चाहिए।
- शमी के पौधे की पूजा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि शमी के पौधे का संबंध शनिवार और शनिदेव से होता है।
- अगर शमी के पौधे को तुलसी के साथ लगाया जाए तो इससे दुगुना फायदा मिलने लगता है।
- शनि का पौधा शनिवार के दिन वायव दिशा में लगाना चाहिए। वायव दिशा शनि की होती है।
- इस वृक्ष के पूजन से शनि प्रकोप शांत हो जाता है क्योंकि यह वृक्ष शनिदेव का साक्षात्त रूप माना जाता है।
- दशहरे पर खास तौर से सोना-चांदी के रूप में बांटी जाने वाली शमी की पत्त‍ियां, जिन्हें सफेद कीकर, खेजडो, समडी, शाई, बाबली, बली, चेत्त आदि भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म की परंपरा में शामिल है।
- विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष पूजा करने से घर में तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है।
- मान्यता अनुसार बुधवार के दिन गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने से तीक्ष्ण बुद्धि होती है। इसके साथ ही कलह का नाश होता है।
- आयुर्वेद के अनुसार यह वृक्ष कृषि विपदा में लाभदायक है। इसके कई तरह के प्रयोग होते हैं।
- जहां भी यह वृक्ष लगा होता है और उसकी नित्य पूजना होती रहती है वहां विपदाएं दूर रहती हैं।
- प्रदोषकाल में शमी वृक्ष के समीप जाकर पहले उसे प्रणाम करें फिर उसकी जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। इसके बाद वृक्ष के सम्मुख दीपक प्रज्वलित कर उसकी विधिवत रूप से पूजा करें। शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र का प्रयोग भी करें। इससे सभी तरह का संकट मिटकर सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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वास्तु के हिसाब से लगाना शुभ होता है मनी प्लांट

घर को खूबसूरत बनाने के लिए लोग पौधे लगाते हैं लेकिन कुछ पौधे वास्तु के हिसाब से लगाना शुभ होता है. उनमें से एक मनी प्लांट भी है, जिसके बारे में मान्यता है कि लोग इस पौधे को घर में लगाकर सुख समृद्धि के साथ साथ धन वैभव की प्राप्ति कर सकते हैं. लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं कि मनीप्लांट के साथ ही कौन सा पौधा लगाने से हमें इन सारी चीजों की प्राप्ति होती है. जी हां, एक्सपर्ट्स की मानें, तो घर में मनी प्लांट के साथ में एक और पौधा लगाने से ही शत् प्रतिशत फल की प्राप्ति होती है.
आपको बता दें कि जीवन से लेकर घर तक में सुख शांति पाने के लिए घर में मनी प्लांट लगाना तो शुभ होता ही है, लेकिन अगर आप इस पौधे के शत् प्रतिशत सकारात्मक परिणाम पाना चाहते हैं, तो आपको एक पौधा और लगाने की आवश्यकता होती है. इस पौधे को हम स्पाइडर के नाम से जानते हैं. जी हां, एक्सपर्ट्स के अनुसार, मनी प्लांट के साथ स्पाइडर का पौधा लगाना अति शुभ माना जाता है. स्पाइडर प्लांट को ज्योतिष, फेंगशुई में भाग्यशाली मानते हैं. गौरतलब है कि दोनों पौधे घर की उत्तर पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा में लगाना शुभ होता है.
गौरतलब है कि अगर आप रूम में मनी प्लांट, स्पाइडर प्लांट लगाना चाहते हैं, तो आप इसे स्टडी रूम या फिर बालकनी में लगा सकते हैं. आपको बता दें कि दोनों पौधों को एक साथ लगाने से घर के सभी सदस्यों का आपस में प्रेम बढ़ता है. इसके साथ ही साथ यह दोनों पौधे तनाव घटाने में भी मददगार साबित हो होते हैं. इसके साथ साथ आप स्पाइडर प्लांट को वर्किंग प्लेस पर लगाकर काम में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकते हैं. इसलिए हम सभी को घरो में मनी प्लांट के साथ साथ स्पाइडर प्लांट भी अवश्य लगाना चाहिए.
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10 मई से कर्क राशि में मंगल का गोचर,जानें सभी 12 राशियों पर प्रभाव

