धर्म समाज

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से होगी शुरू

इस बार माता नाव पर सवार होकर आएगी, होगी खूब बारिश
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होगी। इस बार की नवरात्रि की खाशियत यह है कि इस बार माता नाव में सवार होकर आएंगी। 22 मार्च से ही नव संवत्सर 2080 भी शुरू होगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च तक रहेगी। इस बार पूरे नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होगी। इस साल चैत्र नवरात्रि पर माता का वाहन नाव होगी, जो इस बात का संकेत है इस साल खूब वर्षा होगी।
नवरात्रि में बन रहे शुभ योग
चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी। नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को लगेगा। जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को लगेगा। रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को लगेगा। और नवरत्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी रहेगा।
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि बुधवार, 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं। चैत्र नवरात्रि घटस्थापना के मुहूर्त की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक (अवधि 01 घंटा 09 मिनट) रहेगी. चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात 10 बजकर 52 मिनट से शुरू हो रही है और प्रतिपदा तिथि का समापन 22 मार्च को रात 08 बजकर 20 मिनट पर होगा।
कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें. इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें. एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें. कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें. एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें. इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें. इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें. नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।

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