हनुमान जी की भक्ति भाव को आत्मसात करने की जरूरत : अरोड़ा
10-Apr-2023 12:44:00 pm
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महासमुंद। बालयोगी विष्णु अरोड़ा ने कहा कि हनुमान जी की भक्ति भाव को आत्मसात करने की जरूरत है। जब तक भक्ति नहीं होगी तब तक भगवान की प्राप्ति नहीं होगी। इसलिए भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का पाने का प्रयास करना चाहिए।
आज रविवार को दादाबाड़ा में आयोजित श्री मारूति महायज्ञ के प्रवचन के दौरान बालयोगी श्री अरोड़ा ने भगवान हनुमान जी के भक्तिमय स्वरूप का वर्णन किया। बालयोगी श्री अरोड़ा के यज्ञस्थल पहुंचने पर यजमान विनोद सेवनलाल चंद्राकर व निर्मला चंद्राकर ने आरती उताकर स्वागत किया। बाद इसके प्रवचनकर्ता बालयोगी श्री अरोड़ा ने मधुरम मधुरम...गीत से व्याख्यान की शुरूआत करते हुए कहा कि भक्तिमय स्वरूप के बिना हनुमान चरित्र अधूरी रहेगी। उन्होंने रामचरित्र मानस के आधार पर वर्णन करते हुए कहा कि हनुमान जी का चरित्र बड़ा व्यापक है। भक्तिमय स्वरूप में हनुमान जी का विप्र ब्राह्मण रूप अदभूत रहा है। भगवान राम और हनुमान जी के मिलन के दौरान हनुमान जी विप्र रूप में सामने आए थे। हालांकि हनुमान जी सूक्ष्म, विकट सहित कई रूपों में सामने आए लेकिन विप्र रूप विलक्षण रूप रहा है। उन्होंने कहा कि हनुमान जी तीन बार विप्र रूप धारण किए। पहली बार सुग्रीव से मिलन के दौरान दूसरी बार भरत मिलन के दौरान और तीसरी बार विभिषण से मिलने के दौरान। तीनों बार हनुमान जी ने न केवल भक्त को भगवान से मिलाया बल्कि संकट भी दूर किए। यही सच्चे भक्ति की पहचान है। दूसरे का कष्ट हरे वहीं सच्ची भक्ति है, जो हनुमान जी की इस रूप की विशेषता है। हनुमान जी के इस रूप की भी साधना करनी चाहिए। उन्होंने भगवान की प्राप्ति के लिए पवित्र स्थान की महत्ता बताते हुए कहा कि शुद्ध भूमि में साधना करने से ईश्वर की जल्दी प्राप्ति होती है। पवित्र और अपवित्र स्थान का तन, मन व विचारों पर पड़ता है। इसके लिए उन्होंने माता सीता की खोज में निकले भगवान राम और लक्ष्मण के एक प्रसंग का उदाहरण भी दिया। प्रवचन के बाद हनुमान चालीसा का पाठ के साथ ही आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन शामिल रहे।
श्री मारूति महायज्ञ के चौथे दिन दोपहर से शाम साढ़े चार बजे तक भजन का कार्यक्रम हुआ। शानदार भजन की प्रस्तुति से उपस्थित श्रद्धालु झूम उठे। राजीव लोचन म्यूजिकल ग्रुप परसकोल ने एक से बढ़कर एक भजन की प्रस्तुतियां दी। जिससे माहौल भक्तिमय रहा।