महान पराक्रमी ग्रह पृथ्वी पुत्र मंगल 10 मई 2023 को दोपहर 1 बजकर 48 मिनट पर मिथुन राशि की यात्रा संपन्न करके कर्क राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर ये 1 जुलाई की मध्यरात्रि तक गोचर करेंगे उसके बाद सिंह राशि में चले जाएंगे। कर्क राशि इनकी नीचराशिगत संज्ञक कही गई है अतः सभी के लिए कई तरह के अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव आने की संभावना है। सभी राशियों के लिए इनका कर्क राशि में गोचर कैसा रहेगा इसका ज्योतिषीय  विश्लेषण करते हैं।
मेष राशि-
राशि से चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव काफी कुछ मिलाजुला रहेगा। कार्य व्यापार में उन्नति तो होगी ही जमीन जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा किंतु, किसी न किसी कारण से पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति का सामना करना ही पड़ेगा। मित्रों तथा संबंधियों से भी अप्रिय समाचार प्राप्ति के योग। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। सामान चोरी होनेसे बचाएं। माता-पिता के स्वास्थ्यके प्रति चिंतनशील रहें।
वृषभ राशि-
राशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए मंगल आप में साहस और ऊर्जा शक्ति का भंडार भर देंगे किंतु परिवार में छोटे सदस्यों से वैमनस्य न बढ़ने दें विशेषकरके भाइयों के बीच आपसी विवाद को बढ़ावा न दें। अपनी ऊर्जाशक्ति के बल पर कठिन परिस्थितियों पर भी आसानी से नियंत्रण पा लेंगे। धर्म और अध्यात्म में रूचि बढ़ेगी। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए वीजा आदि का आवेदन करना सफल रहेगा।
मिथुन राशि-
राशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव कई मायनों में कष्ट कारक रहेगा विशेष करके स्वास्थ्य पर तो विपरीत प्रभाव ही पड़ेगा। अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और कोई भी कार्य जबतक पूर्ण हो जाए उसे सार्वजनिक न करें। कार्य क्षेत्र में भी षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। झगड़े विवाद तथा कोर्ट कचहरी से संबंधित मामले भी बाहर ही सुलझा लेना समझदारी रहेगी। विषमताओं के बावजूद आय में बढ़ोतरी होगी।
कर्क राशि-
आपकी राशि में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव कई तरह के अप्रत्याशित परिणामों का सामना करवाएगा। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह के सरकारी टेंडर के लिए आवेदन करना चाहें अथवा नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से ग्रह फल अच्छा रहेगा फिर भी स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। वाहन दुर्घटना से बचें। दांपत्य जीवन में कड़वाहट न आने दें।
सिंह राशि-
राशि से बारहवें व्यय भाव में गोचर करते हुए नीचराशिगत मंगल का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। कष्ट कारक यात्रा करनी पड़ सकती है। संबंधियों से भी अप्रिय समाचार प्राप्ति के योग। इस अवधि के मध्य कोर्ट कचहरी के मामलों से बचें और झगड़े विवाद भी बाहर ही सुलझाएं। गुप्त शत्रुओं की अधिकता रहेगी। ये नुकसान पहुंचाने में भी सफल हो सकते है। अधिक कर्ज के लेन-देन से बचें अन्यथा आर्थिक हानि की संभावना रहेगी।
कन्या राशि-
राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव अच्छा ही कहा जाएगा। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करने होंगे। प्रेम संबंधी मामलों में उदासीनता रहेगी इसीलिए अपने कार्य के प्रति अधिक ध्यान दें। संतान संबंधी चिंता परेशान कर सकती है फिर भी नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग। बड़े भाइयों से संबंध बिगड़ने न दें।
तुला राशि-
राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव कार्य व्यापार की दृष्टि से तो अच्छा रहेगा किंतु माता-पिता में से किसी का स्वास्थ्य भी   खराब हो सकता है। कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना होगी। शासन सत्ता का पूर्ण सहयोग मिलेगा। नए अनुबंध प्राप्ति के भी योग। जमीन जायदाद संबंधी विवाद हल होंगे। वाहन क्रय भी करना चाह रहे हों तो उसदृष्टि से ग्रह-गोचर अति अनुकूल रहेगा। 
वृश्चिक राशि-
राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव निश्चित रूप से लाभदायक ही रहेगा किन्तु धर्म और अध्यात्म के प्रति अरुचि बढ़ सकती है। किएगए कार्योंकी सराहना होगी। सामाजिक पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। चुनाव से संबंधित कोई निर्णय लेना चाह रहे हों तो उसमें भी अच्छी सफलता के योग बनेंगे। अपने साहस और पराक्रम के ब पर कठिन परिस्थितियों पर भी आसानी से विजय प्राप्त करेंगे। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी।
धनु राशि-
राशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। स्वास्थ्य पर तो विपरीत प्रभाव पड़ेगा ही विवादित मामले भी बाहर ही सुलझा लेना समझदारी रहेगी। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में न दें। परिवार में अलगाववाद की स्थिति उत्पन्न न होने दें। अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव के बावजूद आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। दिया गया धन भी वापस मिलने की उम्मीद।
मकर राशि-
राशि से सप्तम दांपत्य भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव कार्य व्यापार की दृष्टि से तो अपेक्षाकृत बेहतर ही रहेगा किंतु दांपत्य जीवन में कड़वाहट आएगी। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक ध्यान दें। वैवाहिक वार्ता सफल होने में थोड़ा और समय लगेगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। कोई भी कार्य अथवा योजना जब तक पूर्ण न हो जाए उसे गोपनीय रखें, सार्वजनिक न करें।
कुंभ राशि-
राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर करते हुए मंगल कई तरह के खट्टे मीठे अनुभवों का सामना करवाएंगे। कार्य व्यापार में आशातीत उन्नति होगी। कष्टकारक यात्रा करनी पड़ सकती है। कोर्ट के मामलों में निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह न बनें। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को विदेश में पढ़ाई करने के लिए वीजा का आवेदन करना चाह रहे हों तो उसदृष्टि से ग्रह गोचर और अनुकूल रहेगा। 
मीन राशि-
राशि से पंचम विद्या भाव में गोचर करते हुए मंगल का प्रभाव मिलाजुला फलकारक ही रहेगा। आयके साधन तो बढ़ेंगे किंतु पढ़ाई में अरुचि के कारण परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं सावधान रहें। संतान संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग। परिवारके वरिष्ठ सदस्यों तथा बड़े भाइयोंसे सहयोग मिलेगा। अपनी रणनीतियों को गोपनीय रखते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे। 
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वट सावित्री व्रत 19 मई को, जानिए जरूर नियम...

हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत है जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से करती है। इन्हीं में से एक है वट सावित्री व्रत। जो कि बेहद ही खास माना जाता है। वट सावित्री का व्रत महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति की कामना से रखती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत आदि करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
धार्मिक पंचांग के अनुसार वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर किया जाता है। इस बार वट सावित्री का व्रत पूजन 19 मई दिन शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए महिलाएं दिनभर उपवास रखती है और बरगद की पूजा करती है ये व्रत शादीशुदा महिलाओं के लिए बेहद ही खास माना जाता हैं। ऐसे में अगर आप इस व्रत को पहली बार रखने जा रहे हैं तो आज हम आपको इससे जुड़ी जरूरी बातें बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
वट सावित्री व्रत के नियम-
अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही है तो इससे जुड़ी जानकारी के बारे में पता होना जरूरी है। ऐसे में वट सावित्री व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके लाल वस्त्र धारण कर सोलह श्रृंगार करें इसके बाद पूजा स्थल और वट वृक्ष के नीचे पूजा स्थल की साफ सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद शुभ समय में बरगद के पेड़ की पूजा करें। धूप दीपक आदि जलाएं इसके बाद वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और चारों ओर सात बार कच्चा धागा लपेट कर इसकी परिक्रमा करें।
इस दिन वट वृक्ष की माला बनाकर स्वयं धारण करना चाहिए और व्रत कथा भी पढ़नी चाहिए। इस दिन पूजन के बाद चने का बायना और धन अपनी सास को देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इसके बाद अन्न धन व वस्त्रों का गरीबों को दान करें अंत में व्रत का पारण 11 भीगेे चने खाकर ही करें मान्यता है कि इस विधि से अगर पूजा पाठ किया जाए तो व्रत पूजन का पूर्ण फल साधक को मिलता है।
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पहला बड़ा मंगल आज करें हनुमान जी को प्रसन्न

