धर्म समाज

रामनवमी के दिन क्यों लगाते है बांस की लकड़ी में तिकोना ध्वजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर श्रीराम का जन्म हुआ था. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने पाप का नाश करने के लिए त्रेता युग में अयोध्या नरेश दशरथ और रानी कौशल्या से जन्म लिया था. भगवान विष्णु के अवतार होने के कारण उनका श्रीराम को भगवान कहते हैं. श्रीराम एक आदर्शवादी पुत्र, पिता, मित्र, पति और राजा थे. 30 मार्च को नवरात्रि की नवमी के दिन रामनवमी भी मनाई जाएगी. इस दिन हिंदू धर्म को मानने वालों के घरों में नारंगी रंग की ध्वजा लगाई जाती है. उस ध्वजा को महावीरी झंडा कहते हैं लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है, चलिए आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं.
हिंदू धर्म को मानने वालों के घरों में स्वास्तिक या ॐ का विशेष महत्व है. उसी तरह नारंगी रंग जिसे आम भाषा में भगवा रंग कहा जाता है उसका भी बहुत महत्व है. सनातन धर्म का प्रतीक भगवा रंग की वो ध्वजा है जिसके ऊपर ॐ लिखा होता है. इसे यश, कीर्ति, विजय और पराक्रम का प्रतीक भी कहते हैं. पहले के जमाने में रघुवंशी राजा जब जीतकर आते थे तब यही ध्वजा फहराया जाता था. महावीरी ध्वज का सनातन धर्म में तात्पर्य शुद्धिकरण के साथ जोड़ा गया है. शास्त्रों में ध्वजारोपण का भी विशेष महत्व है. तिकोना ध्वजा बांस की लकड़ी में लगाना शुभ माना गया है. श्रीराम का जन्म हुआ तो अयोध्या में भी यही पताका लगाई गई थी ऐसा कहा जाता है. तब ये परंपरा चली आ रही है कि श्रीराम के जन्मोत्सव पर नारंगी रंग की तिकोनी आकार की ध्वजा लोग अपने-अपने घरों पर लगाते हैं.
इस साल 30 मार्च को देशभर में राम जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. राम मंदिरों में जलसा होता है और जगह-गजह लोग भंडारा भी करवाते हैं. ऐसी मान्यता है कि श्रीराम का जन्म दोपहर 12 बजे के आसपास हुआ था इसलिए इतने ही बजे देशभर के मंदिरों से राम लला की आरती सुनने को मिलती है और पूजा-अर्चना करके इस दिन को धूमधाम से मनाते हैं.

Leave Your Comment

Click to reload image