धर्म समाज

पूजा-पाठ के दौरान गंगाजल का उपयोग क्यों किया जाता है ?

सनातन धर्म में प्रतिदिन देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन इससे पहले मंदिर और घर की साफ-सफाई की जाती है। साथ ही गंगाजल का शुद्धिकरण किया जाता है। मान्य है कि ऐसा करने से घर में उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का उत्प्रेरक होता है। जानते हैं आखिर क्यों गंगाजल को इतना पवित्र माना गया है? सनातन धर्म में गंगा नदी को मां गंगा का स्वरूप माना गया है। इसी कारण से इसके जल को मां गंगा का आशीर्वाद माना जाता है। इसे अति पवित्र माना जाता है। यह मान्य है कि गंगाजल से स्नान करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इनके अमृत के समान माना गया है। इनमें सभी कारणों से पूजा-पाठ और घर की शुद्धि के लिए गंगाजल का प्रयोग किया जाता है। अगर घर में क्लेश की समस्या रहती है, तो ऐसे में पूजा के बाद घर में गंगाजल छिड़कें। प्रचलित है कि ऐसा करने से गृह क्लेश की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर में से नकारात्मकता दूर होती है। गंगाजल को शुद्ध माना जाता है। अपने घरों में एक मानक या पीतल के लोटे रखने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि गंगाजल को किसी जल में डाला जाता है, तो उस पानी को गंगाजल के समान माना जाता है। इसको पीने से कई रोग दूर होते हैं।

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