सनातन धर्म में जिस तरह श्रावन में पड़ने वाले सोमवार को शिव पूजा के लिए विशेष माना जाता हैं। ठीक उसी तरह से ज्येष्ठ माह में पड़ने वाला बड़ा मंगल हनुमान पूजा के लिए उत्तम होता है। इस बार ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगल आज यानी 9 मई दिन मंगलवार को पड़ हैं इस दिन भक्त हनुमान जी की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि इस दिन हनुमान पूजा साधक को उत्तम फल प्रदान करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह के मंगलवार को हनुमान जी की पहली बार श्रीराम से भेंट हुई थी साथ ही इसी माह में पवनपुत्र हनुमान ने भीम का घंमड तोड़ा था। इस दिन हनुमान जी को प्रसन्न करना बेहद सरल होता हैं तो आज हम आपको इसी विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पूजन की संपूर्ण विधि-
आपको बता दें कि आज पहले बड़े मंगल पर सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प करें इस दिन लाल वस्त्र धारण कर पूजन स्थल पर ईशान कोण में चौकी पर हनुमान प्रतिमा स्थापित करें भगवान को सिंदूर अर्पित करें इसके बाद लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल फल, पान का बीड़ा, केवड़ा इत्र, बूंदी अर्पित करें इसके बाद हनुमान मंत्र ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय, प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय। का जाप करें।
वही अगर कोई विशेष कामना है तो ऐसे में हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें। अंत में प्रभु की आरती कर प्रसाद सभी में बांटे। मान्यता हैं कि इस शुभ दिन पर गुड़, जल और अन्न आदि का दान करने से हनुमान कृपा बरसती है।
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यादगिरिगुट्टा लक्ष्मीनरसिम्हा स्वामी मंदिर की बढ़ाई गई सुरक्षा

यादगिरिगुट्टा। यादगिरिगुट्टा लक्ष्मीनरसिम्हा स्वामी मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. एसपीएफ के 12 कर्मी जहां पहले से ही ड्यूटी पर हैं, वहीं 19 कर्मियों ने मंगलवार को एसपीएफ कमांडेंट त्रिनाथ की मौजूदगी में यादगिरिगुट्टा में ड्यूटी ज्वाइन की। अन्य 14 कर्मचारी जल्द ही ड्यूटी ज्वाइन करेंगे। सीसी कैमरे के साथ ही वाहनों की जांच के लिए मेटल डिटेक्टर और स्कैनर भी उपलब्ध रहेंगे।यादगिरिगुट्टा लक्ष्मीनरसिम्हास्वामी मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. एसपीएफ के 12 कर्मी जहां पहले से ही ड्यूटी पर हैं, वहीं 19 कर्मियों ने मंगलवार को एसपीएफ कमांडेंट त्रिनाथ की मौजूदगी में यादगिरिगुट्टा में ड्यूटी ज्वाइन की। अन्य 14 कर्मचारी जल्द ही ड्यूटी ज्वाइन करेंगे। सीसी कैमरे के साथ ही वाहनों की जांच के लिए मेटल डिटेक्टर और स्कैनर भी उपलब्ध रहेंगे।
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संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजन, पूर्ण होंगी मनोकामनाएं

हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन भगवान श्री गणेश की पूजा को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है और इस माह की प्रथम चतुर्थी 8 मई दिन सोमवार यानी आज मनाई जा रही है।
इस दिन उपवास रखकर श्री गणेश की पूजा करना उत्तम माना जाता है। इस चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन उपवास रखते हुए श्री गणेश की पूजा करना उत्तम माना जाता हैं तो आज हम आपको संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
श्री गणेश पूजन विधि-
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर भगवान श्री गणेश का ध्यान और प्रणाम करें इसके बाद सभी कार्यों को करने के बाद स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। फिर आचमन कर खुद को शुद्ध करें और पीले रंग के वस्त्रों को धारण कर भगवान श्री सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान श्री गणेश के मंत्रों का जाप कर भगवान का आह्वान करें। वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥, इसके बाद श्री गणेश की पूजा फल, पुष्प, धूप दीपक, दूर्वा, चंदन आदि से करें।
भगवान को पीले पुष्प और दूर्वा चढ़ाएं और मोदक का भोग लगाएं। भगवान की विधिवत पूजा कर आरती करें और सुख शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना करें फिर दिनभर उपवास रखते हुए शाम के समय फिर से आरती पूजा करें और फलाहार करें। मान्यता है कि इस विधि से अगर पूजा पाठ किया जाए तो व्रत पूजन का पूर्ण फल साधक को प्राप्त होता है।
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ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मिलेगा शनिदेव का आशीर्वाद, करें ये काम

