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जानिए कब है होलाष्टक

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा है यानी कि होलिका दहन तक होलाष्टक होता है. होलाष्टक बेहद अशुभ माना जाता है. इस दिन कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए. हिंदू पंचांग के अनुसार, होलाष्टक दिनांक 27 फरवरी से शुरु हो रहा है, जो होली से पहले 8 दिनों तक रहने वाला है. होलीका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा. उसी दिन से आप कोई भी शुभ काम कर सकते हैं. इस बार होलाष्टक 9 दिनों तक रहने वाला है. इस बीच आपको कोई भी शुभ काम करने से बचना चाहिए. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि होलाष्टक कब है, इस दिन क्या नहीं करना चाहिए, होलाष्टक को अशुभ क्यों माना जाता है?
जानिए कब है होलाष्टक
हिंदू पंचांग में होलाष्टक फाल्गुन मास से शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कि दिनांक 27 फरवरी को सुबह 12 बजकर 58 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 28 फरवरी को सुबह 02 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. वहीं इसी दिन सुबह 06 बजकर 49 मिनट से लेकर 01 बजकर 35 मिनट तक भद्रा है. वहीं अगर फाल्गुन पूर्णिमा की बात की जाएं, तो ये दिनांक 06 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 07 मार्च को शाम 06 बजकर 09 मिनट तक रहेगा. होलाष्टक दिनांक 07 मार्च को समाप्त हो जाएगा.
होलाष्टक के दिन भूलकर भी न करें ये काम
1. होलाष्टक में विवाह करना वर्जित है.
2. होलाष्टक में बहु और बेटी को घर से विदा न करें. होलाष्टक के बाद ही बिदाई करें.
3. होली से पहले 8 तिथि में शादी पक्का नहीं करना चाहिए.
4. होलाष्टक में गृह प्रवेश , मुंडन या फिर कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए.
5. इस समय से आपको कोई भी नया काम प्रारंभ करने से बचना चाहिए.
आखिर होलाष्टक क्यों है अशुभ
होली से पहले 8 तिथियों में यानी कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णमा को कोई भी शुभ काम करना अशुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रकार की यातनाएं दी गई थी. दूसरी तरफ ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शिव के क्रोध से कामदेव के भस्म होने पर उनकी पत्नी रति ने इन 8 तिथि में पश्चाताप किया था.

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