हरतालिका तीज पर कुंवारी कन्याओं के लिए क्या हैं व्रत के नियम
05-Sep-2024 4:01:17 pm
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हिन्दू धर्म में हरतालिका तीज कुवांरी लड़कियों के लिए बहुत महत्व रखता है. इस दिन कुवांरी कन्याएं जीवन में मनचाहा वर प्राप्त करने की कमाना से व्रत रखती हैं. हरतालिका तीज पर कुवांरी लड़कियों के लिए विवाहित महिलाओं से व्रत के नियम अलग है.क्योंकि इसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. लेकिन इस उपवास को अविवाहित लड़कियां भी रखती हैं,
माना जाता है कि इस व्रत को करने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है. हालांकि कुंवारी कन्याओं के व्रत के नियम अलग होते हैं, उन्हें निर्जला उपवास रखने की जरूरत नहीं हैं, वो पानी पीकर और फलाहार खाकर अपना व्रत पूरा कर सकती हैं. कुवांरी लड़कियां सुबह उठकर नहा धोकर व्रत का संकल्प लें और उसके बाद पूरे दिन उपवास करें और शाम को तैयार होकर शिव-पार्वती की पूजा करें और व्रत का पारण करें.
व्रत के लिए शरीर और मन की पवित्रता सबसे जरूरी-
जो सुहागिन महिलाएं किसी कारणवश बीमार हैं, वो भी पानी पीकर और फलाहार खाकर अपना व्रत कर सकती हैं. व्रत के दिन शरीर और मन की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और सात्विकता का पालन करते हुए शाम को पूजा के दौरान व्रत कथा का श्रवण करना अनिवार्य है. माना जाता है कि अगर अविवाहित कन्याएं इसको सुनती हैं तो उन्हें बहुत ही अच्छा पति मिलता है. मां पार्वती ने भी ये व्रत कुंवारे जीवन में ही किया था.
हरतालिका तीज का महत्व-
हरतालिका तीज व्रत का महत्व केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. यह व्रत संयम, श्रद्धा, और तपस्या का प्रतीक है. माता पार्वती के कठिन तप से प्रेरणा लेकर इस व्रत को निभाने वाली कन्याएं और विवाहित महिलाएं अपने जीवन में सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति करती हैं. इस व्रत को करने से जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं और जीवन में आने वाले कष्ट भी दूर होते हैं.