एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को, करें ये काम
21-May-2024 3:34:29 pm
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- मिलेगी कर्ज से मुक्ति
सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी को खास माना गया है जो कि भगवान श्री गणेश की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती है।
पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। अभी वैशाख का महीना चल रहा है और इसके समापन के बाद ज्येष्ठ माह लग जाएगा। ज्येष्ठ माह की पहली चतुर्थी तिथि पर एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूजन किया जाता है जो कि इस साल 26 मई को पड़ रही है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा का विधान होता है माना जाता है कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर अगर शिव पुत्र गणेश की उपासना व उपवास किया जाए तो प्रभु प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं इस दिन पूजा पाठ के दौरान अगर भगवान श्री गणेश के प्रिय स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो कर्ज की समस्या से मुक्ति मिलती है तो आज हम आपको लिए लेकर आए हैं गणेश स्तोत्र।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 मई को सुबह 6 बजकर 6 मिनट पर हो जाएगा और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 27 मई को सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 26 मई को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए दिनभर उत्तम रहेगा। इस दौरान पूजा पाठ और व्रत करने से जीवन के दुखों का अंत हो जाता है और सुख समृद्धि व शांति प्राप्त होती है।
गणेश स्तोत्र
शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।
येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥
चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।
विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥
तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।
साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥
चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।
सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥
अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।
तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥
इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।
एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥
तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।
क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥
सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
धन लाभ हेतु मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।