जानें तिथि और मुहूर्त
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। पूरे साल में कुल 12 अमावस्याएं पड़ती हैं। हर महीने पड़ने वाली अमावस्या का अपना अलग महत्व होता है। जिसमें से ज्येष्ठ अमावस्या भी है, जो कि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि इस दिन शनि जयंती और व्रत सावित्री व्रत भी रखा जाता है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर हैं, इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान-दान, पूजा-पाठ करने से पितर, शनि देव, विष्णु जी और शंकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं कब है ज्येष्ठ अमावस्या, मुहूर्त और महत्व
ज्येष्ठ अमावस्या 2023 तारीख
इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 19 मई 2023, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन पवित्र जल में स्नान और व्रत रखने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इससे सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं और पितरों का आशीर्वाद भी आपको प्राप्त होता है।
ज्येष्ठ अमावस्या 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को शाम 9 बजकर 42 मिनट पर शुरु होगी और 19 मई 2023 को रात 9 बजकर 22 मिनट पर इसका समापन होगा।
स्नान मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 15 मिनट से सुबह 04 बजकर 59 मिनट
वट सावित्री पूजा मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 43 मिनट से सुबह 08 बजकर 58 मिनट
शनि देव पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 07 बजकर 03 मिनट तक।
ज्येष्ठ अमावस्या पूजा विधि
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद बहते जल में तिल को प्रवाहित करें।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करें।
- इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
- चूंकि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती होती है इसलिए इस दिन शनि देव को सरसों का तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले पुष्प चढ़ाएं।
- वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन यम देवता की पूजा करनी चाहिए और सुहाग की चीजें बांटनी चाहिए।

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ज्येष्ठ संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन श्री गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार आज यानी 8 मई दिन सोमवार को ज्येष्ठ मास की पहली संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूजन किया जा रहा है।
इस दिन साधक भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन श्रद्धा भाव से श्री गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण हो जाती है साथ ही दुख, संकट और क्लेश से भी मुक्ति मिलती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की संकष्टी चतुर्थी आज यानी 8 मई को शाम 6 बजकर 18 मिनट से आरंभ हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी की 9 मई को शाम के समय 4 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा। आपको बता दें कि इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा शाम के वक्त चंद्रमा के उदय होने के बाद की जाती है।
ऐसे में ज्येष्ठ संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूजन आज यानी 8 मई को करना उत्तम रहेगा। इस दिन आप दिनभर उपवास रखें इसके बाद संध्याकाल में भगवान की आराधना करें। वैसे तो आज के दिन किसी भी समय श्री गणेश की आराधना कर सकते हैं लेकिन संध्याकाल में पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है।
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राजा जैसा जीवन जिएंगे ये 4 राशि वाले लोग

शनिदेव की कृपा से बदल जाएगा भाग्य
सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल चलने वाले ग्रह हैं। यह किसी एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह को काफी खास ग्रह माना गया है। शनि को कर्मफलदाता और न्यायाधिपति कहा जाता है। शनिदेव जातकों को उनके द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनि से इसी साल 30 साल बाद अपनी राशि कुंभ में प्रवेश किया है और अब वे 17 जून से वक्री होने जा रहे हैं। कुछ राशि वालों को शनि कष्ट देंगे तो वहीं कुछ राशि वालों को शनि राजा जैसा जीवन दे सकते हैं। इन राशि वालों को शनि की उल्टी चाल जमकर पैसा और धन-दौलत दिलाने वाली है। आइए जानते हैं कि वे राशियां कौन सी हैं।
मेष राशि
मेष राशि वालों को शनि की उल्टी चाल काफी लाभ देने वाली है। आय में वृद्धि होगी। लंबे समय से रुके हुए काम पूरे होंगे। विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं। व्यापार में लाभ मिलेगा। करियर में तरक्की मिलेगी। आय में वृद्धि हो सकती है। वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों को शनि की उल्टी चाल जमकर धन लाभ कराने वाली है। नौकरी करने वाले लोगों के लिए समय शुभ रहेगा। उच्च अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होगा।आय में वृद्धि हो सकती है। प्रमोशन मिल सकता है। धन प्राप्ति के योग बन रहे हैं। मान-सम्मान मिलेगा।
मिथुन राशि
वक्री शनि मिथुन राशि वालों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले हैं। ये समय कारोबारियों के लिए भी काफी लाभकारी साबित होगा। धन लाभ के योग बन रहे हैं। नौकरीपेशा लोगों को पद प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है। परिवार में खुशियां आएंगी। जीवनसाथी के साथ मधुर संबंध बनेंगे।
धनु राशि
शनि की वक्री चाल धनु राशि वालों किस्मत बदल देगी। पुरानी समस्याएं खत्म होंगी। व्यापारियों को खूब लाभ होगा। दांपत्य जीवन में खुशियां आ सकती हैं। किस्मत का पूरा सहयोग प्राप्त होगा। कारोबारियों के लिए समय शुभ रहेगा। निवेश करना चाहते हैं तो यह समय शुभ रहेगा।

