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वरुथिनी एकादशी व्रत का क्या है महत्व

साल 24 एकादशी होती है क्योंकि हर महीने 2 एकादशी पड़ती है. एक एकादशी कृष्ण पक्ष में तो दूसरी शुक्ल पक्ष में पड़ती है. एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. हिंदू कैलेंडर के दूसरे महीने वैशाख के कृष्ण पक्ष में वरुथिनी एकादशी पड़ती है. इस दिन भगवान विष्णु के वराह रूप की पूजा की जाती है. इस दिन के व्रत, स्नान और दान का अधिक महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी के व्रत से अन्नदान और कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिल जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है और चलिए आपको बताते हैं वरुथिनी एकादशी किस तारीख को है और इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
कब है वरुथिनी एकादशी व्रत?
वैशाख 2023 के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं. इस साल ये व्रत 16 अप्रैल दिन रविवार को रखा जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करे से रोग-दोष मिट जाते हैं. व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विष्णु जी के वैकुंठ लोक में स्थान मिलता है. वरुथिनी एकादशी की शुरुआत 15 अप्रैल 2023 की रात 8.45 बजे होगी और इसकी समाप्ति 16 अप्रैल 2023 की शाम 6.14 बजे होगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अप्रैल की सुबह 7.32 बजे से लेकर सुबह 10.45 बजे तक है. इस व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी को करना होगा. वरुथिनी एकादशी का पारण 17 अप्रैल 2023 की सुबह 5.54 बजे से लेकर 8.29 बजे कर कर सकते हैं.
वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
5 अप्रैल को पूरा दिन सात्विक भोजन करें जिससे आप अगले दिन एकादशी का व्रत करने के योग्य बन सकें. एकादशी के व्रत दो तरीकों से रहे जाते हैं एक निर्जला और दूसरा फलाहार. आप सुबह सुबह इसका संकल्प भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने ले सकते हैं. उसके बाद दिन की शुरुआत और पूजा कैसे करनी है वो प्वाइंट्स में समझें.
1. सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें. हो सके तो स्नान गंगाजी में करें अगर संभव नहीं है तो गंगाजल नहाने के पानी में दो बूंद डालकर नहा सकते हैं.
2. इसके बाद हाथ में थोड़ा गंगाजल और अक्षत लेकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लें और उन्हें प्रणाम करें.
3. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं. अब भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने बैठ जाएं. उन्हें तिलक करें, अक्षत, फूल, धूप-दीप और भोग अर्पित करें.
4. भगवान विष्णु के पूजन में तुलसी की पत्तियों को जरूर शामिल करें वरना पूजा अधूरी मानी जाती है. पूजान के दौरान ॐ नमो भगवत वासुदेवाय नम: का जाप जरूर करें.
5. इसके बाद रात में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें. पूरे दिन समय समय पर भगवान का नाम लेते रहें और रात में पूजा स्थल के पास कीर्तन या जागरण कर सकते हैं.
6. द्वादशी के दिन व्रत का पारण शुभ मुहूर्त पर ही करें. अगर सामर्थ्य है तो गरीबों को भोजन कराएं और वही प्रसाद खुद खाएं. इससे आपको विष्णु जी का विशेष आशीर्वाद मिलेगा.
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
स्कंद पुराणा के अनुसार, वरुथिनी एकादशी के दिन सौभाग्य प्राप्त किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि संसार में अन्न-दान से श्रेष्ठ कोई दान नहीं होता है. जिससे पितृ, देवता, मनुष्य सभी तृप्त होते हैं. मान्यता है कि श्रीकृष्ण वरुथिनी एकादशी का महाम्त्य अर्जुन को समझाते हुए बता चुके हैं कि वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत करने वाले अगर अन्न का दान करता है तो उसे 10 सालों की तपस्या के बराबर फल मिलता है. वरुथिनी एकादशी के दिन जल सेवा करने से दरिद्रता दूर होती है, दुखों का नाश होता है और दुर्भाग्य सौभाग्य बन जाता है.

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