धर्म समाज

सच्चे मन से स्मरण करने से होती है प्रभु की कृपा

धनबाद। बर्मामाइंस कैरेज कालोनी में श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से महंत केशवाचार्च ने मंगलाचरण के बाद शुकदेव, परीक्षित जन्म एवं अमरकथा का वर्णन किया. महंत केशवाचार्य ने कहा कि पार्वती को अमरकथा सुनने की इच्छा हुई. उन्होंने भगवान भोलेनाथ से कथा सुनाने की जिद की. पार्वती के जिद के आगे भोलेनाथ नतमस्तक हो गए तथा कथा सुनाने के लिए राजी हो गए. 10वें अध्याय तक कथा सुनने के बाद पार्वती जी को नींद आ गई. कुछ दूर घोसले में बैठकर कथा सुन रहे तोता (सुग्गा) के बच्चे ने हूंकारी भरना शुरु किया. 12वें अध्याय के बाद कथा समाप्त हो गई. जब जयकारा लगा तो पार्वती जी की नींद खुली. उन्होंने दसवें अध्याय के बाद कथा सुनाने की बात कही. भोलेनाथ ने कहा कि मैने पूरी कथा सुनाई है. इस दौरान किसी ने हुंकारी नहीं भरी है. बाद में ज्ञात हुआ कि तोते के बच्चे ने पूरी कथा सुन ली है.
भोलेनाथ के भय से तोते का बच्चा वेदव्यास की पत्नी के गर्भ में समा गया. 12 वर्ष तक गर्भ में रहने के बाद शुकदेव ने जन्म लिया. महंत केशवाचार्य ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति काफी सरल है. सच्चे मन से उनका स्मरण करने से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है.
सहियाओं को मिला सम्मान
आदिवासी यंग बॉयज कमिटी द्वारा आज रामपुर गिट्टीमशीन छोटगोविंदपुर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया. जिसमे मुख्य अतिथि के रूप जिला परिषद सदस्य डॉ परितोष सिंह उपस्थित हुए.
समाज में जान जोखिम में डालकर अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले महिला समूहों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहिया बहनों को सम्मानित किया. इस अवसर पर राजबानसिंह, रामकिशन सुंडी, रवि लोहार, बीरबल सोय, विकास बहादुर, और अमित कालुंडिया थे.

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