डिसक्लेमर
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इस दिन से शुरू हो रहा ज्येष्ठ माह, जानिए नियम

हिंदू धर्म में वैसे तो हर महीने को खास माना गया है लेकिन ज्येष्ठ मास बेहद महत्वपूर्ण होता है। पंचांग के अनुसार ये साल का तीसरा महीना होता है। इस महीने सूर्य का तापमान अधिक होता है जिससे गर्मी चरम पर होती है। अभी वैशाख का महीना चल रहा है इसके समापन के बाद ज्येष्ठ मास आरंभ हो जाएगा।
जो कि इस बार 6 मई शनिवार यानी कल से आरंभ हो रहा है। ये महीना हनुमान पूजा को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में भगवान हनुमान, सूर्यदेव और वरुण देव की पूजा करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इस पूरे महीने पूजा पाठ और व्रत के साथ अगर जरूरी नियमों का पालन किया जाए तो सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
ज्येष्ठ माह के जरूरी नियम-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ के पूरे महीने में व्यक्ति को बिस्तर की जगह जमीन में सोना चाहिए। ऐसा करना अच्छा माना जाता है। इसके अलावा इस महीने में देवी देवताओं की पूजा में चंदन का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
इस पूरे महीने पूजन स्थल पर जल से भरा एक कलश रखना चाहिए। इसके अलावा पेड़ पौधों को हाथ नहीं लगाना चाहिए ना ही नारंगी रंग के वस्त्रों को धारण करना चाहिए। इस महीने ज्यादा से ज्यादा प्याउ लगाना भी अच्छा माना जाता है ज्येष्ठ माह में पेड़ पौधों को जल देना भी अच्छा होता है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में अगर पीपल के पेड़ पर दूध अर्पित किया जाए तो इससे देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
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आज लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण

साल का पहला चंद्र ग्रहण 05 मई यानी आज लगने जा रहा है. ये विशिष्ट चंद्र ग्रहण न होकर एक उपच्छाया ग्रहण है. ये 05 मई यानी आज रात 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 06 मई को रात 01 बजकर 02 मिनट पर होगा. ज्योतिष के अनुसार, ये ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लगेगा. ये उपछाया ग्रहण भारत में दृश्यामान नहीं होगा.
05 मई यानी आज लगने जा रहे इस चंद्र ग्रहण से पश्चिमी देशों में समस्याए बढ़ सकती हैं. प्राकृतिक आपदाओं की संभावना भी बढ़ेगी. वायुयान दुर्घटना और अग्नि से आपदा हो सकती है. महिला राजनीतिज्ञों को अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा. इस समय न्यायालय से कोई महत्वपूर्ण निर्णय आ सकता है.
ग्रहण काल में क्या करने से होगा लाभ
1. ग्रहणकाल में मंत्र जाप, स्तुति करें.
2. ग्रहणकाल में ध्यान करना लाभकारी माना जाता है.
3. ग्रहणकाल में की गई पूजा, निश्चित रूप से स्वीकार होती है.
4. अगर कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं या दीक्षा लेना चाहते हैं तो ग्रहण के बाद स्नान करके किसी निर्धन को कुछ दान करें.
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बुद्ध पूर्णिमा 2023 : भगवान गौतम बुद्ध के शीर्ष 25 प्रेरक उद्धरण

