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ससुराल में क्यों नहीं मनाती दुल्हन पहली होली

होली के पर्व को ‘रंगो का त्योहार’ के नाम से भी जाना जाता है. फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है. यह त्योहार हिंदुओं का माना जाता है. लेकिन कई समुदाय के लोग इस त्योहार को उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं. इस साल होलिका दहन 7 मार्च को है और 8 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी. देशभर में होली के पर्व को अधिक धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन होली को लेकर बहुत रीति-रिवाज हैं. इनमें से एक है कि नई दुल्हन अपनी पहली होली ससुराल में क्यों नहीं मनाती है. अगर आपके मन में भी यही सवाल है तो आपके इस सवाल का जवाब इस खबर में मिल जाएगा.
ससुराल में क्यों नहीं मनाती नई दुल्हन पहली होली?
मान्यता है कि ससुराल में नई दुल्हन के लिए पहली होली खेलना या फिर देखना अशुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर नई दुल्हन और सास एक साथ होली जलते हुए देखती है तो उनके रिश्ते बिगड़ जाते हैं.
इसके अतिरिक्त एक यह भी रिवाज है कि शादी के बाद दामाद को पहली होली पत्नी के मायके में मनानी चाहिए. मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से ससुराल वालों के साथ लड़की के संबंध बढ़िया रहते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार, यदि दामाद अपनी पहली होली पत्नी के साथ उसके मायके में मनाता है. तो ऐसा करने से उनके जीवन में प्यार बढ़ता है.
कहा जाता है कि दुल्हन के मायके में होली को पर्व को मनाने से संतान का भाग्य उत्तम होता है और स्वास्थ्य भी सुधरता है.ऐसा कहा जाता है कि यदि होली के आसपास किसी महिला को बालक होने वाला हो तो उसे ससुराल की होली नहीं देखनी चाहिए.
 

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