धर्म समाज

आज से शुरू हुए आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि

  • जानिए...शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
  • 9 दिनों तक लगने वाले भोग का होता है विशेष महत्व-
इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 06 जुलाई से 15 जुलाई 2024 तक मनाई जाएगी. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, इसे गुप्त नवरात्रि या गुप्त साधना के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है. यह पर्व विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं और गुप्त उपासना के लिए महत्वपूर्ण है. गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और उपासना की जाती है, लेकिन यह पूजा विधि और उद्देश्य सामान्य नवरात्रि से अलग होते हैं.
इस दिन देवी शक्ति की पूजा करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं.
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है. प्रतिपदा तिथि जुलाई 06, 2024 को 04:26 ए एम बजे प्रारंभ होगी जो जुलाई 07, 2024 को 04:26 ए एम बजे तक रहेगी. आषाढ़ घटस्थापना शनिवार, जुलाई 6, 2024 को की जाएगी.
घटस्थापना मुहूर्त - 05:29 ए एम से 10:07 ए एम
अवधि - 04 घण्टे 38 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:54 पी एम
अवधि- 00 घण्टे 56 मिनट्स
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि-
इस दिन प्रातः स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के पूजा स्थल या मंदिर में कलश स्थापित करें. कलश में गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और बेल पत्र डालें. कलश के साथ देवी दुर्गा की मूर्ति या श्री यंत्र स्थापित करें. देवी दुर्गा को फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप अर्पित करना शुभ माना जाता है. "ॐ जय दुर्गे" या "ललिता सहस्रनाम" मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व है. गुप्त नवरात्रि के व्रत जातक अपनी इच्छा शक्ति के अनुसार रखता है. देवी दुर्गा को भोग लगाकर ही प्रसाद ग्रहण करने वाले जातक के घर में कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होती. गुप्त नवरात्रि के दिनों में सुबह शाम नियम से देवी दुर्गा की आरती उतारनी चाहिए.
अगर आप अपने घर में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिन घटस्थापना कर रहे हैं तो आप इस दिन गलती से भी ब्रह्मचर्य नियम को न तोड़ें. मांस-मदिरा का सेवन न करें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें. दान-पुण्य करना शुभ होता है.
9 दिनों तक लगने वाले भोग का होता है विशेष महत्व-
नवरात्रि के दौरान पूजा पाठ में भोग का भी खास महत्व होता है. देवी देवताओं को उनकी रुचि के अनुसार अवश्य भोग लगाना चाहिए. आषाढ़ के गुप्त नवरात्रि में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए काली देवी की पूजा की जाती है. इसमें घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां तारा की पूजा होती है, इसमें दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए त्रिपुरा सुंदरी की पूजा की जाती है. इस दिन पंचामृत का भोग लगाएं.
चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए भुनेश्वरी देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन मालपुआ का भोग लगाएं.

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