यह एक शुभ अवसर है, यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख (मई) के पहले महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ता है और इस साल यह त्योहार 5 मई को मनाया जाएगा।
भगवान गौतम बुद्ध के शीर्ष प्रेरक उद्धरण-
1. 1. हर वो चीज़ जिसकी शुरुआत होती है उसका अंत भी होता है। इससे अपनी शांति बनाएं और सब कुछ ठीक हो जाएगा।
2. जो लोग सत्य की दिशा में काम करने में विफल रहे हैं, वे जीने का उद्देश्य खो चुके हैं।
3. “बोलने से पहिले तेरा वचन तीन फाटकों से होकर जाए: क्या यह सत्य है? क्या ये जरूरी है? क्या यह दयालु है?
4. “दर्द अपरिहार्य है। दुख वैकल्पिक है।
5. “हर सुबह हम फिर से जन्म लेते हैं। आज हम जो करते हैं वह सबसे ज्यादा मायने रखता है।
6. "अंत में, केवल तीन चीजें मायने रखती हैं: आप कितना प्यार करते थे, आप कितनी कोमलता से जीते थे, और आप कितनी शालीनता से उन चीजों को छोड़ देते हैं जो आपके लिए नहीं हैं।"
7. "सभी दुखों की जड़ आसक्ति है।"
8. “आपका दिमाग एक शक्तिशाली चीज है। जब आप इसे सकारात्मक विचारों से फ़िल्टर करना शुरू करेंगे तो आपका जीवन बदलना शुरू हो जाएगा।
9. "तीन चीजें लंबे समय तक छिपी नहीं रह सकतीं: सूर्य, चंद्रमा और सत्य।"
10. "स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे अच्छा रिश्ता है।"
11. "कुछ भी विश्वास न करें, चाहे आप इसे कहीं भी पढ़ें, या किसने कहा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने इसे कहा है, जब तक कि यह आपके अपने कारण और आपके सामान्य ज्ञान से सहमत न हो।"
12. “एक मोमबत्ती से हजारों मोमबत्तियां जलाई जा सकती हैं, और मोमबत्ती का जीवन छोटा नहीं होगा। साझा करने से खुशी कभी भी कम नहीं होती है।"
13. “बुराई क्या है? हत्या बुराई है, झूठ बोलना बुराई है, बदनामी बुराई है, गाली देना बुराई है, गपशप बुराई है, ईर्ष्या बुराई है, घृणा बुराई है, झूठे सिद्धांत से चिपके रहना बुराई है; ये सब बातें बुरी हैं। और बुराई की जड़ क्या है? इच्छा बुराई की जड़ है, भ्रम बुराई की जड़ है।
14. "अतीत में मत रहो, भविष्य के सपने मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो।"
15. “हजारों लड़ाइयाँ जीतने से बेहतर है खुद पर विजय प्राप्त करना। फिर जीत आपकी है। यह आपसे नहीं लिया जा सकता है।
16. जो जागता है, उसके लिथे रात लंबी होती है; जो थका हुआ है उसके लिये एक मील लम्बा है; मूर्खों का जीवन लम्बा होता है, जो सच्ची व्यवस्था को नहीं जानते।”
17. "ध्यान करो ... देर मत करो, ऐसा न हो कि तुम बाद में पछताओ।"
18. “जो तुम सोचते हो, वही बन जाते हो। आप जो महसूस करते हैं, आप उसे आकर्षित करते हैं। आप जो कल्पना करते हैं, आप बनाते हैं।
19. "यदि आप किसी और के लिए दीपक जलाते हैं तो यह आपके मार्ग को भी प्रकाशित करेगा।"
20. "यदि हम दूसरों की देखभाल करने में विफल रहते हैं, जब उन्हें सहायता की आवश्यकता होती है, तो हमारी देखभाल कौन करेगा?"
21. "धीरज सबसे कठिन अनुशासनों में से एक है, लेकिन यह वही है जो सहन करता है कि अंतिम जीत आती है।"
22. “घृणा घृणा से नहीं, केवल प्रेम से समाप्त होती है; यह शाश्वत नियम है।
23. "यदि आपकी करुणा में स्वयं शामिल नहीं है, तो यह अधूरा है।"
24. जैसे मेंह धमिर्यों और अधमिर्यों दोनों पर समान रूप से बरसता है, वैसे ही अपने हृदय पर न्याय का बोझ न डालना, परन्तु अपनी करूणा सब पर समान रूप से बरसाना।
25. "राय वाले लोग बस एक दूसरे को परेशान करते हैं।"
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नरसिंह जयंती : कुम्हार समाज के हजारों लोग हुए शामिल

