धर्म समाज

हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के लिए खास है बुद्ध पूर्णिमा

  • जानिए...स्नान दान और पूजा का शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति के दिन के रूप में देखा जाता है और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था. वहीं हिंदू मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार बुद्ध के रूप में लिया था.
वैशाख पूर्णिमा तिथि 22 मई दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 48 मिनट से शुरू हो रही है और 23 मई दिन गुरुवार को शाम 7 बजकर 23 मिनट को तिथि का समापन होगा. ऐसे में पूर्णिमा तिथि का व्रत, दान पुण्य और चंद्रमा को अर्घ्य 22 मई को किया जाएगा. वहीं 23 मई को स्नान दान, पूजा पाठ आदि शुभ कार्य किए जाएंगे.
इसलिए मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा-
बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिंदू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान है. गृह त्याग करने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे. यहां उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई. तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है. भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद खीर पीकर ही अपना व्रत खोला था. इसलिए इस दिन घर में खीर बनाई जाती है और भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.
गौतम बुद्ध का जीवन-
गौतम बुद्ध एक आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और मार्गदर्शक थे. उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की. गौतम बुद्ध के अनुयायी पूरी दुनिया में हैं. गौतम बुद्ध के जन्म और मृत्यु का समय अनिश्चित है. इस बीच, अधिकांश इतिहासकार गौतम बुद्ध का जीवनकाल 563-483 ईस्वी के बीच मानते हैं. इसके अलावा, कई लोग लुंबिनी, नेपाल को बुद्ध का जन्मस्थान मानते हैं. गौतम बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुई थी.
यही कारण है कि बोधगया को बौद्ध धर्म में एक पवित्र स्थान माना जाता है. अन्य तीन महत्वपूर्ण तीर्थ क्षेत्र हैं-कुशीनगर, लुंबिनी और सारनाथ. ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध को बोधगया में ज्ञान प्राप्त हुआ था और उन्होंने सबसे पहले सरना में धर्म की शिक्षा दी थी.

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