धर्म समाज

बैतूल के इस प्राचीन हनुमान मंदिर में दूर-दूर से आते हैं भक्‍त

पीपल के पत्‍तों पर लगाते हैं अर्जी
बैतूल शहर के टिकारी क्षेत्र में 200 वर्ष से भी अधिक पुराने श्री हनुमान मंदिर में दूर-दूर से भक्‍त दर्शनों के लिए आते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि यहां पीपल के पत्तों पर सिंदूर से लिखकर अपनी अर्जी लगाने से व्‍यक्‍ति की मनोकामना पूरी होती है और उसकी सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसी कारण से इसे सिद्ध हनुमान मंदिर के रूप में पूरे प्रदेश में पहचाना जाता है।
मंदिर में दक्षिणमुखी श्री हनुमान की प्रतिमा के दाहिने हाथ में संजीवनी पर्वत और बाएं हाथ में गदा है। श्री हनुमान की यह छबि उस समय की है, जब वे लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे और पूरा पर्वत ही उठाकर ले आए थे। मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। मंगलवार और शनिवार को तो मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ लग जाती है। हनुमान जयंती के पावन मौके पर यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।
मंदिर के पुजारी राधेश्याम सोनी ने बताया कि बजरंगबली की प्रतिमा जिस स्थान पर है, उसके ठीक सामने शमी का वर्षों पुराना पेड़ लगा हुआ है। मंदिर समिति के पदाधिकारी तरुण ठाकरे बताते हैं कि दक्षिणमुखी यह मंदिर विलक्षण है। जहां भगवान के दाहिने हाथ में संजीवनी पर्वत है। जब हनुमान जी संजीवनी लेने गए थे, तब पर्वत दाहिने हाथ में ही था। शमी के पेड़ जिसके बारे में मान्यता है कि द्वापर युग में महाभारत काल में पांडवों ने अपने अस्त्र और शस्त्र इसी शमी के पेड़ पर छिपा दिए थे। मान्यता है कि शमी के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है।
अर्जी लगाने बड़ी संख्‍या में पहुंचते हैं भक्त
बैतूल शहर के टिकारी क्षेत्र में दक्षिण मुखी सिद्ध हनुमान मंदिर का निर्माण अंग्रेजों के शासन के दौरान मालगुजार रहे साहबलाल पटेल के द्वारा कराया गया था। मंदिर में 4.5 फीट ऊंची श्री हनुमान की प्रतिमा की स्थापना के साथ एक बावड़ी भी बनाई गई थी। मंदिर में पीपल के पत्ते और भोजपत्र पर भक्तों के द्वारा सिंदूर से अपनी समस्या लिखकर श्री हनुमान के चरणों में अर्पित कर दी जाती हैं। भक्तों की ऐसी मान्यता है कि श्री हनुमान के दर से कोई भी कभी खाली हाथ नहीं जाता है। यही कारण है कि यहां पर असाध्य बीमारी, घरेलू परेशानी, आर्थिक समस्या लेकर बड़ी संख्या में दूर-दराज से भक्त पहुंचते हैं। मंदिर में नियमित माथा टेकने के लिए जाने वाले भक्त जीतेंद्र पेसवानी ने बताया कि दद्दा की कृपा जिस पर भी हो जाती है उसके सारे बिगड़े काम संवर जाते हैं और कोई बाधा ही नहीं आती है। वे हर मंगलवार और शनिवार को नियम से दद्दा के दरबार में हाजरी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां पर आकर बेहद शांति मिलती है। कई लोगों की बीमारी भी यहां पर पूजा-पाठ करने से ठीक हो गई है।

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