नारायणपुर. हिंदू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है.नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में पहली बार कुम्हारपारा में नरसिंह जयंती मनाई गई. जयंती कार्यक्रम में नारायणपुर जिले के गावों से कुम्हार समाज के हजारों लोग शामिल हुए.
कुम्हारपारा से सुबह 09 बजे कलश शोभा यात्रा निकाली गई. जो प्रमुख मार्ग बुधवारी बाजार,जगदीश मंदिर पारा,जयस्तंभ चौक,चांदनी चौक से होते हुए वापस कुम्हारपारा के नरसिंह मंदिर में समाप्त हुई. नरसिंह मंदिर में विशेष पूजा हवन के बाद आरती और प्रसाद ,भोजन वितरण कार्यक्रम किया गया.
कुम्हार समाज के प्रमुख सुरेश पांडे ने बताया कि '' आज के दिन नरसिंह भगवान का जन्म हुआ था. इसलिए नरसिंह जयंती महोत्सव मनाया जा रहा है. हर साल कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. आने वाले समय में भी कार्यक्रम को अच्छे से मनाया जाएगा. नरसिंह भगवान कुम्हार समाज के ईष्ट देव है .इसलिए समाज हर्षोल्लास के साथ इस दिन को मनाता है.नरसिंह जयंती पर जिले के सभी कुम्हार अपना काम बंदकर महोत्सव में पहुंचे थे.
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बुद्ध पूर्णिमा पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 05 मई को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सभी बौद्ध धर्मावलम्बियों सहित प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। अपने शुभकामना संदेश में उन्होंने कहा है कि महात्मा बुद्ध ने लोगों को अहिंसा, समानता और विश्व बंधुत्व का संदेश दिया। उनकी शिक्षा को विदेशों में भी लागों ने अपनाया और लाखों अनुयायी उनके दिखाये मार्ग पर चल कर देश-दुनिया को शांति का संदेश दे रहे हैं। श्री बघेल ने कहा कि गौतम बुद्ध के उपदेश हर परिस्थिति और काल में प्रासंगिक हैं। उनकी दी गई शिक्षा हमें संयम से आगे बढ़ने का संदेश देती है। महात्मा बुद्ध के विचार और जीवन मूल्य एक बेहतर समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेंगे।
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एकमुखी रुद्राक्ष क्या होता है? जानें...

रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. क्योंकि भगवान शिव अपने गले और भुजाओं में इसी रुद्राक्ष को धारण करते हैं. इसे धारण करने से भोलेनाथ की असीम कृपा बनी रहती है. यहां तक कि जो व्यक्ति भगवान शिव के भक्त होते हैं, वह एकमुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का रूप होता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के आंखों से पहली बार एक आंसु का बूंद नीचे गिरा था, जिससे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई. यह रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होता है. इसे सब लोग धारण नहीं कर सकते हैं. अगर कोई जातक एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहता है, तो इससे पहले उसे एकमुखी रुद्राक्ष के नियम, महत्व, धारण करने की विधि क्या है, असली और नकली रुद्राक्ष के बारे में जानना बेहद जरूरी है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि, महत्व, नियम और असली रुद्राक्ष पहचानने के बारे में विस्तार से बताएंगे.
एकमुखी रुद्राक्ष ‘इलियोकार्पस गेनिट्रस’ नामक एक पेड़ से प्राप्त होता है, जिसका फल नीचे गिरने के बाद उसके अंदर से एक बीज निकलती है, जिसे रुद्राक्ष कहा जाता है. इस बीज में मात्र 12 धारियां होती हैं. वहीं, जिस रुद्राक्ष में केवल एक धारिया हो, जिसका आकार गोलाकार या फिर अर्ध चंद्र जैसा हो, वह एकमुखी रुद्राक्ष कहलाता है. ये बहुत ही दुर्लभ होती है, इतनी आसानी से नहीं पाई जाती है. यही कारण है कि बाजार में इसे काफी ऊंची कीमत में बेचा जाता है.
रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. एकमुखी रुद्राक्ष दो तरह के होते हैं, एक काजू की तरह और एक गोल आकार का होता है. यह रुद्राक्ष हल्का सफेद या फिर पीला रंग का होता है. पीला रुद्राक्ष क्षत्रिय लोग पहनते हैं. लाल रुद्राक्ष वेश्या पहनते हैं और काला रुद्राक्ष शुद्र धारण करते हैं. सबसे उत्तम श्रेणी का रुद्राक्ष नेपाल में पाया जाता है. इसके अलावा भारत, मलेशिया और इंडोनेशिया में भी पाया जाता है.
ऐसे पहचानें नकली रुद्राक्ष
आज के समय कई लोग नकली रुद्राक्ष बेचते हैं. आपको बाजार में असली और नकली दोनों तरह की रुद्राक्ष मिल जाएगी. दरअसल, एक मुखी रुद्राक्ष पर केवल एक धारियां होती है. जो बहुत ही दुर्लभी मानी जाती है. जिस कारण बाजार में काफी ज्यादा कीमत पर बिकता है. इसके अलावा रुद्राक्ष लोग लकड़ी के भी बनाकर बेचते हैं. लकड़ी के बने रुद्राक्ष में नाग या फिर त्रिशूल की आकृती बनाकर बाजार में ग्राहकों के लिए बेचे जाते हैं. इसलिए इन बातों का खास ध्यान रखें.
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