धर्म समाज

महावीर जयंती 4 अप्रैल को मनाई जाएगी

जैन समुदाय में महावीर जयंती का विशेष महत्व
महावीर जयंती देशभर में इस साल 4 अप्रैल को मनाई जाएगी। जैन समुदाय में महावीर जयंती का विशेष महत्व है। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। महावीर स्वामी का जन्म ईसा पूर्व 599 वर्ष माना जाता है। महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था और उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थी।
सत्य और अहिंसा की दिखाई राह
महावीर स्वामी ने हजारों साल पहले सत्य और अहिंसा को जो रास्ता दिखाया था, जो आज भी लोगों की मार्गदर्शन देती है। महावीर स्वामी ने हमेशा जीयो और जीने दो का संदेश दिया।
अनमोल वचन
- महावीर स्वामी ने कहा था कि किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है। ऐसे में शांति और आत्म नियंत्रण ही सबसे बड़ी अहिंसा है।
- महावीर स्वामी ने कहा था कि हर जीव स्वतंत्र है। कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता। भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व की प्राप्ति कर सकता है।
- हर आत्मा खुद में सर्वज्ञ और आनंदमय होती है। ऐसे में सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान ही अहिंसा है। सभी मनुष्य खुद के दोषों के कारण दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न भी हो सकते हैं।
जानें क्या था पंचशील का सिद्धांत
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने दुनिया को जो पंचशील का सिद्धांत दिया था और आज भी मार्गदर्शक बना हुआ है। महावीर स्वामी ने पंचशील के सिद्धांत में अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य को मुख्य आधार माना था। महावीर स्वामी ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की, वह अन्य कहीं दुर्लभ है।

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