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आज शाम से लगेगी षटतिला एकादशी, भूलकर भी न करें ये गलतियां

   षट्तिला का मतलब है 6 तिल यानि 6 तरीके से तिल का प्रयोग. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो तिल के दिव्य प्रयोगों से जीवन में ग्रहों के कारण आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकता है.तिल पौधे से प्राप्त होने वाला एक बीज है. इसके अंदर तैलीय गुण पाये जाते हैं. तिल के बीज दो तरह के होते हैं- सफेद और काले. पूजा के दीपक में या पितृ कार्य में तिल के तेल का प्रयोग ज्यादा होता है. शनि की समस्याओं के निवारण के लिए काले तिल का दानों का प्रयोग किया जाता है. षट्तिला एकादशी में तिल के प्रयोग को बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है. इसमें 6 तरीकों से तिल का प्रयोग होता है.

 धर्मडेस्क@झूठा-सच: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पद्मपुराण में एकादशी का बहुत ही महात्मय बताया गया है एवं उसकी विधि विधान का भी उल्लेख किया गया है।इन्ही में से एक हैं षटतिला एकादशी.हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 जनवरी 2023 यानि आज शाम 6 बजकर 5 मिनट से लेकर अगले दिन 18 जनवरी 2023 को शाम 4 बजकर 3 मिनट तक रहेगी. उदिया तिथि के चलते 18 जनवरी को षट्तिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इसका पारण 19 जनवरी सुबह 07.15 से लेकर सुबह 09.29 तक किया जाएगा.


षट्तिला एकादशी के 6 प्रयोग

  • तिल स्नान
  • तिल का उबटन
  • तिल का हवन
  • तिल का तपर्ण
  • तिल का भोजन
  • तिल का दान

कैसे रखें षट्तिला एकादशी का व्रत?

षट्तिला एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है- निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. इस व्रत में तिल स्नान, तिल युक्त उबटन लगाना चाहिए. तिल युक्त जल और तिल युक्त आहार का ग्रहण करना चाहिए.

पूजन विधि

षटतिला एकादशी के दिन गंध, फूल, धूप दीप, पान सहित विष्णु भगवान की षोडशोपचार से पूजा की जाती है. इस दिन उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाने की परंपरा है. रात को तिल से 108 बार 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा' मंत्र से हवन करें. रात को भगवान के भजन करें और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं.

 षटतिला एकादशी पर न करें ये काम

  • इस दिन तामसिक भोजन (लहसुन-प्याज) के अलावा मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए।
  • इस दिन जिस व्यक्ति से व्रत रखा है वह ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करें। इसके साथ ही जमीन में ही विश्राम करें।
  • इस दिन अपने क्रोध को शांत रखना चाहिए। किसी से वाद विवाद नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही किसी से झूठ न बोले।
  • इस दिन चावल के अलावा बैंगन का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • इस दिन पेड़-पौधों को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
  • इस दिन दातुन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस दिन टहनियों को तोड़ने की मनाही होती है।

 षटतिला एकादशी पर करें ये काम

  • षटतिला एकादशी के दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए।
  • इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन तिल से बनी चीजों का विशेष रूप से दान करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाने के साथ पंचामृत में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
  • स्नान करने वाले पानी में तिल जरूर डालने चाहिए।
  • इस एकादशी पर व्रत की कथा सुनने के बाद हवन के समय तिल की आहुति जरूर दें।
  • षटतिला एकादशी के दिन तिल से पितरों का तर्पण जरूर करें।

 

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